1 हजार करोड़ की जमीन 24 साल से विवाद:140 साल पहले लीज पर दी गई थी, कर्मचारी ने खंजाची बन रची पूरी साजिश; 10 लाख में किए एग्रीमेंट

1 हजार करोड़ की जमीन 24 साल से विवाद:140 साल पहले लीज पर दी गई थी, कर्मचारी ने खंजाची बन रची पूरी साजिश; 10 लाख में किए एग्रीमेंट

सिविल लाइंस में स्थित 1000 करोड़ रुपए की जमीन के कब्जाने का मामला बीते 24 सालों से चल रहा है। संस्था से जुड़े झांसी में कार्यरत एक कर्मचारी ने ही सभी जमीनों को हड़पने की साजिश रच डाली। 28 जुलाई को भी जमीन कब्जाने का प्रयास बलपूर्वक किया गया। हालांकि पुलिस ने मामले में हंगामे के बाद 33 पर रिपोर्ट दर्ज कर मुख्य आरोपी को जेल भेज दिया है। अब आपको बताते हैं कि आखिर ये मामला कब और कैसे शुरू हुआ… वर्ष-2010 में की गई पहली शिकायत
4 अक्टूबर 2010 को सिविल लाइंस स्थित मैरी एंड मैरी स्कूल की प्रबंधिका ने जिलाधिकारी को जमीन के मालिकाना हक को लेकर एक शिकायत दी। जिसमें तत्कालीन एसडीएम सदर सौम्या अग्रवाल ने जांचकर रिपोर्ट 27 अक्टूबर 2010 को डीएम को सौंपी। 3 भूखंड को अमेरिकी संस्था को लीज पर दी गई
इस रिपोर्ट के मुताबिक भूखंड संख्या-69 क्षेत्रफल 3 एकड़ (15688.11 वर्ग मीटर) 24 दिसंबर 1869 को वूमेंस यूनियन मिशन ऑफ सोसाइटी ऑफ अमेरिका को 15 रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष के रेंट पर 99 वर्षों की लीज पर दी गई। इसमें 25 वर्ष लीज बढ़ाई जा सकती थी। इसके अलावा 1 जनवरी 1884 को भूखंड संख्या 69 ए जिसमें कुल जगह 1665.57 वर्ग मीटर 96 वर्ष की लीज और भूखंड संख्या 1 जनवरी 1890 को 96 वर्ष 4 माह की लीज पर संस्था को दी गई। कुछ समय बाद इस इस जमीन पर मैरी एंड मैरी स्कूल का संचालन यूनाइटेड फेलोशिप फॉर क्रिश्चियन सर्विस ने शुरू किया। 2010 में ही ये संस्था अपने 46 वर्ष पूरे कर चुकी थी। ये संस्था कानपुर में ही नहीं बल्कि फतेहपुर, इलाहाबाद और झांसी में स्कूल, अनाथालाय, बाइबिल कॉलेज का संचालन कर रही थी। यहां से शुरू हुआ पूरा विवाद
इस बीच वूमेंस यूनियन मिशन ऑफ सोसाइटी ऑफ अमेरिका की जमीनों को गैरकानूनी तरीकों से संस्था के एग्जिक्यूटिव सेकेट्री डा. वीसी राय ने संस्था के बायलॉज में छेड़छाड़ कर संस्था की जमीन को शांता ईशू करुनिया को बेचकर विदेश भाग गए। इसके बाद ईशू करुनिया अध्यक्ष और एसी थॉमस उपाध्यक्ष बन गए। डिप्टी रजिस्ट्रार झांसी और लखनऊ में इस गैरकानूनी कार्य पूरा साथ दिया। संस्था की पहली अध्यक्ष डा. विद्यावती राव ने जमीनों की बेचने का विरोध शुरू कर दिया। ईशू करुनिया के विदेश भागने का फायदा उठाते हुए संस्था में कार्य करे मामूली कर्मचारी हरेंद्र मसीह की एंट्री हुई। ये बिहार राज्य के बक्सर का रहने वाला है। हरेंद्र मसीह ने झांसी सोसाइटी रजिस्ट्रार के सामने पेश होकर खुद को संस्था को खजांची बन गया। इसके बाद उसने खुद को अध्यक्ष भी घोषित करा दिया। हाईकोर्ट में विद्यावती ने दर्ज कराया पहला मुकदमा
मामले की जानकारी विद्यावती राव को होने पर उन्होंने झांसी और लखनऊ सोसाइटी रजिस्ट्रार के खिलाफ हाईकोर्ट में पहला वाद दायर किया। ये अब भी लंबित है। इस बीच मई-2010 में हरेंद्र मसीह फर्जी कमेटी के साथ मई माह में बाहरी लोगों के साथ प्रवेश किया और कानपुर स्थित विवादित जमीन की नापजोख करने लगा। इसकी जानकारी विद्यावती राव को भी दी गई, तो उन्होंने संस्था द्वारा निर्माण का कोई प्रस्ताव पास न होने की बात कही। इसके बाद हरेंद्र 5 जुलाई 2010 को 12 से 15 बंदूकधारियों के साथ फिर से स्कूल में दाखिल हुआ। लेकिन जमीन कब्जाने में कामयाब नहीं हो सका। इस बीच हरेंद्र ने वर्ष-2015 में खुद को संस्था का खजांची बताते हुए कानपुर न्यायालय में सिविल वाद दाखिल किया और जमीन को लेकर पॉवर ऑफ अटॉर्नी प्रस्तुत की और बी फारमर और हरेंद्र ने खुद को पदभार देने की मांग कोर्ट से उठाई। 8 से 10 लाख में किया एग्रीमेंट
रिपोर्ट के मुताबिक हरेंद्र कुमार, शांता करुनिया, बी फारमर, अभिषेक सैमुअल फारमर ने स्कूल परिसर 15/62 की जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर लिया। इन लोगों ने मिलकर जमीन बेची और बतौर एडवांस 8 से 10 लाख रुपए की रकम भी ली। इस बीच में विद्यावती राव ने मामले में कानपुर जिलाधिकारी से शिकायत कर दी। जांच में सामने आया कि इसकी लीज आगे नहीं बढ़ सकी है और ये पूरी जमीन पर नजूल यानि सरकारी संपत्ति है। लेकिन 24 साल बाद भी इस जमीन को कब्जाने के प्रयास जारी हैं। इनको बेची गई जमीन
हरेंद्र और साथियों ने मिलकर निजाम अहमद, हुमायूंबाग, चमनगंज, आफताब आलम, लाल कॉलोनी, साउथ कैंट, कमरूजहां, हुमायूंबाग भूखंड संख्या-69 ब्लॉक नंबर-15 का कुल क्षेत्रफल 4000 वर्गमीटर बेचने के लिए रजिस्टर्ड एग्रीमेंट किया गया। इसी प्रकार हरेंद्र और साथियों के साथ मिलकर संस्था की जमीनों को मारूफ निवासी न्यू ईदगाह कॉलोनी, जफर अब्बास निवासी नवाब कंपाउंड पटकापुर और कमरूजहां निवासी डी-2 गुलशन अपार्टमेंट के पक्ष में 3688.11 वर्ग मीटर जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट 30 जून 2010 को किया गया। अब आपको मौजूदा स्थिति के बारे में बताते हैं… 3 सदस्यीय कमेटी करेगी जांच
संस्था ने इनके नाम पट्टे के रिन्यूवल के लिए अप्लाई किया, लेकिन रिन्यूवल नहीं हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक जिलाधिकारी की परमीशन के बिना नजूल की किसी भी संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता है। अब मामले में जिलाधिकारी राकेश सिंह ने 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। जांच टीम एक हफ्ते में रिपोर्ट देगी कि किस-किसको कब जमीन बेची गई और किसने खरीदी। हरेंद्र मसीह ने दी पावर ऑफ अटॉर्नी
हरेन्द्र मसीह ने पावर ऑफ अटॉर्नी अवनीश दीक्षित को दे दी। उसी को लेकर अवनीश दीक्षित रविवार को अपने साथियों के साथ जमीन पर कब्जा करने पहुंचे थे। अवनीश दीक्षित ने केयर टेकर जीतेश झा को नामित कर दिया। पुलिस ने सरकारी जमीन कब्जाने के मामले में अवनीश दीक्षित, जीतेश झा, मौरिस एरियल, विक्की चार्ल्स, अब्बास समेत 33 लोगों पर एफआईआर दर्ज की। इन सभी के 7 ठिकानों पर छापेमारी भी सोमवार को की गई है। फिलहाल मुख्य आरोपी अवनीश दीक्षित जेल में हैं। सोमवार को लोअर कोर्ट में जमानत अर्जी भी खारिज हो गई। सिविल लाइंस में स्थित 1000 करोड़ रुपए की जमीन के कब्जाने का मामला बीते 24 सालों से चल रहा है। संस्था से जुड़े झांसी में कार्यरत एक कर्मचारी ने ही सभी जमीनों को हड़पने की साजिश रच डाली। 28 जुलाई को भी जमीन कब्जाने का प्रयास बलपूर्वक किया गया। हालांकि पुलिस ने मामले में हंगामे के बाद 33 पर रिपोर्ट दर्ज कर मुख्य आरोपी को जेल भेज दिया है। अब आपको बताते हैं कि आखिर ये मामला कब और कैसे शुरू हुआ… वर्ष-2010 में की गई पहली शिकायत
4 अक्टूबर 2010 को सिविल लाइंस स्थित मैरी एंड मैरी स्कूल की प्रबंधिका ने जिलाधिकारी को जमीन के मालिकाना हक को लेकर एक शिकायत दी। जिसमें तत्कालीन एसडीएम सदर सौम्या अग्रवाल ने जांचकर रिपोर्ट 27 अक्टूबर 2010 को डीएम को सौंपी। 3 भूखंड को अमेरिकी संस्था को लीज पर दी गई
इस रिपोर्ट के मुताबिक भूखंड संख्या-69 क्षेत्रफल 3 एकड़ (15688.11 वर्ग मीटर) 24 दिसंबर 1869 को वूमेंस यूनियन मिशन ऑफ सोसाइटी ऑफ अमेरिका को 15 रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष के रेंट पर 99 वर्षों की लीज पर दी गई। इसमें 25 वर्ष लीज बढ़ाई जा सकती थी। इसके अलावा 1 जनवरी 1884 को भूखंड संख्या 69 ए जिसमें कुल जगह 1665.57 वर्ग मीटर 96 वर्ष की लीज और भूखंड संख्या 1 जनवरी 1890 को 96 वर्ष 4 माह की लीज पर संस्था को दी गई। कुछ समय बाद इस इस जमीन पर मैरी एंड मैरी स्कूल का संचालन यूनाइटेड फेलोशिप फॉर क्रिश्चियन सर्विस ने शुरू किया। 2010 में ही ये संस्था अपने 46 वर्ष पूरे कर चुकी थी। ये संस्था कानपुर में ही नहीं बल्कि फतेहपुर, इलाहाबाद और झांसी में स्कूल, अनाथालाय, बाइबिल कॉलेज का संचालन कर रही थी। यहां से शुरू हुआ पूरा विवाद
इस बीच वूमेंस यूनियन मिशन ऑफ सोसाइटी ऑफ अमेरिका की जमीनों को गैरकानूनी तरीकों से संस्था के एग्जिक्यूटिव सेकेट्री डा. वीसी राय ने संस्था के बायलॉज में छेड़छाड़ कर संस्था की जमीन को शांता ईशू करुनिया को बेचकर विदेश भाग गए। इसके बाद ईशू करुनिया अध्यक्ष और एसी थॉमस उपाध्यक्ष बन गए। डिप्टी रजिस्ट्रार झांसी और लखनऊ में इस गैरकानूनी कार्य पूरा साथ दिया। संस्था की पहली अध्यक्ष डा. विद्यावती राव ने जमीनों की बेचने का विरोध शुरू कर दिया। ईशू करुनिया के विदेश भागने का फायदा उठाते हुए संस्था में कार्य करे मामूली कर्मचारी हरेंद्र मसीह की एंट्री हुई। ये बिहार राज्य के बक्सर का रहने वाला है। हरेंद्र मसीह ने झांसी सोसाइटी रजिस्ट्रार के सामने पेश होकर खुद को संस्था को खजांची बन गया। इसके बाद उसने खुद को अध्यक्ष भी घोषित करा दिया। हाईकोर्ट में विद्यावती ने दर्ज कराया पहला मुकदमा
मामले की जानकारी विद्यावती राव को होने पर उन्होंने झांसी और लखनऊ सोसाइटी रजिस्ट्रार के खिलाफ हाईकोर्ट में पहला वाद दायर किया। ये अब भी लंबित है। इस बीच मई-2010 में हरेंद्र मसीह फर्जी कमेटी के साथ मई माह में बाहरी लोगों के साथ प्रवेश किया और कानपुर स्थित विवादित जमीन की नापजोख करने लगा। इसकी जानकारी विद्यावती राव को भी दी गई, तो उन्होंने संस्था द्वारा निर्माण का कोई प्रस्ताव पास न होने की बात कही। इसके बाद हरेंद्र 5 जुलाई 2010 को 12 से 15 बंदूकधारियों के साथ फिर से स्कूल में दाखिल हुआ। लेकिन जमीन कब्जाने में कामयाब नहीं हो सका। इस बीच हरेंद्र ने वर्ष-2015 में खुद को संस्था का खजांची बताते हुए कानपुर न्यायालय में सिविल वाद दाखिल किया और जमीन को लेकर पॉवर ऑफ अटॉर्नी प्रस्तुत की और बी फारमर और हरेंद्र ने खुद को पदभार देने की मांग कोर्ट से उठाई। 8 से 10 लाख में किया एग्रीमेंट
रिपोर्ट के मुताबिक हरेंद्र कुमार, शांता करुनिया, बी फारमर, अभिषेक सैमुअल फारमर ने स्कूल परिसर 15/62 की जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर लिया। इन लोगों ने मिलकर जमीन बेची और बतौर एडवांस 8 से 10 लाख रुपए की रकम भी ली। इस बीच में विद्यावती राव ने मामले में कानपुर जिलाधिकारी से शिकायत कर दी। जांच में सामने आया कि इसकी लीज आगे नहीं बढ़ सकी है और ये पूरी जमीन पर नजूल यानि सरकारी संपत्ति है। लेकिन 24 साल बाद भी इस जमीन को कब्जाने के प्रयास जारी हैं। इनको बेची गई जमीन
हरेंद्र और साथियों ने मिलकर निजाम अहमद, हुमायूंबाग, चमनगंज, आफताब आलम, लाल कॉलोनी, साउथ कैंट, कमरूजहां, हुमायूंबाग भूखंड संख्या-69 ब्लॉक नंबर-15 का कुल क्षेत्रफल 4000 वर्गमीटर बेचने के लिए रजिस्टर्ड एग्रीमेंट किया गया। इसी प्रकार हरेंद्र और साथियों के साथ मिलकर संस्था की जमीनों को मारूफ निवासी न्यू ईदगाह कॉलोनी, जफर अब्बास निवासी नवाब कंपाउंड पटकापुर और कमरूजहां निवासी डी-2 गुलशन अपार्टमेंट के पक्ष में 3688.11 वर्ग मीटर जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट 30 जून 2010 को किया गया। अब आपको मौजूदा स्थिति के बारे में बताते हैं… 3 सदस्यीय कमेटी करेगी जांच
संस्था ने इनके नाम पट्टे के रिन्यूवल के लिए अप्लाई किया, लेकिन रिन्यूवल नहीं हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक जिलाधिकारी की परमीशन के बिना नजूल की किसी भी संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता है। अब मामले में जिलाधिकारी राकेश सिंह ने 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। जांच टीम एक हफ्ते में रिपोर्ट देगी कि किस-किसको कब जमीन बेची गई और किसने खरीदी। हरेंद्र मसीह ने दी पावर ऑफ अटॉर्नी
हरेन्द्र मसीह ने पावर ऑफ अटॉर्नी अवनीश दीक्षित को दे दी। उसी को लेकर अवनीश दीक्षित रविवार को अपने साथियों के साथ जमीन पर कब्जा करने पहुंचे थे। अवनीश दीक्षित ने केयर टेकर जीतेश झा को नामित कर दिया। पुलिस ने सरकारी जमीन कब्जाने के मामले में अवनीश दीक्षित, जीतेश झा, मौरिस एरियल, विक्की चार्ल्स, अब्बास समेत 33 लोगों पर एफआईआर दर्ज की। इन सभी के 7 ठिकानों पर छापेमारी भी सोमवार को की गई है। फिलहाल मुख्य आरोपी अवनीश दीक्षित जेल में हैं। सोमवार को लोअर कोर्ट में जमानत अर्जी भी खारिज हो गई।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर