प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद रूसी सेना में जबरन भेजे गए भारतीय युवाओं की वापसी को लेकर कार्रवाई तेज हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ इस मुद्दे को उठाने के बाद पीड़ितों के घर पर हलचल बढ़ने लगी है। केंद्रीय सुरक्षा खुफिया एजेंसियों ने रूस में फंसे हुए गगनदीप सिंह के पैतृक गांव देहरीवाल किरण का दौरा किया है। मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित गगनदीप सिंह, जिन्हें रूस सेना में जबरन भर्ती किया गया, उनके परिवार से उनकी परिस्थितियों के बारे में पूछताछ की, जिनमें वे रूस पहुंचा और रशियन आर्मी को जॉइन किया। गगनदीप सिंह के पिता बलविंदर सिंह ने कहा कि कलानौर से एक सरकारी कर्मचारी, जो खुफिया एजेंसियों से जुड़ा है, ने पूछताछ की है। उसने पूछा कि गगनदीप रूस कैसे गया और उसके बारे में विस्तृत जानकारी दी। वापसी के बारे में नहीं दी कोई जानकारी गगनदीप सिंह के परिवार से कहा कि मुझे गुरदासपुर जिला प्रशासन से कोई अन्य संदेश या वापसी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। यह भी नहीं बताया गया कि गगनदीप घर कैसे लौटेगा। परिवार ने बताया कि 23 वर्षीय गगनदीप पर्यटक वीजा पर रूस गया था, लेकिन अंत में उसे सहायक कर्मचारी के रूप में रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया। इसके बाद उसे यूक्रेन सीमा पर भेज दिया गया। गगनदीप ने परिवार से संपर्क साध वापसी का किया इशारा मिली जानकारी के अनुसार, मोदी ने 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले सोमवार रात पुतिन द्वारा आयोजित डिनर के दौरान पुतिन के साथ रूसी सेना में भर्ती भारतीय युवाओं का मुद्दा उठाया। इन चर्चाओं के बाद पुतिन भारत लौटने के इच्छुक भारतीयों की स्वदेश वापसी की सुविधा प्रदान करने पर सहमत हुए। बलविंदर ने बताया कि मंगलवार रात और बुधवार सुबह परिवार ने वॉयस मैसेज के जरिए गगनदीप से बात की। उन्होंने कहा कि गगनदीप ने उन्हें सूचित किया था कि उन्हें मीडिया रिपोर्टों और अफवाहों से यह भी पता चला है कि मोदी के हस्तक्षेप के कारण, भारतीय युवाओं को जल्द ही भारत वापस लाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद रूसी सेना में जबरन भेजे गए भारतीय युवाओं की वापसी को लेकर कार्रवाई तेज हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ इस मुद्दे को उठाने के बाद पीड़ितों के घर पर हलचल बढ़ने लगी है। केंद्रीय सुरक्षा खुफिया एजेंसियों ने रूस में फंसे हुए गगनदीप सिंह के पैतृक गांव देहरीवाल किरण का दौरा किया है। मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित गगनदीप सिंह, जिन्हें रूस सेना में जबरन भर्ती किया गया, उनके परिवार से उनकी परिस्थितियों के बारे में पूछताछ की, जिनमें वे रूस पहुंचा और रशियन आर्मी को जॉइन किया। गगनदीप सिंह के पिता बलविंदर सिंह ने कहा कि कलानौर से एक सरकारी कर्मचारी, जो खुफिया एजेंसियों से जुड़ा है, ने पूछताछ की है। उसने पूछा कि गगनदीप रूस कैसे गया और उसके बारे में विस्तृत जानकारी दी। वापसी के बारे में नहीं दी कोई जानकारी गगनदीप सिंह के परिवार से कहा कि मुझे गुरदासपुर जिला प्रशासन से कोई अन्य संदेश या वापसी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। यह भी नहीं बताया गया कि गगनदीप घर कैसे लौटेगा। परिवार ने बताया कि 23 वर्षीय गगनदीप पर्यटक वीजा पर रूस गया था, लेकिन अंत में उसे सहायक कर्मचारी के रूप में रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया। इसके बाद उसे यूक्रेन सीमा पर भेज दिया गया। गगनदीप ने परिवार से संपर्क साध वापसी का किया इशारा मिली जानकारी के अनुसार, मोदी ने 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले सोमवार रात पुतिन द्वारा आयोजित डिनर के दौरान पुतिन के साथ रूसी सेना में भर्ती भारतीय युवाओं का मुद्दा उठाया। इन चर्चाओं के बाद पुतिन भारत लौटने के इच्छुक भारतीयों की स्वदेश वापसी की सुविधा प्रदान करने पर सहमत हुए। बलविंदर ने बताया कि मंगलवार रात और बुधवार सुबह परिवार ने वॉयस मैसेज के जरिए गगनदीप से बात की। उन्होंने कहा कि गगनदीप ने उन्हें सूचित किया था कि उन्हें मीडिया रिपोर्टों और अफवाहों से यह भी पता चला है कि मोदी के हस्तक्षेप के कारण, भारतीय युवाओं को जल्द ही भारत वापस लाया जा सकता है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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नेताओं के घरों के बाहर चलेगा किसानों का मोर्चा:बीकेयू उगराहां का फैसला; 4 दिनों से धान की खरीद को लेकर है संघर्ष पर पंजाब की मंडियों में धान की खरीद उचित तरीके से न होने का मामला गर्माया हुआ है। भले ही चंडीगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर तले जुटे किसानों ने सीएम से मीटिंग के बाद अपना संघर्ष स्थगित कर दिया है। लेकिन भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के बैनर तले किसान अभी भी संघर्ष पर हैं। उनकी तरफ से 14 जिलों में 25 टोल प्लाजा फ्री करवाए गए हैं, जबकि 25 नेताओं के घरों के बाहर पक्का मोर्चा चल रहा है। किसान यूनियन के नेताओं का कहना है कि चार दिनों से उनका संघर्ष चल रहा है। जब तक सीएम का भरोसा उचित तरीके से लागू नहीं होता है, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। किसान नेता व बीकेयू उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां व महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी ने बताया कि ढाई साल का तुजुर्बा बताता है कि सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। उन्हाेंने किसानों को अपील की है कि इन मोर्चों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएं, ताकि धान की खरीद उचित तरीके से हो पाए। वहीं, आज इन प्रदर्शनों में काफी संख्या में किसानों के पहुंचने की उम्मीद है। इन मंत्रियों के घरों के बाहर चल रहा है मोर्चा किसानों द्वारा मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल, आप के कार्यकारी प्रधान व बुढलाडा के विधायक प्रो. बुद्व राम, सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर, वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा बाघापुराना के विधायक सुखानंद अमृतपाल, आप के विधायक मनजीत सिंह बिलासपुर, भाजपा के उप प्रधान अरविंद खन्ना और महारानी परनीत कौर समेत कई अन्य नेताओं के घरों के बाहर संघर्ष चल रहा है। सरकार ने दिया यह आश्वासन पंजाब के सीएम भगवंत मान ने शनिवार को किसानों से चंडीगढ़ में मीटिंग की है। मीटिंग में किसान, आढ़ती और मिल मालिक भी मौजूद थे। मीटिंग करीब दो घंटे तक चली। सीएम ने मीटिंग में कहा था कि वह खुद धान की खरीद व लिफ्टिंग का जायजा ले रहे हैं। दो दिनों में सारी दिक्कत दूर हो जाएगी। वहीं, मीटिंग के बाद किसानों ने कहा था कि सरकार को उनकी तरफ से चार दिन का समय दिया गया है। किसान नेता बलबीर सिंह ने कहा कि फिलहाल हम अपने संघर्ष को स्थगित कर रहे हैं। लेकिन जरूरत पड़ी तो दोबारा संघर्ष करने से पीछे नहीं हटेंगे।
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ओलिंपिक पदक से चूके अर्जुन बबूटा राज्य सरकार पर बरसे:कहा- सीएम ने नौकरी का वादा किया; पत्र लिखे तो इंतजार करने को कहा पेरिस ओलंपिक 2024 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल फाइनल इवेंट में चौथे स्थान पर रहे निशानेबाज अर्जुन बाबूटा राज्य सरकार पर बरसे हैं। उन्होंने कई मैडल जीतने के बाद भी पंजाब सरकार से कोई मदद ना मिलने के आरोप लगाए हैं। अर्जुन ने आरोप लगाया कि सीएम भगवंत मान और पूर्व खेल मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने नौकरी का वादा किया था, लेकिन नहीं मिली। अर्जुन ने खुलासा किया है कि अपने करियर में तमाम सफलता हासिल करने के बावजूद उन्हें पंजाब सरकार से कोई लाभ नहीं मिला है। कांस्य पदक विजेता सरबजोत सिंह और कुछ अन्य निशानेबाजों के साथ पेरिस से भारत लौटने के बाद 25 वर्षीय अर्जुन ने कहा कि उन्हें उनकी उपलब्धियों के अनुसार एक निश्चित रैंक दिया जाना चाहिए। 2022 में मुख्यमंत्री ने किया था वादा अर्जुन ने ANI को दिए इंटरव्यू में कहा- मुझे राज्य सरकार से कोई लाभ नहीं मिला है। 2022 में पंजाब के सीएम भगवंत मान और पंजाब के तत्कालीन खेल मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने मुझे सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। इस संबंध में मैंने पत्र भी लिखा है, लेकिन जवाब में मुझे इंतजार करने को कहा गया। यह बहुत निराशाजनक है। मुझे उम्मीद है कि वे (मुख्यमंत्री) इस पर गौर करेंगे। क्योंकि, नौकरी की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। सिर्फ भगवंत मान नहीं, मैंने पंजाब की पिछली कांग्रेस सरकार से भी यही मांग की थी। सीएम भगवंत मान ने बताया था कि तब पॉलिसी अलग थी। अब उसमें बदलाव किए गए हैं। मुझे खेलों में मेरी उपलब्धियों के अनुसार एक निश्चित रैंक दी जानी चाहिए। सरकारें बदल रही हैं, लेकिन मांग वही बनी हुई है। उम्मीद धीरे-धीरे खत्म हो रही है। विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने ओलंपिक में भाग लेने वाले अपने-अपने राज्यों के निशानेबाजों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री और पंजाब के खेल मंत्री ने पंजाब के निशानेबाजों के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने हवाईअड्डे पर हमारा स्वागत भी नहीं किया। अगर पंजाब में खेलों की गिरावट है तो इसमें बड़ी भूमिका पंजाब के मंत्रियों की है। अच्छे खिलाड़ी या स्टेट बदल गए हैं या देश ही बदल गए हैं। फाइनल में प्रदर्शन पर दबाव का असर 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल में अर्जुन बबुता दबाव में झुक गए थे और चौथे स्थान पर रहे। उन्होंने कुल 208.4 का स्कोर किया। अर्जुन ने फाइनल की शुरुआत 10.7 के स्कोर के साथ की और उसके बाद 10.2 के स्कोर के साथ आगे बढ़े। 10.5 के तीसरे शॉट ने उन्हें चौथे स्थान पर पहुंचा दिया, जबकि उनके चौथे प्रयास में 10.4 ने उन्हें तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया। उन्होंने पहली सीरीज 10.6 के ठोस स्कोर के साथ समाप्त की। दूसरी सीरीज की शुरुआत 10.7 के स्कोर के साथ की। उसके बाद 10.5 के साथ, और पहली एलिमिनेशन सीरीज के दूसरे शॉट में लगभग 10.8 का स्कोर किया। हालांकि, वह फॉर्म बरकरार नहीं रख सके और पदक से चूक गए।