<p style=”text-align: justify;”><strong>Bangladesh Crisis:</strong> बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंसा और विरोध का दौर जारी है. इसी क्रम में खरगौन के मंडलेश्वर नगर परिषद के वार्ड 14 के पार्षद हाजी साबिर खान पठान की बेटी साबिया खान पठान बांग्लादेश में तनाव और चुनौती को पार कर 6 अगस्त को सुरक्षित भारत लौट आईं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साबिया खान पठान बांग्लादेश के मिर्जापुर रहती थीं, जहां वह कुमुदिनी महिला मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फाइनल ईयर की स्टूडेंट थी. साबिया बांग्लादेश में जारी विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बीच रह रही थीं. फिलहाल वह सुरक्षित अपने देश लौट आई हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कर्फ्यू, इंटरनेट कटने से बाहरी दुनिया से टूटा संपर्क</strong><br />साबिया ने बताया कि 17 जुलाई को वहां स्थिति बिगड़ने लगी, जिसके बाद पूरे बांग्लादेश में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया. साथ ही इंटरनेट बंद कर दिया गया. साबिया ने बताया कर्फ्यू अचानक लगा और बाहरी दुनिया से हमारा संपर्क टूट गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए कर्फ्यू ने कई लोगों को अलग-थलग कर दिया. ढाका से 50 किलोमीटर दूर मिर्जापुर में साबिया का कॉलेज परिसर सुरक्षित था, लेकिन राजधानी ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में अराजकता फैली हुई थी, जिससे भय का माहौल बन हुआ था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साबिया ने कहा कि हम भाग्यशाली थे कि हमारा कॉलेज मैनेजमेंट हम छात्रों की परेशानियों को समझ रहा था. उन्होंने बताया कि प्रशासन सबको रेगुलर अपडेट दे रहा था और कैंपस के भीतर आवश्यक सेवाओं को जारी रखा गया. उन्होंने बताया कि कई दिनों तक हमारे पास भारत में अपने परिवारों से संपर्क करने का कोई तरीका नहीं था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुलिस गश्ती वाहनों से पहुंचे एयरपोर्ट</strong><br />बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग ने भारतीय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साबिया (21) अन्य भारतीय छात्रों के साथ मदद हेल्पलाइन के माध्यम से उच्चायोग के साथ संपर्क में थीं. 4 अगस्त को जब बांग्लादेश में स्थिति और बिगड़ गई, तो उच्चायोग ने छात्रों को निकालने के लिए कार्रवाई शुरू की.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साबिया ने बताया कि कॉलेज प्रबंधन और उच्चायोग ने सभी छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव कोशिश की. उन्होंने बताया कि 5 अगस्त की रात में छात्रों को पुलिस गश्ती वाहनों के जरिये ढाका हवाई अड्डे पर ले जाया गया. हवाई अड्डे पर पहुंचने पर छात्रों को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा, क्योंकि इस संकट के कारण निर्धारित उड़ाने रद्द कर दी गई थीं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उच्चायोग ने 22 छात्रों को सुरक्षित निकाला</strong><br />साबिया ने कहा हमने रात एयरपोर्ट पर बिताई. भारतीय उच्चायोग के अफसरों ने 6 अगस्त को नई दिल्ली के लिए उड़ान फिक्स की. जिससे सभी 22 छात्रों की सुरक्षित घर वापसी हो सकी. अब मंडलेश्वर वापस आकर साबिया अपनी पढ़ाई पूरी करने की बात कर रही हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>साबिया का कहना है कि वो अपने कॉलेज और बांग्लादेश में स्थानीय छात्रों के साथ लगातार संपर्क में है. स्थिति सामान्य होने पर वो वापस लौटने की योजना बना रही हैं. कोर्स पूरा होने में महज पांच महीने बचे हैं. साबिया पढ़ाई पूरी करने के बाद नेशनल मेडिकल काउंसिल की FMGE की तैयारी करेंगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”Aircraft Crash: मध्य प्रदेश के गुना में एयरक्राफ्ट क्रैश, गिरते ही हुए दो टुकड़े, 1 पायलट जख्मी” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/guna-aircraft-crash-in-airstrip-due-to-engine-failure-2-pilots-2758621″ target=”_blank” rel=”noopener”>Aircraft Crash: मध्य प्रदेश के गुना में एयरक्राफ्ट क्रैश, गिरते ही हुए दो टुकड़े, 1 पायलट जख्मी</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Bangladesh Crisis:</strong> बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंसा और विरोध का दौर जारी है. इसी क्रम में खरगौन के मंडलेश्वर नगर परिषद के वार्ड 14 के पार्षद हाजी साबिर खान पठान की बेटी साबिया खान पठान बांग्लादेश में तनाव और चुनौती को पार कर 6 अगस्त को सुरक्षित भारत लौट आईं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साबिया खान पठान बांग्लादेश के मिर्जापुर रहती थीं, जहां वह कुमुदिनी महिला मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फाइनल ईयर की स्टूडेंट थी. साबिया बांग्लादेश में जारी विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बीच रह रही थीं. फिलहाल वह सुरक्षित अपने देश लौट आई हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कर्फ्यू, इंटरनेट कटने से बाहरी दुनिया से टूटा संपर्क</strong><br />साबिया ने बताया कि 17 जुलाई को वहां स्थिति बिगड़ने लगी, जिसके बाद पूरे बांग्लादेश में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया. साथ ही इंटरनेट बंद कर दिया गया. साबिया ने बताया कर्फ्यू अचानक लगा और बाहरी दुनिया से हमारा संपर्क टूट गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए कर्फ्यू ने कई लोगों को अलग-थलग कर दिया. ढाका से 50 किलोमीटर दूर मिर्जापुर में साबिया का कॉलेज परिसर सुरक्षित था, लेकिन राजधानी ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में अराजकता फैली हुई थी, जिससे भय का माहौल बन हुआ था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साबिया ने कहा कि हम भाग्यशाली थे कि हमारा कॉलेज मैनेजमेंट हम छात्रों की परेशानियों को समझ रहा था. उन्होंने बताया कि प्रशासन सबको रेगुलर अपडेट दे रहा था और कैंपस के भीतर आवश्यक सेवाओं को जारी रखा गया. उन्होंने बताया कि कई दिनों तक हमारे पास भारत में अपने परिवारों से संपर्क करने का कोई तरीका नहीं था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुलिस गश्ती वाहनों से पहुंचे एयरपोर्ट</strong><br />बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग ने भारतीय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साबिया (21) अन्य भारतीय छात्रों के साथ मदद हेल्पलाइन के माध्यम से उच्चायोग के साथ संपर्क में थीं. 4 अगस्त को जब बांग्लादेश में स्थिति और बिगड़ गई, तो उच्चायोग ने छात्रों को निकालने के लिए कार्रवाई शुरू की.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साबिया ने बताया कि कॉलेज प्रबंधन और उच्चायोग ने सभी छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव कोशिश की. उन्होंने बताया कि 5 अगस्त की रात में छात्रों को पुलिस गश्ती वाहनों के जरिये ढाका हवाई अड्डे पर ले जाया गया. हवाई अड्डे पर पहुंचने पर छात्रों को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा, क्योंकि इस संकट के कारण निर्धारित उड़ाने रद्द कर दी गई थीं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उच्चायोग ने 22 छात्रों को सुरक्षित निकाला</strong><br />साबिया ने कहा हमने रात एयरपोर्ट पर बिताई. भारतीय उच्चायोग के अफसरों ने 6 अगस्त को नई दिल्ली के लिए उड़ान फिक्स की. जिससे सभी 22 छात्रों की सुरक्षित घर वापसी हो सकी. अब मंडलेश्वर वापस आकर साबिया अपनी पढ़ाई पूरी करने की बात कर रही हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>साबिया का कहना है कि वो अपने कॉलेज और बांग्लादेश में स्थानीय छात्रों के साथ लगातार संपर्क में है. स्थिति सामान्य होने पर वो वापस लौटने की योजना बना रही हैं. कोर्स पूरा होने में महज पांच महीने बचे हैं. साबिया पढ़ाई पूरी करने के बाद नेशनल मेडिकल काउंसिल की FMGE की तैयारी करेंगी.</p>
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