देश के साथ हिमाचल प्रदेश में भी कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। इस लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के 527 वीर सपूतों में 52 देवभूमि हिमाचल प्रदेश के थे। इसी वजह से हिमाचल को देवभूमि के साथ साथ वीरभूमि कहा जाता है। 25 मई से 26 जुलाई 1999 के बीच पाकिस्तान के साथ चली जंग में बलिदान देने वाले इन वीरभूमि के इन सपूतों को आज प्रदेश में याद किया जा रहा है और श्रद्धांजलि दी जा रही है। कारगिल युद्ध में सेना के सर्वोच्च सम्मान 2 परमवीर चक्र समेत अनेकों चक्र हिमाचल के वीरों के कंधे पर सुसज्जित हैं। कैप्टन विक्रम बतरा को (मरणोपरांत) और राइफलमैन संजय कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस युद्ध में शहादत पाने वालों में कांगड़ा जिले के 15 जवान, मंडी के 10, हमीरपुर के 8, बिलासपुर 7, शिमला 4, ऊना, सोलन व सिरमौर के 2-2 तथा चंबा व कुल्लू जिले से 1-1 जवान शामिल थे। बतरा ने 5140 चोटी से कहा, यह दिल मांगे मोर इस युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा की गर्जन से दहशत में आ जाती थी। पहली जून 1999 को उनकी टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प व रॉकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग की सबसे महत्वपूर्ण 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने की जिम्मेदीरी कैप्टन विक्रम बतरा को सौंपी गई। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद विक्रम बतरा अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 की सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर 5140 चोटी को अपने कब्जे में ले लिया। विक्रम बतरा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय उद्घोष यह दिल मांगे मोर कहा तो सेना ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में उनका नाम छा गया। देवभूमि के इस सपूत को 15 दिन बंधी बनाकर दी अमानवीय यातनाएं कारगिल युद्ध में पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी सैनिकों ने 15 दिनों तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उन्हें कई अमानवीय यातनाएं दी गईं और वह अपनी पहली सैलरी लेने से पहले शहीद हो गए थे। शहादत के वक्त उनकी उम्र मात्र 22 साल थी। आज पूरा देश उन्हें इस शहादत के लिए याद कर रहा है। वीर सपूतों की कहानी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (युद्ध सेवा मेडल) सेवानिवृत कारगिल हीरो ने बताया कि उनके पास 18 ग्रेनेडियर की कमान थी। हमारी युद्ध यूनिट ने तोलोलिंग की पहाड़ी और करगिल की पहाड़ी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराई थी। 18 ग्रेनेडियर की इस यूनिट को 52 वीरता पुरस्कार मिले थे, जो अब तक का मिलिट्री इतिहास है। जब तोलोलिंग पर दुश्मन के साथ संघर्ष चल रहा था तो हमारे उपकमान अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल आर विश्वनाथन मेरी ही गोद में वीरगति को प्राप्त हुए। उस दृश्य को याद करता हूं तो सिहर उठता हूं। करगिल का युद्ध इतना कठिन था कि वहां छिपने के लिए खाली व सूखी पहाड़ियों के अलावा तिनका तक भी नहीं था। तोलोलिंग की लड़ाई हमने 22 दिन तक लड़ी। उसके बाद यूनिट ने द्रास सेक्टर की सबसे मुश्किल और मशहूर चोटी टाइगर हिल्स फतह की। करगिल की लड़ाई में मेरी यूनिट 18 ग्रेनेडियर को 52 वीरता पुरस्कार दिए गए। उन्होंने बताया कि आज भी उस घटनाक्रम को याद करता हूं तो रोमांच व साहस से भर जाता हूं। कारगिल युद्ध में शहादत पाने वाले 52 जवान… पहाड़ सा शौर्य, फिर भी अपनी रेजिमेंट नहीं हिमाचल का यह दुर्भाग्य है कि सेना के पहले परमवीर चक्र विजेता राज्य को आजादी के 77 साल बाद भी सेना की रेजिमेंट नहीं मिल पाई। कांगड़ा के मेजर सोमनाथ शर्मा ने पहला परमवीर चक्र मेडल हासिल कर हिमाचल के साहस की पहचान को शिखर पर पहुंचाया था। मेजर सोमनाथ के अलावा पालमपुर के कैप्टन विक्रम बतरा, धर्मशाला के लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस थापा और बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार ने परमवीर चक्र हासिल कर अदम्य साहस की परंपरा को आगे बढ़ाया। इसी तरह 1200 से ज्यादा गैलेंटरी अवार्ड और तमाम अवार्ड हिमाचल के रणबांकुरों के नाम हैं। फिर भी राज्य की अपनी रेंजिमेंट की कमी आज भी खल रही है। देश के साथ हिमाचल प्रदेश में भी कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। इस लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के 527 वीर सपूतों में 52 देवभूमि हिमाचल प्रदेश के थे। इसी वजह से हिमाचल को देवभूमि के साथ साथ वीरभूमि कहा जाता है। 25 मई से 26 जुलाई 1999 के बीच पाकिस्तान के साथ चली जंग में बलिदान देने वाले इन वीरभूमि के इन सपूतों को आज प्रदेश में याद किया जा रहा है और श्रद्धांजलि दी जा रही है। कारगिल युद्ध में सेना के सर्वोच्च सम्मान 2 परमवीर चक्र समेत अनेकों चक्र हिमाचल के वीरों के कंधे पर सुसज्जित हैं। कैप्टन विक्रम बतरा को (मरणोपरांत) और राइफलमैन संजय कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस युद्ध में शहादत पाने वालों में कांगड़ा जिले के 15 जवान, मंडी के 10, हमीरपुर के 8, बिलासपुर 7, शिमला 4, ऊना, सोलन व सिरमौर के 2-2 तथा चंबा व कुल्लू जिले से 1-1 जवान शामिल थे। बतरा ने 5140 चोटी से कहा, यह दिल मांगे मोर इस युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा की गर्जन से दहशत में आ जाती थी। पहली जून 1999 को उनकी टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प व रॉकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग की सबसे महत्वपूर्ण 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने की जिम्मेदीरी कैप्टन विक्रम बतरा को सौंपी गई। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद विक्रम बतरा अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 की सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर 5140 चोटी को अपने कब्जे में ले लिया। विक्रम बतरा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय उद्घोष यह दिल मांगे मोर कहा तो सेना ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में उनका नाम छा गया। देवभूमि के इस सपूत को 15 दिन बंधी बनाकर दी अमानवीय यातनाएं कारगिल युद्ध में पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी सैनिकों ने 15 दिनों तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उन्हें कई अमानवीय यातनाएं दी गईं और वह अपनी पहली सैलरी लेने से पहले शहीद हो गए थे। शहादत के वक्त उनकी उम्र मात्र 22 साल थी। आज पूरा देश उन्हें इस शहादत के लिए याद कर रहा है। वीर सपूतों की कहानी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (युद्ध सेवा मेडल) सेवानिवृत कारगिल हीरो ने बताया कि उनके पास 18 ग्रेनेडियर की कमान थी। हमारी युद्ध यूनिट ने तोलोलिंग की पहाड़ी और करगिल की पहाड़ी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराई थी। 18 ग्रेनेडियर की इस यूनिट को 52 वीरता पुरस्कार मिले थे, जो अब तक का मिलिट्री इतिहास है। जब तोलोलिंग पर दुश्मन के साथ संघर्ष चल रहा था तो हमारे उपकमान अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल आर विश्वनाथन मेरी ही गोद में वीरगति को प्राप्त हुए। उस दृश्य को याद करता हूं तो सिहर उठता हूं। करगिल का युद्ध इतना कठिन था कि वहां छिपने के लिए खाली व सूखी पहाड़ियों के अलावा तिनका तक भी नहीं था। तोलोलिंग की लड़ाई हमने 22 दिन तक लड़ी। उसके बाद यूनिट ने द्रास सेक्टर की सबसे मुश्किल और मशहूर चोटी टाइगर हिल्स फतह की। करगिल की लड़ाई में मेरी यूनिट 18 ग्रेनेडियर को 52 वीरता पुरस्कार दिए गए। उन्होंने बताया कि आज भी उस घटनाक्रम को याद करता हूं तो रोमांच व साहस से भर जाता हूं। कारगिल युद्ध में शहादत पाने वाले 52 जवान… पहाड़ सा शौर्य, फिर भी अपनी रेजिमेंट नहीं हिमाचल का यह दुर्भाग्य है कि सेना के पहले परमवीर चक्र विजेता राज्य को आजादी के 77 साल बाद भी सेना की रेजिमेंट नहीं मिल पाई। कांगड़ा के मेजर सोमनाथ शर्मा ने पहला परमवीर चक्र मेडल हासिल कर हिमाचल के साहस की पहचान को शिखर पर पहुंचाया था। मेजर सोमनाथ के अलावा पालमपुर के कैप्टन विक्रम बतरा, धर्मशाला के लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस थापा और बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार ने परमवीर चक्र हासिल कर अदम्य साहस की परंपरा को आगे बढ़ाया। इसी तरह 1200 से ज्यादा गैलेंटरी अवार्ड और तमाम अवार्ड हिमाचल के रणबांकुरों के नाम हैं। फिर भी राज्य की अपनी रेंजिमेंट की कमी आज भी खल रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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किसान महिंदर कौर ने कहा- सरकार किसानों की जायदाद खोना चाहती थी। किसान भूखे-प्यासे धरने पर जाते थे। न उन्हें दिन अच्छा लगता था न रात। बारिश-धूप सब कुछ सहा। किसान बहुत परेशान हुए। साल दिल्ली बैठे रहे। किसानों से खेत छीन लेते तो उनके पास क्या रह जाता?। यह तो मरने जैसा था। 2. केस किया तो कंगना बोली- मैं बहुत तगड़ी हूं
कंगना ने कहा कि 100 रुपए लेकर 80-80 साल की बुजुर्ग औरतें आ जाती हैं। मैंने केस किया था। कंगना कहती है कि वह बहुत तगड़ी है। अदालतों के काम लंबे होते हैं। वह भी सिरे चढ़ जाएगा। 3. थप्पड़ मारने वाली बहादुर बेटी
मोहिंदर कौर ने कहा- कंगना रनोट को थप्पड़ मारने वाली तो बहादुर बेटी है। उसे कोई तकलीफ नहीं आएगी। जिस मां ने ऐसी बेटी को जन्म दिया, बिल्कुल शेर बच्ची है। उसने सबक सिखाया कि अच्छा बोले। सांसद बन गई, अभी भी बोलना नहीं आता। वह कंगना को बोलना सिखा रही थी। 4. किसान तो मेहनत करता है, आतंकवादी कैसे?
