हरियाणा के गुरुग्राम में बीत रात को एक बड़ा हादसा हो गया। यहां इफको चौक मेट्रो पार कर घर लौट रहे तीन युवकों की बिजली का करंट लगने से मौत हो गई। फुटपाथ के किनारे स्ट्रीट लाइट की खुली पड़ी बिजली की तार से ये हादसा हुआ। तार खुली होने के चलते बारिश के बाद सड़क के किनारे भरे पानी में करंट आ गया। पुलिस का कहना है कि बीती रात तेज हवा व बारिश के चलते हाईटेंशन लाइन टूटने के कारण यह हादसा हुआ है। हालांकि मौके पर ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। मृतकों की पहचान दिवेश, जयपाल और वसी उज्जमा के तौर पर हुई है। परिजनों का आरोप है कि जिस तरह से सड़क के किनारे खुली तारे पड़ी हुई थी, इसमें बिजली निगम की बड़ी लापरवाही साफ दिखाई दे रही है। बारिश के बाद सड़क पर भर पानी से बचने के लिए तीनों ही व्यक्तियों ने फुटपाथ का सहारा लिया था। मेट्रो स्टेशन होने के चलते यहां से बड़ी तादाद में लोगों का आवागमन रहता है। दूसरी तरफ प्रशासन इतने बड़े हादसे के बाद भी मामले पर पर्दा डालने में ही लगा हुआ है। मृतक के परिजनों ने बिजली निगम से लेकर पुलिस व प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए मुआवजा व कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। मौके का निरीक्षण करने से साफ पता चलता है कि वहां पर कुछ खुले तार हैं और संभवत : उनमें करंट होने के चलते यह हादसा हुआ होगा। मृतकों की हुई पहचान एक मृतक की पहचान जयपाल निवासी नांगल चौधरी जिला महेंद्रगढ़ के रूप में हुई है। वह कोरियन कंपनी में ड्राइवर है। वहीं दूसरे मृतक का नाम दिवेश है और वह यूपी के उन्नाव का रहने वाला है। तीसरे मृतक का नाम वसी उज्जमा है और वह यूपी के सुल्तानपुर का रहने वाला है। वह मल्होत्रा केबल कंपनी मानेसर आईएमटी में क्वालिटी इंजीनियर के तौर पर काम करता था। हरियाणा के गुरुग्राम में बीत रात को एक बड़ा हादसा हो गया। यहां इफको चौक मेट्रो पार कर घर लौट रहे तीन युवकों की बिजली का करंट लगने से मौत हो गई। फुटपाथ के किनारे स्ट्रीट लाइट की खुली पड़ी बिजली की तार से ये हादसा हुआ। तार खुली होने के चलते बारिश के बाद सड़क के किनारे भरे पानी में करंट आ गया। पुलिस का कहना है कि बीती रात तेज हवा व बारिश के चलते हाईटेंशन लाइन टूटने के कारण यह हादसा हुआ है। हालांकि मौके पर ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। मृतकों की पहचान दिवेश, जयपाल और वसी उज्जमा के तौर पर हुई है। परिजनों का आरोप है कि जिस तरह से सड़क के किनारे खुली तारे पड़ी हुई थी, इसमें बिजली निगम की बड़ी लापरवाही साफ दिखाई दे रही है। बारिश के बाद सड़क पर भर पानी से बचने के लिए तीनों ही व्यक्तियों ने फुटपाथ का सहारा लिया था। मेट्रो स्टेशन होने के चलते यहां से बड़ी तादाद में लोगों का आवागमन रहता है। दूसरी तरफ प्रशासन इतने बड़े हादसे के बाद भी मामले पर पर्दा डालने में ही लगा हुआ है। मृतक के परिजनों ने बिजली निगम से लेकर पुलिस व प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए मुआवजा व कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। मौके का निरीक्षण करने से साफ पता चलता है कि वहां पर कुछ खुले तार हैं और संभवत : उनमें करंट होने के चलते यह हादसा हुआ होगा। मृतकों की हुई पहचान एक मृतक की पहचान जयपाल निवासी नांगल चौधरी जिला महेंद्रगढ़ के रूप में हुई है। वह कोरियन कंपनी में ड्राइवर है। वहीं दूसरे मृतक का नाम दिवेश है और वह यूपी के उन्नाव का रहने वाला है। तीसरे मृतक का नाम वसी उज्जमा है और वह यूपी के सुल्तानपुर का रहने वाला है। वह मल्होत्रा केबल कंपनी मानेसर आईएमटी में क्वालिटी इंजीनियर के तौर पर काम करता था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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डेयरी से करोड़पति बना हरियाणा का युवक:एक गाय 67 लीटर दूध दे रही, अमूल-नेस्ले में भी बिक्री, हर महीने 20 लाख की कमाई जीवन में लक्ष्य बनाकर चलें तो मुकाम हासिल हो ही जाता है, इस कहावत को करनाल के गुढा गांव का रहने वाला गुरमेश उर्फ डिम्पल दहिया (35) ने सच साबित किया है। आठवीं क्लास पास करने के बाद जब गुरमेश ने पढ़ाई छोड़ी तो कई लोगों ने उसका मजाक उड़ाया, कई लोगों ने उससे ये तक कहा कि वो जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा, लेकिन आज गुरमेश डेयरी फार्मिंग के जरिए करोड़पति बन गए हैं। 2004 में 10 गाय से एक डेयरी की शुरूआत करने वाले गुरमेश ने आज डेयरी फार्मिंग में महारत हासिल कर ली है। उनके पास इस समय 60 गाय हैं। कभी उनकी डेयरी में महज 100 लीटर दूध का उत्पादन होता था, लेकिन आज मिल्क प्रोडक्शन 1400 से 1500 लीटर प्रतिदिन है। इस दूध को वह नेस्ले और अमूल जैसी कंपनियों को सप्लाई करते हैं। जिससे वह हर महीने 15 से 20 लाख रुपए आराम से कमा लेते हैं। गुरमेश बताते हैं कि उन्होंने पशुपालन अपने पिता से सीखा है बचपन से ही वो अपने पिता के साथ काम में लगे रहते थे और उन्हें पशुपालन में हमेशा से ही रुचि रही है। वहीं, गुरमेश के पास ऐसी गाय भी है जो रोजाना 67 लीटर दूध देती है। डेयरी का आइडिया कहां से आया?
गुरमेश बताते हैं कि उनके पिता रणधीर सिंह पशुपालन का काम करते थे। 2004 से पहले हमारे पास 10-12 पशु होते थे। जिनमें भैंसे भी ओर गाय भी होती थीं। 2004 में हमने अपने डेयरी के काम को बढ़ाया। पास के गांव शेखपुरा खालसा से 11 हजार 400 रुपए की एचएफ नस्ल की गाय ली थी। जिसके नीचे 20 लीटर दूध था, उस समय 20 लीटर दूध देने वाली गाय को टॉप गाय की कैटेगरी में माना जाता था। 2006 में फिर हमने 29 हजार की एक और गाय ली, जो 30 लीटर दूध देती थी। हम बाहर से गाय खरीदते थे, इसलिए आइडिया यह आया कि क्यों न हम अपनी ही ब्रीड तैयार करें। जिसके बाद से डेयरी फार्मिंग की तरफ ओर भी ज्यादा रुझान हो गया। शुरुआत में क्या दिक्कतें आईं?
दूध का प्रोडक्शन और ब्रीड सुधार में इतना इंटरेस्ट बना की, घर पर पशु बांधने के लिए जगह ही कम पड़ गई थी। कोई बछिया चक्की से बांधनी पड़ती थी तो किसी को चारपाई के पावे से ही बांध दिया जाता। घर पर हमारे पास 25 से ज्यादा गाय हो चुकीं थी। भैंस में खर्च ज्यादा आता है आमदनी कम
गुरमेश बताते है कि वह शुरुआत से ही गाय पालते आ रहे हैं, उनके पास 55 एचएफ नस्ल की गाय हैं और 5 जर्सी नस्ल की गाय हैं। लोग कहते भी हैं कि भैंस भी पाल लिया करो, लेकिन भैंस पालने में खर्च ज्यादा आता है और दूध का प्रोडक्शन भी गाय के मुकाबले कम होता है। इसलिए शुरू से ही गाय की तरफ रुझान है। हमारे पास 36 दूधारू, 10 हिप्पर (पहली बार गर्भवती), 15 काफ गाय हैं जो 0 से एक साल के बीच की उम्र की होती हैं। सबसे महंगी गाय कितने की और किस नस्ल की?
गुरमेश ने के पास ऐसी गाय है जो 40 लीटर से ज्यादा दूध देती है। कुछ गाय ऐसी भी हैं जो 60 लीटर से ज्यादा दूध देती हैं। इसके अलावा एक गाय वो भी है, जो 67 लीटर दूध एक ही दिन में देती है। एचएफ नस्ल की इस गाय का दिन में तीन बार दूध निकालना पड़ता है। हालांकि इस गाय को खरीदने के लिए कई लोग 5 लाख रुपए तक देने को तैयार हैं लेकिन हमने ये गाय नहीं बेची। दरअसल वो अपनी इस गाय को पशु मेलों में होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए तैयार कर रहे हैं। ब्रीड के लिए सांड किस नस्ल का? कहां से लाए?
गुरमेश बताते हैं ब्रीडिंग के लिए वह विदेशी कंपनियों के सीमन का इस्तेमाल करते हैं। जिसमें एचएफ (होलीस्टन फ्रिजियम सीमन), यूएसए की कंपनी डब्ल्युडब्ल्युएस (वर्ल्ड वाइड सीरीज) और यूएसए की एबीएस ग्लोबल नाम की कंपनी शामिल है। इसके अलावा वो नीदरलैंड की कंपनी सीआरवी, कनाडा की कंपनी सी- मेक्स से भी सीमन मंगाते है। गुजरात की एसईजी कंपनी के सीमन का यूज भी वो करते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि जिस तरह से डेयरी से आमदनी होती है उस हिसाब से खर्चे भी हैं। आमदनी का 60 फीसदी हिस्सा डेयरी में पशुओं पर ही खर्च हो जाता है। डेयरी फार्मिंग से कितनी कमाई होती है
गुरमेश के मुताबिक, वह अपनी डेयरी का दूध लॉकल में नहीं बेचते बल्कि अमूल और नेस्ले कंपनी को बेचते हैं। जहां पर उन्हें फैंट के हिसाब से दूध का रेट मिलता है। दूध उत्पादन भी सर्दियों और गर्मियों के अनुसार घटता बढ़ता रहता है। दूध घटने पर नुकसान होता है, लेकिन जब दूध सर्दियों में बढ़ता है तो थोड़ा फायदा होने लगता है। कंपनियों में दूध 38 रुपए से 40 रुपए के हिसाब से चला जाता है। पीक सीजन में उनकी डेयरी पर 1500 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता है। दूध निकालने के लिए विदेशी मशीनें इस्तेमाल की जाती हैं। उनके पास 4 मशीने हैं लेकिन वह सिर्फ 2 मशीनों का इस्तेमाल करते हैं और दो घंटे में सारी गायों का दूध निकाल लेते हैं।