हरियाणा में डेरामुखी की मौत पर विवाद अब भी बरकरार है। सिरसा के कालांवाली के गांव जगमालवाली में डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब का 1 अगस्त शुक्रवार को निधन हो गया था। इसके बाद से गद्दी को लेकर दो पक्ष आमने सामने हैं। इसमें एक पक्ष महात्मा बिरेंद्र सिंह और उनसे जुड़े लोगों का है जो लगातार वसीयत के आधार पर गद्दी पर दावा ठोक रहे हैं तो वही दूसरे पक्ष में वकील साहब के भतीजे अमर सिंह और उनसे जुड़े लोग हैं जो डेरा प्रमुख की वसीयत और मौत को संदिग्ध मान रहे हैं। अब डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है जिसमें डेरा प्रमुख की मौत को संदिग्ध बताया है। अमर सिंह ने वीडियो में कहा है कि” डेरा प्रमुख वकील साहब की मौत 21 जुलाई को हो चुकी थी। मगर जानबूझकर गद्दी हथियाने के चक्कर में मौत को छिपाया गया और 1 अगस्त को मौत दिखाकर तुरंत डेरे में अंतिम संस्कार की योजना बनाई गई। अमर सिंह ने आरोप लगाया कि बिरेंद्र सिंह और उसके साथियों ने मिलकर यह किया। 21 जुलाई को मौत के बाद भी डेरे और साध संगत को गुमराह किया गया कि महाराज जी की हालत स्थिर बनी हुई है”। हाईकोर्ट जाएगा दूसरा पक्ष
इस मामले में दूसरा पक्ष में शामिल भतीजे अमर सिंह और उनसे जुड़े लोग हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए कागजात जुटाए जा रहे हैं। अमर सिंह ने दावा किया है कि उनके पास सारे सबूत हैं जिनके आधार पर सिद्ध होता है कि महाराज जी की मौत 11 दिन पहले 21 जुलाई को हो गई थी, मगर महाराज जी को लेकर जाने वाले 15 से 20 लोगों ने अपने आप बंदरबाट कर सारा खेल रचा। अमर सिंह ने बताया कि उन्होंने पुलिस को लिखित शिकायत दे दी है। नए कानून के हिसाब से पुलिस 15 दिन जांच करेगी इसके बाद केस दर्ज करेगी। हमें कानून पर पूरा भरोसा है। गद्दी को लेकर 2 पक्षों में चली थी गोलियां
हरियाणा के सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब का शुक्रवार दोपहर समाधि दी गई। डेरा प्रमुख का पार्थिव शरीर मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में दफनाया गया। डेरा प्रमुख का निधन एक दिन पहले (1 अगस्त) हुआ था। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में 2 पक्ष आमने-सामने हो गए थे। इस दौरान गोलियां भी चली थीं। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस फोर्स तैनात की गई। शुक्रवार को सूफी गायक महात्मा बिरेंद्र सिंह ने खुद को डेरा जगमालवाली का अगला प्रमुख घोषित किया। हालांकि, दूसरा पक्ष बिरेंद्र सिंह को मुखी मानने को तैयार नहीं है। बता दें कि डेरे से करीब 5 लाख संगत देशभर से जुड़ी है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और उत्तर प्रदेश में डेरा के ज्यादा अनुयायी हैं। महात्मा बिरेंद्र सिंह के समर्थक शमशेर लहरी बोले- वसीयत असली
वहीं शुक्रवार को ही डेरे के सेवक शमशेर लहरी ने वीडियो जारी कर कहा था कि काफी लंबे समय से डेरा जगमालवाली से जुड़ा हुआ हूं। हमारे पूजनीय बाबा जी शरीर रूप से हमें छोड़कर चले गए। जैसे ही कल महाराज जी ने चोला छोड़ा, अस्पताल से छूट्टी मिली तो महात्मा बिरेंद्र सिंह जी और साथी उनके शरीर को लेकर डेरा जगमालवाली पहुंचे। वहां कुछ लोगों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। पुलिस प्रशासन ने बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां से निकाला। महाराज जी ने चोला छोड़ने से डेढ़ साल पहले अपनी वसीयत महात्मा बिरेंद्र सिंह के नाम बिना किसी दबाव और उन्हें संगत की सेवा करने का हुकुम दिया। इसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई है, जो संगत में पहुंच गई। कुछ सिक्योरिटी कारणों के कारण पुलिस प्रशासन ने महात्मा बिरेंद्र सिंह को अपनी देखरेख में रखा हुआ है। सारी संगत जो महाराज जी के हुकुम को मानते हैं, उनके मैसेज आ रहे हैं, जो महात्मा बिरेंद्र सिंह के दर्शन करने के अभिलाषी हैं। जल्द ही महात्मा बिरेंद्र सिंह संगत में आएंगे। हमें जो महाराज जी ने हुकुम दिया है, उसकी पालना करनी है। 60 साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
डेरा की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में दी और डेरा बनाने का अनुरोध किया। जिस पर संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले छोटा सा आश्रम था। अब करीब 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया है। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना है। हरियाणा में डेरामुखी की मौत पर विवाद अब भी बरकरार है। सिरसा के कालांवाली के गांव जगमालवाली में डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब का 1 अगस्त शुक्रवार को निधन हो गया था। इसके बाद से गद्दी को लेकर दो पक्ष आमने सामने हैं। इसमें एक पक्ष महात्मा बिरेंद्र सिंह और उनसे जुड़े लोगों का है जो लगातार वसीयत के आधार पर गद्दी पर दावा ठोक रहे हैं तो वही दूसरे पक्ष में वकील साहब के भतीजे अमर सिंह और उनसे जुड़े लोग हैं जो डेरा प्रमुख की वसीयत और मौत को संदिग्ध मान रहे हैं। अब डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है जिसमें डेरा प्रमुख की मौत को संदिग्ध बताया है। अमर सिंह ने वीडियो में कहा है कि” डेरा प्रमुख वकील साहब की मौत 21 जुलाई को हो चुकी थी। मगर जानबूझकर गद्दी हथियाने के चक्कर में मौत को छिपाया गया और 1 अगस्त को मौत दिखाकर तुरंत डेरे में अंतिम संस्कार की योजना बनाई गई। अमर सिंह ने आरोप लगाया कि बिरेंद्र सिंह और उसके साथियों ने मिलकर यह किया। 21 जुलाई को मौत के बाद भी डेरे और साध संगत को गुमराह किया गया कि महाराज जी की हालत स्थिर बनी हुई है”। हाईकोर्ट जाएगा दूसरा पक्ष
इस मामले में दूसरा पक्ष में शामिल भतीजे अमर सिंह और उनसे जुड़े लोग हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए कागजात जुटाए जा रहे हैं। अमर सिंह ने दावा किया है कि उनके पास सारे सबूत हैं जिनके आधार पर सिद्ध होता है कि महाराज जी की मौत 11 दिन पहले 21 जुलाई को हो गई थी, मगर महाराज जी को लेकर जाने वाले 15 से 20 लोगों ने अपने आप बंदरबाट कर सारा खेल रचा। अमर सिंह ने बताया कि उन्होंने पुलिस को लिखित शिकायत दे दी है। नए कानून के हिसाब से पुलिस 15 दिन जांच करेगी इसके बाद केस दर्ज करेगी। हमें कानून पर पूरा भरोसा है। गद्दी को लेकर 2 पक्षों में चली थी गोलियां
हरियाणा के सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब का शुक्रवार दोपहर समाधि दी गई। डेरा प्रमुख का पार्थिव शरीर मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में दफनाया गया। डेरा प्रमुख का निधन एक दिन पहले (1 अगस्त) हुआ था। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में 2 पक्ष आमने-सामने हो गए थे। इस दौरान गोलियां भी चली थीं। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस फोर्स तैनात की गई। शुक्रवार को सूफी गायक महात्मा बिरेंद्र सिंह ने खुद को डेरा जगमालवाली का अगला प्रमुख घोषित किया। हालांकि, दूसरा पक्ष बिरेंद्र सिंह को मुखी मानने को तैयार नहीं है। बता दें कि डेरे से करीब 5 लाख संगत देशभर से जुड़ी है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और उत्तर प्रदेश में डेरा के ज्यादा अनुयायी हैं। महात्मा बिरेंद्र सिंह के समर्थक शमशेर लहरी बोले- वसीयत असली
वहीं शुक्रवार को ही डेरे के सेवक शमशेर लहरी ने वीडियो जारी कर कहा था कि काफी लंबे समय से डेरा जगमालवाली से जुड़ा हुआ हूं। हमारे पूजनीय बाबा जी शरीर रूप से हमें छोड़कर चले गए। जैसे ही कल महाराज जी ने चोला छोड़ा, अस्पताल से छूट्टी मिली तो महात्मा बिरेंद्र सिंह जी और साथी उनके शरीर को लेकर डेरा जगमालवाली पहुंचे। वहां कुछ लोगों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। पुलिस प्रशासन ने बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां से निकाला। महाराज जी ने चोला छोड़ने से डेढ़ साल पहले अपनी वसीयत महात्मा बिरेंद्र सिंह के नाम बिना किसी दबाव और उन्हें संगत की सेवा करने का हुकुम दिया। इसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई है, जो संगत में पहुंच गई। कुछ सिक्योरिटी कारणों के कारण पुलिस प्रशासन ने महात्मा बिरेंद्र सिंह को अपनी देखरेख में रखा हुआ है। सारी संगत जो महाराज जी के हुकुम को मानते हैं, उनके मैसेज आ रहे हैं, जो महात्मा बिरेंद्र सिंह के दर्शन करने के अभिलाषी हैं। जल्द ही महात्मा बिरेंद्र सिंह संगत में आएंगे। हमें जो महाराज जी ने हुकुम दिया है, उसकी पालना करनी है। 60 साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
डेरा की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में दी और डेरा बनाने का अनुरोध किया। जिस पर संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले छोटा सा आश्रम था। अब करीब 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया है। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना है। हरियाणा | दैनिक भास्कर