हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों में आज भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। यह अलर्ट ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, सोलन और सिरमौर जिलों को दिया गया है। इन जिलों में कुछ ही स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। अन्य जिलों में आसमान में हल्के बादल छाए रहेंगे। कई स्थानों पर हल्की बूंदाबांदी हो सकती है। इस बार राज्य में मानसून की शुरुआत से ही सुस्ती रही है। एक जून से 25 जुलाई तक पूरे मानसून सीजन के दौरान मात्र 183.8 मिमी बारिश हुई है, जबकि इस दौरान सामान्य बारिश 302.4 मिमी होती है। इस लिहाज से इस बार बादल सामान्य से 38 फीसदी कम बरसे हैं। राज्य में एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां सामान्य से अधिक बारिश हुई हो। इसके चलते कुछ इलाकों में लोग बरसात के मौसम में भी बारिश से परहेज कर रहे हैं। इसका असर कृषि उपज और सेब की फसल पर पड़ने लगा है। सूखे के कारण सेब अच्छे आकार में नहीं उग पा रहे हैं। सेब के दाने फटने लगे हैं। प्रदेश के 80 फीसदी से ज्यादा बगीचे बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। 47 सड़कें वाहनों के लिए बंद प्रदेश में पिछले 24 घंटों में हुई बारिश के कारण 47 सड़कें वाहनों के लिए बंद हैं। इनमें से हमीरपुर जोन में सबसे ज्यादा 20, मंडी जोन में 14, शिमला जोन में 4 और कांगड़ा जोन में 10 सड़कें बंद हैं। मानसून सीजन में 390 करोड़ की संपत्ति नष्ट हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन में बारिश के कारण 390 करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति नष्ट हो गई है। अकेले लोक निर्माण विभाग को सबसे ज्यादा 157 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य में भारी बारिश के कारण 14 मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि 73 मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। मौसम विभाग के अनुसार, आज के मुकाबले कल अधिक स्थानों पर बारिश का अनुमान है। इसे देखते हुए कल के लिए सात जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है। हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों में आज भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। यह अलर्ट ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, सोलन और सिरमौर जिलों को दिया गया है। इन जिलों में कुछ ही स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। अन्य जिलों में आसमान में हल्के बादल छाए रहेंगे। कई स्थानों पर हल्की बूंदाबांदी हो सकती है। इस बार राज्य में मानसून की शुरुआत से ही सुस्ती रही है। एक जून से 25 जुलाई तक पूरे मानसून सीजन के दौरान मात्र 183.8 मिमी बारिश हुई है, जबकि इस दौरान सामान्य बारिश 302.4 मिमी होती है। इस लिहाज से इस बार बादल सामान्य से 38 फीसदी कम बरसे हैं। राज्य में एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां सामान्य से अधिक बारिश हुई हो। इसके चलते कुछ इलाकों में लोग बरसात के मौसम में भी बारिश से परहेज कर रहे हैं। इसका असर कृषि उपज और सेब की फसल पर पड़ने लगा है। सूखे के कारण सेब अच्छे आकार में नहीं उग पा रहे हैं। सेब के दाने फटने लगे हैं। प्रदेश के 80 फीसदी से ज्यादा बगीचे बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। 47 सड़कें वाहनों के लिए बंद प्रदेश में पिछले 24 घंटों में हुई बारिश के कारण 47 सड़कें वाहनों के लिए बंद हैं। इनमें से हमीरपुर जोन में सबसे ज्यादा 20, मंडी जोन में 14, शिमला जोन में 4 और कांगड़ा जोन में 10 सड़कें बंद हैं। मानसून सीजन में 390 करोड़ की संपत्ति नष्ट हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन में बारिश के कारण 390 करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति नष्ट हो गई है। अकेले लोक निर्माण विभाग को सबसे ज्यादा 157 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य में भारी बारिश के कारण 14 मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि 73 मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। मौसम विभाग के अनुसार, आज के मुकाबले कल अधिक स्थानों पर बारिश का अनुमान है। इसे देखते हुए कल के लिए सात जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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ज्वालामुखी दरबार 100 क्वींटल फूलों से सजा:मनाया जा रहा है प्रकटोत्सव, अर्पित किए जांगे 56 भोग, देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालु
ज्वालामुखी दरबार 100 क्वींटल फूलों से सजा:मनाया जा रहा है प्रकटोत्सव, अर्पित किए जांगे 56 भोग, देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालु विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में आषाढ़ मास शुल्क पक्ष में परंपरानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान मां ज्वाला का प्रकटोत्सव मनाया जा रहा है। श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा से मां ज्वाला को भोग प्रसाद भेंट कर रहे हैं। मां ज्वाला के प्रकटोत्सव के पावन दिवस पर मंदिर को 100 क्वींटल फूलों से सजाया गया है। रंग बिरंगी लाईटें भी लगाई गई हैं, ताकि मां ज्वाला का दरबार कि भव्यता और ज्यादा दिव्य रुप में दिखाई दे। इसके अलावा मां ज्वाला के प्रकटोत्सव पर मंदिर में मैया को विभिन्न प्रकार के 56 भोग अर्पित किए जाएंगे। 51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि है मां ज्वाला का स्थान हिमाचल के विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर सैकड़ों वर्षो से साक्षात रुप में चमत्कारी ज्योतियों के रुप में मां ज्वाला दर्शन देती हैं। यह शक्तिपीठ अपने आप में इसलिए अनूठा है, क्योंकि यहां पर मूर्ति पूजा नहीं होती। मां ज्वाला के मंदिर में यह साक्षात ज्योति अपने ओज से वर्षोंत् से प्रकाशमान हो रही हैं। देश हो या विदेश मां ज्वाला देवी के दर्शनों के लिए वर्षों से करोड़ों श्रद्धालु इस स्थान पर आज के वैज्ञानिक युग में भी मां के चमत्कार को साक्षात देखकर नतमस्तक होते हैं। मां ज्वाला देवी के मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में 7 अखंड ज्योतियों विराजमान है, जिन्हे अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। ज्योतियों में सर्वप्रथम मां ज्वाला महाकाली के रुप में प्रकट हैं। चंडी, हिंगलाज, विध्यवासिनी,अन्नपूर्णा, महालक्ष्मी, महासरस्वती के रुप में मंदिर में यह ज्योतियां साक्षात भक्तों को दर्शन देती है। 51 शक्तिपीठों में मां ज्वाला को सर्वोपरि माना गया है। मां ज्वाला का इतिहास कांगड़ा घाटी में स्थित श्री ज्वालामुखी शक्तिपीठ की मान्यता 51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि मानी गई है। इन पीठों में यही एक ऐसा शक्तिपीठ है, जहां मां के दर्शन साक्षात ज्योतियों के रुप में होतें हैं। शिव महापुराण में भी इस शक्तिपीठ का वर्णन आता है। जब भगवान शिव, माता सती के पार्थिव को पूरे ब्रहांड़ के घूमने लगे तब सती की जिव्हा इस स्थान पर गिरी थी, जिससे यहां ज्वाला ज्योति रुप में यहां दर्शन देती हैं। एक अन्य दंत कथा के अनुसार जब माता ज्वाला प्रकट हुई तब एक ग्वालो को सबसे पहले पहाडी पर ज्योति के दिव्य दर्शन हुए। राजा भूमिचंद्र ने मंदिर भवन को बनवाया था। यह भी धारणा है कि पांडव ज्वालामुखी में आए थे कांगड़ा का एक प्रचलित भजन भी इस का गवाह बनता है..पंजा पंजा पांडवां मैया तेरा भवन बनाया, अर्जुन चंवर झुलाया मेरी माता..। अकबर भी हुआ था मां ज्वाला का मुरीदबादशाह अकबर भी मां ज्वाला की परीक्षा लेने के लिए मां के दरबार में पहुंचा था। उसने ज्योतियों के बुझाने के लिए अकबर ने नहर का निर्माण करवाया, लेकिन मां के चमत्कार से ज्योतियां नहीं बुझ पाई। राजा अकबर को अंहकार के वशीभूत होकर सवा मन सोने का छत्र मंदिर में चढ़ाया था, लेकिन, मां ज्वाला ने इस छत्र को अस्वीकार कर खंडित कर दिया था। अकबर का यह छत्र आज भी मंदिर में मौजूद है। इस बाबत, नंगे नंगे पैरी माता अकबर आया, सोने दा छत्र चढ़ाया मेरी माता, भेंट प्रचलित है। ज्वालाजी मंदिर मंडप शैली निर्मित है मां ज्वालादेवी का मंदिर मंडप शैली का है। मुख्य मंदिर के बाहरी छत्र पर सोने का पालिश चढ़ाया गया है। इसे महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल में चढ़वाया था। उनके पौत्र कुंवर नौनिहाल सिंह ने मंदिर के मुख्य दरवाजों पर चांदी के पतरे चढवाऐ थे जो कि आज भी दर्शनीय हैं।साल में दो बार होतें है ‘गुप्त नवरात्रजनवरी- फरवरी माघ शुक्ल प्रतिपदा में मां ज्वाला देवी के मंदिर में गुप्त नवरात्र का आयोजन विश्व कल्याण के लिए परंपरानुसार किया जाता है। जून-जुलाई आषाढ़ शुक्ल में मां ज्वाला का प्रकटोत्सव मनाया जाता है। कहां जाता है मां ज्वाला इसी समय यहां प्रकट हुई थी। दर्शनीय स्थल टेढा मंदिर, अबिंकेश्वर महादेव, अर्जुननागा मंदिर, गोरख डिब्बी, लाल शिवालय, राधाकृष्ण मंदिर, तारा देवी, भैरव मंदिर, प्राचीन गणेश मंदिर, अष्टभुजी मंदिर ज्वालामुखी में दर्शनीय स्थल हैं। कैसे पहुंचें हिमाचल के मां ज्वाला देवी मंदिर में आने के लिए रेलवे से आने के लिए ज्वालामुखी रोड रेलवे स्टेशन से बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। ऊना रेलवे लाइन से सड़क मार्ग से आया जा सकता है। चंडीगढ़ से इस स्थल की दूरी 200 किलोमीटर हैं। हवाई मार्ग से कांगड़ा के गगल एयरपोर्ट तक आया जा सकता है। उसके बाद 40 किलोमीटर सड़क मार्ग से यहां पंहुचा जा सकता है।
दुनिया को आज मिलेगा पैराग्लाइडिंग का चैंपियन:अमेरिका-भारत के पैराग्लाइडर में फाइनल मुकाबला; 5 साइट पर 3 हजार में टूरिस्ट भी कर सकते हैं पैराग्लाइडिंग
दुनिया को आज मिलेगा पैराग्लाइडिंग का चैंपियन:अमेरिका-भारत के पैराग्लाइडर में फाइनल मुकाबला; 5 साइट पर 3 हजार में टूरिस्ट भी कर सकते हैं पैराग्लाइडिंग दुनिया को आज (9 नवंबर) नया पैराग्लाइडिंग चैंपियन मिल जाएगा। हिमाचल में कांगड़ा स्थित दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी पैराग्लाइडिंग साइट बीड़ बिलिंग घाटी में चल रहे पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप का आज आखिरी दिन है। पुरुष वर्ग में पहले स्थान पर अमेरिका के ऑस्टिन कोकस हैं। उन्हें अभी तक 2991 पॉइंट मिले हैं। भारत के रणजीत सिंह 2871 पॉइंट के साथ दूसरे नंबर पर हैं। पोलैंड के डामर कैपिटा 2844 पॉइंट के साथ तीसरे स्थान पर हैं। महिला वर्ग में पोलैंड की जोना कोकोट 2486 पॉइंट के साथ पहले नंबर पर है। जर्मनी की डरिया अल्टीकवा 1329 पॉइंट के साथ दूसरे नंबर पर चल रही हैं। ब्राजील की मरीना ओलेक्सिन 1232 पॉइंट के साथ तीसरे नंबर पर है। आज इन प्रतिभागियों को फाइनल टास्क दिए जाएंगे। आज के पॉइंट जुड़ने के बाद दुनिया को महिला व पुरुष वर्ग में नया वर्ल्ड चैंपियन मिल जाएगा। 121 किलोमीटर का सबसे लंबा टास्क किया पूरा बीड़ बिलिंग की टेक आफ साइट समुद्र तल से 2600 मीटर की ऊंचाई पर है। जबकि लैंडिंग साइट बीड़ (क्योर) समुद्र तल से 2080 मीटर की ऊंचाई पर है। इस चैम्पियनशिप का आयोजन पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप एसोसिएशन फ्रांस (PWCAF) की मंजूरी के बीड़ बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन और हिमाचल पर्यटन विभाग कर रहा है। बीड़ बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन के प्रवक्ता ने अंकित सूद ने बताया कि इस प्रतियोगिता में पार्टिसिपेंट्स को सबसे लंबा टास्क 121 किलोमीटर का दिया गया था, जिसे प्रतिभागियों ने पूरा किया। हालांकि बीते मंगलवार को 145 किलोमीटर का भी टास्क दिया गया था, लेकिन उस दिन खराब मौसम की वजह से उड़ान नहीं हो पाई थी। इस तरह मिलते हैं पॉइंट पैराग्लाइडरों को हर रोज उड़ान के टास्क दिए जाते हैं। टास्क के दौरान इन्हें अलग-अलग स्टेशन टच करने होते हैं। जो सबसे पहले सारे स्टेशन टच करके व निश्चित दूरी को तय करके टेक ऑफ साइट पर पहुंचता है, उसे ज्यादा पॉइंट दिए जाते हैं। इस तरह हर रोज के पॉइंट जुड़ते जाते हैं। प्रतियोगिता के आखिर दिन सबसे ज्यादा पॉइंट लेने वाले पैराग्लाइडर को विजयी घोषित किया जाता है। सुक्खू की जगह धर्माणी चीफ गेस्ट आएंगे पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू को आना था, लेकिन सुक्खू महाराष्ट्र चुनाव में प्रचार के लिए गए हैं। इसलिए आखिरी मौके पर राज्य के टीसीपी एवं हाउसिंग मिनिस्टर राजेश धर्माणी मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे और विजेताओं को पुरस्कार देंगे। हिमाचल में यहां-यहां होती है पैराग्लाइडिंग हिमाचल में बीड़ बिलिंग के अलावा कुल्लू के डोभी, गडसा, रायसन, सोलंग वैली में भी पैराग्लाइडिंग होती। पिछले 2 सालों से शिमला के जुन्गा में भी पैराग्लाइडिंग शुरू हो गई है। देशभर से पहाड़ों पर पहुंचने वाले पर्यटक भी इन साइट पर पैराग्लाइडिंग का आनंद उठा सकते हैं। ढाई हजार से 3 हजार तक फीस बीड़ बिलिंग में पैराग्लाइडिंग के लिए 3 हजार रुपए फीस है। जिसमें पैराग्लाइडर 15 से 20 मिनट तक बिलिंग घाटी में उड़ान भरते हैं। इसी तरह डोभी, गडसा, रायसन, सोलंग वैली में 2 हजार रुपए से 2500 रुपए देकर पैराग्लाइडिंग की जा सकती है। इन साइट्स पर बरसात के मौसम में पैराग्लाइडिंग बंद कर दी जाती है, क्योंकि इसके लिए मौसम का साफ होना जरूरी होता है। खराब मौसम में उड़ान नहीं भरी जा सकती।
हिमाचल में निर्दलीय पूर्व विधायकों को टिकट देगी भाजपा:शिमला में कोर ग्रुप की बैठक जारी, पार्टी हाईकमान लेगा अंतिम फैसला
हिमाचल में निर्दलीय पूर्व विधायकों को टिकट देगी भाजपा:शिमला में कोर ग्रुप की बैठक जारी, पार्टी हाईकमान लेगा अंतिम फैसला हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने तैयारियां तेज कर दी हैं। शिमला में भाजपा कोर कमेटी की बैठक में तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के टिकटों को लेकर चर्चा चल रही है। कोर कमेटी में चर्चा के बाद तीनों सीटों पर जीत हासिल करने की रणनीति तैयार की जा रही है। बताया जा रहा है कि तीनों सीटों पर निर्दलीय और पूर्व विधायकों को टिकट देने का प्रस्ताव कोर कमेटी में पारित कर हाईकमान को भेजा जाएगा, क्योंकि भाजपा ने पार्टी में शामिल होने के समय ही नालागढ़ से निर्दलीय और पूर्व विधायक केएल ठाकुर, हमीरपुर से आशीष शर्मा और देहरा से होशियार सिंह को टिकट देने का आश्वासन दिया है। इन तीनों निर्दलीय विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में वोट दिया था, जबकि सुक्खू सरकार के 15 महीने के कार्यकाल के दौरान ये विधायक कांग्रेस के एसोसिएट MLA के तौर पर काम करते रहे। राज्यसभा चुनाव में इन्होंने कांग्रेस के छह बागी विधायकों के साथ दिया और राज्यसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को वोट के बाद निर्दलीय विधायक भी एक महीने तक प्रदेश से बाहर रहे। 23 मार्च को बीजेपी जॉइन की 22 मार्च को इन्होंने हिमाचल विधानसभा पहुंचकर अपने पदों से इस्तीफा दिया और 23 मार्च को इन्होंने दिल्ली में बीजेपी जॉइन की। बीते तीन जून को स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने इनका इस्तीफा स्वीकार किया। बीते 9 जून को केंद्रीय चुनाव आयोग ने तीनों सीटों पर उप चुनाव का ऐलान कर दिया। कोर कमेटी में ये नेता मौजूद भाजपा कोर कमेटी मीटिंग में प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सह प्रभारी संजय टंडन, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सत्तपाल सत्ती, सुरेश कश्यप, महामंत्री बिहारी लाल, त्रिलोक कपूर, त्रिलोक जम्वाल मौजूद है। 10 जुलाई को होगा उप चुनाव हिमाचल प्रदेश में आगामी 10 जुलाई को नालागढ़, हमीरपुर और देहरा विधानसभा सीट पर उप चुनाव होना है। इसके लिए परसो से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है। लिहाजा पार्टी को अगले दो चार दिन के भीतर टिकट तय करने होंगे।