यूपी के हाथरस में सत्संग के बाद मची भगदड़ में अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 74 लोगों की दम घुटने से मौत हुई। भगदड़ में जो महिलाएं और बच्चे जमीन पर गिरे, वो बुरी तरह कुचल गए और फिर उठ नहीं पाए। 31 महिलाओं की बॉडी ऐसी थी, जिनकी पसलियां टूटकर दिल और फेफड़े में घुस गईं थीं। वहीं, 15 बॉडी ऐसी थीं, जिनके सिर और गर्दन की हड्डी टूट चुकी थी। इसलिए उनकी मौत हुई। इसका खुलासा शवों के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हुआ। हाथरस में हुए हादसे से 2 बड़े सवाल निकलकर सामने आए। जानिए दोनों सवालों के जवाब… 1. मौतें ज्यादा क्यों हुईं?
सत्संग एक खाली मैदान पर हुआ था। हल्की बारिश के बाद कीचड़ हो गया था। लोग कीचड़ में फिसले, फिर उठ नहीं सके। फिर पीछे वाले लोग उन्हें कुचलते हुए निकलते चले गए। इसलिए मौतें ज्यादा हुईं। जो बॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए पहुंची, उनके शरीर पर मिट्टी ही मिट्टी चिपकी थी। कान, नाक और मुंह में भी मिट्टी थी। 2. महिलाएं ज्यादा क्यों मरीं?
मरने वालों में करीब 113 महिलाएं हैं। 7 बच्चे और 3 पुरुष हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, महिलाएं भगदड़ मचने के बाद गिरीं, फिर इतनी ताकत नहीं जुटा सकीं कि भीड़ के साथ दोबारा खड़ी हो पातीं। भीड़ उनके ऊपर से गुजरती चली गई। यही वजह है कि ज्यादातर महिलाओं के शरीर में हड्डियां टूटी मिली हैं। भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई। इन लाशों को हाथरस के साथ अलीगढ़, आगरा और एटा ट्रांसफर किया। 24 घंटे में 120 लोगों के पोस्टमॉर्टम हुए। एक की शिनाख्त नहीं हो सकी। इसलिए उसका पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ। 2 शव बिना पोस्टमॉर्टम कराए उनके परिवार वाले ले गए। पहले अलीगढ़ से सामने आई पीएम रिपोर्ट… 6 डॉक्टरों के पैनल ने 37 पोस्टमॉर्टम किए
पहले बात अलीगढ़ की। यहां हादसे के 6 घंटे के बाद पहली बॉडी पहुंची। कुछ ही घंटों में 38 बॉडी आ गईं। इनमें 35 महिलाएं थीं। 2 बच्चे और 1 पुरुष की बॉडी थी। 1 बॉडी को उनका परिवार बिना पोस्टमॉर्टम ही उठा ले गया। यहां 37 लोगों की रिपोर्ट तैयार हुई। इसमें 10 लोगों की मौत दम घुटने से हुई। 19 बॉडी ऐसी थीं, जिनकी पसलियां टूटकर शरीर के अंदर दूसरे ऑर्गन में घुस गईं थीं। इसकी वजह से उनकी मौत हो गई। 8 बॉडी ऐसी थीं, जिनके सिर और गर्दन की हड्डियां टूटी मिली। फिर आगरा से आई 21 शवों की रिपोर्ट… 15 महिलाओं का दम घुटा, 3 के सिर की हड्डी टूटी
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलज में पोस्टमॉर्टम के लिए 21 महिलाओं की बॉडी लाई गई। CMO डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने कहा- 15 लोगों की मौत दम घुटने से हुई है। उनकी छाती में खून जमा हुआ मिला है। उनके शरीर पर मिट्टी ही मिट्टी थी। 3 लोगों के सिर पर गहरी चोटें थीं। 3 लोग ऐसे थे, जिनकी पसलियां टूटकर दिल और फेफड़ों में जाकर घुस गई थी। इसकी वजह से उनकी मौत हो गई। मरने वालों में 3 फरीदाबाद और एक बॉडी पीलीभीत की थी। उनकी उम्र 35 से 60 साल तक थी। 8 डॉक्टर और 6 फार्मासिस्ट सपोर्ट में लगे
पोस्टमॉर्टम हाउस पर 8 डॉक्टरों की ड्यूटी थी। 4 पोस्टमॉर्टम करने के बाद डॉक्टर ब्रेक लेते थे। रात में 3 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू होने के बाद लगातार अगले दिन दोपहर में 2 बजे तक चला। सपोर्ट के लिए 6 फार्मासिस्ट और 10 स्वीपर की ड्यूटी भी लगाई गई। ये सभी पोस्टमॉर्टम ACMO डॉ. नंदन सिंह और डॉ. अमित रावत की निगरानी में हुए। पोस्टमॉर्टम हाउस प्रभारी जयपाल चाहर ने बताया- रात में डॉ. अनुज गांधी, डॉ. विमल कुमार, डॉ. अभिषेक परिहार और डॉ. अभिषेक चौहान ड्यूटी पर थे। दिन की ड्यूटी में डॉ. उदय रावल, डॉ. मोहित बंसल, डॉ. अजय यादव और डॉ. अतुल भारती थे। हाथरस में 34 शवों का पोस्टमॉर्टम 22 महिलाओं के सीने में खून जमा हुआ मिला
भगदड़ के बाद हाथरस के जिला अस्पताल में लाशों का ढेर लगा था। CMO डॉ. मंजीत सिंह ने तुरंत डॉक्टरों का एक पैनल बनाया। जिसने इलाज और पोस्टमॉर्टम की जिम्मेदारी संभाली। यहां 34 बॉडी के पोस्टमॉर्टम हुए। इनमें 22 महिलाओं के सीने में खून जमा हुआ मिला। अधिकांश के कान, नाक और मुंह में मिट्टी मौजूद थी। 8 लोगों के सीने की हड्डियां टूटकर दूसरे अंगों में घुस गईं थीं। मल्टीपल फ्रैक्चर मिले। 4 लोगों के सिर और गले की हड्डियां टूटी हुईं मिलीं। एटा में 28 लाश आईं, 27 के पोस्टमॉर्टम हुए एटा के पोस्टमॉर्टम हाउस पर 28 लाश लाई गईं। इनमें 27 के पोस्टमॉर्टम हो सके। 1 बॉडी को परिवार बिना पोस्टमॉर्टम घर ले गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, 27 में सभी की मौत दम घुटने से हुई। इनके शरीर पर चोट मिली हैं। मल्टीपल फ्रैक्चर मिले हैं। 6 डॉक्टरों की टीम 24 घंटे लगी रही
एटा मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. रजनी पटेल, सीएमओ डॉ. उमेश कुमार त्रिपाठी, डॉ. सुरेश चंद्रा के सुपरविजन में पोस्टमॉर्टम हुए। डॉ. राहुल वार्ष्णेय, डॉ. आरके दयाल, डॉ. अभिनव दुबे, डॉ. मोहित, डॉ. संजय, डॉ. राहुल चतुर्वेदी की टीम ने मौत के सटीक कारणों की रिपोर्ट तैयार की। यह भी पढ़ें: हाथरस में भक्त मरते रहे, बाबा भागकर आश्रम पहुंचा, DSP एक घंटे अंदर रहे, बोले-बाबा यहां नहीं; सुबह BJP का झंडा लगी कार निकली यूपी के हाथरस में भोले बाबा सत्संग के बाद लोगों को मरता छोड़कर बाबा वहां से भाग गया। 15 गाड़ियों के काफिले के साथ मैनपुरी के बिछुआ में अपने आश्रम पहुंचा। 21 बीघे में बने आश्रम के तीनों गेट बंद कर दिए गए। पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। रात में DSP आश्रम के अंदर गए। बाहर निकलने पर कहा- बाबा अंदर नहीं है। सुबह आश्रम से 6 गाड़ियां निकलीं। एक में भाजपा का झंडा लगा था। चर्चा है, बाबा उसी में बैठा था। पढ़िए पूरी खबर… यूपी के हाथरस में सत्संग के बाद मची भगदड़ में अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 74 लोगों की दम घुटने से मौत हुई। भगदड़ में जो महिलाएं और बच्चे जमीन पर गिरे, वो बुरी तरह कुचल गए और फिर उठ नहीं पाए। 31 महिलाओं की बॉडी ऐसी थी, जिनकी पसलियां टूटकर दिल और फेफड़े में घुस गईं थीं। वहीं, 15 बॉडी ऐसी थीं, जिनके सिर और गर्दन की हड्डी टूट चुकी थी। इसलिए उनकी मौत हुई। इसका खुलासा शवों के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हुआ। हाथरस में हुए हादसे से 2 बड़े सवाल निकलकर सामने आए। जानिए दोनों सवालों के जवाब… 1. मौतें ज्यादा क्यों हुईं?
सत्संग एक खाली मैदान पर हुआ था। हल्की बारिश के बाद कीचड़ हो गया था। लोग कीचड़ में फिसले, फिर उठ नहीं सके। फिर पीछे वाले लोग उन्हें कुचलते हुए निकलते चले गए। इसलिए मौतें ज्यादा हुईं। जो बॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए पहुंची, उनके शरीर पर मिट्टी ही मिट्टी चिपकी थी। कान, नाक और मुंह में भी मिट्टी थी। 2. महिलाएं ज्यादा क्यों मरीं?
मरने वालों में करीब 113 महिलाएं हैं। 7 बच्चे और 3 पुरुष हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, महिलाएं भगदड़ मचने के बाद गिरीं, फिर इतनी ताकत नहीं जुटा सकीं कि भीड़ के साथ दोबारा खड़ी हो पातीं। भीड़ उनके ऊपर से गुजरती चली गई। यही वजह है कि ज्यादातर महिलाओं के शरीर में हड्डियां टूटी मिली हैं। भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई। इन लाशों को हाथरस के साथ अलीगढ़, आगरा और एटा ट्रांसफर किया। 24 घंटे में 120 लोगों के पोस्टमॉर्टम हुए। एक की शिनाख्त नहीं हो सकी। इसलिए उसका पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ। 2 शव बिना पोस्टमॉर्टम कराए उनके परिवार वाले ले गए। पहले अलीगढ़ से सामने आई पीएम रिपोर्ट… 6 डॉक्टरों के पैनल ने 37 पोस्टमॉर्टम किए
पहले बात अलीगढ़ की। यहां हादसे के 6 घंटे के बाद पहली बॉडी पहुंची। कुछ ही घंटों में 38 बॉडी आ गईं। इनमें 35 महिलाएं थीं। 2 बच्चे और 1 पुरुष की बॉडी थी। 1 बॉडी को उनका परिवार बिना पोस्टमॉर्टम ही उठा ले गया। यहां 37 लोगों की रिपोर्ट तैयार हुई। इसमें 10 लोगों की मौत दम घुटने से हुई। 19 बॉडी ऐसी थीं, जिनकी पसलियां टूटकर शरीर के अंदर दूसरे ऑर्गन में घुस गईं थीं। इसकी वजह से उनकी मौत हो गई। 8 बॉडी ऐसी थीं, जिनके सिर और गर्दन की हड्डियां टूटी मिली। फिर आगरा से आई 21 शवों की रिपोर्ट… 15 महिलाओं का दम घुटा, 3 के सिर की हड्डी टूटी
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलज में पोस्टमॉर्टम के लिए 21 महिलाओं की बॉडी लाई गई। CMO डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने कहा- 15 लोगों की मौत दम घुटने से हुई है। उनकी छाती में खून जमा हुआ मिला है। उनके शरीर पर मिट्टी ही मिट्टी थी। 3 लोगों के सिर पर गहरी चोटें थीं। 3 लोग ऐसे थे, जिनकी पसलियां टूटकर दिल और फेफड़ों में जाकर घुस गई थी। इसकी वजह से उनकी मौत हो गई। मरने वालों में 3 फरीदाबाद और एक बॉडी पीलीभीत की थी। उनकी उम्र 35 से 60 साल तक थी। 8 डॉक्टर और 6 फार्मासिस्ट सपोर्ट में लगे
पोस्टमॉर्टम हाउस पर 8 डॉक्टरों की ड्यूटी थी। 4 पोस्टमॉर्टम करने के बाद डॉक्टर ब्रेक लेते थे। रात में 3 बजे पोस्टमॉर्टम शुरू होने के बाद लगातार अगले दिन दोपहर में 2 बजे तक चला। सपोर्ट के लिए 6 फार्मासिस्ट और 10 स्वीपर की ड्यूटी भी लगाई गई। ये सभी पोस्टमॉर्टम ACMO डॉ. नंदन सिंह और डॉ. अमित रावत की निगरानी में हुए। पोस्टमॉर्टम हाउस प्रभारी जयपाल चाहर ने बताया- रात में डॉ. अनुज गांधी, डॉ. विमल कुमार, डॉ. अभिषेक परिहार और डॉ. अभिषेक चौहान ड्यूटी पर थे। दिन की ड्यूटी में डॉ. उदय रावल, डॉ. मोहित बंसल, डॉ. अजय यादव और डॉ. अतुल भारती थे। हाथरस में 34 शवों का पोस्टमॉर्टम 22 महिलाओं के सीने में खून जमा हुआ मिला
भगदड़ के बाद हाथरस के जिला अस्पताल में लाशों का ढेर लगा था। CMO डॉ. मंजीत सिंह ने तुरंत डॉक्टरों का एक पैनल बनाया। जिसने इलाज और पोस्टमॉर्टम की जिम्मेदारी संभाली। यहां 34 बॉडी के पोस्टमॉर्टम हुए। इनमें 22 महिलाओं के सीने में खून जमा हुआ मिला। अधिकांश के कान, नाक और मुंह में मिट्टी मौजूद थी। 8 लोगों के सीने की हड्डियां टूटकर दूसरे अंगों में घुस गईं थीं। मल्टीपल फ्रैक्चर मिले। 4 लोगों के सिर और गले की हड्डियां टूटी हुईं मिलीं। एटा में 28 लाश आईं, 27 के पोस्टमॉर्टम हुए एटा के पोस्टमॉर्टम हाउस पर 28 लाश लाई गईं। इनमें 27 के पोस्टमॉर्टम हो सके। 1 बॉडी को परिवार बिना पोस्टमॉर्टम घर ले गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, 27 में सभी की मौत दम घुटने से हुई। इनके शरीर पर चोट मिली हैं। मल्टीपल फ्रैक्चर मिले हैं। 6 डॉक्टरों की टीम 24 घंटे लगी रही
एटा मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. रजनी पटेल, सीएमओ डॉ. उमेश कुमार त्रिपाठी, डॉ. सुरेश चंद्रा के सुपरविजन में पोस्टमॉर्टम हुए। डॉ. राहुल वार्ष्णेय, डॉ. आरके दयाल, डॉ. अभिनव दुबे, डॉ. मोहित, डॉ. संजय, डॉ. राहुल चतुर्वेदी की टीम ने मौत के सटीक कारणों की रिपोर्ट तैयार की। यह भी पढ़ें: हाथरस में भक्त मरते रहे, बाबा भागकर आश्रम पहुंचा, DSP एक घंटे अंदर रहे, बोले-बाबा यहां नहीं; सुबह BJP का झंडा लगी कार निकली यूपी के हाथरस में भोले बाबा सत्संग के बाद लोगों को मरता छोड़कर बाबा वहां से भाग गया। 15 गाड़ियों के काफिले के साथ मैनपुरी के बिछुआ में अपने आश्रम पहुंचा। 21 बीघे में बने आश्रम के तीनों गेट बंद कर दिए गए। पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। रात में DSP आश्रम के अंदर गए। बाहर निकलने पर कहा- बाबा अंदर नहीं है। सुबह आश्रम से 6 गाड़ियां निकलीं। एक में भाजपा का झंडा लगा था। चर्चा है, बाबा उसी में बैठा था। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर