यूपी भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद से पार्टी और सहयोगी दलों के नेता योगी सरकार को लेकर मुखर हो गए हैं। कोई कार्यकर्ता सम्मान की बात कह रहा है तो कोई कामकाज और फैसलों पर सवाल उठा रहा है। अब तक एक डिप्टी सीएम, एक विधायक, 2 एमएलसी और एक पूर्व कैबिनेट मंत्री मोर्चा खोल चुके हैं। सरकार के कामकाज पर सवाल करने वालों में अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद शामिल हैं। विरोध का सबसे बड़ा चेहरा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य हैं। सियासी इलाकों में इसे योगी VS केशव देखा जा रहा है। दैनिक भास्कर की इस रिपोर्ट में पढ़िए विरोध के स्वर क्यों मुखर हो रहे हैं और इसके राजनीतिक मायने क्या हैं? क्या कहा- ऐसा भ्रष्टाचार मैंने अपने 42 साल के राजनीतिक जीवन में कभी नहीं देखा। थानों में ऐसा भ्रष्टाचार न सोच सकते थे, न देख सकते थे। यह वाकई अकल्पनीय है। थाने, तहसील से भ्रष्टाचार खत्म होगा, तभी भाजपा कार्यकर्ताओं का सही मायने में सम्मान होगा। आने वाले समय में तहसील और थानों का घेराव करना पड़ेगा। फिर यू-टर्न- पूर्व मंत्री ने बाद में सफाई दी कि कार्यक्रम की अधूरी क्लिप विरोधी दलों ने वायरल की। विरोधी दल अपनी कमजोर स्थिति छिपाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। अब वजह जानिए क्यों विरोध किया
राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह 1989 में कांग्रेस से भाजपा में आए थे। योगी 1.0 सरकार में ग्राम्य विकास मंत्री रहे मोती सिंह 2022 में विधानसभा चुनाव हार गए। वह विधान परिषद या राज्यसभा के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। संगठन में भी कोई पद नहीं मिल पा रहा है। अफसरों पर भी उनका प्रभाव कम हो रहा है। मोती सिंह सरकार से तवज्जो न मिलने से नाराज हैं। क्या कहा- पार्टी मौजूदा समय में काफी कमजोर स्थिति में है। अगर केंद्रीय नेतृत्व ने समय रहते बड़े निर्णय नहीं लिए तो 2027 में सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। फिर यू-टर्न- हालांकि, वीडियो वायरल हुआ तो यू-टर्न लेते देर नहीं लगी। ठीकरा सोशल मीडिया पर फोड़ दिया। कहा- बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। समाजवादी पार्टी सपने देखना छोड़ दे, 2027 में सरकार भाजपा की ही बनेगी। अब वजह जानिए क्यों विरोध किया
रमेश मिश्रा 2017 में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। सुइथाकला विकासखंड के अरसिया गांव के मूल निवासी रमेश चंद्र मिश्रा को सीएम योगी आदित्यनाथ के विरोधी खेमे का माना जाता है। विधायक ने लोकसभा चुनाव के बाद शिकायत की थी कि भाजपा वोटरों के नाम कट गए, इसलिए नतीजे अनुमान के मुताबिक नहीं रहे। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा विधायक जौनपुर की राजनीतिक स्थिति भांपकर 2027 से पहले ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। बदलापुर विधानसभा क्षेत्र को ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। ऐसे में वह अब सपा या कांग्रेस में जाने की राह तलाश रहे हैं। हालांकि, रमेश मिश्रा का कहना है कि सरकार के खिलाफ नाराजगी नहीं है, वह आखिरी सांस तक भाजपा में रहेंगे। क्या कहा- अन्याय कहीं भी हो, उसके खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार सभी को है। आपके सुशासन और कानून व्यवस्था की तारीफ होती है, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि सरकार से जनता खफा हो गई। 2024 के परिणाम कई कारणों से खराब हुए हैं। छवि कर्मचारी विरोधी बन गई है। नौकरशाहों की साजिश से बचना होगा। सरकार को पुरानी पेंशन योजना पर तुरंत विचार करना होगा। जनता की समस्याओं से अवगत कराना मेरा काम है, वही कर रहा हूं। अब वजह जानिए क्यों विरोध किया
गोरखपुर के रहने वाले देवेंद्र प्रताप सिंह फैजाबाद-गोरखपुर स्नातक खंड से एमएलसी हैं। वह 1998 से 2015 तक सपा से एमएलसी रहे। 2015 में भाजपा का दामन थामा। देवेंद्र प्रताप सिंह शिक्षक और स्नातक वर्ग की राजनीति करते हैं। ऐसे में इस मुद्दे पर शिक्षकों का साथ देना उनकी राजनीतिक मजबूरी है। हालांकि वह पहले भी कई मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं। क्या कहा- एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह ने कहा कि ऑनलाइन हाजिरी का आदेश अव्यवहारिक है। ज्यादातर परिषदीय स्कूल ग्रामीण व दूर-दराज इलाके में हैं। नेटवर्क की समस्या है। आना-जाना कठिन है। शिक्षक देश और समाज निर्माण की नींव हैं। इस आदेश से उनकी गरिमा पर असर पड़ रहा है। अब वजह जानिए क्यों विरोध किया
डॉ. जयपाल सिंह शिक्षक विधायक (एमएलसी) हैं। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षकों-कर्मचारियों की डिजिटल अटेंडेंस का आदेश जारी किया है। इसको लेकर डॉ. जयपाल सिंह से कई शिक्षक नेता मिले, जिसके बाद उन्होंने सीएम को पत्र लिखा है। जयपाल सिंह शिक्षक वर्ग की राजनीति करते हैं। अपने वोट बैंक को बचाने के लिए उन्होंने ऐसा किया। सवाल ये कि क्या वह योगी के विरोध में हैं ? क्या कहा – अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सरकारी भर्तियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग को नियमानुसार आरक्षण न मिलने का मुद्दा उठाया था। आरक्षित वर्ग के पदों को अनारक्षित घोषित करने की व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग की। जानिए विरोध की वजह क्या है
लोकसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि प्रदेश में अपना दल का जमीनी आधार भी खिसक रहा है। अनुप्रिया खुद मिर्जापुर सीट से मुश्किल से चुनाव जीतीं। जबकि उनकी पार्टी रार्बट्सगंज से चुनाव हार गई। पिछड़े वर्ग का वोट बैंक खिसकता देखकर अनुप्रिया ने यह कदम उठाया। इतना ही नहीं योगी सरकार में उनकी सुनवाई न होने से भी वह नाराज हैं। क्या कहा- कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल खड़े किए। कहा-आप बुलडोजर चलवाएंगे, लोगों के घर गिराएंगे तो क्या वे वोट देंगे? निषाद ने कहा कि कार्यकर्ताओं में नकारात्मक सोच पैदा न हो, इसके लिए कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि ऊपर बैठे कुछ अफसर अंदर से सपाई, बसपाई और कांग्रेसी हैं। कई अधिकारी, कार्यकर्ताओं और नेताओं को सम्मान नहीं देते। मौका आने पर उन्हें सबक सिखाया जाएगा। यही नहीं एक चैनल पर उन्होंने कहा कि ‘संगठन सरकार से बड़ा है, संगठन से बड़ा कोई नहीं है।’ अब वजह जानिए
संजय निषाद भाजपा सरकार में अपने कामकाज नहीं होने से नाराज हैं। वर्तमान में विधानसभा उप चुनाव में मझवां और कटेहरी सीट मांग रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनाव में गठबंधन में दोनों सीटें उन्हें दी थी। अब उप चुनाव में भी उन्हें सीट मिलनी चाहिए। भाजपा फिलहाल दो सीटें देने के मूड में नहीं हैं। संजय निषाद अपने बेटे प्रवीण और बड़े बेटे डॉ. अमित निषाद का भी राजनीतिक समायोजन चाहते हैं। क्या कहा – केशव प्रसाद मौर्य ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है, बड़ा था और बड़ा रहेगा। कार्यकर्ताओं का सम्मान सभी को करना चाहिए। जानिए क्यों नाराज हैं
केशव प्रसाद मौर्य सरकार में उचित सम्मान नहीं मिलने से खफा हैं। पीडब्ल्यूडी विभाग फिलहाल सीएम के पास है, वह एक बार फिर पीडब्ल्यूडी विभाग की कमान चाहते हैं। उनके विभाग के अपर मुख्य सचिव हिमांशु कुमार से भी उनकी नहीं बन रही है। आगे क्या? सहयोगी और असंतुष्ट हावी हो सकते हैं
भाजपा सरकार के मौजूदा माहौल में अगर समय रहते स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया तो सहयोगी दल और असंतुष्ट नेता हावी होंगे। सहयोगी दलों के नेता मांगें पूरी कराने के लिए सरकार और भाजपा पर दबाव बना सकते हैं। गुटबाजी और खींचतान बढ़ेगी
भाजपा सरकार और पार्टी में अब सत्ता संघर्ष के लिए गुटबाजी और खींचतान बढ़ सकती है। पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए खींचतान शुरू होगी। वहीं मंत्रिमंडल विस्तार तक इंतजार कर रहे विधायक भी गुटबाजी कर सरकार में जगह पाने का प्रयास करेंगे। सरकार पर दबाव बढ़ेगा
भाजपा और सहयोगी दलों की ओर से अब सरकार पर दबाव बढ़ाया जाएगा। 2027 के मद्देनजर कार्यकर्ताओं की सुनवाई करने, जनता को सीधे प्रभावित करने वाली योजनाएं लागू करने, जिलों में थाने-तहसील की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए सरकार पर दबाव बढ़ेगा। आमूलचूल बदलाव कर सकता है भाजपा नेतृत्व
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी का कहना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए एक ओपिनियन बन रहा है। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व यूपी में पार्टी और सरकार में आमूलचूल परिवर्तन कर सकता है। लोकसभा चुनाव में जिस तरह भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग में सपा ने सेंध लगाई है, उसे दोबारा दुरुस्त करने के लिए शीर्ष नेतृत्व कोई ठोस कदम जरूर उठाएगा। देखना यह है कि विधानसभा उप चुनाव के बाद कोई बदलाव होते हैं या उससे पहले। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र नाथ भट्ट का कहना है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के जमाने से यूपी में यह सिलसिला कायम है। दिल्ली का बादशाह यूपी के मजबूत सूबेदार को झेल नहीं पाता है। उसे लगता है कि वह उनके लिए चुनौती बन सकता है। भाजपा में मौजूदा समय में जो खींचतान चल रही है, उससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि योगी को हटा दिया जाएगा। लेकिन वर्तमान में भाजपा में केवल नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की देश स्तर पर स्वीकार्यता है। यदि योगी को छेड़ा गया तो न केवल यूपी बल्कि पूरे देश में भाजपा को नुकसान होगा। जब योगी को लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के अलावा कोई काम नहीं दिया, टिकट वितरण में उनकी सलाह नहीं ली गई तो हार के लिए वह कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं? महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ यूपी की दस सीटों पर होने वाले उप चुनाव में भाजपा को जीत मिली तो यूपी में सत्ता और भाजपा पर चल रहा संकट खत्म हो जाएगा। यूपी भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद से पार्टी और सहयोगी दलों के नेता योगी सरकार को लेकर मुखर हो गए हैं। कोई कार्यकर्ता सम्मान की बात कह रहा है तो कोई कामकाज और फैसलों पर सवाल उठा रहा है। अब तक एक डिप्टी सीएम, एक विधायक, 2 एमएलसी और एक पूर्व कैबिनेट मंत्री मोर्चा खोल चुके हैं। सरकार के कामकाज पर सवाल करने वालों में अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद शामिल हैं। विरोध का सबसे बड़ा चेहरा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य हैं। सियासी इलाकों में इसे योगी VS केशव देखा जा रहा है। दैनिक भास्कर की इस रिपोर्ट में पढ़िए विरोध के स्वर क्यों मुखर हो रहे हैं और इसके राजनीतिक मायने क्या हैं? क्या कहा- ऐसा भ्रष्टाचार मैंने अपने 42 साल के राजनीतिक जीवन में कभी नहीं देखा। थानों में ऐसा भ्रष्टाचार न सोच सकते थे, न देख सकते थे। यह वाकई अकल्पनीय है। थाने, तहसील से भ्रष्टाचार खत्म होगा, तभी भाजपा कार्यकर्ताओं का सही मायने में सम्मान होगा। आने वाले समय में तहसील और थानों का घेराव करना पड़ेगा। फिर यू-टर्न- पूर्व मंत्री ने बाद में सफाई दी कि कार्यक्रम की अधूरी क्लिप विरोधी दलों ने वायरल की। विरोधी दल अपनी कमजोर स्थिति छिपाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। अब वजह जानिए क्यों विरोध किया
राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह 1989 में कांग्रेस से भाजपा में आए थे। योगी 1.0 सरकार में ग्राम्य विकास मंत्री रहे मोती सिंह 2022 में विधानसभा चुनाव हार गए। वह विधान परिषद या राज्यसभा के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। संगठन में भी कोई पद नहीं मिल पा रहा है। अफसरों पर भी उनका प्रभाव कम हो रहा है। मोती सिंह सरकार से तवज्जो न मिलने से नाराज हैं। क्या कहा- पार्टी मौजूदा समय में काफी कमजोर स्थिति में है। अगर केंद्रीय नेतृत्व ने समय रहते बड़े निर्णय नहीं लिए तो 2027 में सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। फिर यू-टर्न- हालांकि, वीडियो वायरल हुआ तो यू-टर्न लेते देर नहीं लगी। ठीकरा सोशल मीडिया पर फोड़ दिया। कहा- बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। समाजवादी पार्टी सपने देखना छोड़ दे, 2027 में सरकार भाजपा की ही बनेगी। अब वजह जानिए क्यों विरोध किया
रमेश मिश्रा 2017 में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। सुइथाकला विकासखंड के अरसिया गांव के मूल निवासी रमेश चंद्र मिश्रा को सीएम योगी आदित्यनाथ के विरोधी खेमे का माना जाता है। विधायक ने लोकसभा चुनाव के बाद शिकायत की थी कि भाजपा वोटरों के नाम कट गए, इसलिए नतीजे अनुमान के मुताबिक नहीं रहे। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा विधायक जौनपुर की राजनीतिक स्थिति भांपकर 2027 से पहले ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। बदलापुर विधानसभा क्षेत्र को ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। ऐसे में वह अब सपा या कांग्रेस में जाने की राह तलाश रहे हैं। हालांकि, रमेश मिश्रा का कहना है कि सरकार के खिलाफ नाराजगी नहीं है, वह आखिरी सांस तक भाजपा में रहेंगे। क्या कहा- अन्याय कहीं भी हो, उसके खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार सभी को है। आपके सुशासन और कानून व्यवस्था की तारीफ होती है, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि सरकार से जनता खफा हो गई। 2024 के परिणाम कई कारणों से खराब हुए हैं। छवि कर्मचारी विरोधी बन गई है। नौकरशाहों की साजिश से बचना होगा। सरकार को पुरानी पेंशन योजना पर तुरंत विचार करना होगा। जनता की समस्याओं से अवगत कराना मेरा काम है, वही कर रहा हूं। अब वजह जानिए क्यों विरोध किया
गोरखपुर के रहने वाले देवेंद्र प्रताप सिंह फैजाबाद-गोरखपुर स्नातक खंड से एमएलसी हैं। वह 1998 से 2015 तक सपा से एमएलसी रहे। 2015 में भाजपा का दामन थामा। देवेंद्र प्रताप सिंह शिक्षक और स्नातक वर्ग की राजनीति करते हैं। ऐसे में इस मुद्दे पर शिक्षकों का साथ देना उनकी राजनीतिक मजबूरी है। हालांकि वह पहले भी कई मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं। क्या कहा- एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह ने कहा कि ऑनलाइन हाजिरी का आदेश अव्यवहारिक है। ज्यादातर परिषदीय स्कूल ग्रामीण व दूर-दराज इलाके में हैं। नेटवर्क की समस्या है। आना-जाना कठिन है। शिक्षक देश और समाज निर्माण की नींव हैं। इस आदेश से उनकी गरिमा पर असर पड़ रहा है। अब वजह जानिए क्यों विरोध किया
डॉ. जयपाल सिंह शिक्षक विधायक (एमएलसी) हैं। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षकों-कर्मचारियों की डिजिटल अटेंडेंस का आदेश जारी किया है। इसको लेकर डॉ. जयपाल सिंह से कई शिक्षक नेता मिले, जिसके बाद उन्होंने सीएम को पत्र लिखा है। जयपाल सिंह शिक्षक वर्ग की राजनीति करते हैं। अपने वोट बैंक को बचाने के लिए उन्होंने ऐसा किया। सवाल ये कि क्या वह योगी के विरोध में हैं ? क्या कहा – अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सरकारी भर्तियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग को नियमानुसार आरक्षण न मिलने का मुद्दा उठाया था। आरक्षित वर्ग के पदों को अनारक्षित घोषित करने की व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग की। जानिए विरोध की वजह क्या है
लोकसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि प्रदेश में अपना दल का जमीनी आधार भी खिसक रहा है। अनुप्रिया खुद मिर्जापुर सीट से मुश्किल से चुनाव जीतीं। जबकि उनकी पार्टी रार्बट्सगंज से चुनाव हार गई। पिछड़े वर्ग का वोट बैंक खिसकता देखकर अनुप्रिया ने यह कदम उठाया। इतना ही नहीं योगी सरकार में उनकी सुनवाई न होने से भी वह नाराज हैं। क्या कहा- कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल खड़े किए। कहा-आप बुलडोजर चलवाएंगे, लोगों के घर गिराएंगे तो क्या वे वोट देंगे? निषाद ने कहा कि कार्यकर्ताओं में नकारात्मक सोच पैदा न हो, इसके लिए कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि ऊपर बैठे कुछ अफसर अंदर से सपाई, बसपाई और कांग्रेसी हैं। कई अधिकारी, कार्यकर्ताओं और नेताओं को सम्मान नहीं देते। मौका आने पर उन्हें सबक सिखाया जाएगा। यही नहीं एक चैनल पर उन्होंने कहा कि ‘संगठन सरकार से बड़ा है, संगठन से बड़ा कोई नहीं है।’ अब वजह जानिए
संजय निषाद भाजपा सरकार में अपने कामकाज नहीं होने से नाराज हैं। वर्तमान में विधानसभा उप चुनाव में मझवां और कटेहरी सीट मांग रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनाव में गठबंधन में दोनों सीटें उन्हें दी थी। अब उप चुनाव में भी उन्हें सीट मिलनी चाहिए। भाजपा फिलहाल दो सीटें देने के मूड में नहीं हैं। संजय निषाद अपने बेटे प्रवीण और बड़े बेटे डॉ. अमित निषाद का भी राजनीतिक समायोजन चाहते हैं। क्या कहा – केशव प्रसाद मौर्य ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है, बड़ा था और बड़ा रहेगा। कार्यकर्ताओं का सम्मान सभी को करना चाहिए। जानिए क्यों नाराज हैं
केशव प्रसाद मौर्य सरकार में उचित सम्मान नहीं मिलने से खफा हैं। पीडब्ल्यूडी विभाग फिलहाल सीएम के पास है, वह एक बार फिर पीडब्ल्यूडी विभाग की कमान चाहते हैं। उनके विभाग के अपर मुख्य सचिव हिमांशु कुमार से भी उनकी नहीं बन रही है। आगे क्या? सहयोगी और असंतुष्ट हावी हो सकते हैं
भाजपा सरकार के मौजूदा माहौल में अगर समय रहते स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया तो सहयोगी दल और असंतुष्ट नेता हावी होंगे। सहयोगी दलों के नेता मांगें पूरी कराने के लिए सरकार और भाजपा पर दबाव बना सकते हैं। गुटबाजी और खींचतान बढ़ेगी
भाजपा सरकार और पार्टी में अब सत्ता संघर्ष के लिए गुटबाजी और खींचतान बढ़ सकती है। पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए खींचतान शुरू होगी। वहीं मंत्रिमंडल विस्तार तक इंतजार कर रहे विधायक भी गुटबाजी कर सरकार में जगह पाने का प्रयास करेंगे। सरकार पर दबाव बढ़ेगा
भाजपा और सहयोगी दलों की ओर से अब सरकार पर दबाव बढ़ाया जाएगा। 2027 के मद्देनजर कार्यकर्ताओं की सुनवाई करने, जनता को सीधे प्रभावित करने वाली योजनाएं लागू करने, जिलों में थाने-तहसील की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए सरकार पर दबाव बढ़ेगा। आमूलचूल बदलाव कर सकता है भाजपा नेतृत्व
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी का कहना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए एक ओपिनियन बन रहा है। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व यूपी में पार्टी और सरकार में आमूलचूल परिवर्तन कर सकता है। लोकसभा चुनाव में जिस तरह भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग में सपा ने सेंध लगाई है, उसे दोबारा दुरुस्त करने के लिए शीर्ष नेतृत्व कोई ठोस कदम जरूर उठाएगा। देखना यह है कि विधानसभा उप चुनाव के बाद कोई बदलाव होते हैं या उससे पहले। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र नाथ भट्ट का कहना है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के जमाने से यूपी में यह सिलसिला कायम है। दिल्ली का बादशाह यूपी के मजबूत सूबेदार को झेल नहीं पाता है। उसे लगता है कि वह उनके लिए चुनौती बन सकता है। भाजपा में मौजूदा समय में जो खींचतान चल रही है, उससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि योगी को हटा दिया जाएगा। लेकिन वर्तमान में भाजपा में केवल नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की देश स्तर पर स्वीकार्यता है। यदि योगी को छेड़ा गया तो न केवल यूपी बल्कि पूरे देश में भाजपा को नुकसान होगा। जब योगी को लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के अलावा कोई काम नहीं दिया, टिकट वितरण में उनकी सलाह नहीं ली गई तो हार के लिए वह कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं? महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ यूपी की दस सीटों पर होने वाले उप चुनाव में भाजपा को जीत मिली तो यूपी में सत्ता और भाजपा पर चल रहा संकट खत्म हो जाएगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर