पंजाब में गत कांग्रेस सरकार के समय (2017 से 2022) में मोहाली के साथ लगते एरिया में एक्वायर हुई जमीनों में फर्जी तरीके से अमरूद के बगीचे दिखाकर करोडों रुपए का मुआवजा सरकार से लिया गया था। इस मामले में प्रॉपर्टी डीलर, अफसर और IAS अफसरों की पत्नियां आरोपी हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने इस मामले में एक आरोपी नायब तहसीलदार जसकरण सिंह बराड़ को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद मोहाली अदालत में सरेंडर किया है। फर्जी लोगों के नाम सूची में किए शामिल विजिलेंस ब्यूरो की जांच में सामने आया कि जसकरण सिंह बराड़ और इस मामले के मुख्य आरोपी के बीच सांठगांठ थी। इसके अलावा भुगतान जारी करने से पहले रिकॉर्ड में यह बात सामने आई थी कि कुछ भूमि मालिकों के नाम और हिस्सेदारी रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते थे, जबकि कुछ नाम बिना किसी आधार के गलत तरीके से लाभार्थियों की सूची में शामिल किए गए थे। क्योंकि उन्होंने भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 11 के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद भूमि खरीदी थी। HC मिली थी जमानत, नहीं किया सहयोग नायब तहसीलदार ने खसरा गिरदावरी रिकॉर्ड की थी। जिसे नजरअंदाज करते हुए विवरण वाली फाइल को एक ही दिन में तीन बार निपटाकर भुगतान की सिफारिश करने में अनावश्यक जल्दबाजी की। बराड़ को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से 11 दिसंबर 2023 को जमानत मिल गई थी। लेकिन ब्यूरो के साथ कोई सहयोग नहीं किया । इसके बाद विजिलेंस ने उसकी याचिका का विरोध किया। मार्च में उसकी याचिका खारिज हो गई थी। फिर उसने सुप्रीम को में शरण ली। थी। इस मामले में अब तक 23 लोग गिफ्तार हो चुके हैं। इस मामले में करोड़ों रुपए अदालत में जमानत करवाकर कई लोग जमानत ले चुके है। पंजाब में गत कांग्रेस सरकार के समय (2017 से 2022) में मोहाली के साथ लगते एरिया में एक्वायर हुई जमीनों में फर्जी तरीके से अमरूद के बगीचे दिखाकर करोडों रुपए का मुआवजा सरकार से लिया गया था। इस मामले में प्रॉपर्टी डीलर, अफसर और IAS अफसरों की पत्नियां आरोपी हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने इस मामले में एक आरोपी नायब तहसीलदार जसकरण सिंह बराड़ को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद मोहाली अदालत में सरेंडर किया है। फर्जी लोगों के नाम सूची में किए शामिल विजिलेंस ब्यूरो की जांच में सामने आया कि जसकरण सिंह बराड़ और इस मामले के मुख्य आरोपी के बीच सांठगांठ थी। इसके अलावा भुगतान जारी करने से पहले रिकॉर्ड में यह बात सामने आई थी कि कुछ भूमि मालिकों के नाम और हिस्सेदारी रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते थे, जबकि कुछ नाम बिना किसी आधार के गलत तरीके से लाभार्थियों की सूची में शामिल किए गए थे। क्योंकि उन्होंने भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 11 के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद भूमि खरीदी थी। HC मिली थी जमानत, नहीं किया सहयोग नायब तहसीलदार ने खसरा गिरदावरी रिकॉर्ड की थी। जिसे नजरअंदाज करते हुए विवरण वाली फाइल को एक ही दिन में तीन बार निपटाकर भुगतान की सिफारिश करने में अनावश्यक जल्दबाजी की। बराड़ को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से 11 दिसंबर 2023 को जमानत मिल गई थी। लेकिन ब्यूरो के साथ कोई सहयोग नहीं किया । इसके बाद विजिलेंस ने उसकी याचिका का विरोध किया। मार्च में उसकी याचिका खारिज हो गई थी। फिर उसने सुप्रीम को में शरण ली। थी। इस मामले में अब तक 23 लोग गिफ्तार हो चुके हैं। इस मामले में करोड़ों रुपए अदालत में जमानत करवाकर कई लोग जमानत ले चुके है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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