IPS डॉ. विपिन ताडा यूपी पुलिस फोर्स में एक फेमस नाम है। उन्होंने कई बदमाशों को ऑन द स्पॉट ढेर किया। जहां भी तैनात रहे, कभी कानून व्यवस्था में ढील नहीं दी। जब-जब बदमाशों ने चुनौती देने का प्रयास किया, तो उन्होंने खुद मोर्चा संभाला। वह पहले ऐसे IPS अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी 10 साल की सर्विस में गैलेंट्री अवॉर्ड के अलावा पुलिस को मिलने वाले तीनों मेडल भी हासिल किए। विपिन ताडा सरकारी डॉक्टर रहे हैं। डॉक्टरी की नौकरी छोड़कर 2012 में वे IPS अफसर बने। इस समय वेस्ट यूपी के मेरठ में SSP हैं। CM योगी आादित्यनाथ के जिला गोरखपुर समेत 6 जिलों में पुलिस कप्तान रह चुके हैं। गोरखपुर में ही एसएसपी रहते छात्रा को गोली मारने वाले कुख्यात को ढेर कर उन्होंने सुर्खियां बटोरीं। उनकी गिनती यूपी के तेज तर्रार IPS अधिकारियों में होती है। डॉ. विपिन ताडा ने कैसे खाकी वर्दी तक का सफर पूरा किया? कभी सफेद पोशाक और स्टेथोस्कोप के साथ रहने वाले डॉ. विपिन अब कैसे अपराध और अपराधियों का इलाज कर रहे हैं? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘खाकी वर्दी’ में आज IPS डॉ. विपिन ताडा की कहानी 6 चैप्टर में पढ़िए… राजस्थान के जोधपुर शहर में एक जगह शक्तिनगर है। यहां जोधपुर हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता मच्छी राम ताडा के घर 22 जनवरी 1984 को बेटे ने जन्म लिया। मां किरण ने उसका नाम विपिन रखा। कानून की किताबों के बीच विपिन का बचपन बीता। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- पिताजी मुझे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने मेरा दाखिला जोधपुर के सेंट एंथोनी स्कूल में कराया। पहले पिताजी मुझे स्कूल छोड़ने और फिर लेने आते थे। लेकिन, जब मैं बड़ा हो गया तो पिताजी से साइकिल की मांग की। मैंने जिद करते हुए कहा कि मुझे साइकिल से स्कूल जाना है। उन दिनों इतना ट्रैफिक नहीं होता था। इसलिए पापा ने साइकिल दिला दी। घर से स्कूल की दूरी लगभग 4 किमी थी। मैं साइकिल से स्कूल जाने लगा। यहीं से मेरा साइकिल प्रेम बढ़ा। साइक्लिंग से शरीर भी फिट रहा। मैंने 1998 में सीबीएसई से दसवीं फर्स्ट क्लास में पास की। उसके बाद 2000 में इंटर पास किया। मेरे मम्मी-पापा यही कहते थे कि बेटा जितना पढ़ लेगा, उतनी ही अच्छी नौकरी मिलेगी। जब दसवीं पास हुआ तब मेरे सीनियर और दोस्त सरकारी नौकरी की चर्चा करते थे कि इतनी पढ़ाई करनी है कि सरकारी नौकरी लग जाए। लेकिन, मैंने इंटर करने के समय ही MBBS की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद मेरा सिलेक्शन हुआ और 2008-09 में मैंने डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज जोधपुर से MBBS पूरा किया। विपिन ताडा बताते हैं- मैंने डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज से ही इंटर्न किया। इसके बाद दिल्ली के इंदिरा गांधी हॉस्पिटल में 2 साल तक सेवाएं दीं। तभी गवर्नमेंट मेडिकल डॉक्टर में चयन हो गया। पहली बार सरकारी डॉक्टर के पद पर चयन हुआ, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां-पिताजी भी बहुत खुश हुए। उस समय मेरी उम्र 27 साल थी। दोस्तों और रिश्तेदारों को जब पता चला कि मैं सरकारी डॉक्टर बन गया, तब मेरे घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया। सरकारी डॉक्टर रहते हुए एक दिन मन में ख्याल आया कि क्यों न UPSC की तैयारी की जाए। पहले तो कुछ दिनों तक यह बात दिमाग में सिर्फ घूमती रही। लेकिन, एक दिन मैंने ठान लिया कि अब कंपटीशन की तैयारी करनी है। मैंने, जब यह बात घर पर बताई तो सभी को बहुत खुशी हुई। पिताजी ने कहा कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, कामयाबी की नींव मेहनत से ही लिखी जाती है। इसके बाद मैं दिल्ली आ गया। यहां मैंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी। मैंने ठान लिया कि IAS या IPS बनना ही है। ड्यूटी से आने के बाद मैं पढ़ाई करने लगता। इस दौरान मैंने दोस्तों से मिलना-जुलना कम कर दिया। डेढ़ साल की तैयारी में ही UPSC को क्रैक कर IPS बना। मुझे 2012 यूपी कैडर मिला। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- आईपीएस बनने के बाद पहली बार घर पर पहुंचा, तब जिस तरह स्वागत किया गया, उसे बयां नहीं कर सकता। बस इतना है कि वैसी खुशी कभी नहीं मिली थी। गांव के लोगों ने कहा कि यह किस्मत है कि सरकारी डॉक्टर अब IPS अधिकारी बन गया है। डॉ. विपिन ताडा ने बताया- साल 2014 में मुझे पहली पोस्टिंग आगरा में मिली। इसके बाद गाजियाबाद जिले में बतौर ASP पोस्टिंग हुई। जनवरी 2015 की बात है, गाजियाबाद में तीन बदमाशों ने दिनदहाड़े मीट कारोबारी से 25 लाख रुपए लूट लिया। इस लूट की सूचना मिलते ही पूरे गाजियाबाद में पुलिस को अलर्ट कर घेराबंदी की गई, लेकिन बदमाश बाइक से होते हुए फरार हो गए। जब पता चला कि मीट कारोबारी मेरठ का रहने वाला था, तो पुलिस ने क्राइम सीन को देखते हुए अलग-अलग एंगल पर जांच को आगे बढ़ाया। एक दशक पहले यह चर्चित लूट की वारदात थी, जिसमें उच्च अधिकारियों ने निर्देश दिए कि इस लूट का शीघ्र खुलासा किया जाए। घटना के खुलासे के लिए STF और क्राइम ब्रांच की टीम लगाई गई। इसके बाद मुखबिर और सर्विलांस से पता चला की लूट करने वाले बदमाश भी मेरठ के रहने वाले हैं। विपिन ताडा बताते हैं- दबिश देते हुए सभी लुटेरों को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से लूट का पूरा कैश बरामद कर इस कांड का खुलासा किया। कारोबारी से लूट की इसी घटना के वर्कआउट पर मुझे डीजी के प्रशंसा चिह्न से सम्मानित किया गया। मेरे लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। उसके बाद क्राइम की अलग अलग घटनाओं पर काम करना शुरू किया। गाजियाबाद सिटी उस समय तेजी से डेवलप हो चुका था, दिल्ली और नोएडा से सटे होने के चलते यहां क्राइम रोकने के लिए अलग पैटर्न पर काम किया। महिलाओं के साथ होने वाले क्राइम को रोकने के लिए शाम से लेकर रात तक पुलिस को अलर्ट रहना पड़ता था। गाजियाबाद में एएसपी रहने के बाद 2016 में मुझे एसपी सिटी आजमगढ़ की जिम्मेदारी मिली। विपिन ताडा ने बताया- आजमगढ़ में शराब माफियाओं के नेटवर्क को तोड़ने पर काम किया। पहले एक महीने तक यह समझा कि शराब में कौन-कौन माफिया शामिल हैं, बाहरी जिलों से कौन लोग अवैध के काम से जुड़े हैं। इसमें पुलिसकर्मियों की भूमिका पर भी नजर रखी गई। कई शराब माफियाओं पर कार्रवाई की गई। इसके बाद मुझे प्रयागराज में एसपी सिटी की जिम्मेदारी मिली। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- 2019 में मैं अमरोहा में SSP था। 17 जुलाई 2019 की बात है। मुरादाबाद जेल से 24 बंदियों को लेकर पुलिस चंदौसी कोर्ट में पेशी पर गई थी। पेशी के बाद सभी बंदियों को मुरादाबाद ले जाया जा रहा था। जब कैदी वाहन संभल जिले के बनियाठेर थाना क्षेत्र में पहुंचा, तभी तीन कैदी शकील, धर्मपाल और कमल ने पुलिस की आंखों में मिर्च पाउडर झोंक दिया। इसके बाद तीनों बदमाशों ने सिपाही हरेंद्र और ब्रजपाल की गोली मारकर हत्या कर दी। और सरकारी राइफल लूटकर फरार हो गए। यह उस समय का सबसे चर्चित हत्याकांड था। पूरा प्रदेश सिपाहियों के हत्याकांड से हिल गया। यह घटना इतनी बड़ी थी कि बरेली जोन के एडीजी अविनाश चंद्रा और आईजी रमित शर्मा को संभल में कैंप करना पड़ा। तीनों बदमाशों पर ढाई-ढाई लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया। इन बदमाशों को पकड़ने के लिए UP STF के अलावा संभल पुलिस भी लगी हुई थी। 2 सिपाहियों की हत्या करने वाले तीनों बदमाशों की घेराबंदी के लिए अमरोहा पुलिस टीम के साथ मैं भी एक्शन मोड में आ गया। हत्याकांड को 72 घंटे भी नहीं हुए थे कि हम लोगों को तीनों बदमाशों के बारे में इनपुट मिला। मुखबिरों ने बताया-साहब, आदमपुर क्षेत्र के ढवारसी के जंगल में तीनों जुटे हैं। इन्फॉर्मेशन पक्की है। जल्दी कीजिए। वो लोग भागने की फिराक में हैं। उनके पास सरकारी राइफल भी है। विपिन ताडा बताते हैं- जैसे हमें सूचना मिली, हम लोगों ने टीम बनाई। इसके बाद बताई गई लोकेशन पर पहुंच गए। हमारे साथ STF भी थी। हमने बदमाशों की घेराबंदी की। इस दौरान उनको भनक लग गई कि पुलिस दबिश दे चुकी है। वो तीनों हम लोगों पर फायरिंग करने लगे। 20 मिनट तक फायरिंग हुई। हम लोगों ने भी जवाबी कार्रवाई की। इस मुठभेड़ में ढाई लाख का इनामी बदमाश कुख्यात कमल ढेर हो गया। इस घटना में सिपाही प्रवीण भी गोली लगने से घायल हुए। विपिन ताडा बताते हैं कि मुठभेड़ में कई बार सामने से गोली चली, यह ऐसी घटना थी कि कुख्यात कमल पुलिस की लूटी हुई राइफल से फायरिंग कर रहा था। इसमें सबसे पहली प्लानिंग यह थी कि पुलिस की जान न जाए और कुख्यात भी पकड़ा जाए। लेकिन, कमल पुलिस से खुद को घिरता देखकर लगातार गोली दाग रहा था, पहली बार मौत को मैंने इतने करीब से देखा। जहां दो सिपाहियों की हत्या का बदला कुख्यात कमल को ढेर कर लिया गया। अन्य दो शकील और धर्मपाल पकड़े गए। इसी घटना को वर्कआउट करने में विपिन टाडा को राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- 2021 में मैं गोरखपुर का SSP था। 20 अगस्त की बात है। यहां गगहा थाना क्षेत्र में जगदीशपुर भलुआन गांव के कुख्यात बदमाश विजय ने गांव की 17 साल की छात्रा की गोली मारकर हत्या कर दी। यह वारदात उस समय हुई थी, जब कुख्यात छात्रा के पिता के साथ मारपीट कर रहा था। बेटी ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू किया तो विजय ने उसके पेट में गोली मार दी। हम लोगों ने छात्रा को बचाने का पूरा प्रयास किया। उसे लखनऊ तक लेकर गए। डॉक्टरों के भरसक प्रयास के बाद भी वह नहीं बच सकी। घटना के पांचवें दिन उसकी मौत हो गई। इधर, बदमाश फरार था। उसे पकड़ने के लिए हमने एक लाख रुपए इनाम का ऐलान किया। विजय गोरखपुर का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर था। कई थानों में उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। विजय की गिरफ्तारी के लिए पुलिस और SOG की अलग-अलग टीमें लगाई गईं। सख्त हिदायत थी कि कुख्यात विजय को हर हाल में पकड़ना है। इस वारदात के तुंरत बाद सबसे पहले जिले की सभी सीमाओं पर अलर्ट कर दिया गया। कई दिनों तक जंगलों में कांबिंग की। मुखबिरों का नेटवर्क स्ट्रॉन्ग किया। एक रात हमें टिप मिली कि विजय जंगल में है। लोकेशन का पता चलते ही हमने विजय को घेर लिया। उससे सरेंडर करने की बात कही गई। लेकिन, विजय ने भागने के लिए फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विजय मार गिराया गया। एसएसपी विपिन टाडा बताते हैं कि गोरखपुर में छात्राओं व महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे जिले में अभियान चलाया गया। कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों के बाहर वह खुद भी पुलिस सुरक्षा देखने जाते। कई बार पुलिस को भी पता नहीं चलता था। सादे कपड़ों में प्राइवेट गाड़ी से किसी भी समय सुरक्षा को परखा जाता था। गोरखपुर में माफियाओं की रीढ़ तोड़ने के लिए पुलिस टीमों को अलग से गठित किया गया। भू-माफिया और शराब माफियाओं में जुड़े 14 बड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा। डॉ विपिन ताडा बताते हैं- पिछले साल मैं एसएसपी सहारनपुर था। जून में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पर हमला हुआ। एक गोली चंद्रशेखर को छू कर निकल गई। इस घटना की सूचना मिलते ही मैं तत्काल मौके पर पहुंचा। पहले घायल चंद्रशेखर से पूरे प्रकरण की जानकारी ली, उसके बाद घटनास्थल पर पहुंचकर पूरे क्राइम सीन को देखा। पूरे जिले में अलर्ट कर दिया गया। यह घटना बड़ी थी, जिसको लेकर लखनऊ से भी वरिष्ठ अधिकारियों के फोन आए। सबसे बड़ी गनीमत तो यह रही कि किसी की जान नहीं गई, घटना के खुलासे के लिए पुलिस की अलग अलग टीमों का गठन किया गया। अलग अलग स्थानों पर सीसी टीवी कैमरों का भी सहारा लिया गया। कुछ संदिग्ध वाहनों को ट्रेस किया गया। इसके बाद हमें पता चला कि यह हमला लविश नाम के युवक ने अपने साथियों के साथ मिलकर किया है। चार युवकों के नाम सामने आए। इन सभी हमलावरों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस लगातार दबिश दे रही थी, लेकिन यह सभी घर छोड़कर फरार थे। इनमें लविश के तीन अन्य साथी सहारनपुर के ही रहने वाले थे। एक दिन मुखबिर ने सूचना दी- भीम आर्मी प्रमुख पर हमला करने वाले हरियाणा की अंबाला कोर्ट में सरेंडर करने वाले हैं। इससे पहले ही पुलिस की दो टीमें सहारनपुर से अंबाला में भेज दी गईं थी, जहां से पुलिस ने हमलावरों को अरेस्ट करते हुए इस सनसनीखेज वारदात का खुलासा किया। इनका नाम लविश, आकाश और पोपट था। तीनों युवक रणखंडी गांव के रहने वाले थे। वहीं, एक युवक हरियाणा के करनाल के गांव गोंदर का रहने वाला था। सहारनपुर माफिया इकबाल की 800 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त कर सरकार से अटैच किया। इस माफिया की अवैध संपत्ति को चिह्नित भी किया गया। सहारनपुर में घर, जमीन के अलावा नोएडा में फ्लैट को भी जब्त किया गया। वहीं लखनऊ में इसकी करोड़ों रुपए की संपत्ति को जब्त किया। इसके अलावा सहानपुर में चार अन्य भूमाफियाओं पर भी गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की। सहारनपुर के बाद विपिन ताडा को एसएसपी मेरठ की जिम्मेदारी मिली। मेरठ में भी क्राइम की कई बड़ी घटनाओं पर खुद मौके पर पहुंचकर सुलझाया। कांवड़ यात्रा को पूरी तरह से सकुशल संपन्न कराया। कांवड़ यात्रा में मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में खुद आधी रात तक वह फोर्स लेकर सड़कों पर नजर आए। अचीवमेंट्स खाकी वर्दी सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़ें अतीक के बेटे को अरेस्ट कराने वाले IPS राकेश सिंह: 8 कुख्यात के एनकाउंटर, मथुरा के जवाहर बाग कांड की संभाली थी कमान नो कंप्रोमाइज-फैसला ऑन द स्पॉट। इसी सिद्धांत के साथ IPS डॉ. राकेश सिंह 38 साल की नौकरी में 25 से ज्यादा जिलों में तैनात रहे। बेधड़क अफसर की पहचान बनाई। कहीं भी पुलिसिंग से समझौता नहीं किया। 8 कुख्यात को एनकाउंटर में ढेर किया। पढ़ें पूरी खबर… IPS डॉ. विपिन ताडा यूपी पुलिस फोर्स में एक फेमस नाम है। उन्होंने कई बदमाशों को ऑन द स्पॉट ढेर किया। जहां भी तैनात रहे, कभी कानून व्यवस्था में ढील नहीं दी। जब-जब बदमाशों ने चुनौती देने का प्रयास किया, तो उन्होंने खुद मोर्चा संभाला। वह पहले ऐसे IPS अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी 10 साल की सर्विस में गैलेंट्री अवॉर्ड के अलावा पुलिस को मिलने वाले तीनों मेडल भी हासिल किए। विपिन ताडा सरकारी डॉक्टर रहे हैं। डॉक्टरी की नौकरी छोड़कर 2012 में वे IPS अफसर बने। इस समय वेस्ट यूपी के मेरठ में SSP हैं। CM योगी आादित्यनाथ के जिला गोरखपुर समेत 6 जिलों में पुलिस कप्तान रह चुके हैं। गोरखपुर में ही एसएसपी रहते छात्रा को गोली मारने वाले कुख्यात को ढेर कर उन्होंने सुर्खियां बटोरीं। उनकी गिनती यूपी के तेज तर्रार IPS अधिकारियों में होती है। डॉ. विपिन ताडा ने कैसे खाकी वर्दी तक का सफर पूरा किया? कभी सफेद पोशाक और स्टेथोस्कोप के साथ रहने वाले डॉ. विपिन अब कैसे अपराध और अपराधियों का इलाज कर रहे हैं? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘खाकी वर्दी’ में आज IPS डॉ. विपिन ताडा की कहानी 6 चैप्टर में पढ़िए… राजस्थान के जोधपुर शहर में एक जगह शक्तिनगर है। यहां जोधपुर हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता मच्छी राम ताडा के घर 22 जनवरी 1984 को बेटे ने जन्म लिया। मां किरण ने उसका नाम विपिन रखा। कानून की किताबों के बीच विपिन का बचपन बीता। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- पिताजी मुझे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने मेरा दाखिला जोधपुर के सेंट एंथोनी स्कूल में कराया। पहले पिताजी मुझे स्कूल छोड़ने और फिर लेने आते थे। लेकिन, जब मैं बड़ा हो गया तो पिताजी से साइकिल की मांग की। मैंने जिद करते हुए कहा कि मुझे साइकिल से स्कूल जाना है। उन दिनों इतना ट्रैफिक नहीं होता था। इसलिए पापा ने साइकिल दिला दी। घर से स्कूल की दूरी लगभग 4 किमी थी। मैं साइकिल से स्कूल जाने लगा। यहीं से मेरा साइकिल प्रेम बढ़ा। साइक्लिंग से शरीर भी फिट रहा। मैंने 1998 में सीबीएसई से दसवीं फर्स्ट क्लास में पास की। उसके बाद 2000 में इंटर पास किया। मेरे मम्मी-पापा यही कहते थे कि बेटा जितना पढ़ लेगा, उतनी ही अच्छी नौकरी मिलेगी। जब दसवीं पास हुआ तब मेरे सीनियर और दोस्त सरकारी नौकरी की चर्चा करते थे कि इतनी पढ़ाई करनी है कि सरकारी नौकरी लग जाए। लेकिन, मैंने इंटर करने के समय ही MBBS की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद मेरा सिलेक्शन हुआ और 2008-09 में मैंने डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज जोधपुर से MBBS पूरा किया। विपिन ताडा बताते हैं- मैंने डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज से ही इंटर्न किया। इसके बाद दिल्ली के इंदिरा गांधी हॉस्पिटल में 2 साल तक सेवाएं दीं। तभी गवर्नमेंट मेडिकल डॉक्टर में चयन हो गया। पहली बार सरकारी डॉक्टर के पद पर चयन हुआ, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां-पिताजी भी बहुत खुश हुए। उस समय मेरी उम्र 27 साल थी। दोस्तों और रिश्तेदारों को जब पता चला कि मैं सरकारी डॉक्टर बन गया, तब मेरे घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया। सरकारी डॉक्टर रहते हुए एक दिन मन में ख्याल आया कि क्यों न UPSC की तैयारी की जाए। पहले तो कुछ दिनों तक यह बात दिमाग में सिर्फ घूमती रही। लेकिन, एक दिन मैंने ठान लिया कि अब कंपटीशन की तैयारी करनी है। मैंने, जब यह बात घर पर बताई तो सभी को बहुत खुशी हुई। पिताजी ने कहा कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, कामयाबी की नींव मेहनत से ही लिखी जाती है। इसके बाद मैं दिल्ली आ गया। यहां मैंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी। मैंने ठान लिया कि IAS या IPS बनना ही है। ड्यूटी से आने के बाद मैं पढ़ाई करने लगता। इस दौरान मैंने दोस्तों से मिलना-जुलना कम कर दिया। डेढ़ साल की तैयारी में ही UPSC को क्रैक कर IPS बना। मुझे 2012 यूपी कैडर मिला। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- आईपीएस बनने के बाद पहली बार घर पर पहुंचा, तब जिस तरह स्वागत किया गया, उसे बयां नहीं कर सकता। बस इतना है कि वैसी खुशी कभी नहीं मिली थी। गांव के लोगों ने कहा कि यह किस्मत है कि सरकारी डॉक्टर अब IPS अधिकारी बन गया है। डॉ. विपिन ताडा ने बताया- साल 2014 में मुझे पहली पोस्टिंग आगरा में मिली। इसके बाद गाजियाबाद जिले में बतौर ASP पोस्टिंग हुई। जनवरी 2015 की बात है, गाजियाबाद में तीन बदमाशों ने दिनदहाड़े मीट कारोबारी से 25 लाख रुपए लूट लिया। इस लूट की सूचना मिलते ही पूरे गाजियाबाद में पुलिस को अलर्ट कर घेराबंदी की गई, लेकिन बदमाश बाइक से होते हुए फरार हो गए। जब पता चला कि मीट कारोबारी मेरठ का रहने वाला था, तो पुलिस ने क्राइम सीन को देखते हुए अलग-अलग एंगल पर जांच को आगे बढ़ाया। एक दशक पहले यह चर्चित लूट की वारदात थी, जिसमें उच्च अधिकारियों ने निर्देश दिए कि इस लूट का शीघ्र खुलासा किया जाए। घटना के खुलासे के लिए STF और क्राइम ब्रांच की टीम लगाई गई। इसके बाद मुखबिर और सर्विलांस से पता चला की लूट करने वाले बदमाश भी मेरठ के रहने वाले हैं। विपिन ताडा बताते हैं- दबिश देते हुए सभी लुटेरों को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से लूट का पूरा कैश बरामद कर इस कांड का खुलासा किया। कारोबारी से लूट की इसी घटना के वर्कआउट पर मुझे डीजी के प्रशंसा चिह्न से सम्मानित किया गया। मेरे लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। उसके बाद क्राइम की अलग अलग घटनाओं पर काम करना शुरू किया। गाजियाबाद सिटी उस समय तेजी से डेवलप हो चुका था, दिल्ली और नोएडा से सटे होने के चलते यहां क्राइम रोकने के लिए अलग पैटर्न पर काम किया। महिलाओं के साथ होने वाले क्राइम को रोकने के लिए शाम से लेकर रात तक पुलिस को अलर्ट रहना पड़ता था। गाजियाबाद में एएसपी रहने के बाद 2016 में मुझे एसपी सिटी आजमगढ़ की जिम्मेदारी मिली। विपिन ताडा ने बताया- आजमगढ़ में शराब माफियाओं के नेटवर्क को तोड़ने पर काम किया। पहले एक महीने तक यह समझा कि शराब में कौन-कौन माफिया शामिल हैं, बाहरी जिलों से कौन लोग अवैध के काम से जुड़े हैं। इसमें पुलिसकर्मियों की भूमिका पर भी नजर रखी गई। कई शराब माफियाओं पर कार्रवाई की गई। इसके बाद मुझे प्रयागराज में एसपी सिटी की जिम्मेदारी मिली। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- 2019 में मैं अमरोहा में SSP था। 17 जुलाई 2019 की बात है। मुरादाबाद जेल से 24 बंदियों को लेकर पुलिस चंदौसी कोर्ट में पेशी पर गई थी। पेशी के बाद सभी बंदियों को मुरादाबाद ले जाया जा रहा था। जब कैदी वाहन संभल जिले के बनियाठेर थाना क्षेत्र में पहुंचा, तभी तीन कैदी शकील, धर्मपाल और कमल ने पुलिस की आंखों में मिर्च पाउडर झोंक दिया। इसके बाद तीनों बदमाशों ने सिपाही हरेंद्र और ब्रजपाल की गोली मारकर हत्या कर दी। और सरकारी राइफल लूटकर फरार हो गए। यह उस समय का सबसे चर्चित हत्याकांड था। पूरा प्रदेश सिपाहियों के हत्याकांड से हिल गया। यह घटना इतनी बड़ी थी कि बरेली जोन के एडीजी अविनाश चंद्रा और आईजी रमित शर्मा को संभल में कैंप करना पड़ा। तीनों बदमाशों पर ढाई-ढाई लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया। इन बदमाशों को पकड़ने के लिए UP STF के अलावा संभल पुलिस भी लगी हुई थी। 2 सिपाहियों की हत्या करने वाले तीनों बदमाशों की घेराबंदी के लिए अमरोहा पुलिस टीम के साथ मैं भी एक्शन मोड में आ गया। हत्याकांड को 72 घंटे भी नहीं हुए थे कि हम लोगों को तीनों बदमाशों के बारे में इनपुट मिला। मुखबिरों ने बताया-साहब, आदमपुर क्षेत्र के ढवारसी के जंगल में तीनों जुटे हैं। इन्फॉर्मेशन पक्की है। जल्दी कीजिए। वो लोग भागने की फिराक में हैं। उनके पास सरकारी राइफल भी है। विपिन ताडा बताते हैं- जैसे हमें सूचना मिली, हम लोगों ने टीम बनाई। इसके बाद बताई गई लोकेशन पर पहुंच गए। हमारे साथ STF भी थी। हमने बदमाशों की घेराबंदी की। इस दौरान उनको भनक लग गई कि पुलिस दबिश दे चुकी है। वो तीनों हम लोगों पर फायरिंग करने लगे। 20 मिनट तक फायरिंग हुई। हम लोगों ने भी जवाबी कार्रवाई की। इस मुठभेड़ में ढाई लाख का इनामी बदमाश कुख्यात कमल ढेर हो गया। इस घटना में सिपाही प्रवीण भी गोली लगने से घायल हुए। विपिन ताडा बताते हैं कि मुठभेड़ में कई बार सामने से गोली चली, यह ऐसी घटना थी कि कुख्यात कमल पुलिस की लूटी हुई राइफल से फायरिंग कर रहा था। इसमें सबसे पहली प्लानिंग यह थी कि पुलिस की जान न जाए और कुख्यात भी पकड़ा जाए। लेकिन, कमल पुलिस से खुद को घिरता देखकर लगातार गोली दाग रहा था, पहली बार मौत को मैंने इतने करीब से देखा। जहां दो सिपाहियों की हत्या का बदला कुख्यात कमल को ढेर कर लिया गया। अन्य दो शकील और धर्मपाल पकड़े गए। इसी घटना को वर्कआउट करने में विपिन टाडा को राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- 2021 में मैं गोरखपुर का SSP था। 20 अगस्त की बात है। यहां गगहा थाना क्षेत्र में जगदीशपुर भलुआन गांव के कुख्यात बदमाश विजय ने गांव की 17 साल की छात्रा की गोली मारकर हत्या कर दी। यह वारदात उस समय हुई थी, जब कुख्यात छात्रा के पिता के साथ मारपीट कर रहा था। बेटी ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू किया तो विजय ने उसके पेट में गोली मार दी। हम लोगों ने छात्रा को बचाने का पूरा प्रयास किया। उसे लखनऊ तक लेकर गए। डॉक्टरों के भरसक प्रयास के बाद भी वह नहीं बच सकी। घटना के पांचवें दिन उसकी मौत हो गई। इधर, बदमाश फरार था। उसे पकड़ने के लिए हमने एक लाख रुपए इनाम का ऐलान किया। विजय गोरखपुर का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर था। कई थानों में उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। विजय की गिरफ्तारी के लिए पुलिस और SOG की अलग-अलग टीमें लगाई गईं। सख्त हिदायत थी कि कुख्यात विजय को हर हाल में पकड़ना है। इस वारदात के तुंरत बाद सबसे पहले जिले की सभी सीमाओं पर अलर्ट कर दिया गया। कई दिनों तक जंगलों में कांबिंग की। मुखबिरों का नेटवर्क स्ट्रॉन्ग किया। एक रात हमें टिप मिली कि विजय जंगल में है। लोकेशन का पता चलते ही हमने विजय को घेर लिया। उससे सरेंडर करने की बात कही गई। लेकिन, विजय ने भागने के लिए फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विजय मार गिराया गया। एसएसपी विपिन टाडा बताते हैं कि गोरखपुर में छात्राओं व महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे जिले में अभियान चलाया गया। कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों के बाहर वह खुद भी पुलिस सुरक्षा देखने जाते। कई बार पुलिस को भी पता नहीं चलता था। सादे कपड़ों में प्राइवेट गाड़ी से किसी भी समय सुरक्षा को परखा जाता था। गोरखपुर में माफियाओं की रीढ़ तोड़ने के लिए पुलिस टीमों को अलग से गठित किया गया। भू-माफिया और शराब माफियाओं में जुड़े 14 बड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा। डॉ विपिन ताडा बताते हैं- पिछले साल मैं एसएसपी सहारनपुर था। जून में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पर हमला हुआ। एक गोली चंद्रशेखर को छू कर निकल गई। इस घटना की सूचना मिलते ही मैं तत्काल मौके पर पहुंचा। पहले घायल चंद्रशेखर से पूरे प्रकरण की जानकारी ली, उसके बाद घटनास्थल पर पहुंचकर पूरे क्राइम सीन को देखा। पूरे जिले में अलर्ट कर दिया गया। यह घटना बड़ी थी, जिसको लेकर लखनऊ से भी वरिष्ठ अधिकारियों के फोन आए। सबसे बड़ी गनीमत तो यह रही कि किसी की जान नहीं गई, घटना के खुलासे के लिए पुलिस की अलग अलग टीमों का गठन किया गया। अलग अलग स्थानों पर सीसी टीवी कैमरों का भी सहारा लिया गया। कुछ संदिग्ध वाहनों को ट्रेस किया गया। इसके बाद हमें पता चला कि यह हमला लविश नाम के युवक ने अपने साथियों के साथ मिलकर किया है। चार युवकों के नाम सामने आए। इन सभी हमलावरों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस लगातार दबिश दे रही थी, लेकिन यह सभी घर छोड़कर फरार थे। इनमें लविश के तीन अन्य साथी सहारनपुर के ही रहने वाले थे। एक दिन मुखबिर ने सूचना दी- भीम आर्मी प्रमुख पर हमला करने वाले हरियाणा की अंबाला कोर्ट में सरेंडर करने वाले हैं। इससे पहले ही पुलिस की दो टीमें सहारनपुर से अंबाला में भेज दी गईं थी, जहां से पुलिस ने हमलावरों को अरेस्ट करते हुए इस सनसनीखेज वारदात का खुलासा किया। इनका नाम लविश, आकाश और पोपट था। तीनों युवक रणखंडी गांव के रहने वाले थे। वहीं, एक युवक हरियाणा के करनाल के गांव गोंदर का रहने वाला था। सहारनपुर माफिया इकबाल की 800 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त कर सरकार से अटैच किया। इस माफिया की अवैध संपत्ति को चिह्नित भी किया गया। सहारनपुर में घर, जमीन के अलावा नोएडा में फ्लैट को भी जब्त किया गया। वहीं लखनऊ में इसकी करोड़ों रुपए की संपत्ति को जब्त किया। इसके अलावा सहानपुर में चार अन्य भूमाफियाओं पर भी गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की। सहारनपुर के बाद विपिन ताडा को एसएसपी मेरठ की जिम्मेदारी मिली। मेरठ में भी क्राइम की कई बड़ी घटनाओं पर खुद मौके पर पहुंचकर सुलझाया। कांवड़ यात्रा को पूरी तरह से सकुशल संपन्न कराया। कांवड़ यात्रा में मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में खुद आधी रात तक वह फोर्स लेकर सड़कों पर नजर आए। अचीवमेंट्स खाकी वर्दी सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़ें अतीक के बेटे को अरेस्ट कराने वाले IPS राकेश सिंह: 8 कुख्यात के एनकाउंटर, मथुरा के जवाहर बाग कांड की संभाली थी कमान नो कंप्रोमाइज-फैसला ऑन द स्पॉट। इसी सिद्धांत के साथ IPS डॉ. राकेश सिंह 38 साल की नौकरी में 25 से ज्यादा जिलों में तैनात रहे। बेधड़क अफसर की पहचान बनाई। कहीं भी पुलिसिंग से समझौता नहीं किया। 8 कुख्यात को एनकाउंटर में ढेर किया। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Bihar Bandh: ‘बच्चों की आने वाली जिंदगी नरक…’, BPSC परीक्षा रद्द कराने को लेकर पप्पू यादव का सरकार पर हमला
Bihar Bandh: ‘बच्चों की आने वाली जिंदगी नरक…’, BPSC परीक्षा रद्द कराने को लेकर पप्पू यादव का सरकार पर हमला <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar Bandh Latest News:</strong> पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने आज (3 जनवरी) बिहार में बंद का ऐलान किया है. इसके तहत उनके समर्थक बिहार में ट्रेनों का चक्का कर रहे हैं. उन्होंने सचिवालय हॉल्ट पर पैंसेजर ट्रेन को रोका और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए BPSC 70वीं पीटी परीक्षा को रद्द करने की मांग की. इसी बीच पप्पू यादव की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि पेपर कब तक लीक होंगे? कब तब बच्चों की आने वाली जिंदगी नरक होगी? ये लड़ाई केवल BPSC को लेकर नहीं है ये बच्चों के भविष्य की लड़ाई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पप्पू यादव ने आगे कहा कि 13 करोड़ जनता की जिंदगी को राजनेता, कोचिंग माफिया और पदाधिकारी मिलकर खत्म कर चुके हैं. 1988-89 से लेकर आज तक पेपर लीक हो रहे हैं, कोई इसपर निर्णय भी नहीं लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसे मद्दों की गंभीरता को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं, इस मामले पर हम बिल्कुल स्पष्ट हैं कि हमें लड़ना है लड़ते-लड़ते, मरना है, मरते-मरते लड़ना है.</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”><a href=”https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#WATCH</a> पटना, बिहार: निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा, “पेपर कब तक लीक होंगे? कब तब बच्चों की आने वाली जिंदगी नरक होगी? ये लड़ाई केवल BPSC को लेकर नहीं है ये बच्चों के भविष्य की लड़ाई है। 13 करोड़ जनता की जिंदगी को राजनेता, कोचिंग माफिया और पदाधिकारी मिलकर खत्म कर चुके हैं। कल हम… <a href=”https://t.co/86ZsFxtPUz”>pic.twitter.com/86ZsFxtPUz</a></p>
— ANI_HindiNews (@AHindinews) <a href=”https://twitter.com/AHindinews/status/1875040855423389820?ref_src=twsrc%5Etfw”>January 3, 2025 </a>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
[/tw]</blockquote>
<p style=”text-align: justify;”><strong>‘पप्पू यादव बिहार की जनता को बचाने में लगा है’</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्णिया सांसद से एएनआई न्यूज से बातचीत के दौरान पूछा गया कि कल (4जनवरी) एग्जाम होने वाला है. इसपर उन्होंने कहा, “मैंने कपिल सिब्बल से बात कर ली है एग्जाम कर लें, बाप-बाप कर लें कल फिर हम नए राज्यपाल से मिलेंगे. ये लोग राजनीति के सियासत में लगे हैं और पप्पू यादव बिहार की जनता को बचाने में लगा है.” जब उनसे पूछा गया कि क्या आपका संघर्ष ऐसे ही जारी रहेगा. इसपर उन्होंने कहा कि मेरा संघर्ष बिहार और देश के नीट के छात्रों, यूपीएएसी के छात्रों, BPSC के छात्रों और SSC के छात्रों के भविष्य को लेकर है, दूसरा कोई मतलब नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं पप्पू यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि BPSC रि-एग्जाम के लिए छात्र साथियों ने बिहार में रेल चक्का जाम किया. हम और हमारे छात्र युवा शक्ति के कार्यकर्ता साथी हर कीमत पर पूरी परीक्षा रद्द कराकर दोबारा परीक्षा कराने के लिए प्रतिबद्ध है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें:<a title=” Bihar Bandh: पप्पू यादव के समर्थकों ने सचिवालय हॉल्ट पर रोकी ट्रेन, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात” href=”https://www.abplive.com/photo-gallery/states/bihar-bihar-bandh-mp-pappu-yadav-supporters-staged-railway-chakka-jam-at-secretariat-halt-ann-2855187″ target=”_blank” rel=”noopener”> Bihar Bandh: पप्पू यादव के समर्थकों ने सचिवालय हॉल्ट पर रोकी ट्रेन, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात</a></strong></p>
हरियाणा सरकार विनेश को देगी 4 करोड़ रुपए:CM सैनी का ऐलान; बोले- वे राज्य की बहादुर बेटी, उनका स्वागत चैंपियन जैसा होगा
हरियाणा सरकार विनेश को देगी 4 करोड़ रुपए:CM सैनी का ऐलान; बोले- वे राज्य की बहादुर बेटी, उनका स्वागत चैंपियन जैसा होगा पेरिस ओलिंपिक 2024 में 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती वर्ग से बाहर होने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने उनके लिए बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि हमारी हरियाणा की बहादुर बेटी विनेश फोगाट ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ओलिंपिक के फाइनल में प्रवेश किया है। किसी भी कारण से वह ओलंपिक का फाइनल नहीं खेल पाई हो, लेकिन वह हम सभी के लिए चैंपियन है। हमारी सरकार ने फैसला किया है कि विनेश फोगाट का पदक विजेता की तरह स्वागत और सम्मान किया जाएगा। सीएम ने कहा कि हरियाणा सरकार ओलंपिक रजत पदक विजेता को जो सम्मान, ईनाम और सुविधाएं देती है वे सभी विनेश फौगाट को भी कृतज्ञता पूर्वक दी जाएंगी। यहां पढ़िए फौगाट को कितने रुपए मिलेंगे… हरियाणा सरकार ने पेरिस ओलंपिक में खिलाड़ी के द्वारा मेडल जीतने पर पहले से ही घोषणा की हुई थी। सरकार की ओर से ऐलान किया गया था कि पेरिस ओलिंपिक में जो भी खिलाड़ी गोल्ड मेडल लेकर आएगा उसे 6 करोड़ रुपए, सिल्वर जीतने पर 4 करोड़ और ब्रांज जीतने पर 2.5 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। फौगाट सिल्वर मेडल के मुकाबले को जीत चुकी थी, इसलिए उन्हें 4 करोड़ रुपए सरकार की ओर से दिए जाएंगे। इसके अलावा, सरकारी नौकरी देने का भी ऐलान किया गया है। पंजाब की LPU 25 लाख रुपए देगी लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) ने विनेश फोगाट को 25 लाख रुपए देने का ऐलान किया है। एलपीयू के फाउंडर एवं राज्यसभा सांसद अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि हमारे लिए विनेश अभी भी पदक विजेता है। उनकी यात्रा के दौरान उनके समर्पण और कौशल को मान्यता मिलना चाहिए। हमें उन्हें 25 लाख की पुरस्कार राशि प्रदान करने पर गर्व है, जो सिल्वर मेडल विजेताओं के लिए आरक्षित थी। गोल्ड मेडल मैच से पहले बाहर विनेश फोगाट पेरिस ओलंपित में कुश्ती के 50 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल के लिए फाइनल मैच में पहुंची थी, लेकिन ओवरवेट की वजह से उन्हें डिस्क्वलीफाई कर दिया गया। इसके बाद जमकर बवाल देखने को मिला। वहीं, डिहाईड्रेशन की वजह से विनेश को अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ा था। बता दें कि विनेश फोगाट हरियाणा के चरखी दादरी की रहने वाली हैं और सोनीपत के खरखोदा में उनकी शादी हुई है।
सेवायत के घर से बरामद हुए 72 लाख रुपए:मथुरा के गोवर्धन में मंदिर की भेंट राशि लेकर गायब हुआ था सेवायत,पुलिस कर रही सेवायत की तलाश
सेवायत के घर से बरामद हुए 72 लाख रुपए:मथुरा के गोवर्धन में मंदिर की भेंट राशि लेकर गायब हुआ था सेवायत,पुलिस कर रही सेवायत की तलाश मथुरा के गोवर्धन स्थित मुकुट मुखारबिंद मंदिर मानसी गंगा के सेवायत के घर से पुलिस ने करीब 72 लाख रुपए बरामद किए हैं। सेवायत मंदिर की भेंट राशि 1 करोड़ 9 लाख 37 हजार 200 रुपए को लेकर 29 जुलाई को गायब हो गया था। इस मामले में मंदिर के प्रबंधक ने थाना गोवर्धन में सेवायत के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकद्दमा दर्ज कराया था। वर्तमान सेवायत के घर से बरामद हुए रुपए मुकद्दमा दर्ज करने के बाद मथुरा पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। एसएसपी शैलेश पांडे के निर्देश पर जब सेवायत दिनेश चंद्र पुत्र गिरधारी लाल निवासी दसविसा के घर को चेक किया तो वहां से 71 लाख 92 हजार 710 रुपए बरामद हुए। जिसके बाद मंदिर के प्रबंधक,बैंक प्रबंधक मौके पर पहुंचे और नोटों की गिनती शुरू कर दी। 3 बोरी में रखे थे रुपए दिनेश के घर पर पुलिस मंदिर के प्रबंधक चंद्र विनोद कौशिक,यूनियन बैंक के प्रबंधक कमलेश कुमार के साथ पहुंची। जहां को एक कमरे में 3 बोरी रखी दिखाई दी। जिनको खोल कर चेक किया तो उनमें नोटों की गड्डियां भरी थी। इसके बाद मौके पर नोट गिनने की मशीन मंगाई गई। जिसमें एक बोरी में 3 लाख 40 हजार,दूसरी बोरी में 25 लाख 70 हजार और तीसरी बोरी में 42 लाख 82 हजार 710 रुपए मिले। यह था मामला 29 जुलाई को मुकुट मुखारबिंद मंदिर मानसी गंगा के प्रबंधक चंद्र विनोद कौशिक ने थाना गोवर्धन में मंदिर के सेवायत और वर्तमान ठेकेदार दिनेश चंद्र के विरुद्ध धोखाधड़ी और जालसाजी कर मंदिर की ठेका राशि 1 करोड़ 9 लाख 37 हजार 200 रुपए लेकर गायब हो जाने का मुकद्दमा दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस सेवायत की तलाश कर रही थी। बैंक में जमा करने की बजाय रुपए लेकर गायब हुआ था सेवायत मंदिर के प्रबंधक ने पुलिस से शिकायत की थी कि दिनेश चंद्र और वह यूनियन बैंक में रुपए जमा कराने जा रहे थे। रास्ते में पहुंचकर दिनेश ने कुछ बहाना बनाया और रुपए लेकर गायब हो गया। उसे काफी देर तक फोन किए लेकिन उसका फोन बंद था। जिसके बाद उसके घर देखा तो वह वहां भी नहीं मिला था। पुलिस कर रही सेवायत की तलाश 71 लाख 92 हजार 710 रुपए बरामद होने के बाद पुलिस अब बाकी की रकम के बारे में जानकारी करने में जुटी हुई है। इसके साथ ही पुलिस फरार सेवायत दिनेश चंद्र की भी तलाश कर रही है। गोवर्धन के मंदिरों में सेवा का हर महीने ठेका उठता है। जुलाई महीने का मुकुट मुखारबिंद मंदिर मानसी गंगा का सेवा और भेंट का ठेका दिनेश चन्द्र ने लिया था।