5 घंटे मौत के मुंह में रही वाराणसी की पूजा:बोली- मेरे ऊपर पूरा मकान गिर पड़ा, हाथ हिला तो लगा जिंदा हूं

5 घंटे मौत के मुंह में रही वाराणसी की पूजा:बोली- मेरे ऊपर पूरा मकान गिर पड़ा, हाथ हिला तो लगा जिंदा हूं

‘हम रात में सोए हुए थे। अचानक आंख खुली, लगा जैसे सब कुछ हिल रहा है। कुछ बोलने से पहले मेरे ऊपर की छत नीचे आ गई। सांसें थम सी गईं। सन्नाटा हो गया, कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मैंने हाथ हिलाए, तो लगा कि हड्‌डी टूट गई है, बहुत तेज दर्द हुआ। जब आंख ठीक से खुल सकी, तो समझ आया कि घर ढह गया है। मेरे ठीक आगे एक पत्थर आ गया, उसी के नीचे मैं बची हुई थी। वरना जान चली जाती।’ यह कहना है वाराणसी के पांचों पंडवा इलाके में मकान के मलबे में 5 घंटे दबी रही पूजा गुप्ता का। उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया है। दैनिक भास्कर ने दहशत के उस वाकये के बारे में पूजा से जाना… मुझे लगा मर चुकी हूं, खुद की सांसें महसूस कीं
पूजा ने बताया- मेरे घर में कल 8 सदस्य थे, सभी गहरी नींद में सो रहे थे। मैं तीसरी मंजिल के एक कमरे में अकेली सोई थी। जब मलबा गिरने लगा, तब नींद खुली। कुछ समझ में ही नहीं आया। महज 5 सेकेंड में हम मलबे के नीचे दबे थे। पहले लगा, मैं मर चुकी हूं। खुद की सांसें महसूस करने की कोशिश की। हकीकत जानिए, मलबे को हाथ से हटाकर देखा, तब यकीन आया कि मैं जिंदा हूं। चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मैं कुछ नहीं बोल सकी। जैसे आवाज गले में घुट गई हो। पता नहीं कितनी देर तक ऐसे ही पड़ी रही। लगातार यही सोच रही थी कि परिवार के बाकी लोग अलग-अलग जगह पर सोए थे। वो कैसे हैं, कहीं चोट तो नहीं लगी? वो पता नहीं बच पाए या नहीं? फिर दिमाग में सवाल आने लगे कि आक्सीजन खत्म हो जाएगी, तो कैसे सांस लूंगी? क्या बच पाऊंगी? इतनी उम्मीद थी कि भोलेनाथ बचा लेंगे। कुछ देर में मुझे दूर पर मिट्‌टी हटती हुई महसूस हुई। एक आवाज सुनाई दी। जैसे कोई पुकार रहा हो। यह देखकर मुझे हिम्मत आ गई। पूरी ताकत से चिल्लाई, शायद किसी ने मेरी आवाज सुन ली थी। कुछ देर में पूछा- सांस ले पा रही हो? तुम्हें आक्सीजन भेज रहे हैं, कुछ देर में बाहर निकाल लेंगे। कुछ देर बाद ऊपर होल से एक पाइप अंदर आ गया। मैंने थोड़ा सरक कर उस पाइप को पकड़ लिया। उससे सांस लेने की कोशिश करने लगी। अब लगा कि मैं बच जाऊंगी। NDRF की 8 लोगों की डेडिकेटेड टीम ने पूजा को मलबा के नीचे से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। उन्हें अस्पताल लाया गया। यहां उनके परिवार के लोग पहले से भर्ती थे। आंख खुली तो हर तरफ अंधेरा था
घायल रमेश चंद्र गुप्ता को 1 घंटे के अंदर ही बाहर निकाल लिया गया था। उन्होंने कहा- हम गहरी नींद में सोए हुए थे। आंख खुली तो हर तरफ अंधेरा था और हम मलबे के नीचे दबे थे। काफी कोशिश की कि इसके नीचे से निकल सके, मगर कामयाब नहीं हुए। कई जगह चोट आई थीं। ज्यादा हिल नहीं पा रहा था। मैं घर की चौथी मंजिल पर सो रहा था। साथ में मेरी बीवी कुसुमलता भी सोई थी। वह भी मलबा में दबी हुई थी। करीब 1 घंटे बाद मुझे NDRF की टीम ने बाहर निकाला। अब जानिए कि हादसे के वक्त कौन-कहां सोया हुआ था अब आपको बताते हैं, 4 मंजिला मकान में कौन कहां सो रहा था। हादसे के वक्त रमेश चंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी कुसुमलता चौथी मंजिल पर सोए थे। उनके बेटा-बेटी ऋषभ और रितिका भी बगल के कमरे में सोए थे। रमेश के छोटे भाई मनीष चंद्र गुप्ता घर के छत पर सो रहे थे। उनकी पत्नी पूजा गुप्ता तीसरी मंजिल के कमरे में सो रही थी। उसी कमरे में उनका बेटा आर्यन भी था। उनके घर में रमेश की साली प्रेमलता भी पहुंची थी, वह दूसरी मंजिल पर सो रही थीं। हादसे में उनका निधन हो गया। 8 लोगों की डेडिकेटेड टीम ने बचाई पूजा की जिंदगी
वाराणसी के हादसे में NDRF ने रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी भूमिका अदा की। मकान के पत्थर काटने के लिए 3 हैमर, 2 ड्रिल मशीन और 1 गैस कटर मंगवाया गया। DIG मनोज शर्मा ने कहा- पूजा नाम की महिला एक पत्थर के नीचे दबी थी। उस पत्थर को काटने में हमें थोड़ी मुश्किल हुई। इस दौरान यह भी देखना था कि पूजा को आक्सीजन मिलती रहे। 8 डेडिकेटेड लोग सिर्फ पूजा को बचाने में लगाए गए। 5 घंटे के लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद पूजा को बाहर निकाला जा सका। हमने एक मेडिकल टीम को अलर्ट रखा था कि पूजा को निकालते ही मेडिकल सर्विस देनी होगी। NDRF के ऑपरेशन की 2 तस्वीरें अब पढ़िए हादसे के बारे में…
वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम गेट नंबर- 4A से ठीक सटा हुए पांचों पंडवा इलाका है। यहां सोमवार-मंगलवार रात करीब 2.50 बजे हादसा हो गया। काशी विश्वनाथ मंदिर (यलो जोन) के पास पांच-पांच मंजिल की 2 मकान धराशायी हो गए। छत पर सो रहे दो लोगों ने दूसरे की छत पर कूद कर अपनी जान बचाई। घटना की जानकारी होते ही NDRF की टीम ने महज आधे घंटे में मोर्चा संभाला। टीम ने एक-एक कर घर के 7 सदस्यों को बाहर निकाला। एक महिला की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि महिला के दाहिने गर्दन के पास हैवी चीज गिरी थी, जिससे उसकी जान गई। वहीं, इस घटना में एक महिला कॉन्स्टेबल के जबड़े में चोट लगी है। उसका इलाज BHU के ट्रामा सेंटर में चल रहा है। अब पढ़िए क्या थे घर गिरने का कारण… 100 साल पुराना स्ट्रक्चर, इसलिए ढहा
मकान नंबर 28/7 के मालिक मनीष गुप्ता ने कहा- मेरा मकान 100 साल पुराना है। इस हादसे में मेरा पूरा परिवार घायल हो गया है। हम लोगों ने मंदिर प्रशासन को कई बार शिकायती पत्र दिया था कि मकान गिरवा दिया जाए। इसके बावजूद प्रशासन ने हमारी एक न सुनी। करीब 10 साल से यह मकान जर्जर अवस्था में है। मकान संख्या 28/6 के मालिक अजीत कुमार ने कहा- हमने मकान किराए पर दिया था। मेरे मकान के पिछले हिस्से में कुल 5 किराएदार रहते थे। मकान का अगला हिस्सा गिरा तो वह पांचों भागकर पीछे के दरवाजे से निकल गए। सभी पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने बताया- मकान मालिक मनीष गुप्ता नगर निगम और मंदिर प्रशासन के पास काफी दिनों से दौड़ रहे थे। लेकिन उधर से कोई भी रिस्पॉन्स नहीं मिला। उन्होंने कहा कि दो ऑप्शन दिया गया था जिसमें पहले या तो हमें मकान बनवाने दिया जाए या फिर हमारे मकान को मंदिर प्रशासन खरीद ले। यह खबर भी पढ़िए… काशी विश्वनाथ मंदिर के पास दो मकान ढहे…1 की मौत:पीड़ित बोला-जर्जर घरों की मरम्मत के आवेदन मंजूर नहीं हुए; PM ने की कमिश्नर से बात वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मंगलवार सुबह 3 बजे 2 मकान ढह गए। इसमें ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी समेत 9 लोग मलबे में दब गए। 8 को सुरक्षित बाहर निकाला गया। 43 साल की एक महिला की मौत हो गई। हादसे के वक्त लोग सो रहे थे।सूचना मिलते ही कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। NDRF बुलाई गई। 6 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला। जिस गली में हादसा हुआ, उसकी चौड़ाई महज 8 फीट है। पूरी खबर पढ़िए… ‘हम रात में सोए हुए थे। अचानक आंख खुली, लगा जैसे सब कुछ हिल रहा है। कुछ बोलने से पहले मेरे ऊपर की छत नीचे आ गई। सांसें थम सी गईं। सन्नाटा हो गया, कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मैंने हाथ हिलाए, तो लगा कि हड्‌डी टूट गई है, बहुत तेज दर्द हुआ। जब आंख ठीक से खुल सकी, तो समझ आया कि घर ढह गया है। मेरे ठीक आगे एक पत्थर आ गया, उसी के नीचे मैं बची हुई थी। वरना जान चली जाती।’ यह कहना है वाराणसी के पांचों पंडवा इलाके में मकान के मलबे में 5 घंटे दबी रही पूजा गुप्ता का। उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया है। दैनिक भास्कर ने दहशत के उस वाकये के बारे में पूजा से जाना… मुझे लगा मर चुकी हूं, खुद की सांसें महसूस कीं
पूजा ने बताया- मेरे घर में कल 8 सदस्य थे, सभी गहरी नींद में सो रहे थे। मैं तीसरी मंजिल के एक कमरे में अकेली सोई थी। जब मलबा गिरने लगा, तब नींद खुली। कुछ समझ में ही नहीं आया। महज 5 सेकेंड में हम मलबे के नीचे दबे थे। पहले लगा, मैं मर चुकी हूं। खुद की सांसें महसूस करने की कोशिश की। हकीकत जानिए, मलबे को हाथ से हटाकर देखा, तब यकीन आया कि मैं जिंदा हूं। चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मैं कुछ नहीं बोल सकी। जैसे आवाज गले में घुट गई हो। पता नहीं कितनी देर तक ऐसे ही पड़ी रही। लगातार यही सोच रही थी कि परिवार के बाकी लोग अलग-अलग जगह पर सोए थे। वो कैसे हैं, कहीं चोट तो नहीं लगी? वो पता नहीं बच पाए या नहीं? फिर दिमाग में सवाल आने लगे कि आक्सीजन खत्म हो जाएगी, तो कैसे सांस लूंगी? क्या बच पाऊंगी? इतनी उम्मीद थी कि भोलेनाथ बचा लेंगे। कुछ देर में मुझे दूर पर मिट्‌टी हटती हुई महसूस हुई। एक आवाज सुनाई दी। जैसे कोई पुकार रहा हो। यह देखकर मुझे हिम्मत आ गई। पूरी ताकत से चिल्लाई, शायद किसी ने मेरी आवाज सुन ली थी। कुछ देर में पूछा- सांस ले पा रही हो? तुम्हें आक्सीजन भेज रहे हैं, कुछ देर में बाहर निकाल लेंगे। कुछ देर बाद ऊपर होल से एक पाइप अंदर आ गया। मैंने थोड़ा सरक कर उस पाइप को पकड़ लिया। उससे सांस लेने की कोशिश करने लगी। अब लगा कि मैं बच जाऊंगी। NDRF की 8 लोगों की डेडिकेटेड टीम ने पूजा को मलबा के नीचे से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। उन्हें अस्पताल लाया गया। यहां उनके परिवार के लोग पहले से भर्ती थे। आंख खुली तो हर तरफ अंधेरा था
घायल रमेश चंद्र गुप्ता को 1 घंटे के अंदर ही बाहर निकाल लिया गया था। उन्होंने कहा- हम गहरी नींद में सोए हुए थे। आंख खुली तो हर तरफ अंधेरा था और हम मलबे के नीचे दबे थे। काफी कोशिश की कि इसके नीचे से निकल सके, मगर कामयाब नहीं हुए। कई जगह चोट आई थीं। ज्यादा हिल नहीं पा रहा था। मैं घर की चौथी मंजिल पर सो रहा था। साथ में मेरी बीवी कुसुमलता भी सोई थी। वह भी मलबा में दबी हुई थी। करीब 1 घंटे बाद मुझे NDRF की टीम ने बाहर निकाला। अब जानिए कि हादसे के वक्त कौन-कहां सोया हुआ था अब आपको बताते हैं, 4 मंजिला मकान में कौन कहां सो रहा था। हादसे के वक्त रमेश चंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी कुसुमलता चौथी मंजिल पर सोए थे। उनके बेटा-बेटी ऋषभ और रितिका भी बगल के कमरे में सोए थे। रमेश के छोटे भाई मनीष चंद्र गुप्ता घर के छत पर सो रहे थे। उनकी पत्नी पूजा गुप्ता तीसरी मंजिल के कमरे में सो रही थी। उसी कमरे में उनका बेटा आर्यन भी था। उनके घर में रमेश की साली प्रेमलता भी पहुंची थी, वह दूसरी मंजिल पर सो रही थीं। हादसे में उनका निधन हो गया। 8 लोगों की डेडिकेटेड टीम ने बचाई पूजा की जिंदगी
वाराणसी के हादसे में NDRF ने रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी भूमिका अदा की। मकान के पत्थर काटने के लिए 3 हैमर, 2 ड्रिल मशीन और 1 गैस कटर मंगवाया गया। DIG मनोज शर्मा ने कहा- पूजा नाम की महिला एक पत्थर के नीचे दबी थी। उस पत्थर को काटने में हमें थोड़ी मुश्किल हुई। इस दौरान यह भी देखना था कि पूजा को आक्सीजन मिलती रहे। 8 डेडिकेटेड लोग सिर्फ पूजा को बचाने में लगाए गए। 5 घंटे के लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद पूजा को बाहर निकाला जा सका। हमने एक मेडिकल टीम को अलर्ट रखा था कि पूजा को निकालते ही मेडिकल सर्विस देनी होगी। NDRF के ऑपरेशन की 2 तस्वीरें अब पढ़िए हादसे के बारे में…
वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम गेट नंबर- 4A से ठीक सटा हुए पांचों पंडवा इलाका है। यहां सोमवार-मंगलवार रात करीब 2.50 बजे हादसा हो गया। काशी विश्वनाथ मंदिर (यलो जोन) के पास पांच-पांच मंजिल की 2 मकान धराशायी हो गए। छत पर सो रहे दो लोगों ने दूसरे की छत पर कूद कर अपनी जान बचाई। घटना की जानकारी होते ही NDRF की टीम ने महज आधे घंटे में मोर्चा संभाला। टीम ने एक-एक कर घर के 7 सदस्यों को बाहर निकाला। एक महिला की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि महिला के दाहिने गर्दन के पास हैवी चीज गिरी थी, जिससे उसकी जान गई। वहीं, इस घटना में एक महिला कॉन्स्टेबल के जबड़े में चोट लगी है। उसका इलाज BHU के ट्रामा सेंटर में चल रहा है। अब पढ़िए क्या थे घर गिरने का कारण… 100 साल पुराना स्ट्रक्चर, इसलिए ढहा
मकान नंबर 28/7 के मालिक मनीष गुप्ता ने कहा- मेरा मकान 100 साल पुराना है। इस हादसे में मेरा पूरा परिवार घायल हो गया है। हम लोगों ने मंदिर प्रशासन को कई बार शिकायती पत्र दिया था कि मकान गिरवा दिया जाए। इसके बावजूद प्रशासन ने हमारी एक न सुनी। करीब 10 साल से यह मकान जर्जर अवस्था में है। मकान संख्या 28/6 के मालिक अजीत कुमार ने कहा- हमने मकान किराए पर दिया था। मेरे मकान के पिछले हिस्से में कुल 5 किराएदार रहते थे। मकान का अगला हिस्सा गिरा तो वह पांचों भागकर पीछे के दरवाजे से निकल गए। सभी पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने बताया- मकान मालिक मनीष गुप्ता नगर निगम और मंदिर प्रशासन के पास काफी दिनों से दौड़ रहे थे। लेकिन उधर से कोई भी रिस्पॉन्स नहीं मिला। उन्होंने कहा कि दो ऑप्शन दिया गया था जिसमें पहले या तो हमें मकान बनवाने दिया जाए या फिर हमारे मकान को मंदिर प्रशासन खरीद ले। यह खबर भी पढ़िए… काशी विश्वनाथ मंदिर के पास दो मकान ढहे…1 की मौत:पीड़ित बोला-जर्जर घरों की मरम्मत के आवेदन मंजूर नहीं हुए; PM ने की कमिश्नर से बात वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मंगलवार सुबह 3 बजे 2 मकान ढह गए। इसमें ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी समेत 9 लोग मलबे में दब गए। 8 को सुरक्षित बाहर निकाला गया। 43 साल की एक महिला की मौत हो गई। हादसे के वक्त लोग सो रहे थे।सूचना मिलते ही कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। NDRF बुलाई गई। 6 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला। जिस गली में हादसा हुआ, उसकी चौड़ाई महज 8 फीट है। पूरी खबर पढ़िए…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर