फाजिल्का से विधायक नरेंद्रपाल सवना ने पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान के साथ मुलाकात की है l सरहदी इलाके के सरपंच और किसानों संग पहुंचे विधायक ने सीएम से मुलाकात दौरान फाजिल्का के भारत-पाकिस्तान सरहदी इलाके के किसानों की कच्ची जमीनों को पक्का करने की मांग रखी है l सीएम को सरहदी इलाके की इस बड़ी समस्या से अवगत करवाया है l जानकारी देते हुए फाजिल्का से हलका विधायक नरेंद्रपाल सवना ने बताया कि फाजिल्का के सरहदी इलाके के दौरे दौरान अधिकतर लोगों ने कई समस्याएं उनके सामने रखी l जिसके बाद उन्होंने इलाके के लोगों से वायदा किया था कि वह किसानों की इस समस्या को सीएम के साथ मुलाकात कर उनके सामने रखेंगे l यही वजह है आज उन्होंने सरहदी इलाके के किसानों और सरपंचों के प्रतिनिधि मंडल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान के साथ मुलाकात कर उनके आगे बार्डर पट्टी इलाके की कच्ची जमीनों को पक्का करने की मांग रखी है l किया जाएगा उच्च स्तरीय कमेटी का गठन : मान उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया है कि इस मामले को लेकर जल्दी ही उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा और किसानों की इस समस्या का समाधान किया जाएगा l इस मौके पर विधायक सवना के साथ गोसेवा कमीशन के सदस्य अरुण वाधवा, राय सिख समाज सुधार सभा पंजाब के प्रधान हंसा सिंह कामरेड, पूर्व सरपंच हरनेक सिंह ओझावाली, पूर्व सरपंच बलविंदर सिंह आलमशाह, पूर्व सरपंच सुखविंदर सिंह मौजूद रहे l फाजिल्का से विधायक नरेंद्रपाल सवना ने पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान के साथ मुलाकात की है l सरहदी इलाके के सरपंच और किसानों संग पहुंचे विधायक ने सीएम से मुलाकात दौरान फाजिल्का के भारत-पाकिस्तान सरहदी इलाके के किसानों की कच्ची जमीनों को पक्का करने की मांग रखी है l सीएम को सरहदी इलाके की इस बड़ी समस्या से अवगत करवाया है l जानकारी देते हुए फाजिल्का से हलका विधायक नरेंद्रपाल सवना ने बताया कि फाजिल्का के सरहदी इलाके के दौरे दौरान अधिकतर लोगों ने कई समस्याएं उनके सामने रखी l जिसके बाद उन्होंने इलाके के लोगों से वायदा किया था कि वह किसानों की इस समस्या को सीएम के साथ मुलाकात कर उनके सामने रखेंगे l यही वजह है आज उन्होंने सरहदी इलाके के किसानों और सरपंचों के प्रतिनिधि मंडल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान के साथ मुलाकात कर उनके आगे बार्डर पट्टी इलाके की कच्ची जमीनों को पक्का करने की मांग रखी है l किया जाएगा उच्च स्तरीय कमेटी का गठन : मान उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया है कि इस मामले को लेकर जल्दी ही उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा और किसानों की इस समस्या का समाधान किया जाएगा l इस मौके पर विधायक सवना के साथ गोसेवा कमीशन के सदस्य अरुण वाधवा, राय सिख समाज सुधार सभा पंजाब के प्रधान हंसा सिंह कामरेड, पूर्व सरपंच हरनेक सिंह ओझावाली, पूर्व सरपंच बलविंदर सिंह आलमशाह, पूर्व सरपंच सुखविंदर सिंह मौजूद रहे l पंजाब | दैनिक भास्कर
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जालंधर उप-चुनाव के नतीजों से SAD पर खतरा:जिस BSP को समर्थन दिया, उससे ज्यादा वोट बागी गुट के उम्मीदवार को मिले पंजाब की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल है। किसी समय पर राज्य में सबसे प्रमुख पार्टी रही अकाली दल पर आज खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि जालंधर उप-चुनाव के नतीजे कह रहे हैं। जालंधर वेस्ट विधानसभा उप-चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने अपनी ही पार्टी की उम्मीदवार रहीं सुरजीत कौर को समर्थन देने के बजाए बीएसपी के उम्मीदवार रहे बिंदर लाखा को समर्थन देने का ऐलान किया गया था। ऐसे में जिस बसपा को अकाली दल प्रधान द्वारा समर्थन दिया गया, उन्हें सिर्फ 734 वोट ही मिल पाए। वो भी तब, जब राज्य की क्षेत्रीय पार्टी ने अपना पूर्ण समर्थन बसपा को दिया था। वहीं, बिना अकाली दल प्रधान के समर्थन के शिअद के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ी सुरजीत कौर ने करीब 1242 वोट बटोर लिए। ऐसा तब हुआ, जब उनकी खुद की पार्टी के नेता उन्हें समर्थन नहीं दे रहे थे। ऐसे में अब अकाली दल पर खतरे की घंटी बज रही है। ऐसा क्यों हुआ, पढ़ें इसके प्रमुख कारण…. 1. अकाली दाल का जालंधर वेस्ट में हुए उप चुनाव में इतना बुरा प्रदर्शन कारण पार्टी की अंदरुनी कलह है। ऐसे में शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल द्वारा अपने उम्मीदवार को वोट देने का आग्रह न करके, बसपा को स्पोर्ट करना अकाली दल पर भारी पड़ गया। पंजाब की राजनीति के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा हो और उसी पार्टी ने अपने उम्मीदवार के बजाए किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया हो। 2. दूसरा सबसे बड़ा कारण, वरिष्ठ नेताओं द्वारा उक्त एरिया में चुनाव प्रचार न करना है। अकाली दल की उम्मीदवार रही सुरजीत कौर के लिए बीबी जगीर कौर, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, गुरप्रताप सिंह वडाला, सरवण सिंह फिल्लौर, सुच्चा सिंह छोटेपुर को छोड़कर किसी भी वरिष्ठ नेता ने चुनाव प्रचार नहीं किया। जिससे लोगों के बीच तक सुरजीत कौर की आवाज नहीं पहुंच सकी। 3. तीसरा बड़ा कारण, अकाली दल पर लगे बेअदबी और अन्य गंभीर आरोपों का है। जालंधर वेस्ट एरिया में ज्यादातर वोट एससी हैं और उक्त सीट भी एससी है। ऐसे में अकाली दल पर लगे आरोपों की वजह से लोगों ने उक्त पार्टी से किनारा कर लिया। अकाली दल ने जिस बसपा को स्पोर्ट किया, उसका भी परफॉर्मेंस गिर गया।
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