केंद्रीय आवास एवं शहरी मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि शिमला के समीप जाठिया देवी में नया शहर बनाने का प्रस्ताव केंद्र को मिला है। इस पर काम चल रहा है। यह बात उन्होंने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य के साथ आयोजित मीटिंग के दौरान कही। इस दौरान CM सुक्खू ने हिमाचल की कठिन भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए पहाड़ी राज्यों को अटल नवीकरण एवं शहरी परिवहन मिशन (अम्रुत) योजना के अंतर्गत परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए अलग मापदंड अपनाने का आग्रह किया है। CM ने कहा कि अम्रुत के तहत परियोजनाएं जनसंख्या के आधार पर स्वीकृत की जाती हैं, लेकिन जनसंख्या आधारित मापदंड हिमाचल के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसलिए इस योजना के अंतर्गत अधिकतम लाभ उठाने के लिए मापदंडों में ढील देने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, वित्त आयोग की सिफारिशों की भी समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि परियोजनाओं की लागत समय के साथ बढ़ती रहती है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हिमाचल सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में एक है। हिमाचल में प्लास्टिक पर लगाया प्रतिबंध: CM सुखविंद्र सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। इस पहल के ठोस परिणाम सामने आ रहे हैं। पंचायतों और गैर-सरकारी संगठनों ने प्लास्टिक के उपयोग से मानव जीवन पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। टेंडर अवधि 60 से घटाकर 10 दिन करने का आग्रह विकास कार्यों को गति प्रदान करने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार से टेंडर नीति प्रणाली में संशोधन कर टेंडर अवधि को 60 दिन से घटाकर 10 दिन करने का आग्रह किया। बैटरी बैकअप के साथ एक मेगावाट सौर प्रणाली की अनुमति देने की अपील सुखविंद्र सुक्खू ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से स्पीति जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में बर्फबारी और प्रतिकूल मौसम के कारण होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए बैटरी बैकअप के साथ एक मेगावाट सौर प्रणाली की अनुमति देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, इन क्षेत्रों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 362 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। खट्टर ने दिया सहयोग का आश्वासन केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने हिमाचल प्रदेश के प्रदर्शन की प्रशंसा की और केंद्र सरकार से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। ऊर्जा मंत्रालय के कार्यों की समीक्षा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने राज्य को बिजली उत्पादन बढ़ाने का सुझाव दिया क्योंकि राज्य में जल स्रोत प्रचूर मात्रा में हैं। उन्होंने कहा कि राज्य को जल विद्युत ऊर्जा का दोहन करने के लिए बहते पानी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। केंद्रीय आवास एवं शहरी मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि शिमला के समीप जाठिया देवी में नया शहर बनाने का प्रस्ताव केंद्र को मिला है। इस पर काम चल रहा है। यह बात उन्होंने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य के साथ आयोजित मीटिंग के दौरान कही। इस दौरान CM सुक्खू ने हिमाचल की कठिन भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए पहाड़ी राज्यों को अटल नवीकरण एवं शहरी परिवहन मिशन (अम्रुत) योजना के अंतर्गत परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए अलग मापदंड अपनाने का आग्रह किया है। CM ने कहा कि अम्रुत के तहत परियोजनाएं जनसंख्या के आधार पर स्वीकृत की जाती हैं, लेकिन जनसंख्या आधारित मापदंड हिमाचल के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसलिए इस योजना के अंतर्गत अधिकतम लाभ उठाने के लिए मापदंडों में ढील देने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, वित्त आयोग की सिफारिशों की भी समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि परियोजनाओं की लागत समय के साथ बढ़ती रहती है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हिमाचल सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में एक है। हिमाचल में प्लास्टिक पर लगाया प्रतिबंध: CM सुखविंद्र सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। इस पहल के ठोस परिणाम सामने आ रहे हैं। पंचायतों और गैर-सरकारी संगठनों ने प्लास्टिक के उपयोग से मानव जीवन पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। टेंडर अवधि 60 से घटाकर 10 दिन करने का आग्रह विकास कार्यों को गति प्रदान करने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार से टेंडर नीति प्रणाली में संशोधन कर टेंडर अवधि को 60 दिन से घटाकर 10 दिन करने का आग्रह किया। बैटरी बैकअप के साथ एक मेगावाट सौर प्रणाली की अनुमति देने की अपील सुखविंद्र सुक्खू ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से स्पीति जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में बर्फबारी और प्रतिकूल मौसम के कारण होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए बैटरी बैकअप के साथ एक मेगावाट सौर प्रणाली की अनुमति देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, इन क्षेत्रों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 362 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। खट्टर ने दिया सहयोग का आश्वासन केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने हिमाचल प्रदेश के प्रदर्शन की प्रशंसा की और केंद्र सरकार से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। ऊर्जा मंत्रालय के कार्यों की समीक्षा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने राज्य को बिजली उत्पादन बढ़ाने का सुझाव दिया क्योंकि राज्य में जल स्रोत प्रचूर मात्रा में हैं। उन्होंने कहा कि राज्य को जल विद्युत ऊर्जा का दोहन करने के लिए बहते पानी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल विधानसभा में पहली बार पति-पत्नी साथ में:CM के बाद पत्नी भी MLA बनीं; कांग्रेस ने 40 सीटें पूरी कीं, BJP को गुटबाजी ले डूबी
हिमाचल विधानसभा में पहली बार पति-पत्नी साथ में:CM के बाद पत्नी भी MLA बनीं; कांग्रेस ने 40 सीटें पूरी कीं, BJP को गुटबाजी ले डूबी हिमाचल विधानसभा के इतिहास में पहली बार CM और उनकी पत्नी सदन में बैठेंगी। यह स्थिति उपचुनाव के बाद आई है। जिसमें देहरा सीट से CM सुखविंदर सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर उपचुनाव जीती हैं। इससे पहले कभी पति-पत्नी एक साथ चुनाव नहीं जीते। यहां तक कि मुख्यमंत्री की पत्नी के भी उनके कार्यकाल में चुनाव जीतने का यह पहला मामला है। हिमाचल में सुखविंदर सुक्खू से पहले डॉ. यशवंत सिंह परमार, रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मगर इनमे से किसी की भी पत्नी विधायक नहीं चुनी गई। हालांकि वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह तीन बार सांसद चुनी जा चुकी है, लेकिन वे विधायक कभी नहीं रही। हालांकि पिता-पुत्र के तौर वीरभद्र सिंह और विक्रमादित्य साल 2017 में जरूर विधानसभा में पहुंचे थे। प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर भी पांच बार सांसद जरूर चुने जा चुके है, लेकिन वह भी विधायक नहीं बने। 3 उपचुनाव में कांग्रेस-भाजपा की हार-जीत क्यों? देहरा: CM की पत्नी का असर रहा, BJP को गुटबाजी ले डूबी
यहां पर कांग्रेस ने सीएम की पत्नी कमलेश ठाकुर को मैदान में उतारा, जबकि बीजेपी ने निर्दलीय विधायक पद से इस्तीफा देने वाले होशियार सिंह को प्रत्याशी बनाया। सीएम की पत्नी के चुनाव लड़ने और बीजेपी में गुटबाजी की वजह से इस सीट पर कांग्रेस की जीत हुई। BJP यहां पर पूर्व मंत्री रमेश धवाला को नहीं मना पाई। वह यहां से टिकट के दावेदार थे। धवाला ने वोटिंग वाले दिन भी भेड़ की खाल में भेड़िए को सबक सिखाएंगे बयान देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। वहीं कांग्रेस ने बागी रुख दिखाने वाले डॉ. राजेश शर्मा को पार्टी ने मना लिया। नालागढ़: बागी को मना लेते तो BJP जीत जाती
इस सीट पर कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह के करीबी बावा हरदीप ने 8990 से चुनाव जीता। उन्हें कुल 34,608 वोट मिले। उनसे हारे भाजपा के केएल ठाकुर को 25,618 वोट मिले। केएल ठाकुर पहले निर्दलीय विधायक थे लेकिन भाजपा ने उन्हें पार्टी में शामिल कर टिकट दी। वहीं BJP से बागी होकर लड़े सह मीडिया प्रभारी हरप्रीत सिंह को 13,025 वोट मिले। अगर BJP हरप्रीत सैनी को मना लेती तो 38,643 वोट मिल जाते। ऐसे में BJP यह सीट जीत सकती थी। हमीरपुर: आशीष की व्यक्तिगत छवि के आगे CM का दबदबा फेल
हमीरपुर CM सुक्खू के गृह जिले की सीट है। यहां से कांग्रेस को चौंकाते हुए भाजपा उम्मीदवार आशीष शर्मा चुनाव जीत गए। कांग्रेस के पुष्पेंद्र वर्मा उनसे चुनाव हार गए। माना जाता है कि आशीष शर्मा की यहां व्यक्तिगत छवि काफी असरदार है। लोगों से हर सुख-दुख के कार्यक्रम में उनका शामिल होना ही CM के दबदबे को फेल कर गया। आशीष भी पहले निर्दलीय चुनाव जीते थे लेकिन बाद में भाजपा ने उन्हें टिकट दे दी। हिमाचल में 3 उपचुनाव के बड़े मायने… 1. CM सुक्खू की कुर्सी बची, गृह जिले में हार से कमजोर हुए
कांग्रेस की उप चुनाव में जीत से सुखविंदर सुक्खू की कुर्सी भी बच गई है। हालांकि गृह जिला हमीरपुर की सीट हारने से वह कमजोर हुए हैं। खास तौर पर इसलिए भी कि पहले कांग्रेस ने हमीरपुर सीट से लोकसभा चुनाव हारा। इसके बाद उपचुनाव में बड़सर सीट भी गंवा दी। हालांकि देहरा से पत्नी कमलेश ठाकुर की जीत और 9 उपचुनाव में 6 सीटें जीतने के बाद सुक्खू का नेतृत्व मजबूत हुआ है। सरकार के तौर पर उनके ऊपर आया खतरा टल गया है। 2. जयराम ठाकुर के लिए झटका
उपचुनाव के नतीजे BJP से ज्यादा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए झटका हैं। उन्हें उम्मीद थी कि पहले 6 और अब 3 उपचुनाव में भाजपा जीत हासिल करेगी। ऐसा हो जाता तो 2022 में विधानसभा चुनाव में जीती 25 सीटें और 9 नई सीटों से उनके विधायक 34 हो जाएंगे। कांग्रेस में भी 6 विधायकों के बागी होकर इस्तीफे के बाद 34 ही विधायक बचे थे। हालांकि पहले 6 उपचुनाव में भाजपा सिर्फ 2 सीटें जीत पाई। अब इन 3 उपचुनाव में सिर्फ 1 ही सीट जीत पाई। अब 68 विधानसभा सीटों और 35 के बहुमत वाली हिमाचल विधानसभा में भाजपा के 28 ही विधायक रह गए और कांग्रेस ने विधानसभा में 40 विधायकों वाली स्थिति दोबारा पा ली। 3. नालागढ़ सीट से होलीलॉज मजबूत
कांग्रेस ने नालागढ़ सीट पर भी शानदार जीत दर्ज की है। यहां पर कांग्रेस के बावा हरदीप सिंह ने बीजेपी के केएल ठाकुर को हराया है। हरदीप सिंह वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी थे। उनकी जीत से होलीलॉज खेमा मजबूत हुआ है। नालागढ़ सीट पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने प्रचार में जान फूंकी थी। होली लॉज की मजबूती सीएम सुक्खू और उनके ग्रुप के लिए चुनौती बनती रहेगी। लोगों ने इस्तीफा देने वाले 6 विधायक घर बिठाए
हिमाचल में लोगों ने जीत के 15 महीने बाद ही इस्तीफा देने वाले 6 विधायक घर बैठाए। शनिवार को आए उपचुनाव परिणाम में 2 पूर्व निर्दलीय विधायकों केएल ठाकुर और होशियार सिंह चुनाव हार गए। दोनों ने BJP के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इससे पहले 1 जून को 6 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी जनता ने बगावत करने वाले कांग्रेस के 4 पूर्व विधायक सुजानपुर से राजेंद्र राणा, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, गगरेट से चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो को भी चुनाव हरा दिया।
हिमाचल हाईकोर्ट से अडानी पावर को झटका:280 करोड़ का अपफ्रंट प्रीमियम राशि लौटाने से इनकार; प्रदेश सरकार को राहत
हिमाचल हाईकोर्ट से अडानी पावर को झटका:280 करोड़ का अपफ्रंट प्रीमियम राशि लौटाने से इनकार; प्रदेश सरकार को राहत हिमाचल हाईकोर्ट (HC) ने जंगी थोपन पवारी हाइड्रो प्रोजेक्ट से जुड़े केस में अडानी पावर को झटका और प्रदेश सरकार को बड़ी राहत प्रदान की है। HC की डिवीजन बैंच ने वीरवार को सिंगल बैंच के पूर्व में आए फैसले को पलटते हुए अडानी पावर को 280 करोड़ रुपए की अपफ्रंट प्रीमियम राशि लौटाने के फैसले को पलट डाला है। जस्टिस विवेक ठाकुर और बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने कहा, प्रीमियम राशि के लिए अडानी समूह हकदार नहीं है, जबकि हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने सरकार को आदेश दिए थे कि दो माह में राशि वापस करे, नहीं तो सालाना 9 फीसदी ब्याज सहित राशि देनी होगी। दरअसल, हिमाचल सरकार ने टैंडर के आधार पर जंगी थोपन प्रोजेक्ट 2006 में ब्रैकल कंपनी को दिया था। तब कंपनी ने 280 करोड़ रुपए सरकार को अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर सरकार के पास जमा कराए थे। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कहा, ब्रैकल कंपनी ने जंगी थोपन प्रोजेक्ट फ्रॉड करके हासिल किया था। यह फ्रॉड अदालत में भी साबित हो चुका है। इसके बाद रिलायंस को प्रोजेक्ट दिया गया। मगर 2016 में रिलायंस ने इस प्रोजेक्ट को बनाने से इनकार कर दिया। इस मामले में नया मोड़ तब आया, जब अडानी पावर कंपनी ने 280 करोड़ रुपए का अपफ्रंट प्रीमियम प्रदेश सरकार से ब्याज सहित मांगा। प्रदेश सरकार ने अडानी समूह की इस मांग को खारिज कर दिया और कहा, अडानी पावर से प्रदेश सरकार का कोई संबंध नहीं। इसके खिलाफ अडानी पावर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने कुछ समय पहले अडानी पावर के पक्ष में फैसला सुनाया। कहा कि प्रदेश सरकार 280 करोड़ अडानी पावर को वापस करें। सिंगल बैंच के फैसले को सरकार ने दी चुनौती सिंगल बैंच के इसी फैसले को प्रदेश सरकार ने डबल बैंच में चुनौती दी। प्रदेश सरकार ने अदालत में कहा कि ब्रैकल कंपनी ने फ्रॉड करके प्रोजेक्ट हासिल किया है। सरकार ने अदालत में कहा, हिमाचल गवर्नमेंट और अडानी पावर के बीच कभी भी कोई एग्रीमेंट नहीं हुआ। सरकार ने ब्रैकल कंपनी के साथ जरूर एग्रीमेंट किया था। ऐसे में अडानी समूह अपफ्रंट प्रीमियम का हकदार नहीं है। अगर अपफ्रंट प्रीमियम बनता है तो वह ब्रैकल का बनता था। मगर ब्रैकल का फ्रॉड साबित होने के बाद यह कंपनी भी प्रीमियम की हकदार नहीं रही। पुराना है ब्रैकल और जंगी थोपन का विवाद ब्रैकल कंपनी और जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट का विवाद वर्षों पुराना है। वर्ष 2006 में राज्य सरकार ने जंगी थोपन प्रोजेक्ट का आवंटन ब्रेकल को किया था। 960 मेगावाट क्षमता के इस प्रोजेक्ट के लिए बिड में रिलायंस दूसरे स्थान पर थी। तत्कालीन धूमल सरकार को जब मालूम पड़ा कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेज जमा किए है तो धूमल सरकार ने इसकी जांच का जिम्मा विजिलेंस को सौंपा। इसके बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और पूर्व वीरभद्र सरकार ने जंगी थोपन प्रोजेक्ट अडानी को देने का निर्णय लिया। लेकिन जयराम सरकार ने कंपनी पर वित्तीय बिड में गलती का आरोप लगाते हुए अपफ्रंट मनी लौटाए बगैर यह प्रोजेक्ट सतलुज जल विद्युत निगम (SJVNL) को दे दिया। इसके बाद अडानी समूह हाईकोर्ट में अपफ्रंट मनी को लेकर लड़ाई लड़ता रहा। सिंगल बैंच में अडानी लड़ाई जीत गया। मगर डबल बैंच में हार गया। सरकार को करोड़ों की राजस्व हानि इस प्रोजेक्ट के कारण राज्य सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई है। यदि प्रोजेक्ट समय पर तैयार हो गया होता इससे सरकार को रॉयल्टी के तौर पर करोड़ों की राशि सरकारी खजाने में मिल गई होती। अनूप रत्न ने कहा, इस प्रोजेक्ट के निर्माण में देरी की वजह से 9 से 10 हजार करोड़ रुपए का सरकार को नुकसान हो चुका है।
हिमाचल में श्रीखंड यात्रा के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की वापसी:3 की हो चुकी है मौत, प्रशासन की अपील- 14 जुलाई से पहले न आएं
हिमाचल में श्रीखंड यात्रा के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की वापसी:3 की हो चुकी है मौत, प्रशासन की अपील- 14 जुलाई से पहले न आएं धार्मिक श्रीखंड यात्रा के लिए देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। लेकिन अभी यह यात्रा आधिकारिक तौर पर शुरू नहीं हुई है। इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने 140 से अधिक श्रद्धालुओं को वापस भेज दिया है। अभी किसी को भी श्रीखंड जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। एसडीएम निरमंड मनमोहन ने बताया कि पिछले डेढ़ सप्ताह के दौरान दो श्रद्धालुओं और एक स्थानीय व्यक्ति की मौत हो चुकी है। इनमें एक श्रद्धालु हरियाणा, दूसरा यूपी के बुलंदशहर और तीसरा स्थानीय व्यक्ति था। इसे देखते हुए प्रशासन ने फैसला लिया है कि किसी भी श्रद्धालु को श्रीखंड नहीं जाने दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वापस भेजे गए अधिकतर श्रद्धालु गैर हिमाचली यानी दूसरे राज्यों से आए थे। आधिकारिक तौर पर 14 जुलाई से शुरू होगी यात्रा एसडीएम ने बताया कि आधिकारिक तौर पर यात्रा 14 से 27 जुलाई तक चलेगी। इस यात्रा के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है। इसलिए आधिकारिक यात्रा से पहले किसी को भी श्रीखंड जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दुनिया की सबसे कठिन धार्मिक यात्रा श्रीखंड यात्रा दुनिया की सबसे कठिन धार्मिक यात्रा मानी जाती है। 18,570 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ग्लेशियर, ऊंचे पहाड़, संकरे रास्तों से 32 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है। हर समय हादसे का डर बना रहता है। पार्वती बाग से आगे कुछ इलाके ऐसे हैं जहां ऑक्सीजन की भी कमी है। ऐसे में अगर श्रद्धालुओं को समय रहते उपचार या नीचे नहीं उतारा गया तो हादसे का डर बना रहता है। इस कारण कई श्रद्धालु भोले के दर्शन किए बिना ही लौटने को मजबूर हो जाते हैं। यात्रा को आसान बनाने के लिए पांच स्थानों पर बनाए जा रहे बेस कैंप एसडीएम ने बताया कि यात्रा को आसान बनाने के लिए श्रीखंड ट्रस्ट समिति और जिला प्रशासन पांच स्थानों पर बेस कैंप बना रहा है। पहले चरण में सिंघगाड़ में बेस कैंप बनाया जा रहा है। इसके अलावा थाचडू, कुंशा, भीमद्वार और पार्वती बाग में भी बेस कैंप बनाए जाएंगे। इसमें सेक्टर मजिस्ट्रेट और उनके साथ पुलिस अधिकारी/प्रभारी के अलावा मेडिकल स्टाफ और बचाव दल भी तैनात रहेंगे। पहली बार बचाव दल एसडीआरएफ की यूनिट तैनात की जाएगी इस यात्रा में पहली बार पार्वती बाग में बचाव दल एसडीआरएफ की यूनिट तैनात की जाएगी, क्योंकि संकरा और खतरनाक रास्ता होने के कारण इस यात्रा के दौरान कई अनचाहे हादसे होते रहते हैं। खास तौर पर बारिश के कारण यह यात्रा बाधित होती है। ऑनलाइन पंजीकरण के लिए पोर्टल बनाया गया बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल बनाया गया है। बिना पंजीकरण के किसी भी श्रद्धालु को श्रीखंड नहीं भेजा जाएगा। देश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं श्रीखंड श्रीखंड यात्रा में हिमाचल के अलावा देश के कोने-कोने और नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इसलिए जिला प्रशासन और श्रीखंड ट्रस्ट के लिए लोगों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित करना चुनौती भरा होगा।