भले ही सरकार और निगम लुधियाना को स्मार्ट सिटी की कैटेगरी में शामिल कर ऑल इज वेल के दावे कर रहे हों, लेकिन हकीकत इसके उलट है। निगम प्रबंधन स्मार्ट सिटी के लिए आवंटित फंड का सही तरीके से इस्तेमाल करने में फिसड्डी साबित हुआ है। परियोजना के तहत मिले 433.70 करोड़ रुपये में से मात्र 277 करोड़ ही लुधियाना शहर में खर्च हो सके, जबकि 156.70 करोड़ निगम अफसर खर्च नहीं कर सके। स्टेट फाइनेंस ऑडिट कमेटी ने 2023 की ये रिपोर्ट पंजाब सरकार को भेजी है। 2016 में लुधियाना में आरओबी, आरयूबी समेत अन्य डेवलपमेंट के कामों के लिए 980 करोड़ के बजट से 81 प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किया गया था। 60 प्रोजेक्ट कंप्लीट हो चुके हैं। जबकि 21 प्रोजेक्ट अधूरे हैं। स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर 2023 में तैयार की गई कैग रिपोर्ट पंजाब सरकार को 12 जून को भेजी गई है। इस रिपोर्ट में कैग ने अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और टिप्पणी की कि फंड का उचित उपयोग न होने और इंप्लीमेंटेशन में देरी से परियोजनाओं का अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सका। भूमि अधिग्रहण और कानूनी अड़चनें प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण में कानूनी अड़चनें आईं, जिससे देरी हुई। कानूनी प्रक्रियाओं के कारण आवंटित फंड में से अधिकांश फंड उपयोग नहीं हुआ। लुधियाना स्मार्ट सिटी को लेकर ये बातें कही गई हैं {वित्तीय नुकसान हुआ : स्मार्ट सिटी मिशन के तहत लुधियाना को 433 करोड़ आवंटित किए गए थे। प्रोजेक्ट की प्रगति धीमी रही और खर्च भी काफी कम रहा है। जिससे आर्थिक नुकसान हुआ। {277 करोड़ खर्चे: स्मार्ट सिटी परियोजना में 433.70 करोड़ आवंटित किए गए। 2022-23 के अंत तक 277 करोड़ ही खर्च किए गए थे, जो निर्धारित राशि से काफी कम है। {156.70 करोड़ नहीं हुए इस्तेमाल : परियोजना में 156.70 करोड़ की बचत अनस्पेंटस फंड की श्रेणी में दर्शाई गई है। इसका मतलब है कि कई प्रस्तावित प्रोजेक्ट या तो धीमी गति से चले हैं या पूरी तरह से लागू नहीं हो पाए। {प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन में देरी : कई योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा नहीं किया जा सका। फंड का समुचित उपयोग भी नहीं हो पाया। विभिन्न कानूनी और प्रशासनिक अड़चनों से फंड का समय पर उपयोग नहीं हो पाया, जिससे कई परियोजनाएं अधूरी रह गईं। {योजनाओं की प्राथमिकता तय नहीं : परियोजनाओं की प्राथमिकता तय करने में कमी रही। कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को प्राथमिकता न मिलने से आवश्यक फंड का आवंटन भी नहीं हो पाया। {अफसरों में समन्वय की कमी : प्रशासनिक विभागों के बीच समन्वय की कमी रही। इससे परियोजनाओं का प्रभावी इंप्लीमेंटेशन बाधित हुआ। ये काम अभी अधूरे {गुरु नानक स्टेडियम प्रोजेक्ट {सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट {कॉम्पेक्टर प्रोजेक्ट {बायोरेमिडशन ऑफ लिगेसी वेस्ट {यूआईडी नंबर प्लेट प्रोजेक्ट {पुलों का निर्माण कार्य {अफसरों में समन्वय की कमी : प्रशासनिक विभागों के बीच समन्वय की कमी रही। इससे परियोजनाओं का प्रभावी इंप्लीमेंटेशन बाधित हुआ। {सार्वजनिक जागरूकता का अभाव : परियोजनाओं में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी और जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए। स्थानीय लोगों का फीडबैक न लेने से परियोजनाओं की गुणवत्ता प्रभावित हुई। {टेक्नोलॉजी का सीमित उपयोग: स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम और आईटी-आधारित सेवाओं के क्रियान्वयन में तकनीकी व वित्तीय प्रबंधन की कमी रही। जिससे स्मार्ट सिटी का उद्देश्य आंशिक रूप से पूरा हो पाया। {मॉनीटरिंग और पारदर्शिता का अभाव: 156.70 करोड़ की अप्रयुक्त राशि ये दर्शाती है कि परियोजनाओं की मॉनीटरिंग और फंड के उपयोग में पारदर्शिता की कमी रही। {विशेषज्ञता की कमी : परियोजना के सुचारू क्रियान्वयन के लिए तकनीकी विशेषज्ञता की कमी रही। इससे योजनाओं का समुचित संचालन नहीं हो सका। आवश्यक प्रबंधकीय और प्रशासनिक कर्मचारियों की कमी के कारण फंड का सही उपयोग नहीं हो पाया। भले ही सरकार और निगम लुधियाना को स्मार्ट सिटी की कैटेगरी में शामिल कर ऑल इज वेल के दावे कर रहे हों, लेकिन हकीकत इसके उलट है। निगम प्रबंधन स्मार्ट सिटी के लिए आवंटित फंड का सही तरीके से इस्तेमाल करने में फिसड्डी साबित हुआ है। परियोजना के तहत मिले 433.70 करोड़ रुपये में से मात्र 277 करोड़ ही लुधियाना शहर में खर्च हो सके, जबकि 156.70 करोड़ निगम अफसर खर्च नहीं कर सके। स्टेट फाइनेंस ऑडिट कमेटी ने 2023 की ये रिपोर्ट पंजाब सरकार को भेजी है। 2016 में लुधियाना में आरओबी, आरयूबी समेत अन्य डेवलपमेंट के कामों के लिए 980 करोड़ के बजट से 81 प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किया गया था। 60 प्रोजेक्ट कंप्लीट हो चुके हैं। जबकि 21 प्रोजेक्ट अधूरे हैं। स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर 2023 में तैयार की गई कैग रिपोर्ट पंजाब सरकार को 12 जून को भेजी गई है। इस रिपोर्ट में कैग ने अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और टिप्पणी की कि फंड का उचित उपयोग न होने और इंप्लीमेंटेशन में देरी से परियोजनाओं का अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सका। भूमि अधिग्रहण और कानूनी अड़चनें प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण में कानूनी अड़चनें आईं, जिससे देरी हुई। कानूनी प्रक्रियाओं के कारण आवंटित फंड में से अधिकांश फंड उपयोग नहीं हुआ। लुधियाना स्मार्ट सिटी को लेकर ये बातें कही गई हैं {वित्तीय नुकसान हुआ : स्मार्ट सिटी मिशन के तहत लुधियाना को 433 करोड़ आवंटित किए गए थे। प्रोजेक्ट की प्रगति धीमी रही और खर्च भी काफी कम रहा है। जिससे आर्थिक नुकसान हुआ। {277 करोड़ खर्चे: स्मार्ट सिटी परियोजना में 433.70 करोड़ आवंटित किए गए। 2022-23 के अंत तक 277 करोड़ ही खर्च किए गए थे, जो निर्धारित राशि से काफी कम है। {156.70 करोड़ नहीं हुए इस्तेमाल : परियोजना में 156.70 करोड़ की बचत अनस्पेंटस फंड की श्रेणी में दर्शाई गई है। इसका मतलब है कि कई प्रस्तावित प्रोजेक्ट या तो धीमी गति से चले हैं या पूरी तरह से लागू नहीं हो पाए। {प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन में देरी : कई योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा नहीं किया जा सका। फंड का समुचित उपयोग भी नहीं हो पाया। विभिन्न कानूनी और प्रशासनिक अड़चनों से फंड का समय पर उपयोग नहीं हो पाया, जिससे कई परियोजनाएं अधूरी रह गईं। {योजनाओं की प्राथमिकता तय नहीं : परियोजनाओं की प्राथमिकता तय करने में कमी रही। कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को प्राथमिकता न मिलने से आवश्यक फंड का आवंटन भी नहीं हो पाया। {अफसरों में समन्वय की कमी : प्रशासनिक विभागों के बीच समन्वय की कमी रही। इससे परियोजनाओं का प्रभावी इंप्लीमेंटेशन बाधित हुआ। ये काम अभी अधूरे {गुरु नानक स्टेडियम प्रोजेक्ट {सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट {कॉम्पेक्टर प्रोजेक्ट {बायोरेमिडशन ऑफ लिगेसी वेस्ट {यूआईडी नंबर प्लेट प्रोजेक्ट {पुलों का निर्माण कार्य {अफसरों में समन्वय की कमी : प्रशासनिक विभागों के बीच समन्वय की कमी रही। इससे परियोजनाओं का प्रभावी इंप्लीमेंटेशन बाधित हुआ। {सार्वजनिक जागरूकता का अभाव : परियोजनाओं में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी और जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए। स्थानीय लोगों का फीडबैक न लेने से परियोजनाओं की गुणवत्ता प्रभावित हुई। {टेक्नोलॉजी का सीमित उपयोग: स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम और आईटी-आधारित सेवाओं के क्रियान्वयन में तकनीकी व वित्तीय प्रबंधन की कमी रही। जिससे स्मार्ट सिटी का उद्देश्य आंशिक रूप से पूरा हो पाया। {मॉनीटरिंग और पारदर्शिता का अभाव: 156.70 करोड़ की अप्रयुक्त राशि ये दर्शाती है कि परियोजनाओं की मॉनीटरिंग और फंड के उपयोग में पारदर्शिता की कमी रही। {विशेषज्ञता की कमी : परियोजना के सुचारू क्रियान्वयन के लिए तकनीकी विशेषज्ञता की कमी रही। इससे योजनाओं का समुचित संचालन नहीं हो सका। आवश्यक प्रबंधकीय और प्रशासनिक कर्मचारियों की कमी के कारण फंड का सही उपयोग नहीं हो पाया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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तमिलनाडु छोड़ पंजाब से लड़ रहे चुनाव:होशियारपुर जीवन कुमार से बने जीवन सिंह, कुछ वर्ष पहले अपनाया सिख धर्म तमिलनाडू छोड़कर पंजाब आए जीवन कुमार अब सिख धर्म अपनाकर जीवन सिंह बन चुके हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के वकील और पंजाब की होशियारपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। तमिलनाडू से आए उनके कुछ साथी घर घर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। जीवन सिंह का चुनाव लड़ने का मकसद समाज को नई दिशा देना है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता 51 वर्षीय जीवन कुमार कुछ समय पहले पंजाब आकर बस गए थे और उन्होंने सिख धर्म अपना लिया था। जीवन सिंह बहुजन द्रविड़ पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे हैं। नई दिशा देने के लिए चुनाव मैदान में उतरे जीवन सिंह का कहना है कि, समाज को नई दिशा देने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। उन्हें गन्ना किसान चुनाव चिन्ह मिला है। उनका कहना है कि लोग पारंपरिक पार्टी की अराजकता से तंग आ चुके हैं और नए विकल्प के बारे में सोच रहे हैं। जीवन सिंह के साथ उनके कुछ साथी भी चुनाव प्रचार के लिए तमिलनाडू से पंजाब आए हैं। वह होशियारपुर के शाम चुरासी हलके के गांव रायपुर के गुरुद्वारा साहिब में ठहरे हैं और यहीं से वे हर दिन अपने साथियों के साथ चुनाव प्रचार के लिए निकलते हैं।

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पंजाब में 35 किमी की रफ्तार से हवाएं चलेंगी:तापमान में बढ़ौतरी जारी, सामान्य से 3.4 डिग्री अधिक दर्ज; लुधियाना सबसे गर्म शहर पंजाब में गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। आज राज्य में 30 से 35 किमी की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का अनुमान है। आने वाले दिनों में ना बारिश और ना ही किसी पश्चिमी विक्षोभ के एक्टिव होने का अनुमान है, जिससे तापमान में बढ़ौतरी जारी रह सकती है। आने वाले दिनों में गर्मी और सताने वाली है। बीते दिन प्रदेश में अधिकतम तापमान में 0.2°C की वृद्धि दर्ज की गई। राज्य का औसत तापमान सामान्य से 3.4°C अधिक रहा। लुधियाना बना सबसे गर्म शहर गुरुवार को राज्य का सबसे अधिक तापमान 35°C लुधियाना में दर्ज किया गया। जिससे यह पंजाब का सबसे गर्म शहर बना। इसके अलावा, चंडीगढ़ (35.1°C), पटियाला (34.7°C), और बठिंडा (34.6°C) में भी तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई। मुख्य शहरों का तापमान और बदलाव गर्मी बढ़ने से लोगों को हो रही परेशानी तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी से लोगों को दिन में चिलचिलाती धूप का सामना करना पड़ रहा है। खासकर दोपहर के समय गर्म हवाएं चल रही हैं, जिससे बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में तापमान और बढ़ सकता है। खासकर मैदानी इलाकों में गर्मी का प्रभाव ज्यादा रहेगा। राज्य के प्रमुख शहरों में आज के मौसम का अनुमान अमृतसर – आसमान साफ रहेगा। न्यूनतम तापमान में थोड़ी कमी दिखेगी, अधिकतम तापमान में बदलाव नहीं होगा। तापमान 18 से 33 डिग्री के करीब रह सकता है। जालंधर- आसमान साफ रहेगा। न्यूनतम तापमान में थोड़ी कमी दिखेगी, अधिकतम तापमान में बदलाव नहीं होगा। तापमान 15 से 33 डिग्री के करीब रह सकता है। लुधियाना- आसमान साफ रहेगा। तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी। तापमान 15 से 32 डिग्री के करीब रह सकता है। पटियाला- आसमान साफ रहेगा। तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी। तापमान 17 से 34 डिग्री के करीब रह सकता है। मोहाली- आसमान साफ रहेगा। तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी। तापमान 17 से 32 डिग्री के करीब रह सकता है।

चंडीगढ़ में एडवाइजर पद खत्म करने पर राजनीति गरमाई:AAP और SAD ने जताई आपत्ति, बोले- यह पंजाब के हक पर डाका डालने जैसा
चंडीगढ़ में एडवाइजर पद खत्म करने पर राजनीति गरमाई:AAP और SAD ने जताई आपत्ति, बोले- यह पंजाब के हक पर डाका डालने जैसा केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में 40 साल बाद बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया है। अब प्रशासन सलाहकार का पद खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही मुख्य सचिव का पद सृजित किया गया है। वहीं चंडीगढ़ में दो आईएएस अधिकारियों के पद बढ़ाए गए हैं। अब अधिकारियों की संख्या 11 हो गई है। हालांकि इस मामले में राजनीति गरमा गई है। पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल ने इस पर आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि यह फैसला पंजाब के अधिकारों पर डाका डालने जैसा है। इस बात को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। चंडीगढ़ बनने के बाद यहां चीफ कमिश्नर का पद हुआ करता था। लेकिन 3 जून 1984 को इस बात को बदल दिया गया। इसके साथ ही चीफ कमिश्नर का पद खत्म कर प्रशासन सलाहकार का पद सृजित किया गया। जबकि अब इस पद को खत्म कर चीफ सेक्रेटरी बना दिया गया है। वहीं जानकारों की मानें तो इस बदलाव से चंडीगढ़ का प्रशासनिक ढांचा मजबूत होगा। चंडीगढ़ में जो भी अधिकारी सलाहकार के पद पर आएगा। वे मुख्य सचिव के पद पर हैं। लेकिन यहां उन्हें सलाहकार कहा जाता है। इसलिए इस पद की मांग लंबे समय से की जा रही थी। चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को कमजोर करने की कोशिश शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने कहा कि चंडीगढ़ के एडवाइजर के पद को खत्म करने की निंदा करता हूं। यह चंडीगढ़ पर पंजाब के उचित दावे को और कमजोर करने के लिए यह भारत सरकार का एक और भेदभावपूर्ण कदम है। मैं केंद्र से आग्रह करता हूँ कि वह देश की ताकत और अन्न भंडार को कमज़ोर न करे क्योंकि इसके दीर्घकालिक परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं। चंडीगढ़ और पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब को हस्तांतरित करना और नदी के पानी पर हमारे तटीय अधिकार प्रदान करना आदि पंजाब के 1966 के पुनर्गठन का एकमात्र अधूरा एजेंडा है। मैं पंजाब के लोगों को पंजाब के मुख्यमंत्री की पंजाब विरोधी निर्णयों पर केंद्र के साथ मिलीभगत के खिलाफ भी आगाह करता हू। चंडीगढ़ पर पहला हक पंजाब का है AAP के सीनियर नेता व प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी करके सलाहकार का एक पद खत्म करके चीफ सेक्रेटरी पद बनाया गया है। यह पंजाब सरकार को बर्दाश्त नहीं है। क्योंकि चंडीगढ़ के प्रशासनिक सिस्टम में तब्दीली करना, पंजाब के हकों पर डाका मारने जैसा है। 40 साल पुराने सिस्टम में तब्दीली करके केंद्र ने चंडीगढ़ से पंजाब के हक को कमजोर किया है। इसे पंजाब कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता है। क्योंकि चंडीगढ़ पर सबसे पहला अधिकार पंजाब का है। इसलिए केंद्र सरकार से अपील करता हूं चंडीगढ़ में इस तरह कदम उठाने से पहले पंजाब सरकार से बातचीत व सलाह करनी चाहिए थी। गुपचुप तरीके से पंजाब के अधिकारों किया हनन SAD नेता अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा केंद्र ने पंजाब के चुप तरीके से पंजाब के हकों को मारने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव तो राज्यों के होते हैं। चंडीगढ़ को लेकर तो कोई सवाल नहीं है। इस पर तो देश की सांसद व हरियाणा की विधानसभा ने भी मोहर लगाई है कि यह पंजाब का है। फिर केंद्र सरकार क्यों इसे अलग राज्य का दर्जा देने की कोशिश कर रही है। दूसरा सवाल मेरा पंजाब के CM भगवंत मान से भी है। वह राज्य के गृहमंत्री भी हैं। ऐसे में इतना बड़ा फैसला केंद्र सरकार पंजाब सरकार को बताए बिना तो ले नहीं सकती है। क्या इस बारे में पंजाब सरकार को जानकारी थी। जानकारी थी तो यह इतनी बड़ी बात पंजाब सरकार ने पंजाबियों से क्यों छुपाई। क्यों लगातार केंद्र के साथ मिलकर पंजाब के हकों में डाका मारा जा रहा है। कभी ्देश के गृहमंत्री से मुलाकात होती है और BSF राज्य के 40 किलोमीटर तक अंदर आ जाती है। सिटको, बीबीएमबी में हमारी अगुवाई खत्म की गई। पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट को खत्म किया जा रहा है। यह बहुत बड़े सवाल हैं। केंद्र सरकार से अपील की है कि पंजाब के हकों पर डाका न मार जाए। केंद्र पंजाब के दावे को कमजोर कर रहा है शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार न पंजाब के अपनी राजधानी पर दावे को कमजोर कर रही है। चंडीगढ़ पंजाब के गांवों की जमीन पर बना है। भारत की संसद ने पहले ही चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को मान्यता दे दी है। जबकि पंजाब की राजधानी को एक स्थायी यूटी में बदलने का मन बना लिया है। इससे पहले इसने यूटी चंडीगढ़ के लिए एक अलग कैडर बनाया था, जिससे पंजाब और हरियाणा का दावा कमजोर हो गया था, जो 60:40 के अनुपात में अधिकारियों को तैनात करते थे।पंजाबियों को इस बात से झटका लगा है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान इस कदम पर चुप हैं, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वह चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को कमजोर करने के लिए बीजेपी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। पंजाब और पंजाबी अपने हितों के साथ इस तरह के विश्वासघात को कभी माफ नहीं करेंगे। अब इस तरह रहेगा यूटी प्रशासन का स्ट्रक्चर चीफ सेक्रेटरी – 1 सेक्रेटरी ( होम) 1 सचिव ( फाइनेंस) 1सेक्रेटरी अर्बन प्लानिंग एंड समार्ट सिटी -1 डिप्टी कमिश्नर -1 ज्वाइंट सेक्रेटरी फाइनेंस 1 एक्साइज कमिश्नर 1 सेक्रेटरी (दो पद) एडिशनल सेक्रेटरी एडिशनल डिप्टी कमिश्नर प्रशासक को रिपोर्ट करेंगे चंडीगढ़ में मुख्य सचिव की नियुक्ति के बाद कोई बड़ा फेरबदल नहीं होगा। प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो मुख्य सचिव का पद अन्य राज्यों के मुख्य सचिव के पद जैसा ही होगा। चंडीगढ़ में सलाहकार के पद पर एजीयूएमटी कैडर के वरिष्ठ आईएएस की नियुक्ति होती है। इसे मुख्य सचिव के पद के बराबर माना जाता है। जबकि, अन्य राज्यों में मुख्य सचिव मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। इसी तरह मुख्य सचिव सीधे प्रशासक के अधीन रहेंगे और उन्हें रिपोर्ट करेंगे। हालांकि, इस फैसले से यूटी कैडर का दबदबा बढ़ना तय है। क्योंकि अब पदों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है।