मोहिंदर कौर ने कहा- कंगना अभी भी किसानों को आतंकवादी कह रही है। किसान तो खेतीबाड़ी करते हैं। किसान तो दिन-रात मेहनत करता है। किसानों को कुलविंदर का साथ देना चाहिए। जरूरत पड़ी तो उससे पहले जेल जाना चाहिए। मैं भी कुलविंदर कौर के लिए जेल जाने को तैयार हूं। पढ़िए, कंगना को वह बयान, जिसकी वजह से थप्पड़कांड हुआ
कंगना ने 27 नवंबर 2020 को रात 10 बजे फोटो को पोस्ट किया और लिखा था कि किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई महिला वही मशहूर बिलकिस दादी है, जो शाहीन बाग के प्रदर्शन में थी। जो 100 रुपए लेकर उपलब्ध है। हालांकि, बाद में कंगना ने पोस्ट डिलीट कर दिया था, लेकिन कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस पोस्ट को खूब शेयर किया था। कंगना का वह पोस्ट, जिसमें महिला को 100 रुपए लेकर धरने पर बैठने वाली लिखा था जिस महिला पर कंगना ने कमेंट किया था, वे बठिंडा के गांव बहादुरगढ़ जंडिया की रहने वाली मोहिंदर कौर थी। उन्होंने इस मामले के बाद बठिंडा कोर्ट में कंगना के खिलाफ मानहानि का दावा कर दिया। 4 जनवरी 2021 को कोर्ट में केस दायर किया था। इसकी करीब 13 महीने सुनवाई चली और इसके बाद कंगना को इस मामले में समन भी किया गया था। याचिका में मानसिक परेशान करने के लगे थे आरोप
कंगना रनोट ने किसान आंदोलन में शामिल बुजुर्ग महिला किसान मोहिंदर कौर को बिलकिस बानो समझ लिया था, जो शाहीन बाग में एंटी CAA प्रोटेस्ट का चेहरा रहीं। मोहिंदर कौर ने कहा कि कंगना ने उनकी तुलना किसी दूसरी महिला से की। कंगना के ट्वीट से उन्हें मानसिक परेशानी हुई। परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों, ग्रामीणों और आम लोगों के बीच उनकी छवि को ठेस पहुंची। कीरतपुर साहिब में हुआ था कंगना का विरोध
इससे 3 साल पहले कंगना रनोट को किसानों ने कीरतपुर साहिब में भी घेर लिया था। कंगना हिमाचल में अपने घर से मुंबई के लिए रवाना हुई थी। जब कंगना का काफिला चंडीगढ़-ऊना हाइवे पर पहुंचा तो वहां पहले से किसान जमा थे। उन्होंने पुलिस से पूछा और पता चला कि गाड़ी में कंगना रनोट भी बैठी हुई है। इसके बाद किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने कंगना की गाड़ी घेर ली। यह घेराव चंडीगढ़-ऊना नेशनल हाइवे पर कीरतपुर साहिब में किया गया था। जिसके बाद वहां कंगना गाड़ी से बाहर निकली और माफी मांगी। किसान फिर मोरिंडा टोल प्लाजा पर जमा हुए तो पुलिस ने उन्हें गांवों के रास्ते निकालकर चंडीगढ़ पहुंचाया था। कंगना ने कहा था- मेरी मॉब लिंचिंग हो रही
कंगना रनोट ने वीडियो जारी कर कहा था कि खुद को किसान कहने वालों ने मुझे घेर लिया है। मुझे गाली दे रहे हैं। सिक्योरिटी होने के बाद भी मेरे साथ यह सब हो रहा है। पुलिस होने के बावजूद मुझे रोका गया है। उन्होंने कहा कि भरोसा नहीं हो रहा कि मुझे यहां से नहीं निकलने दिया जा रहा। मेरे साथ सरेआम मॉब लिंचिंग हो रही है। मैं कोई नेता नहीं हूं और न ही कोई पार्टी चलाती हूं। ये भी पढ़ें… कंगना को थप्पड़ मारने वाली CISF कांस्टेबल गिरफ्तार:किसान नेताओं की मांग- एक्ट्रेस का डोप टेस्ट हो; महिला आयोग बोला- जिम्मेदार ही उल्लंघन कर रहे कौन है कुलविंदर कौर, जिसने कंगना रनोट को थप्पड़ मारा:कपूरथला की रहने वाली, जम्मू में शादी हुई, 2 छोटे बच्चे, पति भी CISF में
हिमाचल सरकार ने बदले 2 IPS अफसर:अभिषेक एस को एसपी किन्नौर बनाया, सृष्टि पांडे को पुलिस मुख्यालय में तैनाती
हिमाचल सरकार ने बदले 2 IPS अफसर:अभिषेक एस को एसपी किन्नौर बनाया, सृष्टि पांडे को पुलिस मुख्यालय में तैनाती हिमाचल सरकार ने शुक्रवार को दो आईपीएस अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए हैं। सरकार ने पुलिस अधीक्षक किन्नौर एवं 2018 बैच की आईपीएस सृष्टि पांडे को एसपी लीव रिजर्व पुलिस मुख्यालय शिमला के लिए ट्रांसफर किया है। राजभवन में राज्यपाल के एडीसी एवं 2019 बैच के आईपीएस अभिषेक एस को किन्नौर जिले का नया एसपी बनाया गया है। इसे लेकर मुख्य सचिव पर प्रभात सक्सेना ने आदेश जारी कर दिया है।
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शिमला में नगर निगम ने तय किये घुड़सवारी की रेट:पर्यटकों से वसूला जाता था मनमाना दाम, घोड़ा संचालकों की मनमानी होगी बंद हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला विश्व विख्यात प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यहाँ देश व दुनिया भर से हर साल लाखों पयर्टक घूमने आते हैं। शिमला के सुहाने मौसम में पर्यटक अक्सर रिज पर घुड़सवारी का आनंद लेते हुए नजर आते है। लेकिन रिज पर घोड़ों का काम करने वाले घोड़ा संचालकों के खिलाफ नगर निगम शिमला को पर्यटकों से लगातार मनमाने दाम वसूलने की शिकायतें मिल रही थी। जिसके बाद MC प्रशासन हरकत में आ गया है। नगर निगम ने घोड़ा संचालकों के लिए घुड़सवारी की नई रेट लिस्ट जारी कर दी है। इसके बाद घोड़ा संचालक अब तय दामों से ज्यादा रेट नही वसूल पाएंगे। लोगों ने की थी शिकायत
सोमवार को नगर निगम ने रिज मैदान पर रेट लिस्ट लगा दी है। ऐसे में अब घोड़ा संचालक बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों से भारी भरकम रेट नहीं वसूल पाएंगे। इस रेट लिस्ट के तहत लोग 50 रुपए से लेकर 150 रुपए चक्कर के हिसाब से पैसे देंगे। दरअसल नगर निगम शिमला को लोगों द्वारा शिकायतें मिल रही थी। लोगों का कहना था कि घोड़ा संचालक अपनी मनमानी कर रहे हैं। यह मनमाने दामों पर रेट वसूल रहे हैं। जिस कारण लोगों को घुड़सवारी करने के लिए सोचना पड़ रहा है। नगर निगम को देना पड़ता है फीस
लोगों की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए नगर निगम ने रेट लिस्ट जारी कर दी है। अब शिमला में घोड़ा संचालक मनमाने दामों पर रेट वसूल नहीं पाएंगे। नगर निगम शिमला के तहत रिज मैदान पर 23 घोड़ा संचालक पंजीकृत हैं। इससे पहले इनकी संख्या 15 थी। कुछ समय पहले नगर निगम के पास 8 घोड़ा संचालकों के आवेदन आए थे। जिसके बाद इनकी संख्या 23 हो गई है। नगर निगम इनसे सालाना 5 हज़ार रुपए लाइसेंस फीस वसूलता है। उलंघन करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई
नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर भुवन शर्मा ने बताया कि शिमला के रिज पर घोड़ा संचालकों द्वारा मनमाने दाम वसूलने की शिकायतें मिल रही थी। जिसके बाद रेट लिस्ट जारी कर रिज पर लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले घोड़ा संचालकों के खिलाफ नगर निगम प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा।