भोले बाबा को क्या बचा रही सरकार:पश्चिम यूपी की 26 जिलों में 22% दलित आबादी पर दबदबा; अखिलेश भी लगा चुके हैं हाजिरी

भोले बाबा को क्या बचा रही सरकार:पश्चिम यूपी की 26 जिलों में 22% दलित आबादी पर दबदबा; अखिलेश भी लगा चुके हैं हाजिरी

हाथरस सत्संग हादसे में सरकार भोले बाबा को क्यों बचा रही है? इसका सीधा जवाब है- बाबा की पकड़ और रसूख। बाबा की पकड़ पश्चिम यूपी के 26 जिलों की दलित आबादी पर है। कुछ प्रभाव ओबीसी पर भी है। इन जिलों में दलित 22% और 17% ओबीसी (जाट छोड़कर) आबादी है। यही लोग बाबा के अनुयायी हैं। पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश में 50 लाख से ज्यादा दलित सीधे बाबा के आश्रम से जुड़े हैं। अनुयायियों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। इस क्षेत्र में 27 लोकसभा और 137 विधानसभा की सीटें आती हैं। यही वजह है, हादसे के बाद हर पॉलिटिकल पार्टी भोले बाबा का नाम लेने से बच रही है। पहले पुलिस की FIR से समझिए, बाबा को कैसे बचाया
पुलिस ने जो FIR दर्ज की है। उसमें लिखा- मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर निवासी सिकंदराराऊ ने पहले के कार्यक्रमों में आई भीड़ की संख्या छिपाते हुए 80 हजार लोगों के जुटने की अनुमति मांगी थी। कार्यक्रम में कई प्रदेशों से अनुयायी आए थे। आयोजकों ने अनुमति की शर्तों का उल्लंघन किया। ढाई लाख लोगों के आने से जीटी रोड जाम हो गया। उसी समय सूरजपाल उर्फ भोले बाबा प्रवचन खत्म कर बाहर निकले। लोग चरणों की धूल लेने गाड़ी के पीछे भागने लगे। पहले से चरण रज के लिए बैठे और झुके लोगों को भीड़ कुचलती चली गई। घायलों को अस्पताल भेजने में सेवादारों ने कोई सहयोग नहीं किया। यानी FIR में बाबा का नाम शामिल नहीं हैं। पहले ही उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। जबकि सभी मान रहे हैं कि बाबा के चरणों की धूल लेने की वजह से भगदड़ मची और 123 लोगों की मौत हो गई। हादसे के 40 से ज्यादा घंटे बीते चुके हैं, लेकिन बाबा से पूछताछ तक नहीं की गई। यह तक क्लियर नहीं हो पा रहा कि बाबा कहां पर है? अब बाबा को बचाने की वजह जानिए… बाबा के फॉलोअर्स
पश्चिम यूपी के 26 जिलों में बाबा का तगड़ा नेटवर्क है। इसके अलावा सेंट्रल यूपी के कुछ जिलों में भी उसके आश्रम हैं। हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड से उसके फॉलोअर्स समागम कार्यक्रम में पहुंचते हैं। ज्यादातर संख्या दलितों की होती है। कुछ ओबीसी वर्ग के लोग भी शामिल होते हैं। बड़ी संख्या महिलाओं की होती है। बाबा के कासगंज, एटा, मैनपुरी, इटावा और कन्नौज समेत दूसरे जिलों में 12 से अधिक आश्रम हैं, जो श्री नारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट से संचालित होते हैं। बाबा के पैतृक गांव बहादुर नगर पटियाली में भव्य आश्रम है। साल 2000 में यहां लोग आते थे। जिनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा होती थी। सत्संग में आने वालों महिलाओं से बाबा सबसे पहले ‘साकार ही निराकार है और निराकार ही साकार है’ नाम लाइन पढ़वाते थे। अब बाबा मैनपुरी के बिछुआ स्थित 21 बीघे में बने आश्रम में रहता है। आश्रम के अंदर फोटो खींचना और वीडियो बनाना मना है। मोबाइल पर बात भी नहीं करने दिया जाता। एटा के वरिष्ठ पत्रकार राजेश मिश्रा कहते हैं- बाबा का प्रभाव केवल पश्चिम में ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों में है। बाबा की पॉलिटिकल पावर
पश्चिम उत्तर प्रदेश में 26 जिलों की 27 लोकसभा और 137 विधानसभा सीटों पर दलितों का प्रभाव है। यहां कुल वोटर्स में दलितों की संख्या 22% है, 17% ओबीसी हैं। जिस हाथरस में हादसा हुआ, वहां 3 लाख वोटर्स दलित वर्ग से हैं। पड़ोसी जिले अलीगढ़ में यह संख्या 3 लाख से ज्यादा है। कासगंज के वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत शर्मा बताते हैं- सीधे तौर पर बाबा किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े थे, लेकिन इनके कार्यक्रमों में इतना पैसा कहां से आता है? कहीं न कहीं राजनीतिक दलों और बिजनेसमैन का जुड़ाव तो है ही। तभी अब तक प्रशासन FIR तक दर्ज नहीं कर पा रहा। राजनीतिक दलों के लोग बाबा के साथ बहुत कम मंच साझा करते हैं। लेकिन बाबा के नाम से कार्यक्रम करवा कर उनके अनुयायियों का वोट बैंक लेते रहते हैं। हाल ही के निकाय और विधानसभा चुनाव की बात करें, तो कस्बों और गांवों मे बाबा के श्रद्धालुओं को एकत्रित किया गया था। बाबा के अनुयायी पटियाली के बहादुरगढ़ को तीर्थ स्थली के रूप में देखते हैं। इसलिए मंगलवार को आस-पास की ट्रेनों में भीड़-भाड़ और सड़कों पर भी ट्रैफिक बढ़ जाता है। नेताओं से नजदीकियां, सोशल मीडिया पर चर्चा
बाबा की दलित वोटर्स पर पकड़ की वजह से सभी पार्टियों के नेता नतमस्तक हैं। समागम कार्यक्रमों में शामिल होकर बाबा का गुणगान करते रहे। शुरुआत में बाबा की नजदीकी बसपा नेताओं से रही। 2007 में बसपा सरकार में बाबा तेजी से पश्चिम उत्तर प्रदेश में उभरा। बसपा नेता जिले-जिले में बाबा का समागम कार्यक्रम कराने लगे। फिर भाजपा नेता भी ऐसा करने लगे। बाबा की भाजपा नेताओं से भी नजदीकी रही है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि हादसे के बाद मैनपुरी आश्रम से भाजपा के झंडे लगी कई गाड़ियां एक के बाद एक अंदर गईं और बाहर आईं। 3 जनवरी, 2023 में बाबा के सत्संग में खुद पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने नेताओं के साथ पहुंचे थे। उन्होंने तस्वीरें सोशल मीडिया ‘X’ पर शेयर करके लिखा- नारायण साकार हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय जयकार हो… अब अखिलेश यादव का यह वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। समागम कार्यक्रम में अखिलेश यादव दो पर्ची पढ़ते नजर आ रहे हैं, पहली- नारायण साकार की संपूर्ण ब्राह्मंड में सदा के लिए जय जयकार हो। दूसरी- साकार मां जी की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा के लिए जय जयकार हो। हादसे के बाद भोले बाबा पर सभी चुप
बाबा के रसूख और पकड़ की वजह से कोई भी प्रदेश स्तर का नेता सीधे उसका नाम नहीं ले रहा। विपक्षी पार्टियां सिर्फ प्रशासन को जिम्मेदार बताकर कार्रवाई की मांग कर रही हैं। एटा के वरिष्ठ पत्रकार राजेश मिश्रा बताते है- बाबा के राजनीतिक रसूख की बात करें तो वह किसी नेता से सार्वजनिक तौर पर नहीं मिलता। साल 2000 के आसपास अफवाह फैली कि बाबा के नहाए हुए दूध और पानी की खीर खाने से कैंसर, टीबी जैसी बीमारियां सही हो जाती हैं। इसके बाद एकाएक उसके श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई। बाबा के कार्यक्रमों में दलित और कुछ पिछड़े समाज की महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचने लगी थीं। इसके बाद बाबा भी इंटरनल तरीके से सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के संपर्क में रहने लगा। बाबा के राजस्थान, मप्र और हरियाणा में भी अनुयायी
एटा के पटियाली के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार शरद लंकेश ने भास्कर को बताया- सूरज पाल साल 1992 में पुलिस की नौकरी छोड़कर बाबा बन गए। इसके बाद लोग इनके पास आने लगे। समय के साथ बाबा के अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी। इस समय उनके समर्थक दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में अच्छी संख्या में हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश समेत प्रदेश के करीब 30 जिलों में बाबा के श्रद्धालु हैं। यह खबर भी पढ़ें… हाथरस हादसे पर भोले बाबा बोला- मैं निकल गया था:अराजक तत्वों ने भगदड़ कराई ​​​​यूपी के हाथरस में भगदड़ के 24 घंटे बाद भोले बाबा का पहला बयान आया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह के जरिए लिखित बयान जारी किया, जिसमें लिखा कि मैं जब समागम से निकल गया, इसके बाद हादसा हुआ। असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई। इन लोगों के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा। घायलों के स्वस्थ होने की कामना करता हूं। पूरी खबर पढ़ें… हाथरस सत्संग हादसे में सरकार भोले बाबा को क्यों बचा रही है? इसका सीधा जवाब है- बाबा की पकड़ और रसूख। बाबा की पकड़ पश्चिम यूपी के 26 जिलों की दलित आबादी पर है। कुछ प्रभाव ओबीसी पर भी है। इन जिलों में दलित 22% और 17% ओबीसी (जाट छोड़कर) आबादी है। यही लोग बाबा के अनुयायी हैं। पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश में 50 लाख से ज्यादा दलित सीधे बाबा के आश्रम से जुड़े हैं। अनुयायियों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। इस क्षेत्र में 27 लोकसभा और 137 विधानसभा की सीटें आती हैं। यही वजह है, हादसे के बाद हर पॉलिटिकल पार्टी भोले बाबा का नाम लेने से बच रही है। पहले पुलिस की FIR से समझिए, बाबा को कैसे बचाया
पुलिस ने जो FIR दर्ज की है। उसमें लिखा- मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर निवासी सिकंदराराऊ ने पहले के कार्यक्रमों में आई भीड़ की संख्या छिपाते हुए 80 हजार लोगों के जुटने की अनुमति मांगी थी। कार्यक्रम में कई प्रदेशों से अनुयायी आए थे। आयोजकों ने अनुमति की शर्तों का उल्लंघन किया। ढाई लाख लोगों के आने से जीटी रोड जाम हो गया। उसी समय सूरजपाल उर्फ भोले बाबा प्रवचन खत्म कर बाहर निकले। लोग चरणों की धूल लेने गाड़ी के पीछे भागने लगे। पहले से चरण रज के लिए बैठे और झुके लोगों को भीड़ कुचलती चली गई। घायलों को अस्पताल भेजने में सेवादारों ने कोई सहयोग नहीं किया। यानी FIR में बाबा का नाम शामिल नहीं हैं। पहले ही उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। जबकि सभी मान रहे हैं कि बाबा के चरणों की धूल लेने की वजह से भगदड़ मची और 123 लोगों की मौत हो गई। हादसे के 40 से ज्यादा घंटे बीते चुके हैं, लेकिन बाबा से पूछताछ तक नहीं की गई। यह तक क्लियर नहीं हो पा रहा कि बाबा कहां पर है? अब बाबा को बचाने की वजह जानिए… बाबा के फॉलोअर्स
पश्चिम यूपी के 26 जिलों में बाबा का तगड़ा नेटवर्क है। इसके अलावा सेंट्रल यूपी के कुछ जिलों में भी उसके आश्रम हैं। हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड से उसके फॉलोअर्स समागम कार्यक्रम में पहुंचते हैं। ज्यादातर संख्या दलितों की होती है। कुछ ओबीसी वर्ग के लोग भी शामिल होते हैं। बड़ी संख्या महिलाओं की होती है। बाबा के कासगंज, एटा, मैनपुरी, इटावा और कन्नौज समेत दूसरे जिलों में 12 से अधिक आश्रम हैं, जो श्री नारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट से संचालित होते हैं। बाबा के पैतृक गांव बहादुर नगर पटियाली में भव्य आश्रम है। साल 2000 में यहां लोग आते थे। जिनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा होती थी। सत्संग में आने वालों महिलाओं से बाबा सबसे पहले ‘साकार ही निराकार है और निराकार ही साकार है’ नाम लाइन पढ़वाते थे। अब बाबा मैनपुरी के बिछुआ स्थित 21 बीघे में बने आश्रम में रहता है। आश्रम के अंदर फोटो खींचना और वीडियो बनाना मना है। मोबाइल पर बात भी नहीं करने दिया जाता। एटा के वरिष्ठ पत्रकार राजेश मिश्रा कहते हैं- बाबा का प्रभाव केवल पश्चिम में ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों में है। बाबा की पॉलिटिकल पावर
पश्चिम उत्तर प्रदेश में 26 जिलों की 27 लोकसभा और 137 विधानसभा सीटों पर दलितों का प्रभाव है। यहां कुल वोटर्स में दलितों की संख्या 22% है, 17% ओबीसी हैं। जिस हाथरस में हादसा हुआ, वहां 3 लाख वोटर्स दलित वर्ग से हैं। पड़ोसी जिले अलीगढ़ में यह संख्या 3 लाख से ज्यादा है। कासगंज के वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत शर्मा बताते हैं- सीधे तौर पर बाबा किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े थे, लेकिन इनके कार्यक्रमों में इतना पैसा कहां से आता है? कहीं न कहीं राजनीतिक दलों और बिजनेसमैन का जुड़ाव तो है ही। तभी अब तक प्रशासन FIR तक दर्ज नहीं कर पा रहा। राजनीतिक दलों के लोग बाबा के साथ बहुत कम मंच साझा करते हैं। लेकिन बाबा के नाम से कार्यक्रम करवा कर उनके अनुयायियों का वोट बैंक लेते रहते हैं। हाल ही के निकाय और विधानसभा चुनाव की बात करें, तो कस्बों और गांवों मे बाबा के श्रद्धालुओं को एकत्रित किया गया था। बाबा के अनुयायी पटियाली के बहादुरगढ़ को तीर्थ स्थली के रूप में देखते हैं। इसलिए मंगलवार को आस-पास की ट्रेनों में भीड़-भाड़ और सड़कों पर भी ट्रैफिक बढ़ जाता है। नेताओं से नजदीकियां, सोशल मीडिया पर चर्चा
बाबा की दलित वोटर्स पर पकड़ की वजह से सभी पार्टियों के नेता नतमस्तक हैं। समागम कार्यक्रमों में शामिल होकर बाबा का गुणगान करते रहे। शुरुआत में बाबा की नजदीकी बसपा नेताओं से रही। 2007 में बसपा सरकार में बाबा तेजी से पश्चिम उत्तर प्रदेश में उभरा। बसपा नेता जिले-जिले में बाबा का समागम कार्यक्रम कराने लगे। फिर भाजपा नेता भी ऐसा करने लगे। बाबा की भाजपा नेताओं से भी नजदीकी रही है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि हादसे के बाद मैनपुरी आश्रम से भाजपा के झंडे लगी कई गाड़ियां एक के बाद एक अंदर गईं और बाहर आईं। 3 जनवरी, 2023 में बाबा के सत्संग में खुद पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने नेताओं के साथ पहुंचे थे। उन्होंने तस्वीरें सोशल मीडिया ‘X’ पर शेयर करके लिखा- नारायण साकार हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय जयकार हो… अब अखिलेश यादव का यह वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। समागम कार्यक्रम में अखिलेश यादव दो पर्ची पढ़ते नजर आ रहे हैं, पहली- नारायण साकार की संपूर्ण ब्राह्मंड में सदा के लिए जय जयकार हो। दूसरी- साकार मां जी की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा के लिए जय जयकार हो। हादसे के बाद भोले बाबा पर सभी चुप
बाबा के रसूख और पकड़ की वजह से कोई भी प्रदेश स्तर का नेता सीधे उसका नाम नहीं ले रहा। विपक्षी पार्टियां सिर्फ प्रशासन को जिम्मेदार बताकर कार्रवाई की मांग कर रही हैं। एटा के वरिष्ठ पत्रकार राजेश मिश्रा बताते है- बाबा के राजनीतिक रसूख की बात करें तो वह किसी नेता से सार्वजनिक तौर पर नहीं मिलता। साल 2000 के आसपास अफवाह फैली कि बाबा के नहाए हुए दूध और पानी की खीर खाने से कैंसर, टीबी जैसी बीमारियां सही हो जाती हैं। इसके बाद एकाएक उसके श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई। बाबा के कार्यक्रमों में दलित और कुछ पिछड़े समाज की महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचने लगी थीं। इसके बाद बाबा भी इंटरनल तरीके से सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के संपर्क में रहने लगा। बाबा के राजस्थान, मप्र और हरियाणा में भी अनुयायी
एटा के पटियाली के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार शरद लंकेश ने भास्कर को बताया- सूरज पाल साल 1992 में पुलिस की नौकरी छोड़कर बाबा बन गए। इसके बाद लोग इनके पास आने लगे। समय के साथ बाबा के अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी। इस समय उनके समर्थक दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में अच्छी संख्या में हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश समेत प्रदेश के करीब 30 जिलों में बाबा के श्रद्धालु हैं। यह खबर भी पढ़ें… हाथरस हादसे पर भोले बाबा बोला- मैं निकल गया था:अराजक तत्वों ने भगदड़ कराई ​​​​यूपी के हाथरस में भगदड़ के 24 घंटे बाद भोले बाबा का पहला बयान आया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह के जरिए लिखित बयान जारी किया, जिसमें लिखा कि मैं जब समागम से निकल गया, इसके बाद हादसा हुआ। असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई। इन लोगों के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा। घायलों के स्वस्थ होने की कामना करता हूं। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर