हरियाणा के पानीपत के शहीद मेजर आशीष धौंचक की शहादत को 10 माह ही हुए हैं, इसी बीच उनका पारिवारिक विवाद घर से निकल कर सरेआम आ गया है। आशीष के परिवार और उनकी पत्नी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। परिवार का आरोप है कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि, घर-मकान समेत अन्य लाभ अपने नाम करवा कर मायके चली गई। कई माह बीत जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। यहां तक कि उसने और उसके परिवार वालों ने बातचीत तक करनी बंद कर दी। इसी बीच पत्नी ज्योति भी सामने आई है। दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में ज्योति ने सभी आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया और परिवार के बीच चल रही हर खटपट के बारे में विस्तार से बताया। सास ने इसलिए टॉर्चर किया, मैं खुद सब छोड़कर चली जाऊं
ज्योति ने कहा कि 2021 में आशीष की पोस्टिंग श्रीनगर में आई थी। तब मैं अपनी बेटी के साथ पानीपत अपनी ससुराल में शिफ्ट हुई थी। आशीष की शहादत के बाद मेरी सास कमला ने परिवार के बीच में ये कह दिया था कि मैं इसे (ज्योति) अपने साथ नहीं रख सकती हूं। अगर इसे रहना होगा तो ये घर के पहले फ्लोर पर रह लेगी। मैं वहीं रहती रही। ये सोच कर कि ये मेरे पति का घर है, मेरी बेटी का घर है। इसके बाद मेरी सास ने मुझे टॉर्चर करना शुरू कर दिया। मुझे ताने दिए, बात-बात पर झगड़ा किया और बात करना बंद कर देना। उनका मकसद था कि मैं परेशान होकर सब कुछ छोड़कर चली जाऊं, लेकिन मैंने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। मुझे मेरी बेटी का भविष्य देखना था। ननदोई ने दी धमकियां, इसलिए मैंने घर आना किया बंद
29 दिसंबर को छमाही पर सभी बड़ों के कहने पर मैंने अपना सामान पहले फ्लोर पर रख लिया था। मेरे ससुर इन सब बातों में शामिल हैं। मैंने घर नहीं छोड़ा। मैंने न ही दूसरी शादी की है। न ही मैंने तलाक लिया है तो मैं घर छोड़कर क्यों जाऊं। मैं बीच-बीच में अपने मायके भी आती रही। यहां आने के बाद मेरे पास धमकी भरे फोन भी आने लगे। मेरी सबसे बड़ी ननद अंजू के पति संजय नांदल ने सास-ससुर के कहने पर धमकियां दी है। इसी डर से मैंने वहां जाना छोड़ दिया। मैंने सिर्फ अपने पहले फ्लोर पर ही लॉक लगाया है। वहां पर मेरी तीनों ननदों, उनके पति, बच्चों की जगह है, लेकिन मेरे और मेरी बेटी के लिए वहां जगह नहीं है। शहादत के बाद मेरे सास-ससुर को सरकार की ओर से डेढ़ करोड़ मिला था। ये पूरा खेल सिर्फ ननद को सरकारी नौकरी दिलवाने के खेला जा रहा है। जिस सोने की बात वे खुद ही कह रहे हैं कि उन्होंने शादी के वक्त दिया था, तो वह मेरा ही हुआ न। अगर मैं वो अपना स्त्रीधन साथ ले आई तो उसमें किसी को कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए। मैं सरकार के सामने अपना पक्ष रखूंगी। पैतृक जमीन भी बेच दी
ज्योति ने कहा कि पानीपत में शुभआंगन सोसाइटी का प्लाट अगस्त में बेचा था। TDI स्थित आवास के ग्राउंड फ्लोर में वे खुद रह रहे हैं। फर्स्ट फ्लोर पर मेरा सामान है। दूसरी मंजिल किराए पर दी हुई है। जिसका किराया भी सास-ससुर के पास आता है। मेरे ससुर एनएफएल से रिटायर्ड हैं, वो पेंशन भी आ रही है। बिंझौल गांव की पैतृक जमीन भी बेच दी है। 25 लाख की एफडी भी है। इसके अलावा सास कमला के नाम रोहतक में दो प्लॉट भी है। जबकि मेरे पास सिर्फ वो सहयोग राशि है, जो मेरे पति की शहादत के बाद सरकार की ओर से दी गई थी। इसके अलावा मेरे पास अब मिलने वाली नौकरी की आशा थी। शहादत बदनाम न हो, इसलिए रही चुप
उन्होंने कहा कि मेरे साथ ससुराल में अकसर प्रताड़ना की जाती थी, लेकिन मैंने कभी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई। क्योंकि पहले मेरे पति मुझे इन प्रताड़नाओं से प्रोटेक्ट करते थे। उनके बाद मैंने इसलिए कभी कोई आवाज नहीं उठाई क्योंकि मैं एक शहीद की पत्नी हूं। उनकी शहादत को मैं इस तरह बदनाम कभी नहीं कर सकती, जैसे मेरे ससुराल वालों ने किया है। मैंने कभी कोई डिमांड नहीं की। अब पढ़िए शहीद की मां ने क्या कहा…. आखिरी चेक पर साइन करवा कर चली गई बहू
दैनिक भास्कर से बातचीत में शहीद की मां कमला ने बताया कि 13 सितंबर 2023 को उनका इकलौता बेटा मेजर आशीष धौंचक (36) जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गया था। बेटे की शहादत के बाद से बहू ज्योति ने अपने तेवर बदल लिए थे। जब तक सरकार की ओर से निर्धारित पूरी राशि नहीं मिली वह बहुत प्यार से बात करती थी। आखिर चेक आने पर उसने घर से जाने का प्लान बना लिया था। शहादत के कुछ समय बाद ही उसने जींद स्थित अपने मायका में 7 दिन जाने की बात कही थी। इसके बाद वह अपनी ढाई साल की बेटी वामिनी को लेकर घर से चली गई और वापस नहीं लौटी। 30 तोला सोना भी ले गई ज्योति
ज्योति से जब भी बात करते हैं, वह कभी भी वापस न आने की बात कहती है। उसके मां-बाप से बात की तो उन्होंने भी बात करने से मना कर दिया। इतना ही नहीं पंचायती, सामाजिक तौर पर भी उन्होंने किसी भी तरह की बात करने से मना कर दिया। मां ने कहा कि ज्योति जाते समय घर से 30 तोला सोना भी ले गई है। इसके अलावा फरीदपुर टीडीआई में नवनिर्मित मकान, जोकि आधा आशीष के नाम था वह भी अपने नाम करवा गई। जाते हुए उसने घर के ऊपर वाले हिस्से में ताला लगा दिया था। उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करती हैं कि उनकी बहू ज्योति को सरकारी नौकरी देने का जो प्रस्ताव मंजूर हुआ था, वह नामंजूर किया जाए। क्योंकि ज्योति उनके साथ नहीं रहती है। वह इस नौकरी को अपनी बेटी को दिलवाना चाहती है। क्योंकि बेटी ही उनकी सेवा कर रही है। ये बात पॉलिसी में भी लिखा है कि जिसे नौकरी दी जाएगी, अगर वह मां-बाप की केयर नहीं करेगा या करेगी, तो उसकी नौकरी को मां-बाप के कहने पर नामंजूर किया जाएगा। इसके अलावा मां ने यह भी कहा कि भारतीय सेना की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली है। वह अपने कैंटीन कार्ड बनवाने के लिए भी जद्दोजहद कर रही हैं। सेना से कई बार संपर्क किया। सेना की ओर से उन्हें मेडिकल सुविधा भी नहीं दी गई। हरियाणा के पानीपत के शहीद मेजर आशीष धौंचक की शहादत को 10 माह ही हुए हैं, इसी बीच उनका पारिवारिक विवाद घर से निकल कर सरेआम आ गया है। आशीष के परिवार और उनकी पत्नी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। परिवार का आरोप है कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि, घर-मकान समेत अन्य लाभ अपने नाम करवा कर मायके चली गई। कई माह बीत जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। यहां तक कि उसने और उसके परिवार वालों ने बातचीत तक करनी बंद कर दी। इसी बीच पत्नी ज्योति भी सामने आई है। दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में ज्योति ने सभी आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया और परिवार के बीच चल रही हर खटपट के बारे में विस्तार से बताया। सास ने इसलिए टॉर्चर किया, मैं खुद सब छोड़कर चली जाऊं
ज्योति ने कहा कि 2021 में आशीष की पोस्टिंग श्रीनगर में आई थी। तब मैं अपनी बेटी के साथ पानीपत अपनी ससुराल में शिफ्ट हुई थी। आशीष की शहादत के बाद मेरी सास कमला ने परिवार के बीच में ये कह दिया था कि मैं इसे (ज्योति) अपने साथ नहीं रख सकती हूं। अगर इसे रहना होगा तो ये घर के पहले फ्लोर पर रह लेगी। मैं वहीं रहती रही। ये सोच कर कि ये मेरे पति का घर है, मेरी बेटी का घर है। इसके बाद मेरी सास ने मुझे टॉर्चर करना शुरू कर दिया। मुझे ताने दिए, बात-बात पर झगड़ा किया और बात करना बंद कर देना। उनका मकसद था कि मैं परेशान होकर सब कुछ छोड़कर चली जाऊं, लेकिन मैंने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। मुझे मेरी बेटी का भविष्य देखना था। ननदोई ने दी धमकियां, इसलिए मैंने घर आना किया बंद
29 दिसंबर को छमाही पर सभी बड़ों के कहने पर मैंने अपना सामान पहले फ्लोर पर रख लिया था। मेरे ससुर इन सब बातों में शामिल हैं। मैंने घर नहीं छोड़ा। मैंने न ही दूसरी शादी की है। न ही मैंने तलाक लिया है तो मैं घर छोड़कर क्यों जाऊं। मैं बीच-बीच में अपने मायके भी आती रही। यहां आने के बाद मेरे पास धमकी भरे फोन भी आने लगे। मेरी सबसे बड़ी ननद अंजू के पति संजय नांदल ने सास-ससुर के कहने पर धमकियां दी है। इसी डर से मैंने वहां जाना छोड़ दिया। मैंने सिर्फ अपने पहले फ्लोर पर ही लॉक लगाया है। वहां पर मेरी तीनों ननदों, उनके पति, बच्चों की जगह है, लेकिन मेरे और मेरी बेटी के लिए वहां जगह नहीं है। शहादत के बाद मेरे सास-ससुर को सरकार की ओर से डेढ़ करोड़ मिला था। ये पूरा खेल सिर्फ ननद को सरकारी नौकरी दिलवाने के खेला जा रहा है। जिस सोने की बात वे खुद ही कह रहे हैं कि उन्होंने शादी के वक्त दिया था, तो वह मेरा ही हुआ न। अगर मैं वो अपना स्त्रीधन साथ ले आई तो उसमें किसी को कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए। मैं सरकार के सामने अपना पक्ष रखूंगी। पैतृक जमीन भी बेच दी
ज्योति ने कहा कि पानीपत में शुभआंगन सोसाइटी का प्लाट अगस्त में बेचा था। TDI स्थित आवास के ग्राउंड फ्लोर में वे खुद रह रहे हैं। फर्स्ट फ्लोर पर मेरा सामान है। दूसरी मंजिल किराए पर दी हुई है। जिसका किराया भी सास-ससुर के पास आता है। मेरे ससुर एनएफएल से रिटायर्ड हैं, वो पेंशन भी आ रही है। बिंझौल गांव की पैतृक जमीन भी बेच दी है। 25 लाख की एफडी भी है। इसके अलावा सास कमला के नाम रोहतक में दो प्लॉट भी है। जबकि मेरे पास सिर्फ वो सहयोग राशि है, जो मेरे पति की शहादत के बाद सरकार की ओर से दी गई थी। इसके अलावा मेरे पास अब मिलने वाली नौकरी की आशा थी। शहादत बदनाम न हो, इसलिए रही चुप
उन्होंने कहा कि मेरे साथ ससुराल में अकसर प्रताड़ना की जाती थी, लेकिन मैंने कभी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई। क्योंकि पहले मेरे पति मुझे इन प्रताड़नाओं से प्रोटेक्ट करते थे। उनके बाद मैंने इसलिए कभी कोई आवाज नहीं उठाई क्योंकि मैं एक शहीद की पत्नी हूं। उनकी शहादत को मैं इस तरह बदनाम कभी नहीं कर सकती, जैसे मेरे ससुराल वालों ने किया है। मैंने कभी कोई डिमांड नहीं की। अब पढ़िए शहीद की मां ने क्या कहा…. आखिरी चेक पर साइन करवा कर चली गई बहू
दैनिक भास्कर से बातचीत में शहीद की मां कमला ने बताया कि 13 सितंबर 2023 को उनका इकलौता बेटा मेजर आशीष धौंचक (36) जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गया था। बेटे की शहादत के बाद से बहू ज्योति ने अपने तेवर बदल लिए थे। जब तक सरकार की ओर से निर्धारित पूरी राशि नहीं मिली वह बहुत प्यार से बात करती थी। आखिर चेक आने पर उसने घर से जाने का प्लान बना लिया था। शहादत के कुछ समय बाद ही उसने जींद स्थित अपने मायका में 7 दिन जाने की बात कही थी। इसके बाद वह अपनी ढाई साल की बेटी वामिनी को लेकर घर से चली गई और वापस नहीं लौटी। 30 तोला सोना भी ले गई ज्योति
ज्योति से जब भी बात करते हैं, वह कभी भी वापस न आने की बात कहती है। उसके मां-बाप से बात की तो उन्होंने भी बात करने से मना कर दिया। इतना ही नहीं पंचायती, सामाजिक तौर पर भी उन्होंने किसी भी तरह की बात करने से मना कर दिया। मां ने कहा कि ज्योति जाते समय घर से 30 तोला सोना भी ले गई है। इसके अलावा फरीदपुर टीडीआई में नवनिर्मित मकान, जोकि आधा आशीष के नाम था वह भी अपने नाम करवा गई। जाते हुए उसने घर के ऊपर वाले हिस्से में ताला लगा दिया था। उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करती हैं कि उनकी बहू ज्योति को सरकारी नौकरी देने का जो प्रस्ताव मंजूर हुआ था, वह नामंजूर किया जाए। क्योंकि ज्योति उनके साथ नहीं रहती है। वह इस नौकरी को अपनी बेटी को दिलवाना चाहती है। क्योंकि बेटी ही उनकी सेवा कर रही है। ये बात पॉलिसी में भी लिखा है कि जिसे नौकरी दी जाएगी, अगर वह मां-बाप की केयर नहीं करेगा या करेगी, तो उसकी नौकरी को मां-बाप के कहने पर नामंजूर किया जाएगा। इसके अलावा मां ने यह भी कहा कि भारतीय सेना की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली है। वह अपने कैंटीन कार्ड बनवाने के लिए भी जद्दोजहद कर रही हैं। सेना से कई बार संपर्क किया। सेना की ओर से उन्हें मेडिकल सुविधा भी नहीं दी गई। हरियाणा | दैनिक भास्कर