पंजाब की 42 म्युनिसिपल काउंसिल के चुनाव में हो रही देरी का मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है। आज वीरवार को होने वाली सुनवाई में पंजाब सरकार की तरफ से अपना पक्ष रख जाएगा। गत सुनवाई पर अदालत ने सरकार से इस संबंधी जवाब तलब किया था। इस मामले में मालेरकोटला निवासी बेअंत सिंह की तरफ से अदालत में जनहित याचिका दायर की गई है। चुनाव न होने से रुक गया विकास का काम बेअंत सिंह की तरफ से दायर याचिका में दलील दी गई है कि पंजाब की 42 म्युनिसिपल काउंसिल का कार्यकाल कई महीने पहले पूरा हो चुका है। कार्यकाल खत्म हुए दो साल से अधिक का समय हो गया है। लेकिन सरकार की तरफ से इनका चुनाव नहीं करवाया जा रहा है। इस वजह से इन नगर काउंसिलों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। लोगों को दिक्कत उठानी पड़ रही है। जारी हुई थी चुनाव की अधिसूचना याची की तरफ से अदालत में बताया गया कि एक अगस्त 2023 को स्थानीय निकाय विभाग ने म्युनिसिपल काउंसिल के चुनाव करवाने के लिए अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना के अनुसार चुनाव एक नवंबर 2023 के होने थे। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अभी यह मामला अधर में लटका हुआ है। हालांकि इससे पहले चार नगर निगमों के चुनाव में हाे रही देरी का मामला भी हाईकोर्ट पहुंचा था। उसमें भी अदालत ने सरकार से सारी प्लानिंग मांगी थी। पंजाब की 42 म्युनिसिपल काउंसिल के चुनाव में हो रही देरी का मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है। आज वीरवार को होने वाली सुनवाई में पंजाब सरकार की तरफ से अपना पक्ष रख जाएगा। गत सुनवाई पर अदालत ने सरकार से इस संबंधी जवाब तलब किया था। इस मामले में मालेरकोटला निवासी बेअंत सिंह की तरफ से अदालत में जनहित याचिका दायर की गई है। चुनाव न होने से रुक गया विकास का काम बेअंत सिंह की तरफ से दायर याचिका में दलील दी गई है कि पंजाब की 42 म्युनिसिपल काउंसिल का कार्यकाल कई महीने पहले पूरा हो चुका है। कार्यकाल खत्म हुए दो साल से अधिक का समय हो गया है। लेकिन सरकार की तरफ से इनका चुनाव नहीं करवाया जा रहा है। इस वजह से इन नगर काउंसिलों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। लोगों को दिक्कत उठानी पड़ रही है। जारी हुई थी चुनाव की अधिसूचना याची की तरफ से अदालत में बताया गया कि एक अगस्त 2023 को स्थानीय निकाय विभाग ने म्युनिसिपल काउंसिल के चुनाव करवाने के लिए अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना के अनुसार चुनाव एक नवंबर 2023 के होने थे। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अभी यह मामला अधर में लटका हुआ है। हालांकि इससे पहले चार नगर निगमों के चुनाव में हाे रही देरी का मामला भी हाईकोर्ट पहुंचा था। उसमें भी अदालत ने सरकार से सारी प्लानिंग मांगी थी। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
SIT के सामने आज बिक्रम मजीठिया की पेशी:पहुंचेंगे या नहीं, संशय बरकरार; सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर दो बार कर चुके इनकार
SIT के सामने आज बिक्रम मजीठिया की पेशी:पहुंचेंगे या नहीं, संशय बरकरार; सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर दो बार कर चुके इनकार पटियाला में जांच कमेटी (एसआईटी) के समक्ष आज मंगलवार अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम मजीठिया के पेश होने पर संशय बना हुआ है। 20 जुलाई को भी मजीठिया को जांच के लिए बुलाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का हवाला देते हुए बिक्रम मजीठिया ने SIT के सामने पेश होने से इनकार कर दिया था। मजीठिया की ओर से पटियाला में एसआईटी को भेजे गए जवाब में कहा गया है कि 23 जुलाई को नियमित जमानत को लेकर उनकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी करनी है और इसके लिए वह नई दिल्ली में हैं। जिसके चलते उनकी तारीख 23 जुलाई के बाद रखी जाए। जिसके बाद एसआईटी ने फिर 30 जुलाई के लिए दोबारा समन भेजा। एसआईटी पर भी सवाल उठा चुके बिक्रम मजीठिया वहीं, दो सप्ताह पहले मानहानी केस की सुनवाई के दौरान अमृतसर में कोर्ट में पहुंचने के बाद मजीठिया ने एसआईटी पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। उन्होंने कहा था कि एसआईटी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के हाथों की कठपुतली है। गृह मंत्रालय भगवंत मान के पास है और पुलिस अधिकारियों के तबादले की जिम्मेदारी भी भगवंत मान के पास है। उनकी जांच डीजीपी स्तर से शुरू हुई और अब जांच इंस्पेक्टर स्तर तक पहुंच गई है। समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी पिछले महीने SIT ने बिक्रम सिंह मजीठिया को नोटिस जारी किया था, तब उन्होंने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कोर्ट से कहा था कि उन्हें बार-बार समन भेजकर परेशान किया जा रहा है। हालांकि, हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिल गई थी। कोर्ट ने 8 जुलाई तक एसआईटी को उनसे पूछताछ करने से रोक दिया था। लेकिन जब, 8 जुलाई को दोबारा सुनवाई हुई तो SIT ने जारी समन वापस ले लिया। इसके बाद उन्हें 18 जुलाई के लिए दोबारा सम्मन जारी किया गया, लेकिन उस दिन भी उन्होंने अमृतसर में कोर्ट की तारीख की बात कह कर जाने से इनकार कर दिया। कांग्रेस सरकार के दौरान दर्ज हुआ था मामला पुलिस ने मजीठिया के खिलाफ यह मामला 3 साल पहले कांग्रेस सरकार के दौरान 20 दिसंबर 2021 को दर्ज किया था। इसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। 5 महीने जेल में रहने के बाद मजीठिया को 10 अगस्त 2022 को जमानत मिल गई। मजीठिया ने आरोप लगाया है कि जिस मामले में वह जेल में रहे हैं, उसमें अभी तक कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। वहीं, मामले में उनसे कोई रिकवरी भी नहीं हुई है।
200 से ज्यादा बच्चों ने सीखे पढ़ाई के आसान तरीके, डांस और फन गेम्स में भी लिया हिस्सा
200 से ज्यादा बच्चों ने सीखे पढ़ाई के आसान तरीके, डांस और फन गेम्स में भी लिया हिस्सा भास्कर न्यूज | जालंधर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान नूरमहल आश्रम में 13-16 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए समर वर्कशॉप आयोजित की गई। इसमें 200 से अधिक बच्चों ने भाग लिया। कैंप में बच्चों को डांस, फन गेम्स समेत तमाम गतिविधियां कराईं गईं। इसके साथ ही उनको सरल माध्यम से पढ़ाई करने के कई तरीके भी बताए गए। वर्कशॉप के पहले दिन साध्वी राजविंदर भारती ने बताया कि अधिकतर विद्यार्थी पढ़ाई को मुश्किल मानते हैं। उन्हें पढ़ाई करना बोरिंग लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण है उन्हें सही ढंग से पढ़ाई करने के तरीके का पता न होना। वो पढ़ाई में विषयों को रट्टा लगाते हैं उन्हें समझकर नहीं पढ़ते। उन्होंने कहा कि अगर पढ़ाई विजुलाइजेशन, क्रिएटिविटी और प्रैक्टिकल के जरिए कराई जाए तो इससे बच्चों को अधिक आसानी होगी। वहीं साध्वी मनेन्द्रा भारती ने बच्चों को व्यक्तित्व शाला के प्रति प्रशिक्षित करते हुए जीवन के श्रेष्ठ मंत्र बताए। उन्होंने उन्होंने एक्टिविटी के माध्यम से बच्चों को उचित और अनुचित की पहचान करवाते हुए अश्लीलता, बुराई, झूठ, मोबाइल के गलत उपयोग इत्यादि से दूर रहकर श्रेष्ठ आचरण जीने का मंत्र सिखाया। साध्वी ने कहा कि अपनी गलतियों को हमेशा स्वीकार करते हुए, जहां से भी आपको कुछ अच्छा सीखने को मिले उसके लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। बच्चों को हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि सबसे पहले आपका परिवार ही आता है जहां आपकी कमजोरी ताकत में परिवर्तित हो सकती है। क्योंकि आज के आधुनिक युग मे बच्चे मोबाइल पर गेम्स खेल कर, वीडियो देखकर अपने घंटों बर्बाद कर देते हैं। इसके कारण बच्चे बहुत चिड़चड़े होते जा रहे हैं। उन्होंने बताया की ऐसी बुरी आदतों का क्षणिक आनंद आप के पूरे जीवन को बर्बाद कर सकती है। इसलिए इस उम्र में कुछ अच्छा ग्रहण करने में थोड़ी मेहनत जरूर लगेगी किन्तु आपका पूरा जीवन आनंद भरपूर हो जाएगा।
निकाय चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी पंजाब सरकार:बिना वार्डबंदी चुनाव करवाने को तैयार नहीं, हाइकोर्ट के आदेश को देगी चुनौती
निकाय चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी पंजाब सरकार:बिना वार्डबंदी चुनाव करवाने को तैयार नहीं, हाइकोर्ट के आदेश को देगी चुनौती पंजाब में निकाय चुनाव करवाने के मामले को लेकर अब राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। सरकार वार्डबंदी करवाने के बाद ही चुनाव करवाना चाहती है। इसके लिए जल्दी ही सरकार द्वारा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी। सरकार की तरफ से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश की कॉपी की स्टडी की जा रही है। पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने मीडिया से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उनका कहना है कि कई नगर निगमों व नगर काउंसिलों में वार्डबंदी हो चुकी है, जबकि कुछ जगह चल रही है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जनवरी व फरवरी अंत तक पूरी हो जाएगी। बाकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तय होगा। इससे पहले वीरवार को निकाय चुनाव को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए पंजाब सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग को अवमानना का नोटिस जारी किया था। उन पर उच्च अदालत के आदेशों की पालन न करने का आरोप है। अदालत ने पहले 15 दिन में निकाय चुनाव करवाने संबंधी नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश पंजाब सरकार व स्टेट निर्वाचन आयोग को दिए थे। लेकिन इस दिशा में काेई कार्रवाई नहीं हुई है। जिसके बाद अदालत में इस संबंधी याचिका दायर हुई है। अदालत ने अब अपने आदेश में कहा है कि 10 दिनों में नोटिफिकेशन जारी नहीं हुई तो 50 हजार का जुर्माना लगेगा, साथ ही अवमानना का केस चलेगा। 5 निगमों और 42 परिषदों का कार्यकाल हुआ पूरा राज्य में फगवाड़ा, अमृतसर, पटियाला, जालंधर, लुधियाना नगर निगमों और 42 नगर परिषदों का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इस समय को पूरा हुए काफी समय बीत गया है। लेकिन सरकार ने अभी तक चुनाव नहीं करवाए हैं। चुनाव की मांग को लेकर यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा था। गत 14 अक्टूबर को सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिए थे कि चुनाव संबंधी नोटिफिकेशन बिना वार्डबंदी से 15 दिनों में जारी की जाए। लेकिन तय समय अवधि यह प्रक्रिया नहीं हुई। इस दौरान बीच में सरकारी छुटि्टयां भी आ गई थी। इसके बाद इसी मामले लेकर अवमानना की याचिका दाखिल हुई थी। जिस पर सुनवाई देते हुए उच्च अदालत ने आदेश जारी किए हैं। वार्डबंदी के लिए 16 सप्ताह की जरूरत गत सुनवाई पर सरकारी वकील की तरफ से अदालत में दलील थी वार्डबंदी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कुल 16 सप्ताह की जरूरत है। उन्होंने अदालत को बताया कि वार्डबंदी संबंधी फैसला पिछली बार 17 अक्टूबर 2023 को रद्द किया गया था। ऐसे में नए सिरे से वार्डबंदी की काफी जरूरत है। हालांकि अदालत ने बिना वार्डबंदी चुनाव करवाने को कहा था। वहीं, याचिका में निकाय चुनाव न होने से लोगों को आ रही दिक्कतों को भी उठाया गया था।