18वीं लोकसभा का पहला दिन…सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव सदन में एंट्री करते हैं। उनके एक हाथ में संविधान की प्रति, तो दूसरे में अवधेश प्रसाद का हाथ था। सदन में राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ अवधेश प्रसाद पहली कतार में बैठे दिखते हैं। 20 जुलाई को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने भी अवधेश प्रसाद को सम्मानित किया। अयोध्या यानी भगवान श्रीराम की नगरी से जीत हासिल करने वाले अवधेश प्रसाद सियासी सेलिब्रिटी बन गए हैं। विपक्षी दलों में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद सबसे ज्यादा किसी को अहमियत मिल रही है, तो वह हैं अवधेश प्रसाद। दिल्ली हो या मुंबई, बिहार हो या पुणे, हर जगह लोग उनसे मिलना चाहते हैं। उनका सम्मान करना चाहते हैं। देश ही नहीं, विदेश से भी अवधेश प्रसाद के पास फोन आ रहे हैं। 9 बार विधायक रहे और पहली बार सांसद बने अवधेश प्रसाद अचानक सपा की राजनीति के केंद्र में क्यों हैं? पढ़िए… पहले 3 तस्वीरों में देखिए अवधेश प्रसाद का कद अवधेश की अयोध्या जीत पर विदेशी मीडिया में क्या छपा?
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी खबर में लिखा था- नरेंद्र मोदी के चारों ओर अजेयता की आभा टूट गई है। मंगलवार (4 जून) को भाजपा ने अपनी सबसे पसंदीदा सीट अयोध्या खो दी है। यह यूपी से भाजपा के लिए चुनावी झटका है। पाकिस्तान अखबार डॉन ने लिखा- भाजपा ने अयोध्या में हार स्वीकार कर ली है, जहां राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था। राहुल गांधी कहते हैं कि मतदाताओं ने भाजपा को दंडित किया है। विशेष रूप से यूपी की अयोध्या सीट हार गई। वह निर्वाचन क्षेत्र, जहां भाजपा की प्रतिष्ठित परियोजना अयोध्या राम मंदिर है। यह कई लोगों के लिए झटका है। यही वजह है, अयोध्या जीत के बाद अवधेश प्रसाद की सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की संख्या बढ़ गई है। जीत से पहले फेसबुक पर उनके 30 हजार फॉलोअर्स थे, जो अब बढ़कर 40 हजार से ज्यादा हो गए हैं। वहीं, सोशल मीडिया X पर भी यह संख्या बढ़कर 20 हजार तक हो गई है। अवधेश के जरिए क्या हासिल करना चाहती है सपा?
79 साल के अवधेश प्रसाद की जीत ने समाजवादी पार्टी में एक अलग तरह का उत्साह पैदा कर दिया। जिस अयोध्या को भाजपा चुनाव से पहले भुनाने की कोशिश कर रही थी, उसी अयोध्या को सपा ने चुनाव के बाद केंद्र में रखा है। लोकसभा में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपना भाषण अयोध्या पर ही केंद्रित रखा। सपा अवधेश प्रसाद को एक आइकॉन के तौर पर पेश कर रही है। यही वजह है कि लोकसभा में अखिलेश यादव ने उन्हें अपने बगल में जगह दे रखी है। अवधेश प्रसाद को तरजीह देकर सपा एक साथ कई निशाने साध रही है। दो पॉइंट में जानिए क्या हासिल हो रहा है सपा को… 1- दलित वोट बैंक पर नजर
अखिलेश, अवधेश प्रसाद की अहमियत समझ रहे हैं। अवधेश के बहाने सपा दलित वोट बैंक को भी पूरी तरह से अपने साथ करने की कोशिश कर रही है। अवधेश प्रसाद को दलितों के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर पेश किया जा रहा है। PDA में D यानी दलित वोटर्स को यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि अवधेश प्रसाद को सपा में कितना सम्मान मिल रहा है। 2- भाजपा के हिंदुत्व के मुद्दे पर चोट
भाजपा हिंदुत्व का मुद्दा उठाती रही है। अयोध्या में राम मंदिर का श्रेय लेने में भी पीछे नहीं है। अयोध्या में भाजपा की हार हुई। भाजपा को हराने वाले अवधेश प्रसाद ही हैं। यही वजह है कि सपा उनको हाईलाइट कर भाजपा पर निशाना साध रही है। सपा दिखाना चाह रही है कि जिस अयोध्या (फैजाबाद) में रामलला काे स्थापित करके भाजपा हिंदू वोटर्स का ध्रुवीकरण कर रही थी, ये उसका जवाब है। अवधेश प्रसाद के जरिए पार्टी ‘कमंडल’ पर भारी पड़े ‘मंडल’ का संदेश देना चाह रही है। हर नेता दे रहा अवधेश प्रसाद को अहमियत
सपा प्रमुख अखिलेश यादव उन्हें अहमियत दे ही रहे हैं। अवधेश प्रसाद को हर नेता भी अहमियत दे रहा है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी उन्हें सम्मान देने का अवसर नहीं छोड़ रहे। लोकसभा में भाषण के दौरान राहुल गांधी ने जब अयोध्या का जिक्र किया तो बगल में बैठे सांसद अवधेश प्रसाद की तरफ मुखातिब होते हुए कहा कि सर, नमस्कार। उनसे हाथ भी मिलाया। अमेरिका से भी आया बुलावा
अवधेश प्रसाद को मुंबई के अलावा दिल्ली में कई अलग-अलग जगहों पर सम्मानित करने के लिए बुलाया जा चुका है। बिहार और पुणे से लेकर अमेरिका तक से उन्हें आमंत्रित किया गया। लेकिन, लोकसभा सत्र के चलते वह लोगों से हामी नहीं भर पाए। पढ़िए दैनिक भास्कर से खास बातचीत में अवधेश प्रसाद ने जो कहा? अवधेश प्रसाद ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। कई व्यक्तिगत बातें शेयर कीं। राजनीति से जुड़े सवालों पर भी खुलकर बोले। मिल्कीपुर से टिकट किसे मिलेगा, ये पूछने पर कहा- कार्यकर्ताओं को बता दिया है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद के बेटे को टिकट देने का वादा किया है। सवाल : अयोध्या सीट से सांसद बन गए हैं, क्या बदलाव आया?
अवधेश प्रसाद : मैं जैसा पहले था, वैसा ही अब भी हूं। यह बात अलग है कि पहले सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता था। अब एक लोकसभा क्षेत्र यानी पांच विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। सवाल : अयोध्या कितनी बार जाना हुआ?
अवधेश प्रसाद : मैं तो वहीं का रहने वाला हूं। वहीं साकेत कॉलेज में पढ़ा लिखा और बड़ा हुआ। वैसे चुनाव के बाद व्यस्तता के कारण अब तक केवल 4 बार ही अयोध्या जा सका हूं। सांसद होने के नाते मैं पूरी कोशिश करूंगा कि अयोध्या के लोगों की जो अपेक्षाएं हैं। उन पर मैं खरा उतर सकूं। सवाल : उप-चुनाव में सपा की क्या स्थिति है?
अवधेश प्रसाद : उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करेगी। सवाल : मिल्कीपुर से कौन चुनाव लड़ेगा?
अवधेश प्रसाद : यह निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का होगा। बीते दिनों मिल्कीपुर के कार्यकर्ताओं को बता दिया था कि किसे जिताकर भेजना है। मैं अपने मुंह से किसी का नाम नहीं लूंगा। जब प्रत्याशियों की सूची आएगी, आप लोग खुद देख लीजिएगा। सवाल : अयोध्या के मुद्दों को लेकर क्या कहेंगे? कैसे समाधान करेंगे?
अवधेश प्रसाद : अयोध्या की समस्याओं को हर मुनासिब जगह पर उठाएंगे। अयोध्या में विकास के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। जिस काम की निगरानी खुद मुख्यमंत्री हर महीने दो बार अयोध्या जाकर कर रहे थे, उस काम को गुजरात की ब्लैक-लिस्टेड कंपनी को दिया गया। इसकी जांच होनी चाहिए। लोकसभा में भी ये मुद्दा उठाया है। सवाल : उद्धव ठाकरे के साथ मुलाकात पर क्या कहेंगे?
अवधेश प्रसाद : बिना सपा प्रमुख की अनुमति के नहीं जा रहे हैं। अबू आसिम के कार्यक्रम के अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विशेष रूप से सम्मानित करने के लिए बुलाया था। उद्धव ठाकरे के साथ हुई मुलाकात पूरी तरह से शिष्टाचार मुलाकात थी, इसके कोई और मायने नहीं निकाले जाने चाहिए। अब बात उस सीट मिल्कीपुर की, जो अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद खाली हुई
अवधेश प्रसाद 2022 के विधानसभा चुनाव में फैजाबाद जिले की मिल्कीपुर (सुरक्षित) सीट से जीते थे। उन्होंने भाजपा के गोरखनाथ को 12 हजार 923 वोटों से हराया था। उप-चुनाव में अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को सपा के टिकट का सबसे तगड़ा दावेदार बताया जा रहा। सपा जिलाध्यक्ष पारसनाथ यादव ने भी उनके नाम को आगे बढ़ाया। हालांकि पार्टी आलाकमान का अभी तक कोई बयान अभी नहीं आया है। उधर, भाजपा की ओर से पूर्व विधायक और 2022 के चुनाव में प्रत्याशी रहे गोरखनाथ के अलावा भी कई दावेदार हैं। गोरखनाथ 2017 के विधानसभा चुनाव में 28 हजार से ज्यादा वोटों से जीतकर पहली बार विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर सीट पर भाजपा के लल्लू सिंह को सपा के अवधेश प्रसाद के मुकाबले 7 हजार 733 वोट कम मिले थे। ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट जीत पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। 18वीं लोकसभा का पहला दिन…सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव सदन में एंट्री करते हैं। उनके एक हाथ में संविधान की प्रति, तो दूसरे में अवधेश प्रसाद का हाथ था। सदन में राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ अवधेश प्रसाद पहली कतार में बैठे दिखते हैं। 20 जुलाई को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने भी अवधेश प्रसाद को सम्मानित किया। अयोध्या यानी भगवान श्रीराम की नगरी से जीत हासिल करने वाले अवधेश प्रसाद सियासी सेलिब्रिटी बन गए हैं। विपक्षी दलों में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद सबसे ज्यादा किसी को अहमियत मिल रही है, तो वह हैं अवधेश प्रसाद। दिल्ली हो या मुंबई, बिहार हो या पुणे, हर जगह लोग उनसे मिलना चाहते हैं। उनका सम्मान करना चाहते हैं। देश ही नहीं, विदेश से भी अवधेश प्रसाद के पास फोन आ रहे हैं। 9 बार विधायक रहे और पहली बार सांसद बने अवधेश प्रसाद अचानक सपा की राजनीति के केंद्र में क्यों हैं? पढ़िए… पहले 3 तस्वीरों में देखिए अवधेश प्रसाद का कद अवधेश की अयोध्या जीत पर विदेशी मीडिया में क्या छपा?
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी खबर में लिखा था- नरेंद्र मोदी के चारों ओर अजेयता की आभा टूट गई है। मंगलवार (4 जून) को भाजपा ने अपनी सबसे पसंदीदा सीट अयोध्या खो दी है। यह यूपी से भाजपा के लिए चुनावी झटका है। पाकिस्तान अखबार डॉन ने लिखा- भाजपा ने अयोध्या में हार स्वीकार कर ली है, जहां राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था। राहुल गांधी कहते हैं कि मतदाताओं ने भाजपा को दंडित किया है। विशेष रूप से यूपी की अयोध्या सीट हार गई। वह निर्वाचन क्षेत्र, जहां भाजपा की प्रतिष्ठित परियोजना अयोध्या राम मंदिर है। यह कई लोगों के लिए झटका है। यही वजह है, अयोध्या जीत के बाद अवधेश प्रसाद की सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की संख्या बढ़ गई है। जीत से पहले फेसबुक पर उनके 30 हजार फॉलोअर्स थे, जो अब बढ़कर 40 हजार से ज्यादा हो गए हैं। वहीं, सोशल मीडिया X पर भी यह संख्या बढ़कर 20 हजार तक हो गई है। अवधेश के जरिए क्या हासिल करना चाहती है सपा?
79 साल के अवधेश प्रसाद की जीत ने समाजवादी पार्टी में एक अलग तरह का उत्साह पैदा कर दिया। जिस अयोध्या को भाजपा चुनाव से पहले भुनाने की कोशिश कर रही थी, उसी अयोध्या को सपा ने चुनाव के बाद केंद्र में रखा है। लोकसभा में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपना भाषण अयोध्या पर ही केंद्रित रखा। सपा अवधेश प्रसाद को एक आइकॉन के तौर पर पेश कर रही है। यही वजह है कि लोकसभा में अखिलेश यादव ने उन्हें अपने बगल में जगह दे रखी है। अवधेश प्रसाद को तरजीह देकर सपा एक साथ कई निशाने साध रही है। दो पॉइंट में जानिए क्या हासिल हो रहा है सपा को… 1- दलित वोट बैंक पर नजर
अखिलेश, अवधेश प्रसाद की अहमियत समझ रहे हैं। अवधेश के बहाने सपा दलित वोट बैंक को भी पूरी तरह से अपने साथ करने की कोशिश कर रही है। अवधेश प्रसाद को दलितों के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर पेश किया जा रहा है। PDA में D यानी दलित वोटर्स को यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि अवधेश प्रसाद को सपा में कितना सम्मान मिल रहा है। 2- भाजपा के हिंदुत्व के मुद्दे पर चोट
भाजपा हिंदुत्व का मुद्दा उठाती रही है। अयोध्या में राम मंदिर का श्रेय लेने में भी पीछे नहीं है। अयोध्या में भाजपा की हार हुई। भाजपा को हराने वाले अवधेश प्रसाद ही हैं। यही वजह है कि सपा उनको हाईलाइट कर भाजपा पर निशाना साध रही है। सपा दिखाना चाह रही है कि जिस अयोध्या (फैजाबाद) में रामलला काे स्थापित करके भाजपा हिंदू वोटर्स का ध्रुवीकरण कर रही थी, ये उसका जवाब है। अवधेश प्रसाद के जरिए पार्टी ‘कमंडल’ पर भारी पड़े ‘मंडल’ का संदेश देना चाह रही है। हर नेता दे रहा अवधेश प्रसाद को अहमियत
सपा प्रमुख अखिलेश यादव उन्हें अहमियत दे ही रहे हैं। अवधेश प्रसाद को हर नेता भी अहमियत दे रहा है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी उन्हें सम्मान देने का अवसर नहीं छोड़ रहे। लोकसभा में भाषण के दौरान राहुल गांधी ने जब अयोध्या का जिक्र किया तो बगल में बैठे सांसद अवधेश प्रसाद की तरफ मुखातिब होते हुए कहा कि सर, नमस्कार। उनसे हाथ भी मिलाया। अमेरिका से भी आया बुलावा
अवधेश प्रसाद को मुंबई के अलावा दिल्ली में कई अलग-अलग जगहों पर सम्मानित करने के लिए बुलाया जा चुका है। बिहार और पुणे से लेकर अमेरिका तक से उन्हें आमंत्रित किया गया। लेकिन, लोकसभा सत्र के चलते वह लोगों से हामी नहीं भर पाए। पढ़िए दैनिक भास्कर से खास बातचीत में अवधेश प्रसाद ने जो कहा? अवधेश प्रसाद ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। कई व्यक्तिगत बातें शेयर कीं। राजनीति से जुड़े सवालों पर भी खुलकर बोले। मिल्कीपुर से टिकट किसे मिलेगा, ये पूछने पर कहा- कार्यकर्ताओं को बता दिया है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद के बेटे को टिकट देने का वादा किया है। सवाल : अयोध्या सीट से सांसद बन गए हैं, क्या बदलाव आया?
अवधेश प्रसाद : मैं जैसा पहले था, वैसा ही अब भी हूं। यह बात अलग है कि पहले सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता था। अब एक लोकसभा क्षेत्र यानी पांच विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। सवाल : अयोध्या कितनी बार जाना हुआ?
अवधेश प्रसाद : मैं तो वहीं का रहने वाला हूं। वहीं साकेत कॉलेज में पढ़ा लिखा और बड़ा हुआ। वैसे चुनाव के बाद व्यस्तता के कारण अब तक केवल 4 बार ही अयोध्या जा सका हूं। सांसद होने के नाते मैं पूरी कोशिश करूंगा कि अयोध्या के लोगों की जो अपेक्षाएं हैं। उन पर मैं खरा उतर सकूं। सवाल : उप-चुनाव में सपा की क्या स्थिति है?
अवधेश प्रसाद : उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करेगी। सवाल : मिल्कीपुर से कौन चुनाव लड़ेगा?
अवधेश प्रसाद : यह निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का होगा। बीते दिनों मिल्कीपुर के कार्यकर्ताओं को बता दिया था कि किसे जिताकर भेजना है। मैं अपने मुंह से किसी का नाम नहीं लूंगा। जब प्रत्याशियों की सूची आएगी, आप लोग खुद देख लीजिएगा। सवाल : अयोध्या के मुद्दों को लेकर क्या कहेंगे? कैसे समाधान करेंगे?
अवधेश प्रसाद : अयोध्या की समस्याओं को हर मुनासिब जगह पर उठाएंगे। अयोध्या में विकास के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। जिस काम की निगरानी खुद मुख्यमंत्री हर महीने दो बार अयोध्या जाकर कर रहे थे, उस काम को गुजरात की ब्लैक-लिस्टेड कंपनी को दिया गया। इसकी जांच होनी चाहिए। लोकसभा में भी ये मुद्दा उठाया है। सवाल : उद्धव ठाकरे के साथ मुलाकात पर क्या कहेंगे?
अवधेश प्रसाद : बिना सपा प्रमुख की अनुमति के नहीं जा रहे हैं। अबू आसिम के कार्यक्रम के अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विशेष रूप से सम्मानित करने के लिए बुलाया था। उद्धव ठाकरे के साथ हुई मुलाकात पूरी तरह से शिष्टाचार मुलाकात थी, इसके कोई और मायने नहीं निकाले जाने चाहिए। अब बात उस सीट मिल्कीपुर की, जो अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद खाली हुई
अवधेश प्रसाद 2022 के विधानसभा चुनाव में फैजाबाद जिले की मिल्कीपुर (सुरक्षित) सीट से जीते थे। उन्होंने भाजपा के गोरखनाथ को 12 हजार 923 वोटों से हराया था। उप-चुनाव में अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को सपा के टिकट का सबसे तगड़ा दावेदार बताया जा रहा। सपा जिलाध्यक्ष पारसनाथ यादव ने भी उनके नाम को आगे बढ़ाया। हालांकि पार्टी आलाकमान का अभी तक कोई बयान अभी नहीं आया है। उधर, भाजपा की ओर से पूर्व विधायक और 2022 के चुनाव में प्रत्याशी रहे गोरखनाथ के अलावा भी कई दावेदार हैं। गोरखनाथ 2017 के विधानसभा चुनाव में 28 हजार से ज्यादा वोटों से जीतकर पहली बार विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर सीट पर भाजपा के लल्लू सिंह को सपा के अवधेश प्रसाद के मुकाबले 7 हजार 733 वोट कम मिले थे। ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट जीत पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर