विधानसभा का मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू होगा। लोकसभा चुनाव में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) के फॉर्मूले पर चल कर इंडी गठबंधन ने यूपी में भाजपा पर बढ़त बनाई। संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने का विपक्ष का नरेटिव भी सफल रहा। इंडी गठबंधन मानसून सत्र में विधान परिषद और विधानसभा में भी इन दोनों मुद्दों को पूरी ताकत से उठाएगा। साथ ही पेपर लीक, बेरोजगारी, महंगाई और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी सरकार को घेरेगा। लोकसभा चुनाव परिणाम से उत्साहित है विपक्ष
लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा-कांग्रेस के इंडी गठबंधन ने NDA को शिकस्त दी है। इसी जीत ने केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं बनने दी। इससे विपक्ष उत्साहित है। ऐसे में वह पहले से ज्यादा उत्साह और ताकत के साथ सरकार को घेरने का प्रयास करेगा। भाजपा को अपनों से भी खतरा
प्रदेश की भाजपा सरकार में बीते एक महीने से खींचतान चल रही है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और उनके समर्थक विधायक खुलेआम सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं। खासतौर पर पिछड़े और दलित वर्ग के विधायकों का एक बड़ा समूह बीते कुछ दिनों से लामबंदी कर रहा है। भाजपा नेतृत्व को खतरा है कि नाराज विधायक सदन के अंदर हंगामा न कर दें, जिससे पार्टी और योगी सरकार को मुश्किल हो। हालांकि लामबंदी में शामिल एक विधायक ने बताया कि मानसून सत्र में कोई हंगामा नहीं होगा। 394 विधायकों के साथ होगा सत्र
विधानसभा के मानसून सत्र में सदन के 403 में से 394 विधायक शामिल हो सकेंगे। अंबेडकर नगर की कटेहरी, फैजाबाद की मिल्कीपुर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर की सीसामऊ, कानपुर की फूलपुर, मिर्जापुर की मझवां, मैनपुरी और गाजियाबाद सीट रिक्त है। 7 बागी विधायकों की भूमिका पर रहेगी नजर
विधानसभा के मानसून सत्र में सपा के 7 बागी विधायकों पर सबकी निगाह रहेगी। रायबरेली के ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय, अयोध्या के गोसाईगंज से विधायक अभय सिंह, अमेठी के गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह, कालपी के विधायक विनोद चतुर्वेदी, इलाहाबाद पश्चिम से विधायक पूजा पाल, बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य और अंबेडकरनगर के जलालपुर विधायक राकेश पांडेय ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। मनोज पांडेय ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की सदस्यता भी ग्रहण की थी। सपा की ओर से इन विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत याचिका दायर की जाएगी। ऐसे में सदन में ये 7 विधायक कहां बैठेंगे, इनकी भूमिका क्या होगी, इस पर सभी की निगाह रहेगी। बता दें, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही साफ कर चुके हैं कि जो भी विधायक सपा छोड़कर भाजपा में गए हैं, उनके लिए अब सपा में कोई जगह नहीं हैं। सदन में मिल सकती है अलग जगह
सपा के 7 बागी विधायकों को सदन में बैठने के लिए अलग जगह निर्धारित की जा सकती है। विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और योगी सरकार से सदन में सम्मानजनक स्थान दिलाने का आग्रह किया है। सूत्रों के मुताबिक, सभी सात विधायकों ने तय किया है कि वह सदन में सरकार के साथ रहेंगे। आज तय होगा नेता प्रतिपक्ष
समाजवादी पार्टी के विधायकों की बैठक रविवार सुबह 10 बजे होगी। बैठक में पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कर सकते हैं। सपा में विधायक इंद्रजीत सरोज, सपा महासचिव शिवपाल यादव और विधायक रामअचल राजभर नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने PDA के फॉर्मूले के तहत कोई निर्णय लेंगे। अखिलेश यादव की गैरमौजूदगी से सरकार को फायदा
माना जा रहा है कि अखिलेश यादव की सदन में गैरमौजूदगी से योगी सरकार को फायदा होगा। शिवपाल यादव और योगी सरकार के रिश्ते अच्छे हैं। रामअचल राजभर और इंद्रजीत सरोज कितनी ताकत के साथ सीएम योगी, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना का मुकाबला कर पाएंगे, यह सदन में ही पता चलेगा। सपा के पूर्व विधायक लालजी वर्मा, अवधेश प्रसाद की सदन में गैरमौजूदगी सपा को खलेगी। वहीं, सदन में सबसे अधिक सवाल उठाने वाले विधायक मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह का भी साथ नहीं होना सपा को खलेगा। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय होगा एजेंडा
विधानसभा की कार्यवाही फिलहाल 29 जुलाई से 2 अगस्त तक संचालित होनी है। रविवार दोपहर 3.30 बजे होने वाली कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सदन की कार्यवाही का एजेंडा तय होगा। सर्वदलीय बैठक आज होगी
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक रविवार शाम 4 बजे विधानसभा के समिति कक्ष में होगी। बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ और विधानसभा अध्यक्ष सभी दलों के नेताओं से सदन की कार्यवाही को शांतिपूर्ण चलने देने का आग्रह करेंगे। विधानसभा का मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू होगा। लोकसभा चुनाव में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) के फॉर्मूले पर चल कर इंडी गठबंधन ने यूपी में भाजपा पर बढ़त बनाई। संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने का विपक्ष का नरेटिव भी सफल रहा। इंडी गठबंधन मानसून सत्र में विधान परिषद और विधानसभा में भी इन दोनों मुद्दों को पूरी ताकत से उठाएगा। साथ ही पेपर लीक, बेरोजगारी, महंगाई और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी सरकार को घेरेगा। लोकसभा चुनाव परिणाम से उत्साहित है विपक्ष
लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा-कांग्रेस के इंडी गठबंधन ने NDA को शिकस्त दी है। इसी जीत ने केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं बनने दी। इससे विपक्ष उत्साहित है। ऐसे में वह पहले से ज्यादा उत्साह और ताकत के साथ सरकार को घेरने का प्रयास करेगा। भाजपा को अपनों से भी खतरा
प्रदेश की भाजपा सरकार में बीते एक महीने से खींचतान चल रही है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और उनके समर्थक विधायक खुलेआम सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं। खासतौर पर पिछड़े और दलित वर्ग के विधायकों का एक बड़ा समूह बीते कुछ दिनों से लामबंदी कर रहा है। भाजपा नेतृत्व को खतरा है कि नाराज विधायक सदन के अंदर हंगामा न कर दें, जिससे पार्टी और योगी सरकार को मुश्किल हो। हालांकि लामबंदी में शामिल एक विधायक ने बताया कि मानसून सत्र में कोई हंगामा नहीं होगा। 394 विधायकों के साथ होगा सत्र
विधानसभा के मानसून सत्र में सदन के 403 में से 394 विधायक शामिल हो सकेंगे। अंबेडकर नगर की कटेहरी, फैजाबाद की मिल्कीपुर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर की सीसामऊ, कानपुर की फूलपुर, मिर्जापुर की मझवां, मैनपुरी और गाजियाबाद सीट रिक्त है। 7 बागी विधायकों की भूमिका पर रहेगी नजर
विधानसभा के मानसून सत्र में सपा के 7 बागी विधायकों पर सबकी निगाह रहेगी। रायबरेली के ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय, अयोध्या के गोसाईगंज से विधायक अभय सिंह, अमेठी के गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह, कालपी के विधायक विनोद चतुर्वेदी, इलाहाबाद पश्चिम से विधायक पूजा पाल, बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य और अंबेडकरनगर के जलालपुर विधायक राकेश पांडेय ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। मनोज पांडेय ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की सदस्यता भी ग्रहण की थी। सपा की ओर से इन विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत याचिका दायर की जाएगी। ऐसे में सदन में ये 7 विधायक कहां बैठेंगे, इनकी भूमिका क्या होगी, इस पर सभी की निगाह रहेगी। बता दें, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही साफ कर चुके हैं कि जो भी विधायक सपा छोड़कर भाजपा में गए हैं, उनके लिए अब सपा में कोई जगह नहीं हैं। सदन में मिल सकती है अलग जगह
सपा के 7 बागी विधायकों को सदन में बैठने के लिए अलग जगह निर्धारित की जा सकती है। विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और योगी सरकार से सदन में सम्मानजनक स्थान दिलाने का आग्रह किया है। सूत्रों के मुताबिक, सभी सात विधायकों ने तय किया है कि वह सदन में सरकार के साथ रहेंगे। आज तय होगा नेता प्रतिपक्ष
समाजवादी पार्टी के विधायकों की बैठक रविवार सुबह 10 बजे होगी। बैठक में पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कर सकते हैं। सपा में विधायक इंद्रजीत सरोज, सपा महासचिव शिवपाल यादव और विधायक रामअचल राजभर नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने PDA के फॉर्मूले के तहत कोई निर्णय लेंगे। अखिलेश यादव की गैरमौजूदगी से सरकार को फायदा
माना जा रहा है कि अखिलेश यादव की सदन में गैरमौजूदगी से योगी सरकार को फायदा होगा। शिवपाल यादव और योगी सरकार के रिश्ते अच्छे हैं। रामअचल राजभर और इंद्रजीत सरोज कितनी ताकत के साथ सीएम योगी, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना का मुकाबला कर पाएंगे, यह सदन में ही पता चलेगा। सपा के पूर्व विधायक लालजी वर्मा, अवधेश प्रसाद की सदन में गैरमौजूदगी सपा को खलेगी। वहीं, सदन में सबसे अधिक सवाल उठाने वाले विधायक मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह का भी साथ नहीं होना सपा को खलेगा। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय होगा एजेंडा
विधानसभा की कार्यवाही फिलहाल 29 जुलाई से 2 अगस्त तक संचालित होनी है। रविवार दोपहर 3.30 बजे होने वाली कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सदन की कार्यवाही का एजेंडा तय होगा। सर्वदलीय बैठक आज होगी
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक रविवार शाम 4 बजे विधानसभा के समिति कक्ष में होगी। बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ और विधानसभा अध्यक्ष सभी दलों के नेताओं से सदन की कार्यवाही को शांतिपूर्ण चलने देने का आग्रह करेंगे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर