सहारनपुर की बेटी प्राची चौधरी पेरिस में हो रहे ओलिंपिक में आज दौड़ेंगी। शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर देशभर की नजरें उन पर रहेगी। प्राची ने गांव की पगडंडियों से ओलिंपिक तक का सफर तय किया। उन्हें पहचान चीन में हुए 2023 के एशियन गेम्स में मिली। उन्होंने रिले रेस में सिल्वर मेडल जीता था। प्राची कहती हैं- एक वक्त था, स्पाइक और रनिंग शूज नहीं मिलते थे। कई बार फटे जूतों में दौड़ना पड़ा। पापा कर्ज लेकर शूज दिलाते थे। फिर मैंने कई टूर्नामेंट जीते। 2019 के एशियन गेम्स में सिलेक्ट नहीं हुई, तो प्रैक्टिस छोड़ दी। फिर लगा कि मैं किसी और चीज के लिए बनी हूं। 2 साल की प्रैक्टिस के बाद एशियन गेम्स खेलने का मौका मिला। देश के लिए मेडल जीता। गांव की पगड़डियों से ओलिंपिक तक का सफर
गांव की पगडंडियों से ओलिंपिक तक का सफर तय किया। उन्हें पहचान चीन में हुए 2023 के एशियन गेम्स में मिली। उन्होंने रिले रेस में सिल्वर मेडल जीता था। 4×400 मीटर रिले रेस में प्राची के साथ एमआर पूवम्मा, विथ्या रामराजज्योतिका श्री दांडी, सुभा वेंकटेश और किरन पहल के साथ टीम में शामिल है। इस स्पर्धा के लिए भारतीय महिला टीम का चयन वर्ल्ड एथलेटिक्स की ओर से मई में बहमास में आयोजित प्रतियोगिता में प्रदर्शन के आधार पर हुआ। कठिनाइयों भरा रहा प्राची का खेल सफर
प्राची चौधरी का सफर काफी कठिनाइयों भरा रहा है। शुरुआत में प्राची खेतों और गलियों में दौड़ी। प्राची को यूपी में राह नहीं मिली तो वह पटियाला 2014 में चली गईं। वहीं पर एथलेटिक्स की तैयारी की। पंजाब की ओर से खेलते हुए कई मेडल जीते। 2019 में पटियाला में ही रेलवे में सीनियर क्लर्क की पोस्ट मिली। फिर प्राची ने मुड़कर नहीं देखा। एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने के बाद प्राची को यूपी सरकार ने सम्मानित किया है। उन्हें जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल अधिकारी के पद भी नियुक्त किया है। प्राची को किस जिले में तैनाती मिलेगी, इसका अभी जिक्र लेटर में नहीं है। इसके बाद अब प्राची यूपी की ओर से खेल सकती है। 0.20 सेकेंड से चूक गई थी गोल्ड
प्राची चौधरी की टीम 4×400 मीटर रिले रेस में एशियन गेम्स में 0.20 सेकेंड से गोल्ड मेडल से चूक गई। उनकी टीम ने 3.27.85 समय में दौड़ पूरी की। जबकि गोल्ड मेडल पर कब्जा करने वाली बहरीन की टीम ने 3.27.65 में दौड़ पूरी की थी। प्राची रेलवे का महिला स्पर्धाओं दौड़ में नेशनल रिकॉर्ड हैं। उन्होंने 400 मीटर की दौड़ मात्र 52.09 सेकेंड में पूरी कर इतिहास रचा है। 2022 में छोड़ दी थी रेस
सहारनपुर के गांव झबीरन की रहने वाली प्राची चौधरी ने 2014 में खेल करियर शुरू किया। 2022 में उन्होंने खेल छोड़ दिया था। अब 10 साल बाद प्राची चौधरी ओलंपिक में खेलेंगी। खेल के प्रति बेटी के जुनून पर भरोसा कर किसान पिता जयवीर सिंह ने कभी पैसा उधार लेकर जूते (स्पाइक) दिलाए थे। बेटी पिता के भरोसे पर खरा उतरी और पेरिस ओलिंपिक पहुंच गई। एशियन गेम्स में जीता सिल्वर
पहले एशियाड की रजत पदक विजेता प्राची ओलंपिक में अब अपने पदक का रंग बदलना चाहतीं हैं, इसके लिए उन्हें खुद के साथ ही पूरी रिले टीम पर भरोसा है। एशियन एथलेटिक चैंपियनशिप 2019 और 19वें एशियन गेम्स 2023 में रिले दौड़ में रजत पदक जीतने वाली प्राची ने अपनी प्रतिभा को भारतीय सरहदों के पार पहुंचाया। अब उनकी निगाहें खेल महाकुंभ ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की है। 2021 में डोप टेस्ट में हुई थी फेल
प्राची चौधरी वर्ष 2021 में प्रतिबंधित दवा का सेवन करने के लिए उन्हें डोप टेस्ट में फेल कर दिया गया था, लेकिन बाद की जांच में सामने आया कि वह दवा गलती से ली गई थी। इसलिए उन पर लगा प्रतिबंध कम कर दिया गया। इसके बाद एशियाई खेलों में सफलता के लिए प्राची ने कड़ी मेहनत की और सफल रहीं। महिला रिले दौड़ टीम पर भारत सरकार की ओर से एनुअल कैलेंडर फार ट्रेनिंग एंड कंप्टीशन के अंतर्गत 2.24 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद
अंतरराष्ट्रीय तकनीकी अधिकारी व कोच डॉ. अशोक गुप्ता को भी प्राची के वर्तमान प्रदर्शन को देखते हुए पदक की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि 4×400 मीटर रिले दौड़ में 16 टीमें हैं। दो सेमीफाइनल आठ-आठ टीमों के बीच होगा। हर सेमीफाइनल के प्रथम तीन टीमें चुनी जाएंगी। नौ अगस्त यानी आज सेमीफाइनल यानी हीट्स में बेहतर प्रदर्शन के साथ टॉप-8 में स्थान बनाने पर 10 अगस्त को फाइनल में एथलीट पूरा जोर लगाएंगी। अब परिवार से बातचीत… मां ने कहा- हमारा ही नहीं, पूरे देश का नाम ऊंचा किया मां राजेश कहती हैं- प्राची ने हमारा ही नहीं गांव और देश का नाम ऊंचा किया। भविष्य में भी वो देश का नाम यूं ही चमकाती रहेगी। ओलिंपिक में अपना अच्छा प्रदर्शन करेगी। आज पूरी नजर रहेगी। मेडल लेकर आएगी। सभी के बच्चे ऐसे ही कामयाब हों। जैसे हमारा दिल खुश हुआ, वैसे सभी का दिल उनके बच्चों की वजह से खुश हो। चाचा बोले- मेरे पास शब्द नहीं चाचा रवि कुमार कहते हैं- हमारी भतीजी ने कमाल कर दिया। पहले एशियन गेम्स में मेडल लाई। अब ओलिंपिक में सिलेक्शन हुआ है, आज उसका इवेंट है। अच्छा करेगी और देश का नाम ऊंचा करेगी। मेरे पास शब्द नहीं है, मैं क्या कहूं। पेरिस में प्राची के इवेंट ये खबर भी पढ़ें… ओलंपिक से बाहर हुई प्रियंका गोस्वामी;20 किमी पैदल चाल में मिली थी 40वीं पोजीशन, मैराथन रेसवॉक मिक्स्ड रिले के फाइनल में भी चूकी मेरठ की बेटी और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रियंका गोस्वामी आज पेरिस ओलिंपिक से बाहर हो गई हैं। अपने दोनों इवेंट में प्रियंका गोस्वामी अन्य खिलाड़ियों से काफी पीछे रही हैं। बुधवार को हुए मैराथन रेसवॉक मिक्स्ड रिले में प्रियंका अपने साथी सूरज पंवार के साथ दौड़ी। लेकिन यह भारतीय जोड़ी 24वें स्थान पर आई और फाइनल में नहीं पहुंच सकी। पढ़ें पूरी खबर सहारनपुर की बेटी प्राची चौधरी पेरिस में हो रहे ओलिंपिक में आज दौड़ेंगी। शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर देशभर की नजरें उन पर रहेगी। प्राची ने गांव की पगडंडियों से ओलिंपिक तक का सफर तय किया। उन्हें पहचान चीन में हुए 2023 के एशियन गेम्स में मिली। उन्होंने रिले रेस में सिल्वर मेडल जीता था। प्राची कहती हैं- एक वक्त था, स्पाइक और रनिंग शूज नहीं मिलते थे। कई बार फटे जूतों में दौड़ना पड़ा। पापा कर्ज लेकर शूज दिलाते थे। फिर मैंने कई टूर्नामेंट जीते। 2019 के एशियन गेम्स में सिलेक्ट नहीं हुई, तो प्रैक्टिस छोड़ दी। फिर लगा कि मैं किसी और चीज के लिए बनी हूं। 2 साल की प्रैक्टिस के बाद एशियन गेम्स खेलने का मौका मिला। देश के लिए मेडल जीता। गांव की पगड़डियों से ओलिंपिक तक का सफर
गांव की पगडंडियों से ओलिंपिक तक का सफर तय किया। उन्हें पहचान चीन में हुए 2023 के एशियन गेम्स में मिली। उन्होंने रिले रेस में सिल्वर मेडल जीता था। 4×400 मीटर रिले रेस में प्राची के साथ एमआर पूवम्मा, विथ्या रामराजज्योतिका श्री दांडी, सुभा वेंकटेश और किरन पहल के साथ टीम में शामिल है। इस स्पर्धा के लिए भारतीय महिला टीम का चयन वर्ल्ड एथलेटिक्स की ओर से मई में बहमास में आयोजित प्रतियोगिता में प्रदर्शन के आधार पर हुआ। कठिनाइयों भरा रहा प्राची का खेल सफर
प्राची चौधरी का सफर काफी कठिनाइयों भरा रहा है। शुरुआत में प्राची खेतों और गलियों में दौड़ी। प्राची को यूपी में राह नहीं मिली तो वह पटियाला 2014 में चली गईं। वहीं पर एथलेटिक्स की तैयारी की। पंजाब की ओर से खेलते हुए कई मेडल जीते। 2019 में पटियाला में ही रेलवे में सीनियर क्लर्क की पोस्ट मिली। फिर प्राची ने मुड़कर नहीं देखा। एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने के बाद प्राची को यूपी सरकार ने सम्मानित किया है। उन्हें जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल अधिकारी के पद भी नियुक्त किया है। प्राची को किस जिले में तैनाती मिलेगी, इसका अभी जिक्र लेटर में नहीं है। इसके बाद अब प्राची यूपी की ओर से खेल सकती है। 0.20 सेकेंड से चूक गई थी गोल्ड
प्राची चौधरी की टीम 4×400 मीटर रिले रेस में एशियन गेम्स में 0.20 सेकेंड से गोल्ड मेडल से चूक गई। उनकी टीम ने 3.27.85 समय में दौड़ पूरी की। जबकि गोल्ड मेडल पर कब्जा करने वाली बहरीन की टीम ने 3.27.65 में दौड़ पूरी की थी। प्राची रेलवे का महिला स्पर्धाओं दौड़ में नेशनल रिकॉर्ड हैं। उन्होंने 400 मीटर की दौड़ मात्र 52.09 सेकेंड में पूरी कर इतिहास रचा है। 2022 में छोड़ दी थी रेस
सहारनपुर के गांव झबीरन की रहने वाली प्राची चौधरी ने 2014 में खेल करियर शुरू किया। 2022 में उन्होंने खेल छोड़ दिया था। अब 10 साल बाद प्राची चौधरी ओलंपिक में खेलेंगी। खेल के प्रति बेटी के जुनून पर भरोसा कर किसान पिता जयवीर सिंह ने कभी पैसा उधार लेकर जूते (स्पाइक) दिलाए थे। बेटी पिता के भरोसे पर खरा उतरी और पेरिस ओलिंपिक पहुंच गई। एशियन गेम्स में जीता सिल्वर
पहले एशियाड की रजत पदक विजेता प्राची ओलंपिक में अब अपने पदक का रंग बदलना चाहतीं हैं, इसके लिए उन्हें खुद के साथ ही पूरी रिले टीम पर भरोसा है। एशियन एथलेटिक चैंपियनशिप 2019 और 19वें एशियन गेम्स 2023 में रिले दौड़ में रजत पदक जीतने वाली प्राची ने अपनी प्रतिभा को भारतीय सरहदों के पार पहुंचाया। अब उनकी निगाहें खेल महाकुंभ ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की है। 2021 में डोप टेस्ट में हुई थी फेल
प्राची चौधरी वर्ष 2021 में प्रतिबंधित दवा का सेवन करने के लिए उन्हें डोप टेस्ट में फेल कर दिया गया था, लेकिन बाद की जांच में सामने आया कि वह दवा गलती से ली गई थी। इसलिए उन पर लगा प्रतिबंध कम कर दिया गया। इसके बाद एशियाई खेलों में सफलता के लिए प्राची ने कड़ी मेहनत की और सफल रहीं। महिला रिले दौड़ टीम पर भारत सरकार की ओर से एनुअल कैलेंडर फार ट्रेनिंग एंड कंप्टीशन के अंतर्गत 2.24 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद
अंतरराष्ट्रीय तकनीकी अधिकारी व कोच डॉ. अशोक गुप्ता को भी प्राची के वर्तमान प्रदर्शन को देखते हुए पदक की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि 4×400 मीटर रिले दौड़ में 16 टीमें हैं। दो सेमीफाइनल आठ-आठ टीमों के बीच होगा। हर सेमीफाइनल के प्रथम तीन टीमें चुनी जाएंगी। नौ अगस्त यानी आज सेमीफाइनल यानी हीट्स में बेहतर प्रदर्शन के साथ टॉप-8 में स्थान बनाने पर 10 अगस्त को फाइनल में एथलीट पूरा जोर लगाएंगी। अब परिवार से बातचीत… मां ने कहा- हमारा ही नहीं, पूरे देश का नाम ऊंचा किया मां राजेश कहती हैं- प्राची ने हमारा ही नहीं गांव और देश का नाम ऊंचा किया। भविष्य में भी वो देश का नाम यूं ही चमकाती रहेगी। ओलिंपिक में अपना अच्छा प्रदर्शन करेगी। आज पूरी नजर रहेगी। मेडल लेकर आएगी। सभी के बच्चे ऐसे ही कामयाब हों। जैसे हमारा दिल खुश हुआ, वैसे सभी का दिल उनके बच्चों की वजह से खुश हो। चाचा बोले- मेरे पास शब्द नहीं चाचा रवि कुमार कहते हैं- हमारी भतीजी ने कमाल कर दिया। पहले एशियन गेम्स में मेडल लाई। अब ओलिंपिक में सिलेक्शन हुआ है, आज उसका इवेंट है। अच्छा करेगी और देश का नाम ऊंचा करेगी। मेरे पास शब्द नहीं है, मैं क्या कहूं। पेरिस में प्राची के इवेंट ये खबर भी पढ़ें… ओलंपिक से बाहर हुई प्रियंका गोस्वामी;20 किमी पैदल चाल में मिली थी 40वीं पोजीशन, मैराथन रेसवॉक मिक्स्ड रिले के फाइनल में भी चूकी मेरठ की बेटी और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रियंका गोस्वामी आज पेरिस ओलिंपिक से बाहर हो गई हैं। अपने दोनों इवेंट में प्रियंका गोस्वामी अन्य खिलाड़ियों से काफी पीछे रही हैं। बुधवार को हुए मैराथन रेसवॉक मिक्स्ड रिले में प्रियंका अपने साथी सूरज पंवार के साथ दौड़ी। लेकिन यह भारतीय जोड़ी 24वें स्थान पर आई और फाइनल में नहीं पहुंच सकी। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर