हिमाचल प्रदेश के चंबा में एक प्राइवेट बस चालक ने कुछ सवारियों को बस की डिक्की में भरा। किसी ने इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। अब इस पर लोग तीखी प्रतिक्रया दे रहे हैं। कंडक्टर ने बस के भीतर सवारियां पूरी भरने के बाद ज्यादा पैसा कमाने के लालच में डिक्की में सवारियां भरी और किराया भी लिया। बताया जा रहा है कि प्राइवेट बस चंबा से साहू जा रही थी। बालू में जब बस सवारियों से खचाखच भर गई तो कंडक्टर ने कुछ सवारियां सामान रखने के लिए बनाई गई डिक्की में बिठा दी। सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रया दे रहे लोग वायरल हो रहे वीडियो पर लोग तीखी प्रतिक्रयाएं दे रहे हैं। सवारियों की जान से खिलवाड़ के लिए लोग कंडक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे है। परिवहन और पुलिस महकमे के दावों की खुली पोल चंबा के दुर्गम क्षेत्रों में कई बार ओवरलोडिंग के कारण इस तरह के हादसे होते रहे हैं। ऐसे ट्रांसपोर्टर के खिलाफ लोग सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। हालांकि परिवहन विभाग और पुलिस ऐसे ट्रांसपोर्टर के खिलाफ समय समय पर कार्रवाई के दावे करता है। मगर रविवार को चंबा में विभागों के दावों की पोल खुली है। हिमाचल प्रदेश के चंबा में एक प्राइवेट बस चालक ने कुछ सवारियों को बस की डिक्की में भरा। किसी ने इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। अब इस पर लोग तीखी प्रतिक्रया दे रहे हैं। कंडक्टर ने बस के भीतर सवारियां पूरी भरने के बाद ज्यादा पैसा कमाने के लालच में डिक्की में सवारियां भरी और किराया भी लिया। बताया जा रहा है कि प्राइवेट बस चंबा से साहू जा रही थी। बालू में जब बस सवारियों से खचाखच भर गई तो कंडक्टर ने कुछ सवारियां सामान रखने के लिए बनाई गई डिक्की में बिठा दी। सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रया दे रहे लोग वायरल हो रहे वीडियो पर लोग तीखी प्रतिक्रयाएं दे रहे हैं। सवारियों की जान से खिलवाड़ के लिए लोग कंडक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे है। परिवहन और पुलिस महकमे के दावों की खुली पोल चंबा के दुर्गम क्षेत्रों में कई बार ओवरलोडिंग के कारण इस तरह के हादसे होते रहे हैं। ऐसे ट्रांसपोर्टर के खिलाफ लोग सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। हालांकि परिवहन विभाग और पुलिस ऐसे ट्रांसपोर्टर के खिलाफ समय समय पर कार्रवाई के दावे करता है। मगर रविवार को चंबा में विभागों के दावों की पोल खुली है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल हाईकोर्ट पहुंची संजौली मस्जिद कॉन्ट्रोवर्सी:लोकल रेजिडेंट की याचिका पर आज सुनवाई; MC आयुक्त को जल्द फैसला सुनाने को आदेश देने का आग्रह शिमला की संजौली मस्जिद का मामला हिमाचल हाईकोर्ट (HC) पहुंच गया है। संजौली के लोकल रेजिडेंट द्वारा दायर याचिका पर आज HC में सुनवाई होगी। यह मामला न्यायाधीश संदीप शर्मा की बेंच सुनेगी। संजौली मस्जिद के आसपास रहने वाले लोगों ने कोर्ट में याचिका डालकर शिमला नगर निगम (MC) आयुक्त को जल्द फैसला देने के लिए आदेश देने का आग्रह किया है। याचिका में कहा गया कि संजौली मस्जिद मामला 14 साल से MC आयुक्त कोर्ट में चल रहा है। इस केस का जल्द निपटारा होना चाहिए। वहीं MC आयुक्त की कोर्ट में यह केस 21 दिसंबर को सुना जाएगा। लोकल रेजिडेंट इस केस में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगा रहे है। लोकल रेजिडेंट के एडवोकेट जगपाल ने बताया कि स्थानीय लोगों ने याचिका कोर्ट ने दायर की है। इस पर आज सुनवाई होगी। वहीं MC आयुक्त बीते 5 अक्टूबर को ही संजौली मस्जिद की ऊपर की 3 मंजिल को गिराने के आदेश दे चुके हैं। मगर अभी मस्जिद को तोड़ने का काम शुरू नहीं हो पाया। संजौली मस्जिद कमेटी ने इसे तोड़ने का काम शुरू करने से पहले वक्फ बोर्ड से अनुमति मांग रखी है, क्योंकि यह प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी है। संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने बताया कि मस्जिद कमेटी को ही इसके अवैध बताए जा रहे हिस्से को अपने खर्च पर हटाना है। इसके लिए लोकल मुस्लिम कारोबारी से धन जुटा रहे हैं। साथ ही वक्फ बोर्ड से भी इसकी परमिशन मांगी गई है। मस्जिद कमेटी ने शांत किया मामला संजौली मस्जिद के कारण पूरे प्रदेश में बवाल मचा। शिमला के बाद सोलन, मंडी, कुल्लू, सिरमौर व कुल्लू जिला में भी जगह जगह मस्जिद मामले में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए और अवैध रूप से बनी मस्जिदों को गिराने की मांग उठाई। इससे पूरे प्रदेश में माहौल तनावपूर्ण हो गया। इस बीच संजौली मस्जिद कमेटी ने खुद नगर निगम आयुक्त से मिलकर अवैध रूप से बनी ऊपर की मंजिल को हटाने की पेशकश की और कहा कि जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक ऊपर की तीन मंजिल को सील किया जाए। इसके बाद हिंदू संगठन शांत हुए। बीते 5 अक्टूबर को तीन मंजिल तोड़ने के आदेशों के बाद मामला अभी शांत है। साल 2010 से चल रहा केस, 46 बार सुनवाई हो चुकी इस बीच संजौली के लोकल रेजिडेंट मस्जिद को लेकर जल्द फैसले की मांग को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे हैं। दरअसल, MC आयुक्त कोर्ट में यह केस साल 2010 से चल रहा है। इस मामले में 46 बार सुनवाई हो चुकी है और नगर निगम शिमला ने 35 बार अवैध निर्माण रोकने व तोड़ने के नोटिस जारी किए है।