यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच बात नहीं बन पा रही है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर दबाव बनाने में जुटी हैं। सपा ने 6 सीटों पर प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं, कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। सीट बंटवारे को लेकर हो रही देरी से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच बेचैनी बढ़ रही है। सबसे पहले बात सपा और कांग्रेस में खींचतान की…
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और सपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक सिर्फ एक बार ही बातचीत हुई है। इस बातचीत में सपा ने महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी सीटों की हिस्सेदारी मांगी है। सपा के नेताओं का कहना है कि महाराष्ट्र में उसके पहले से 2 विधायक हैं, हरियाणा में भी पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है। ऐसे में दोनों राज्यों में सम्मानजनक सीटें दी जाएं। सपा 2 राज्यों के चुनाव में सीटें लेकर अपना दायरा भी बढ़ाना चाहती है। माना यही जा रहा है कि इन्हीं दोनों राज्यों में सीटों को लेकर पेंच फंसा है। इसकी वजह से यूपी में होने वाले उपचुनाव में सीट शेयरिंग का फैसला नहीं हो पा रहा। अब तक सपा ने क्या किया
समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव वाली 10 में से 6 सीटों पर प्रभारी घोषित किए हैं। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर दो प्रभारी बनाए हैं। फैजाबाद के मौजूदा सांसद अवधेश प्रसाद के अलावा विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव को इस महत्वपूर्ण सीट की जिम्मेदारी दी गई है। माना जा रहा है, सपा जल्द ही बाकी बची 4 सीटों पर भी प्रभारी नियुक्त कर देगी। इसे दोनों ओर से दबाव की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। सपा, कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें देना चाहती है। कांग्रेस का क्या कदम है
खास बात यह है कि जिस दिन सपा ने अपने प्रभारियों की सूची जारी की, उसी दिन कांग्रेस ने भी अपने पर्यवेक्षकों की सूची जारी कर दी। कांग्रेस चाहती है, उपचुनाव में उसे 5 सीटें मिलें। कांग्रेस का मानना है कि उसे कुछ करते हुए दिखना है, ताकि लोगों में सकारात्मक संदेश जाए कि पार्टी ग्राउंड पर काम कर रही है। समझौता होने की स्थिति में बाकी सीटों से पर्यवेक्षक वापस बुला लिए जाएंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में कहा, अभी चुनाव घोषित नहीं हुआ है। समय के साथ सीट शेयरिंग पर फैसला भी हो जाएगा। हमने उन 5 सीटों का प्रस्ताव प्रदेश प्रभारी और पार्टी के महासचिव अविनाश पांडेय के माध्यम से केंद्रीय नेतृत्व को भेजा है, जो सीटें सपा के पास नहीं थीं। इसमें गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, मझवां और फूलपुर की सीट शामिल है। 8 सीटों पर 5 हजार वोट भी नहीं मिले थे कांग्रेस को
वोट शेयर की बात करें, तो कांग्रेस को इन 10 सीटों पर कांग्रेस की स्थिति बहुत नाजुक थी। गाजियाबाद में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 11818 वोट मिले थे, जो कुल पड़े वोट का 4.83% था। इसके बाद कानपुर नगर की सीसामऊ सीट पर उसे 5,616 वोट मिले थे। यह कुल पड़े वोटों का 3.6% था। बाकी सीटों पर कांग्रेस 5 हजार वोट का भी आंकड़ा पार नहीं कर सकी थी। इन 10 में से 5 सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस को 1% से भी कम वोट मिले थे। करहल में अखिलेश यादव के खिलाफ कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा था। भाजपा और सहयोगी पार्टियों में भी नहीं बन पाई बात
सपा-कांग्रेस ही नहीं, NDA में भी यही हाल है। भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों में भी खींचतान मची है। जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां सपा-कांग्रेस के मुकाबले भाजपा कहीं पहले से तैयारी में जुटी है। जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से मिर्जापुर की मझवां सीट भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के पास थी। मीरापुर सीट से रालोद के चंदन चौहान विधायक थे। रालोद को एक सीट मिलना तय है, पार्टी भी एक सीट की ही मांग रही है। भाजपा का पेंच निषाद पार्टी से फंस रहा है। पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद दो सीटें मांग रहे हैं। हालांकि, इन सबके बीच भाजपा करीब 15 दिन पहले ही मंत्रियों की पूरी फौज इन 10 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए उतार चुकी है। यह खबर भी पढ़ें अखिलेश बोले-कन्नौज रेप केस में भाजपा वाले मिले हुए हैं; सपा अध्यक्ष ने देखा सपेरों का डांस सपा मुखिया अखिलेश यादव ने गुरुवार को पहली बार कन्नौज रेप मामले पर बयान दिया। उन्होंने कहा, आज-कल कन्नौज बहुत हेडलाइन पर है। इसके लिए सरकार को धन्यवाद। उन्होंने आरोपी नवाब सिंह यादव का नाम लिए बगैर कहा, सोचिए डीएम-एसपी सम्मान भी कर रहे हैं। मतलब बीजेपी वाले मिले हुए हैं। अखिलेश लखनऊ के समाजवादी पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। यहां पढ़ें पूरी खबर यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच बात नहीं बन पा रही है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर दबाव बनाने में जुटी हैं। सपा ने 6 सीटों पर प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं, कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। सीट बंटवारे को लेकर हो रही देरी से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच बेचैनी बढ़ रही है। सबसे पहले बात सपा और कांग्रेस में खींचतान की…
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और सपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक सिर्फ एक बार ही बातचीत हुई है। इस बातचीत में सपा ने महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी सीटों की हिस्सेदारी मांगी है। सपा के नेताओं का कहना है कि महाराष्ट्र में उसके पहले से 2 विधायक हैं, हरियाणा में भी पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है। ऐसे में दोनों राज्यों में सम्मानजनक सीटें दी जाएं। सपा 2 राज्यों के चुनाव में सीटें लेकर अपना दायरा भी बढ़ाना चाहती है। माना यही जा रहा है कि इन्हीं दोनों राज्यों में सीटों को लेकर पेंच फंसा है। इसकी वजह से यूपी में होने वाले उपचुनाव में सीट शेयरिंग का फैसला नहीं हो पा रहा। अब तक सपा ने क्या किया
समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव वाली 10 में से 6 सीटों पर प्रभारी घोषित किए हैं। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर दो प्रभारी बनाए हैं। फैजाबाद के मौजूदा सांसद अवधेश प्रसाद के अलावा विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव को इस महत्वपूर्ण सीट की जिम्मेदारी दी गई है। माना जा रहा है, सपा जल्द ही बाकी बची 4 सीटों पर भी प्रभारी नियुक्त कर देगी। इसे दोनों ओर से दबाव की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। सपा, कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें देना चाहती है। कांग्रेस का क्या कदम है
खास बात यह है कि जिस दिन सपा ने अपने प्रभारियों की सूची जारी की, उसी दिन कांग्रेस ने भी अपने पर्यवेक्षकों की सूची जारी कर दी। कांग्रेस चाहती है, उपचुनाव में उसे 5 सीटें मिलें। कांग्रेस का मानना है कि उसे कुछ करते हुए दिखना है, ताकि लोगों में सकारात्मक संदेश जाए कि पार्टी ग्राउंड पर काम कर रही है। समझौता होने की स्थिति में बाकी सीटों से पर्यवेक्षक वापस बुला लिए जाएंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में कहा, अभी चुनाव घोषित नहीं हुआ है। समय के साथ सीट शेयरिंग पर फैसला भी हो जाएगा। हमने उन 5 सीटों का प्रस्ताव प्रदेश प्रभारी और पार्टी के महासचिव अविनाश पांडेय के माध्यम से केंद्रीय नेतृत्व को भेजा है, जो सीटें सपा के पास नहीं थीं। इसमें गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, मझवां और फूलपुर की सीट शामिल है। 8 सीटों पर 5 हजार वोट भी नहीं मिले थे कांग्रेस को
वोट शेयर की बात करें, तो कांग्रेस को इन 10 सीटों पर कांग्रेस की स्थिति बहुत नाजुक थी। गाजियाबाद में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 11818 वोट मिले थे, जो कुल पड़े वोट का 4.83% था। इसके बाद कानपुर नगर की सीसामऊ सीट पर उसे 5,616 वोट मिले थे। यह कुल पड़े वोटों का 3.6% था। बाकी सीटों पर कांग्रेस 5 हजार वोट का भी आंकड़ा पार नहीं कर सकी थी। इन 10 में से 5 सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस को 1% से भी कम वोट मिले थे। करहल में अखिलेश यादव के खिलाफ कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा था। भाजपा और सहयोगी पार्टियों में भी नहीं बन पाई बात
सपा-कांग्रेस ही नहीं, NDA में भी यही हाल है। भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों में भी खींचतान मची है। जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां सपा-कांग्रेस के मुकाबले भाजपा कहीं पहले से तैयारी में जुटी है। जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से मिर्जापुर की मझवां सीट भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के पास थी। मीरापुर सीट से रालोद के चंदन चौहान विधायक थे। रालोद को एक सीट मिलना तय है, पार्टी भी एक सीट की ही मांग रही है। भाजपा का पेंच निषाद पार्टी से फंस रहा है। पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद दो सीटें मांग रहे हैं। हालांकि, इन सबके बीच भाजपा करीब 15 दिन पहले ही मंत्रियों की पूरी फौज इन 10 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए उतार चुकी है। यह खबर भी पढ़ें अखिलेश बोले-कन्नौज रेप केस में भाजपा वाले मिले हुए हैं; सपा अध्यक्ष ने देखा सपेरों का डांस सपा मुखिया अखिलेश यादव ने गुरुवार को पहली बार कन्नौज रेप मामले पर बयान दिया। उन्होंने कहा, आज-कल कन्नौज बहुत हेडलाइन पर है। इसके लिए सरकार को धन्यवाद। उन्होंने आरोपी नवाब सिंह यादव का नाम लिए बगैर कहा, सोचिए डीएम-एसपी सम्मान भी कर रहे हैं। मतलब बीजेपी वाले मिले हुए हैं। अखिलेश लखनऊ के समाजवादी पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। यहां पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर