सावन मेले में श्रीराम खुद श्रीसीता को झुलाते हैं झूला:सीता जी कहतीं हैं-झोंका दीजे सम्हारि के मोरी सारी न अटके

सावन मेले में श्रीराम खुद श्रीसीता को झुलाते हैं झूला:सीता जी कहतीं हैं-झोंका दीजे सम्हारि के मोरी सारी न अटके

7 अगस्त को मणिपर्वत मेला के साथ आरंभ सावन झूला मेला चटख होने लगा है। राम मंदिर,कनक भवन, श्रीरामवल्लभाकुंज,दशरथ महल,सियाराम किला,लक्ष्मण किला,रंग महल और मणिराम दास जी की छावनी सहित एक हजार मंदिरों में उत्सव की धूम है।मध्य रात्रि तक चल रहे उत्सव में भगवान के प्रति संतों का भाव अनेक तरह से प्रकट हो रहा है। राम मंदिर में रामलला चारो भैया चांदी के झूलन में उत्सव का आनंद ले रहे हैं।कनक भवन में भगवान श्रीराम जानकी संत झूलन पर विराजमान हो रहे हैं।दशरथ महल में सोने और चांदी से बने भव्य झूलन पर श्रीराम चारा भैया चारो महारानी सहित विराजमान हैं।हनुमत निवास में भगवान श्रीराम खुद सीता जी को झूला झुला रहे हैंं। हनुमत निवास के महंत डाक्टर मिथिलेश नंदिनी शरण के अनुसार सावन में सरयू के तट पर स्थित मंदिरों में संतों का आलाप सरयू की धवल धारा के साथ तैर रहा है भगवान शिव के मानस सरोवर से गोस्वामी तुलसीदास के मानस सरोवर तक जिस सरयू के निर्मल नीर मौजूद है। उसमें नहाए श्रीराम अपनी आभा श्री मैथिली अर्थात सीता को संग हिंडोले में विराजमान हैं। उन्होंने कहा कि दोनों को सखियाँ झुलाती हैं और गाती जाती हैं.. कि ‘हे रघुनाथ जू ! कब तक हम झुलाऐंगे। अब.. आपको स्वयं हमारी लाडली सीजा जू को झुलाना पड़ेगा।’ सखियों के मनुहार को श्रीप्रिया यानी सीता जू का ही भाव समझकर श्री दशरथ नंदन साथ झूलना छोड़ उन्हें झुलाने लगते हैं। पेंग बढ़ती जाती है, रस और अनुराग उमड़ता हुआ अपार हो उठता है। तब श्री किशोरी जू बरजती अर्थात कहतीं हैं -‘ झोंका दीजे सम्हारि के मोरी सारी न अटके। यह साड़ी मेरे मायके से – मिथिला से आयी है, इसके आँचल में चाँद और सूरज टाँके हुये हैं।’ महोत्सव में बढ़ी हुई पेंग धीमी होती है.. पर सावन का उछाह धीमा नहीं होता। यह उछाह महोत्सव के दौरान अयोध्या के एक हजार मंदिरों में मधु बनकर बरस रहा है। हर बरस इसी मधु को बरसाने के लिए आने वाले सावन का श्रीराम की रसिक भाव से उपासना करने वाले भक्तों को पूर साल इंतजार रहता है। 7 अगस्त को मणिपर्वत मेला के साथ आरंभ सावन झूला मेला चटख होने लगा है। राम मंदिर,कनक भवन, श्रीरामवल्लभाकुंज,दशरथ महल,सियाराम किला,लक्ष्मण किला,रंग महल और मणिराम दास जी की छावनी सहित एक हजार मंदिरों में उत्सव की धूम है।मध्य रात्रि तक चल रहे उत्सव में भगवान के प्रति संतों का भाव अनेक तरह से प्रकट हो रहा है। राम मंदिर में रामलला चारो भैया चांदी के झूलन में उत्सव का आनंद ले रहे हैं।कनक भवन में भगवान श्रीराम जानकी संत झूलन पर विराजमान हो रहे हैं।दशरथ महल में सोने और चांदी से बने भव्य झूलन पर श्रीराम चारा भैया चारो महारानी सहित विराजमान हैं।हनुमत निवास में भगवान श्रीराम खुद सीता जी को झूला झुला रहे हैंं। हनुमत निवास के महंत डाक्टर मिथिलेश नंदिनी शरण के अनुसार सावन में सरयू के तट पर स्थित मंदिरों में संतों का आलाप सरयू की धवल धारा के साथ तैर रहा है भगवान शिव के मानस सरोवर से गोस्वामी तुलसीदास के मानस सरोवर तक जिस सरयू के निर्मल नीर मौजूद है। उसमें नहाए श्रीराम अपनी आभा श्री मैथिली अर्थात सीता को संग हिंडोले में विराजमान हैं। उन्होंने कहा कि दोनों को सखियाँ झुलाती हैं और गाती जाती हैं.. कि ‘हे रघुनाथ जू ! कब तक हम झुलाऐंगे। अब.. आपको स्वयं हमारी लाडली सीजा जू को झुलाना पड़ेगा।’ सखियों के मनुहार को श्रीप्रिया यानी सीता जू का ही भाव समझकर श्री दशरथ नंदन साथ झूलना छोड़ उन्हें झुलाने लगते हैं। पेंग बढ़ती जाती है, रस और अनुराग उमड़ता हुआ अपार हो उठता है। तब श्री किशोरी जू बरजती अर्थात कहतीं हैं -‘ झोंका दीजे सम्हारि के मोरी सारी न अटके। यह साड़ी मेरे मायके से – मिथिला से आयी है, इसके आँचल में चाँद और सूरज टाँके हुये हैं।’ महोत्सव में बढ़ी हुई पेंग धीमी होती है.. पर सावन का उछाह धीमा नहीं होता। यह उछाह महोत्सव के दौरान अयोध्या के एक हजार मंदिरों में मधु बनकर बरस रहा है। हर बरस इसी मधु को बरसाने के लिए आने वाले सावन का श्रीराम की रसिक भाव से उपासना करने वाले भक्तों को पूर साल इंतजार रहता है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर