कांगड़ा जिले के युवक की कनाडा मौत हो गई है। युवक स्टडी वीजा पर पिछले करीब चार साल से कनाडा में रह रहा था। हाल ही में ऋषभ घर भी आया था और 31 अगस्त को उसकी वापसी थी। मृतक युवक ऋषभ पठानिया (28) पुत्र अजय पठानिया देहरा विधानसभा क्षेत्र की हरिपुर तहसील के बंगोली गांव का है। युवक की मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। युवक के पिता ने बताया कि बुधवार को ऋषभ पठानिया की मैसेज के जरिए घर बात हुई। लेकिन शुक्रवार को न तो फोन आया और न ही मैसेज आया। ऋषभ के पिता अजय पठानिया ने उसे फोन किया तो ऋषभ से बात नहीं हो पाई। शनिवार को अजय पठानिया ने कनाडा में ऋषभ के किसी दोस्त से संपर्क किया। इसके बाद किसी हादसे की आशंका के चलते पुलिस में शिकायत भी की गई। साथ ही दोस्त पुलिस टीम के साथ ऋषभ पठानिया के रूम पहुंचा। कमरा खोला गया तो अंदर ऋषभ मृत पड़ा था। पिता ने सरकार से की शव को घर लाने की अपील यह जानकर अजय पठानिया, उनकी पत्नी और छोटे बेटे पर दुखों का पहाड़ टूट गया। परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। कनाडा पुलिस शव को कब्जे में लेकर जांच में जुट गई है।ऋषभ पठानिया के पिता अजय पठानिया पोस्ट ऑफिस में कार्यरत हैं और मां गृहणी हैं। अजय पठानिया का एक और छोटा बेटा है। ऋषभ पठानिया बड़ा था। पिता अजय पठानिया ने भारत सरकार और हिमाचल सरकार से शव को घर लाने में मदद की गुहार लगाई है। कांगड़ा जिले के युवक की कनाडा मौत हो गई है। युवक स्टडी वीजा पर पिछले करीब चार साल से कनाडा में रह रहा था। हाल ही में ऋषभ घर भी आया था और 31 अगस्त को उसकी वापसी थी। मृतक युवक ऋषभ पठानिया (28) पुत्र अजय पठानिया देहरा विधानसभा क्षेत्र की हरिपुर तहसील के बंगोली गांव का है। युवक की मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। युवक के पिता ने बताया कि बुधवार को ऋषभ पठानिया की मैसेज के जरिए घर बात हुई। लेकिन शुक्रवार को न तो फोन आया और न ही मैसेज आया। ऋषभ के पिता अजय पठानिया ने उसे फोन किया तो ऋषभ से बात नहीं हो पाई। शनिवार को अजय पठानिया ने कनाडा में ऋषभ के किसी दोस्त से संपर्क किया। इसके बाद किसी हादसे की आशंका के चलते पुलिस में शिकायत भी की गई। साथ ही दोस्त पुलिस टीम के साथ ऋषभ पठानिया के रूम पहुंचा। कमरा खोला गया तो अंदर ऋषभ मृत पड़ा था। पिता ने सरकार से की शव को घर लाने की अपील यह जानकर अजय पठानिया, उनकी पत्नी और छोटे बेटे पर दुखों का पहाड़ टूट गया। परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। कनाडा पुलिस शव को कब्जे में लेकर जांच में जुट गई है।ऋषभ पठानिया के पिता अजय पठानिया पोस्ट ऑफिस में कार्यरत हैं और मां गृहणी हैं। अजय पठानिया का एक और छोटा बेटा है। ऋषभ पठानिया बड़ा था। पिता अजय पठानिया ने भारत सरकार और हिमाचल सरकार से शव को घर लाने में मदद की गुहार लगाई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा, आज नरसिंह भगवान की शाही जलेब:373 साल का इतिहास; 283 देवी-देवता ढालपुर पहुंचे, कई देश के लोग ले रहे हिस्सा अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में आज दोपहर बाद भगवान नरसिंह की शाही जलेब निकाली जाएगी। आगे-आगे नरसिंह भगवान की घोड़ी चलेगी। पीछे आधा दर्जन से ज्यादा देवी-देवता और बीच में भगवान नरसिंह की पालकी चलेगी। पालकी में रूपी रियासत के राज घराना से संबंध रखने वाले रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह नरसिंह भगवान की निशानी ढाल लेकर सवार होंगे। कुल्लू की सांस्कृतिक धरोहर एवं राजा की जलेब का दशहरे में विशेष महत्व है। जलेब यानी राजा की शोभा यात्रा। इसमें हजारों लोग और देवलू (देवता के कारिंदें) पारंपरिक बाध्य यंत्रों की थाप पर नाचते-गाते हुए आगे बढ़ेंगे। देवी देवताओं के भव्य मिलन के बाद आज दोपहर बाद नरसिंह भगवान की जलेब निकलेगी। 7 दिन तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा भगवान रघुनाथ जी की शोभा यात्रा के साथ बीते रविवार को शुरू हो गया है। इसमें 283 देवी देवता भाग ले रहे हैं, जबकि निमंत्रण 332 देवी-देवताओं को दिया गया था। इस मेले के लिए बाह्य सराज, आनी, निरमंड और सैंज की शांघड़ घाटी के दूरस्थ इलाकों के देवी-देवता पैदल चलकर पहुंचे है। जलेब का इतिहास और क्यों निकाली जाती है? माना जाता है कि रजवाड़ाशाही के दिनों में राजा यह जलेब सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था देखने के लिए निकालते थे। वहीं, देवी-देवता बुरी आसुरी शक्तियों को खत्म करने के मकसद से इस जलेब में शामिल होते थे। स्थानीय लोग इस प्रथा को आज भी कायम रखे हुए हैं। सदियों से जलेब निकालने की परंपरा अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में नरसिंह भगवान की जलेब निकालने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। नरसिंह की जलेब अगले 3 दिन तक निकाली जाएगी। इस दौरान अलग-अलग घाटियों के देवी-देवता अलग-अलग दिनों में शरीक होते हैं, जिसमें लोग नाचते गाते हुए आगे बढ़ते हैं। नरसिंग भगवान के सिंहासन से शुरू होगी जलेब यह शोभा यात्रा कुल्लू के ढालपुर में भगवान रघुनाथ के अस्थाई शिविर के साथ बने नरसिंह भगवान के सिंहासन से शुरू होगी। जो क्षेत्रीय अस्पताल, कॉलेज गेट, लाल चंद प्रार्थी कला केंद्र से पीछे और BDO दफ्तर होकर वापस नरसिंह भगवान के सिंहासन तक पहुंचेगी। राजा जगत सिंह के समय से शुरू हुई दशहरा मनाने की परम्परा रूपी रियासत के राजा जगत सिंह ने 1637 से 1662 तक शासन किया। तब उन्होंने दमोदर दास को मूर्ति लाने का जिम्मा दिया गया। 1651 में मूर्ति राजभवन मकराहड़ वर्तमान गड़सा घाटी लाई गई। यहां मूर्ति का भव्य स्वागत हुआ। 1653 में पहला दशहरा मणिकर्ण में मनाया गया। वहीं पर दशहरा मनाने का फैसला लिया गया। 1660 में ढालपुर में मनाना शुरू हुआ। उस दौरान से मूर्ति यहां पर ही है। कुल्लू में एक साथ दिखेगी देशी और विदेशी संस्कृति कुल्लू दशहरा में करीब 25 देशों के कलाकार भाग ले रहे हैं। इसमें रूस, अमेरिका, थाईलैंड, उज्बेकिस्तान, इंडोनेशिया, म्यांमार और किर्गिस्तान के कलाकार भाग लेंगे। आईसीसीआर का संयुक्त सांस्कृतिक दल भी प्रस्तुति देगा। वहीं, उतराखंड, असम, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के सांस्कृतिक दल भी दशहरा में अपने कार्यक्रम देंगे। रात्रि सांस्कृतिक कार्यक्रम में शाहिद माल्या, कुलविंदर बिल्ला, ट्रेप बैंड, शारदा पंडित, हिमालयन रूट्स, गुरनाम भुल्लर, कुमार साहिल, नीरज श्रीधर और बांबे वाइकिंग जैसे कलाकार और बैंड उत्सव में लोगों का मनोरंजन करेंगे। दशहरा उत्सव में कई विदेशी राजदूत भी शामिल होंगे। इस मेले का शुभारंभ राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया, जबकि समापन्न अवसर पर 18 अक्टूबर को CM सुखविंदर सुक्खू विशेष तौर पर मौजूद रहेंगे।
रियल राजा और वर्चुअल क्वीन में मुकाबला:विक्रमादित्य को पिता की लीगेसी तो कंगना को मोदी का सहारा, सालभर बाद भी आपदा के निशां बाकी
रियल राजा और वर्चुअल क्वीन में मुकाबला:विक्रमादित्य को पिता की लीगेसी तो कंगना को मोदी का सहारा, सालभर बाद भी आपदा के निशां बाकी लोकसभा चुनाव में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनोट को BJP की ओर से टिकट दिए जाने के बाद हिमाचल की मंडी सीट पर सबकी नजरें लगी हैं। चाहे फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म के खिलाफ आवाज उठानी हो या फिर राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा और कांग्रेसी नेता राहुल गांधी का विरोध करना हो, कंगना अपनी राय खुलकर रखती रही है। बेबाक बयानबाजी के चलते अनेक विवाद भी उनसे जुड़ चुके हैं। कंगना का यह पहला ही चुनाव है और खुद PM मोदी मंडी में उनके लिए रैली कर चुके हैं। कांग्रेस ने कंगना के सामने अपने युवा चेहरे विक्रमादित्य सिंह को उतारा है। विक्रमादित्य के पिता वीरभद्र सिंह 6 बार हिमाचल के CM और केंद्र में मंत्री रहे। उनका 87 साल की उम्र में 8 जुलाई 2021 को निधन हो गया था। अपने पिता के स्वर्गवास के बाद विक्रमादित्य सिंह हिमाचल की बुशहर रियासत के नए राजा के रूप में गद्दी संभाल चुके हैं। विक्रमादित्य कांग्रेस टिकट पर शिमला रूरल विधानसभा सीट से 2 बार MLA बन चुके हैं और इस समय राज्य की कांग्रेस सरकार में पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर हैं। वीरभद्र सिंह के निधन के बाद देश में यह पहले आम चुनाव हैं और विक्रमादित्य भी पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरे हैं। विक्रमादित्य और कंगना दोनों राजपूत परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मंडी सीट पर राजपूत और ब्राह्मण नेताओं का ही दबदबा रहा। आजादी से अब तक, सिर्फ एक बार को छोड़ दें, तो यहां हुए 19 में से 18 चुनाव में राजपूत या ब्राह्मण बिरादरी का व्यक्ति ही सांसद बना। सिर्फ 1952 में, देश में हुए पहले आम चुनाव में अनुसूचित जाति (SC) से ताल्लुक रखने वाले गोपीराम यहां से जीते थे। 100 साल की सबसे भीषण आपदा की सबसे ज्यादा मार इसी इलाके पर
हिमाचल प्रदेश में 2023 के मानसून सीजन में आई प्राकृतिक आपदा को कोई भूल नहीं सकता। मनाली और उससे ऊपरी इलाकों में 7 जुलाई 2023 को भारी बरसात हुई जो अगले 4 दिन तक लगातार चली। इसके चलते नदी-नालों में जो उफान आया, उसने सबकुछ तहसनहस कर दिया। चंडीगढ़-मनाली फोरलेन हाईवे समेत कुल्लू जिले की 80% से ज्यादा सड़कें बंद हो गईं। ब्यास नदी कई जगह तो फोरलेन हाईवे को पूरी तरह बहा ले गई। दर्जनों पुल ढह गए। कई गाड़ियां नदी-नालों में बह गईं तो कई मलबे में दफन हो गईं। सैकड़ों मकानों-बागीचों को नुकसान पहुंचा। बिजली-मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह ठप हो गया। दर्जनों टूरिस्ट अपने व्हीकल जहां-तहां छोड़कर, पहाड़ी रास्तों पर दो से तीन दिन पैदल चलते हुए मंडी जिले के उन इलाकों तक पहुंचे जहां राहत टीमें काम कर रही थीं। हिमाचल प्रदेश में ऐसी तबाही बीते 100 बरसों में नहीं देखी गई। सालभर बाद भी हालात सामान्य नहीं
प्राकृतिक आपदा से इन्फ्रास्ट्रक्चर को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचा। राज्य सरकार ने एक से डेढ़ महीने के अंदर ज्यादातर सड़कें बहाल तो कर दीं लेकिन चंडीगढ़-मनाली फोरलेन समेत कई सड़कें सालभर बाद भी पूरी तरह रिपेयर नहीं हो पाई। मणिकर्ण सड़क पर 10 महीने बाद मेटलिंग तक नहीं हो सकती। कुल्लू का सैंज बाजार और आलू ग्राउंड आज भी पत्थरों से पटा पड़ा है। इसकी वजह से स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाला टूरिस्ट भी परेशान हो रहा है। बजट का रोना रो रही हिमाचल सरकार बार-बार केंद्र से स्पेशल पैकेज की डिमांड कर रही है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अधिकारी अभी तक आपदा प्रभावित मनाली एरिया में सड़कों को ठीक नहीं कर पाए हैं। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर हमलावर
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा, दोनों इस मुद्दे को अपने-अपने तरीके से पेश करते हुए एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। प्रदेश में सरकार चला रही कांग्रेस का आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र की मोदी सरकार ने हिमाचली लोगों को कोई मदद नहीं दी और हिमाचल से चुने गए भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री के सामने मुद्दा उठाने का प्रयास तक नहीं किया। दूसरी ओर भाजपा नेताओं का दावा है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने मुआवजे में बंदरबांट की और असली पीड़ियों की जगह सिर्फ अपने चहेतों को मदद दी। विक्रमादित्य सिंह लगातार दे रहे कंगना को बहस की चुनौती
विक्रमादित्य सिंह ने मंडी संसदीय हलके के लिए अपना विजन भी रखा है। इसमें नई टनल बनवाने, कुल्लू में मेडिकल कॉलेज खोलने, ब्यास नदी का चैनेलाइजेशन करने, मंडी को स्मार्ट सिटी बनाने, सड़कों की हालत सुधारने और टूरिज्म सेक्टर से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। विक्रमादित्य लगातार कह रहे हैं कि कंगना रनोट को हिमाचल के मुद्दों का कोई ज्ञान नहीं है और उन्होंने प्रदेश के लिए कुछ नहीं किया। वह राज्य के मुद्दों पर कंगना को बहस की चुनौती दे रहे हैं। दूसरी तरफ BJP की कंगना रनोट मुद्दों पर ज्यादा फोकस करने की जगह विक्रमादित्य पर व्यक्तिगत हमले ज्यादा कर रही हैं। वह PM मोदी और भाजपा की नीतियों के नाम पर वोट मांग रही हैं। दोनों युवा चेहरे, दोनों के लिए लोगों में क्रेज
विक्रमादित्य के राजपरिवार से होने के कारण महिलाओं और यूथ में उनके प्रति क्रेज नजर आता है। महिलाएं उनके साथ फोटो खिंचवाने को उतावली दिखती हैं। उन्हें आइडल के रूप में देखने वाले युवा उनकी जनसभाओं में ‘पहले शेर आया, शेर आया’ जैसे नारे लगाते हैं। विक्रमादित्य भी आम लोगों से खुलकर मिलते हैं। कंगना रनोट को लेकर भी आम लोगों में अच्छी-खासी उत्सुकता है। लोग इस बड़ी बॉलीवुड सेलिब्रिटी को करीब से देखना चाहते हैं। मंडी दोनों के लिए घर जैसा
इतिहास पर नजर डालें तो मंडी सीट वीरभद्र परिवार का गढ़ रही है। उनके परिवार का यहां से 50 साल से भी पुराना नाता है। वीरभद्र सिंह खुद यहां से 3 बार सांसद बने जबकि 3 बार उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह कांग्रेस के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचीं। बुशहर रियासत का हेडक्वार्टर शिमला के रामपुर में है और रामपुर का इलाका मंडी संसदीय हलके में ही आता है। इस लिहाज से देखें तो मंडी विक्रमादित्य के लिए घर जैसा है। खुद को हिमाचल की बेटी बताने वाली कंगना मंडी की ही रहने वाली हैं। उनका घर सरकाघाट इलाके के भांबला गांव में है। राज्य के 12 में से 6 जिलों में फैली इकलौती सीट
मंडी संसदीय हलका हिमाचल के कुल 12 जिलों में से 6 जिलों में फैला है। मंडी के अलावा पूरा कुल्लू जिला इस लोकसभा सीट में आता है। राज्य के दोनों कबायली जिले लाहौल-स्पीति और किन्नौर के अलावा चंबा का पांगी वाला इलाका (भरमौर विधानसभा) भी इसी संसदीय क्षेत्र में है। शिमला की रामपुर विधानसभा सीट भी मंडी लोकसभा हलके में आती है। जातीय समीकरण : राजपूत वोटर सबसे अधिक, दूसरे नंबर पर SC
सबसे ज्यादा वोटर इन्हीं दोनों बिरादरी के हैं। इस बार भी कांग्रेस और BJP ने यहां राजपूत कैंडिडेट उतारे हैं। मंडी संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक 33.06% राजपूत वोटर हैं। यहां अनुसूचित जाति (SC) की 29.85% और ब्राह्मण आबादी 21.4% है। यहां लगभग 13% ओबीसी और 5% आबादी अनुसूचित जनजाति की भी है। अनुसूचित जाति की 30% आबादी होने के बावजूद इस जाति से केवल एक बार 1952 में यहां सांसद बन पाया। 17 विधानसभा सीटों में से 12 BJP के पास
मंडी संसदीय क्षेत्र में कुल 17 विधानसभा सीटें हैं। इनमें मंडी जिले की 8 सीटें- मंडी, करसोग, सुंदरनगर, नाचन, द्रंग, जोगेंद्रनगर, बल्ह व सरकाघाट शामिल है। कुल्लू जिले की चारों सीटें- मनाली, कुल्लू, बंजार व आनी भी इसी में है। चंबा जिले की भरमौर और शिमला जिले की रामपुर सीट के साथ-साथ राज्य की दोनों कबायली सीटें लाहौल-स्पीति व किन्नौर भी इसी लोकसभा सीट में पड़ती है। इन 17 विधानसभा सीटों में से 12 पर BJP का कब्जा है जबकि पांच जगह कांग्रेस के विधायक हैं। 1971 में वीरभद्र की मंडी में एंट्री, BJP 1989 में पहली बार जीती
कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनाव में हिमाचल के राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले वीरभद्र सिंह को मंडी से टिकट दिया। वीरभद्र सिंह बुशहर रियासत के राजा रहे सर पदम सिंह के बेटे थे। पहले ही चुनाव में वीरभद्र सिंह ने लोकराज पार्टी हिमाचल प्रदेश के उम्मीदवार मंधरलाल को 89177 वोट से हराकर जीत दर्ज की। दूसरी तरफ भाजपा को इस सीट पर पहली जीत 1989 के लोकसभा चुनाव में मिली। तब पार्टी के उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने कांग्रेस के दिग्गज नेता पंडित सुखराम को हराया था। 19 में से 13 बार कांग्रेस जीती, इनमें से 6 जीत वीरभद्र परिवार के नाम
मंडी लोकसभा सीट पर आज तक कुल 19 बार चुनाव हुए। इनमें 3 उपचुनाव शामिल है और तीनों उपचुनाव में कांग्रेस जीती। यहां 19 में से 13 बार कांग्रेस विजयी रही जबकि BJP को सिर्फ 5 बार जीत नसीब हुई। एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार जीते। इस सीट पर वीरभद्र सिंह के परिवार को 6 बार जीत मिली। यहां से 3 बार खुद वीरभद्र सिंह सांसद चुने गए जबकि 3 बार उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को जीत मिली। इनके अलावा कांग्रेस से सुखराम भी 3 बार यहां से विजयी रहे। विक्रमादित्य के लिए दोतरफा उलझन
विक्रमादित्य ने मंडी लोकसभा सीट से टिकट के लिए अप्लाई नहीं किया था। उनका नाम सीधे कांग्रेस हाईकमान ने अनाउंस किया। उनके परिवार का हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में अलग स्थान है। अगर वह लोकसभा चुनाव में हार गए तो प्रदेश में उनकी फैमिली के राजनीतिक दबदबे पर असर पड़ेगा। वहीं अगर विक्रमादित्य सिंह जीत गए तो उन्हें हिमाचल की राजनीति छोड़कर दिल्ली शिफ्ट होना पड़ेगा। उस सूरत में भी उनके प्रदेश की राजनीति से आउट होने के चांस रहेंगे। मंडी सीट पर ग्राउंड पर क्या हालात हैं, यह जानने दैनिक भास्कर लोगों के बीच पहुंचा। तेज ठाकुर बोले- राज्य सरकार ज्यादा काम नहीं कर पाई
भाजपा के वरिष्ठ नेता और हिमाचल के पूर्व CM जयराम ठाकुर मंडी जिले में सराज के रहने वाले हैं। यह एरिया भाजपा का गढ़ है। सराज एरिया से ताल्लुक रखने वाले तेज ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार अच्छा काम कर रही है। पिछले 8-10 बरसों में दूसरे देशों में इंडिया की इमेज बनी है। तेज ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने हिमाचल में डेढ़ साल में ज्यादा काम नहीं किए। रोजगार नहीं दिया गया। कांग्रेस के लोग 5 साल तक सपने दिखाएंगे और फिर उन्हें चकनाचूर करेंगे। सुक्खू सरकार अभी तक ज्यादा कुछ नहीं कर पाई। पद्म प्रभाकर बोले- विक्रमादित्य को लोग वोट देंगे
कुल्लू जिले में आनी के रहने वाले पद्म प्रभाकर ने कहा कि हिमाचल के कई सरकारी विभागों में पोस्टें खाली पड़ी हैं जिन्हें भरा नहीं जा रहा। सड़कों की हालत खस्ता है। हिमाचल में पिछली भाजपा सरकार ने आनी इलाके में सब्जी मंडी बनाने के लिए कुछ नहीं किया। मोदी सरकार से नाराज दिख रहे पद्म प्रभाकर ने कहा कि महंगाई काफी बढ़ गई है। पिछले साल आई आपदा में राज्य सरकार ने अच्छा काम किया। उन्होंने कहा कि आनी के लोग कांग्रेस कैंडिडेट विक्रमादित्य को वोट देंगे। जनता उन्हें भविष्य के नेता के रूप में देख रही है। पिंगला देवी बोली- सरकार से कोई मदद नहीं मिली
मनाली की सोलंग घाटी में सैलानियों को बर्फ में चलने लायक जूते और रेनकोट वगैरह किराए पर देने वाली पिंगला देवी ने कहा कि पिछले साल हुई तबाही के बाद अब धीरे-धीरे लोग यहां घूमने पहुंच रहे हैं। अभी तक सीजन ठीक चल रहा है। पिंगला देवी ने कहा कि पिछले साल बारिश से हुई तबाही के बाद उन्हें किसी से कोई मदद नहीं मिली। जो काम करेगा, हम चुनाव में उसे ही वोट देंगे। रीता बोली- कंगना रनोट मुंबई की
मंडी जिले में कटौला इलाके से ताल्लुक रखने वाली रीता देवी का कहना है कि हमें यह पता है कि इस बार चुनाव में मुंबई की कंगना रनोट और हमारे अपने राज्य का लड़का विक्रमादित्य खड़ा है। हमें यहां पहाड़ पर रोजगार के लिए पसीना बहाना पढ़ता है। हम देखेंगे कि वोट किसे देना है? होटल कारोबारी बोले- लोग देख-सुनकर वोट देंगे
कुल्लू में होटल चलाने वाले एसआर चौधरी ने कहा कि पिछले साल बारिश से जो त्रासदी हुई, उसकी सबसे ज्यादा मार कुल्लू और मंडी जिलों में ही पड़ी थी। आपदा के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार ने अच्छा काम किया। तेजी से सड़कें बनाकर ट्रैफिक बहाल किया। चौधरी ने कहा कि भाजपा उम्मीदवार कंगना रनोट ने यहां कोई काम नहीं करवाया। ऐसे में यहां के लोग अच्छी तरह देख-परखकर ही अपना वोट देंगे। BJP नेता ने कहा- आपदा में टूटे कई रास्ते सालभर बाद भी बंद
कुल्लू में होटल चलाने वाले BJP नेता एसआर सोलंकी का दावा है कि कंगना रनोट के सांसद बनने से हिमाचल के इस इलाके में फिल्म इंडस्ट्री से लेकर टूरिज्म तक, सबको काफी फायदा होगा। सोलंकी ने कंगना पर कांग्रेसी नेताओं की ओर से की जाने वाली व्यक्तिगत टिप्पणियों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि हर आदमी का अपना एक प्रोफेशन होता है। सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस की राज्य सरकार ने 15 महीने के अपने कार्यकाल में कुछ नहीं किया। पिछले साल आई आपदा में जो रास्ते बंद हो गए थे, उनमें से कई आज तक नहीं खुले। कांग्रेसी नेताओं की आपसी लड़ाई के कारण आम लोगों के काम नहीं हो पा रहे। वरिष्ठ पत्रकार यादव बोले- कंगना पैराशूट कैंडिडेट
हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार DC यादव का मानना है कि भाजपा ने हिमाचल की चार में से तीन सीटों पर अच्छे उम्मीदवार उतारे लेकिन मंडी सीट पर पार्टी ने पैराशूट से लाई गई कंगना रनोट को टिकट दे दिया। कंगना रनोट की ओर से खुद को हिमाचल प्रदेश की बेटी बताए जाने पर यादव ने कहा कि मंडी में तो हजारों बेटियां हैं और उनमें से बहुत सारी लंबे समय से भाजपा में ही रहकर काम कर रही हैं। BJP ने इन बेटियों को छोड़कर कंगना को टिकट क्यों दिया? क्या पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को टिकट देने लायक नहीं समझती।
मध्यप्रदेश की गुल्लक टीम हिमाचल CM से मिली:प्रतीकात्मक गुल्लक भेंट की; सुक्खू बोले-चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के गोद लिए अनाथ पर करेंगे खर्च
मध्यप्रदेश की गुल्लक टीम हिमाचल CM से मिली:प्रतीकात्मक गुल्लक भेंट की; सुक्खू बोले-चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के गोद लिए अनाथ पर करेंगे खर्च लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ी ‘गुल्लक टीम’ के सदस्यों ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भेंट की। इस अवसर पर टीम के सदस्यों ने मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष के लिए एक प्रतीकात्मक गुल्लक भेंट किया। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस टीम के उदार अंशदान के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, यह धनराशि प्रदेश सरकार द्वारा ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में गोद लिए गए अनाथ बच्चों की सहायता के लिए समर्पित की जाएगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश की गुल्लक टीम के सदस्यों से संवाद किया। यह भेंट सीएम के सरकारी आवास ओक ओवर में की गई। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ. (कर्नल) धनीराम शांडिल, मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, विधायक हरीश जनारथा, प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान भी उपस्थित रहे। गुल्लक टीम के सदस्यों ने 3 दिन पहले राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी (OSD) रितेश कपरेट से भी मुलाकात की थी। तब इन्होंने सीएम सिंह सुक्खू से मिलने का समय मांगा था। यह टीम पिछले दिनों हरियाणा में प्रचार कर रही थी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ये बच्चे मध्य प्रदेश से जम्मू-कश्मीर तक की यात्रा कर चुके हैं। इनका उद्देश्य सामाजिक जागरूकता और एकजुटता को बढ़ावा देना था। गुल्लक टीम के सदस्य जतिन परमार: 11वीं कक्षा का छात्र यशराज परमार: 7वीं कक्षा का छात्र राजकुमार परमार: 12वीं कक्षा का छात्र जिया परमार: 12वीं कक्षा की छात्रा