नाम कृष्ण शर्मा, पूजा ईसा मसीह की:बोले- प्रार्थना सभा का पानी पीने से बीमारियां ठीक हो रहीं; नेपाल बॉर्डर के गांवों में चल रहा धर्मांतरण

नाम कृष्ण शर्मा, पूजा ईसा मसीह की:बोले- प्रार्थना सभा का पानी पीने से बीमारियां ठीक हो रहीं; नेपाल बॉर्डर के गांवों में चल रहा धर्मांतरण

‘मुझे गंभीर बीमारी थी। अपने हाथ से पानी भी नहीं पी पाती थी। प्रार्थना सभा में गई और वहां का पानी पिया, जिससे सभी बीमारियां दूर हो गईं। अब मुझे यीशु के अलावा कुछ भी नहीं दिखता है। इनको कभी नहीं छोड़ सकती।’ यह कहना है शीला का, जो हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बन गई हैं। शीला महाराजगंज के फरेंदा तहसील क्षेत्र के आनंद नगर मोहल्ले में रहती हैं। महराजगंज के कृष्ण शर्मा कहते हैं- न तो हम किसी को धर्म बदलने के लिए प्रेरित करते हैं और न ही उन्हें कोई प्रलोभन देते हैं। बस प्रभु यीशु की महिमा बताते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं। जिसको प्रभु की आराधना करने से फायदा मिला है, वह खुद ही हमसे जुड़ जाता है। इसके बाद भी पुलिस ने धर्मांतरण की झूठी शिकायत पर FIR दर्ज कर मुझे जेल भेजा। हमारी प्रार्थना सभा को बंद करवा दिया। कृष्ण शर्मा घर पर ही प्रार्थना सभा करते हैं। ये सिर्फ दो मामले नहीं हैं, नेपाल बॉर्डर से लगे 80 से ज्यादा गांवों में ईसाई धर्म को मानने वाले लोग बढ़ने लगे हैं। दैनिक भास्कर ने 10 दिन तक बॉर्डर पर पड़ताल की। मानव तस्करी, चरस की तस्करी और धर्मांतरण के हर पहलू की इंवेस्टिगेशन की। मानव तस्करी और चरस तस्करी से जुड़े खुलासे किए थे। आज हम आपको धर्मांतरण के बारे में की गई इंवेस्टिगेशन के बारे में बताएंगे। इसके लिए हमने ईसाई धर्म अपना चुके और हिंदू धर्म मानने वालों से बात की। जाना कि उन्होंने क्यों ईसाई धर्म अपना लिया? ईसाई प्रचारक कैसे धर्म परिवर्तन करा रहे हैं? 3 बातें, जिनसे ईसाई धर्म मानने वाले बढ़ रहे… 1- चंगाई सभा के लिए जमीन देते हैं, हिंदू को ही पास्चर बना देते: ईसाई मिशनरियां बीमारी ठीक होने और सभी कष्ट दूर करने का दावा कर लोगों को अपने साथ जोड़ रही हैं। उन्हीं में से किसी एक एक्टिव व्यक्ति को ईसाई धर्म प्रचारक (पास्चर) बनाते हैं। इसके बाद संस्था के नाम जमीन खरीदकर वहां एक छोटा सा घर बनाकर उस पास्चर को दे दिया जाता है, ताकि वहां प्रार्थना सभा और चंगाई सभा करके अधिक लोगों को अपने साथ जोड़ सकें। जहां प्रार्थना सभा होती है, वह बाहर से सामान्य घर जैसे ही होते हैं। बस यीशु मसीह को मानने वाले उन्हें चर्च कहते हैं। 2- गरीब लोग निशाने पर: ईसाई मिशनरियां बॉर्डर के करीब के गांवों में रह रहे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को टारगेट कर उनका धर्म बदल रही हैं। कई मामले ऐसे हैं, जहां उपनाम नहीं बदला, बस पूजा करने का तरीका बदल गया है। 3- नेपाल वाले हिस्से में तेजी से ईसाई बन रहे हिंदू: बॉर्डर से लगे नेपाल वाले हिस्से में तेजी से धर्मांतरण हो रहा है। वहां दक्षिण कोरिया की मिशनरियां धर्म परिवर्तन करा रही हैं। इसका असर भारत वाले हिस्से में भी पड़ रहा है। महराजगंज के सोनौली से जुड़ने वाली नेपाल सीमा से शुरू हुई इंवेस्टिगेशन
हम सोनौली से जुड़ने वाली नेपाल सीमा पर पहुंचे। उन किरदारों से मिले, जो धर्म-परिवर्तन में लगे हैं। नेपाल में ईसाई धर्म की क्या स्थिति है, क्या उसका भी प्रभाव पड़ रहा है, इसे भी समझेंगे। लोगों से बातचीत के बाद पता चला पुलिस ने नवंबर, 2023 में नौतनवां के कुनसेरवा के रहने वाले कृष्ण शर्मा के खिलाफ धर्म परिवर्तन का मुकदमा दर्ज किया था। उसे जेल भेजा था। हम कृष्ण शर्मा से मिलने पहुंचे। उनके घर के गेट पर प्रार्थना भवन लिखा था। प्रार्थना का समय रविवार सुबह 10 बजे लिखा था। बड़े भाई की मौत, छोटा बोला- यीशु ने जिंदगी बदल दी
दरवाजे पर दस्तक देने के बाद एक 38 साल के युवक ने दरवाजा खोला। पूछने पर अपना नाम कृष्ण शर्मा बताया। वह हमें अंदर ले गया। बातचीत के दौरान बताया कि मेरा जन्म हिंदू परिवार में जरूर हुआ है, लेकिन अब मैं ईसाई धर्म प्रचारक (पास्चर) हूं। सिर्फ प्रभु यीशु की आराधना करता हूं। उसने बताया कि वह मूल रूप से बढ़ई जाति का है। जो हिंदू धर्म को मानने वाली होती है। हमने कृष्ण शर्मा से जब ये पूछा कि किन लोगों को फायदा हुआ है? उसने फोन कर बाजार में ही साइबर कैफे चलाने वाले सुनील कुमार को बुलाया। सुनील ने बताया कि परिवार पर तमाम संकट थे। भाई की तबीयत खराब रहती थी, घर में हमेशा लड़ाई-झगड़े होते थे। आर्थिक तंगी और कर्ज से पूरा परिवार परेशान था। हम डॉक्टर और तांत्रिकों के पास जाकर थक गए थे, कोई फायदा नहीं हुआ। जब हमें प्रभु यीशु की प्रार्थना सभा के बारे में पता चला तो हम वहां गए। उसी दिन से हमारे सारे संकट दूर हो गए। हमारे लिए अब प्रभु यीशु ही सब कुछ हैं। हमने सुनील की बात की पड़ताल करने के लिए आसपास के कुछ और लोगों से बात की। सुनील की दुकान के पड़ोस ही रहने वाले नरसिंह पांडेय से मिले। नरसिंह पांडेय पूर्व जिला पंचायत सदस्य और हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुनील के बड़े भाई अजय ने ही परिवार में प्रार्थना सभा और चंगाई सभा में जाने की शुरुआत की थी। पूरा परिवार हिंदू पूजा पद्धति छोड़कर क्रिश्चियन धर्म के अनुसार प्रार्थना करने लगा। इसी बीच अजय की तबीयत खराब हुई तो इलाज के बजाय परिवार झाड़-फूंक और चंगाई सभा, प्रार्थना सभा के चक्कर में पड़ गया। ज्यादा तबीयत खराब हुई तो उसे लखनऊ ले जाया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई। किसी ने आंखों की रोशनी वापस आने तो किसी ने कैंसर ठीक होने का किया दावा
कृष्ण शर्मा से ही बातचीत के दौरान हमें सीमावर्ती गांव बरवां खुर्द के दशरथ गुप्ता के बारे में जानकारी मिली। हम दशरथ गुप्ता से मिलने नौतनवां से 20 किमी दूर बरवां खुर्द गए। गांव की संकरी गलियों से होते हुए हम दशरथ गुप्ता के घर पहुंचे। दशरथ पहले कच्चे घर में रहते थे। अब पक्का मकान बन गया है। हमें दशरथ और उसकी पत्नी मंजू मिली। हमने उनसे प्रार्थना सभा में जाने और हिंदू धर्म के अनुसार पूजा-पाठ न करने का कारण पूछा। दशरथ ने साफ तौर पर कहा- पुलिस हमें प्रार्थना सभा करने से रोकती है, गांव के लोग भी मेरा विरोध करते हैं। गांव के लोगों की झूठी शिकायत पर मेरे खिलाफ FIR दर्ज की गई। मुझे जेल भेजा गया। प्रभु यीशु का जन्मदिन मनाने के समय गांव के लोगों ने मेरे घर में तोड़फोड़ भी की। दशरथ से हमने उसकी उन समस्याओं के बारे में पूछा। उसका बयान चौंकाने वाला था। उसने बताया कि उसे दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता था। बेटे को कैंसर हो गया था, बेटी और पत्नी को भी गंभीर बीमारी थी। हमने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई दवा, झाड़-फूंक और धार्मिक स्थलों पर जाने में खर्च कर दी। कोई फायदा नहीं हुआ। तब मुझे प्रार्थना सभा के बारे में जानकारी मिली। मैं भी हर जगह से निराश होकर वहां गया। पहली ही बार जाने से मेरी आंखों की रोशनी वापस आ गई। दशरथ की पत्नी मंजू गुप्ता ने बताया कि बेटे को कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टर बोल चुके थे कि इसे कैंसर है, ठीक होना नामुमकिन है। लेकिन प्रार्थना सभा में जाने से उसे चंगाई मिली। अब वह बिल्कुल ठीक हो गया है। मुझे और मेरी बेटी को भी वहां जाने के बाद से कोई बीमारी नहीं है। छोटा भाई बोला मैं कट्टर हिंदू, किसी यीशु मसीह को नहीं मानता
दशरथ के घर के पड़ोस ही उसकी मां उगरमती और छोटा भाई नित्यानंद रहते हैं। हम उनसे भी मिले। यीशु मसीह का नाम सुनते ही दशरथ का छोटा भाई नित्यानंद भड़क गया। उसने कहा- मेरी पत्नी और मेरे बीच लंबे समय से अनबन है। मैं इसे लेकर परेशान था। कई साल पहले बड़े भाई और भाभी के कहने पर मैं भी प्रार्थना सभा में जाने लगा। वहां जाने से मुझे कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद मेरा मन हट गया। मैं खुद को कट्टर हिंदू मानता हूं। हमने दशरथ की मां उगरमति से भी बात की। 80 साल की उगरमति ने साफ तौर पर कहा ‘मैं तो भगवान में आस्था रखती हूं। मैं हिंदू पद्धति से ही पूजा पाठ करती हूं। अब हमारी तलाश उस शख्स को लेकर थी जिसने इन सबको प्रेरित किया। हमने बातों-बातों में दशरथ से पूछा कि तुम्हारा गुरु कौन है? दशरथ ने हमें ईसाई धर्म के बड़े प्रचारक राम चंद्र विश्वकर्मा के बारे में बताया। दशरथ से ही हमने रामचंद्र विश्वकर्मा का पता लिया और हम उनसे मिलने निकल पड़े। करीब 60 किमी की दूरी तय करके हम फरेंदा तहसील के आनंद नगर मोहल्ले के वार्ड नं – 6 गांधीनगर पहुंचे। घर में ही चर्च, चाचा-भतीजे कर रहे ईसाई धर्म का प्रचार
घर के बाहर एक बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था, ‘असेम्बली ऑफ बिलीवर्स चर्च इन इंडिया’। आराधना का समय रविवार 11.30 बजे। हमें पता चला कि इसके हेड अगास्टास एंटनी हैं। हमने गेट पर आवाज लगाई तो एक शख्स बाहर आया और खुद को राम चंद्र विश्वकर्मा बताया। वह हमें अंदर ले गया। अंदर जाते ही हम चौंक गए। अंदर कृष्ण शर्मा बैठा था, जिससे हम पड़ताल के लिए कुछ ही घंटे पहले मिले थे। हमने पूछ तो जानकारी हुई कि वह राम चंद्र का भतीजा है। दोनों चाचा -भतीजे मिलकर ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। घर के अंदर ही एक बड़े से हॉल को प्रार्थना सभा बनाया गया है, इसे ही चर्च कहा जा रहा था। वहां पूरे हाल में कालीन बिछी थी, डाइस पर बाइबिल रखी थी। शराब की लत छूटने, गंभीर बीमारी ठीक होने का दावा
राम चंद्र के घर में हमें त्रिलोकी नाथ मिले। त्रिलोकी नाथ की प्रभु यीशु में बड़ी आस्था है। वह पास्चर राम चंद्र विश्वकर्मा को ही अपना गुरु मानते हैं। त्रिलोकी ने बताया कि उन्हें शराब की लत थी। शराब के चक्कर में काफी नुकसान हुआ। कई बीमारियां भी हो गईं। नशे में परिवार से मारपीट और गालियां देना आम बात थी। इसी बीच वह पास्चर राम चंद्र विश्वकर्मा के संपर्क में आए। एक दिन प्रार्थना सभा में गए और मेरी जिंदगी बदल गई।शराब की लत छूट गई। कई बीमारियां भी ठीक हो गईं। उनका दावा है कि अब वह परिवार के साथ बेहद खुश हैं। राम चंद्र के घर में ही हमें शीला मिलीं। शीला ने बताया कि प्रभु यीशु के अलावा उनकी आस्था कहीं नहीं है। वह अपने कुछ रिश्तेदारों को भी प्रभु यीशु की प्रार्थना सभा में ले आईं, उनकी भी समस्याएं दूर हुईं। अब वह भी यीशु को ही अपना आराध्य मानने लगे हैं। शीला के मुताबिक उन्हें गंभीर बीमारी थी। अपने हाथ से पानी भी नहीं पी पाती थीं। वह प्रार्थना सभा में गईं और वहां का पानी पिया जिससे सभी बीमारियां दूर हो गईं। अब उन्हें यीशु के अलावा कुछ भी नहीं दिखता है। उन्होंने बताया कि वह यीशु को कभी नहीं छोड़ सकती हैं। हिंदू संगठन से जुड़े नेता बोले- ये गंभीर साजिश
इन सब मामलों में और अधिक जानकारी के लिए हमने महराजगंज के हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व अध्यक्ष नरसिंह पांडेय से मुलाकात की। नरसिंह पांडेय ने बताया कि सीमा पर नेपाल में तेजी से क्रिश्चियन धर्म के लोगों की संख्या बढ़ी है। चर्च भी बने हैं। वह सीमावर्ती इलाके के गांवों में रहने वाले बीमार, गरीब लाचार लोगों को टारगेट करते हैं। प्रलोभन देकर अपने साथ मिलाते हैं और उनसे यीशु मसीह की पूजा करने को कहते हैं। ये काफी संगीन मामले हैं। हिंदू युवा वाहिनी और दूसरे हिंदू संगठन लगातार इस पर नजर रखते हैं। कई जगह कार्रवाई भी हुई है। योगी जी के सीएम बनने के बाद ऐसे मामलों पर लगाम लगी है। योजनाओं का लाभ लेने के लिए नाम नहीं बदलते
हिंदू युवा वाहिनी के नेता नरसिंह पांडेय बताते हैं कि ईसाई मिशनरियों से जुड़े लोग अपना धर्म बदल लेते हैं, लेकिन नाम नहीं बदलते हैं। इसके पीछे दो कारण हैं, नाम बदलने से उनकी लोगों में पैठ खत्म हो जाएगी, जिससे ये और लोगों को टारगेट नहीं कर पाएंगे। दूसरा, सरकारी सुविधाओं का जो लाभ इन्हें मिल रहा है, वो बंद हो जाएगा। ये सभी गरीब तबके के ही लोग होते हैं, इसलिए इन्हें सरकारी सेवाओं का लाभ लेने की भी जरूरत होती है। नेपाल में भी तेजी से हो रहा चर्च का निर्माण
नेपाल में ईसाई धर्म मानने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। बॉर्डर से सटे नेपाल के भी 100 से अधिक गांवों में चर्च बने हैं। कई जगह बड़े चर्च का निर्माण चल रहा है। इनके पास्चर आसानी से बॉर्डर पार करते हैं, और भारत के बॉर्डर से सटे गांवों में अपने धर्म का प्रचार करते हैं। यही कारण है कि बॉर्डर पर भारत की तरफ भी ऐसे मामले तेजी से बढ़े हैं। नेशनल क्रिश्चियन कम्युनिटी सर्वे के मुताबिक नेपाल में 7 हजार 7 सौ 58 चर्च हैं। पिछले दो दशक में काठमांडू के करीब बड़ी संख्या में चर्च बने हैं। इसमें दक्षिण कोरिया के मिशनरियों का भी हाथ है। वहां से दुनियाभर में मिशनरी ईसाई धर्म का प्रचार करने जाते हैं। नेपाल के पिछले जनगणना आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब साढे़ पांच लाख ईसाई हैं। नेपाल की प्रतिनिधि सभा में सदस्य भीम रावल ने सार्वजनिक रूप से एक प्रीस्कूल पाठ्यपुस्तक की आलोचना की थी। उन्होंने किताब का जिक्र किया जिसमें ईश्वर के प्रतीक के रूप में यीशु का चित्रण था। रावल ने कहा कि पश्चिमी समुदाय देश में ईसाई धर्म का प्रसार कर रहा है। बहराइच में सामने आए थे मामले
जून 2023 में भारत-नेपाल सीमा से जुड़े बहराइच जिले के ताजपुर टेडिया गांव में धर्म परिवर्तन के कई मामले सामने आए थे। धर्म परिवर्तन कराने वाले छह लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी। बाद में बजरंग दल ने नानपारा के काली मंदिर में उनका शुद्धिकरण कर हिंदू धर्म में वापसी कराई थी अब पढ़िए मानव तस्करी और चरस तस्करी से जुड़ी इंवेस्टिगेशन पार्ट-1 : लड़की के जैसे नैन-नक्श, वैसी कीमत; इंच-टेप के नाप से तस्कर तय करते हैं दाम लंबाई- 5 फीट 5 इंच। उम्र- 23 साल। वजन- 55 किलो। नीचे जो तस्वीर दिख रही है, उसमें एक तस्कर इंच-टेप से नेपाली लड़की का नाप ले रहा है। वह चेक करता है, लड़की के शरीर पर कोई दाग तो नहीं। नाप-जोख का वीडियो बनाता है। फिर भारत में बैठे दलाल को भेजकर रेट तय करता है। रेट 2 से लेकर 25 लाख रुपए तक होता है। लड़की को विश्वास दिलाया जाता है कि नौकरी के लिए यह सब जरूरी होता है। पूरी खबर पढ़ें… पार्ट-2 : नेपाली लड़कियां कपड़े में चरस छिपाकर तस्करी कर रहीं; 5 हजार में 5 करोड़ की चरस बॉर्डर पार करा रहीं यूपी के सिद्धार्थनगर जिले का भारत-नेपाल का बढ़नी बॉर्डर। दोपहर के वक्त सुरक्षाकर्मी एक 35 साल की युवती को रोकते हैं। तलाशी ली जाती है, तो युवती कपड़ों के अंदर अपने पैर से बंधे एक के बाद एक 10 पैकेट निकालकर टेबल पर रख देती है। हर पैकेट का वजन 1 किलो होता है। पूरी खबर पढ़ें… ‘मुझे गंभीर बीमारी थी। अपने हाथ से पानी भी नहीं पी पाती थी। प्रार्थना सभा में गई और वहां का पानी पिया, जिससे सभी बीमारियां दूर हो गईं। अब मुझे यीशु के अलावा कुछ भी नहीं दिखता है। इनको कभी नहीं छोड़ सकती।’ यह कहना है शीला का, जो हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बन गई हैं। शीला महाराजगंज के फरेंदा तहसील क्षेत्र के आनंद नगर मोहल्ले में रहती हैं। महराजगंज के कृष्ण शर्मा कहते हैं- न तो हम किसी को धर्म बदलने के लिए प्रेरित करते हैं और न ही उन्हें कोई प्रलोभन देते हैं। बस प्रभु यीशु की महिमा बताते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं। जिसको प्रभु की आराधना करने से फायदा मिला है, वह खुद ही हमसे जुड़ जाता है। इसके बाद भी पुलिस ने धर्मांतरण की झूठी शिकायत पर FIR दर्ज कर मुझे जेल भेजा। हमारी प्रार्थना सभा को बंद करवा दिया। कृष्ण शर्मा घर पर ही प्रार्थना सभा करते हैं। ये सिर्फ दो मामले नहीं हैं, नेपाल बॉर्डर से लगे 80 से ज्यादा गांवों में ईसाई धर्म को मानने वाले लोग बढ़ने लगे हैं। दैनिक भास्कर ने 10 दिन तक बॉर्डर पर पड़ताल की। मानव तस्करी, चरस की तस्करी और धर्मांतरण के हर पहलू की इंवेस्टिगेशन की। मानव तस्करी और चरस तस्करी से जुड़े खुलासे किए थे। आज हम आपको धर्मांतरण के बारे में की गई इंवेस्टिगेशन के बारे में बताएंगे। इसके लिए हमने ईसाई धर्म अपना चुके और हिंदू धर्म मानने वालों से बात की। जाना कि उन्होंने क्यों ईसाई धर्म अपना लिया? ईसाई प्रचारक कैसे धर्म परिवर्तन करा रहे हैं? 3 बातें, जिनसे ईसाई धर्म मानने वाले बढ़ रहे… 1- चंगाई सभा के लिए जमीन देते हैं, हिंदू को ही पास्चर बना देते: ईसाई मिशनरियां बीमारी ठीक होने और सभी कष्ट दूर करने का दावा कर लोगों को अपने साथ जोड़ रही हैं। उन्हीं में से किसी एक एक्टिव व्यक्ति को ईसाई धर्म प्रचारक (पास्चर) बनाते हैं। इसके बाद संस्था के नाम जमीन खरीदकर वहां एक छोटा सा घर बनाकर उस पास्चर को दे दिया जाता है, ताकि वहां प्रार्थना सभा और चंगाई सभा करके अधिक लोगों को अपने साथ जोड़ सकें। जहां प्रार्थना सभा होती है, वह बाहर से सामान्य घर जैसे ही होते हैं। बस यीशु मसीह को मानने वाले उन्हें चर्च कहते हैं। 2- गरीब लोग निशाने पर: ईसाई मिशनरियां बॉर्डर के करीब के गांवों में रह रहे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को टारगेट कर उनका धर्म बदल रही हैं। कई मामले ऐसे हैं, जहां उपनाम नहीं बदला, बस पूजा करने का तरीका बदल गया है। 3- नेपाल वाले हिस्से में तेजी से ईसाई बन रहे हिंदू: बॉर्डर से लगे नेपाल वाले हिस्से में तेजी से धर्मांतरण हो रहा है। वहां दक्षिण कोरिया की मिशनरियां धर्म परिवर्तन करा रही हैं। इसका असर भारत वाले हिस्से में भी पड़ रहा है। महराजगंज के सोनौली से जुड़ने वाली नेपाल सीमा से शुरू हुई इंवेस्टिगेशन
हम सोनौली से जुड़ने वाली नेपाल सीमा पर पहुंचे। उन किरदारों से मिले, जो धर्म-परिवर्तन में लगे हैं। नेपाल में ईसाई धर्म की क्या स्थिति है, क्या उसका भी प्रभाव पड़ रहा है, इसे भी समझेंगे। लोगों से बातचीत के बाद पता चला पुलिस ने नवंबर, 2023 में नौतनवां के कुनसेरवा के रहने वाले कृष्ण शर्मा के खिलाफ धर्म परिवर्तन का मुकदमा दर्ज किया था। उसे जेल भेजा था। हम कृष्ण शर्मा से मिलने पहुंचे। उनके घर के गेट पर प्रार्थना भवन लिखा था। प्रार्थना का समय रविवार सुबह 10 बजे लिखा था। बड़े भाई की मौत, छोटा बोला- यीशु ने जिंदगी बदल दी
दरवाजे पर दस्तक देने के बाद एक 38 साल के युवक ने दरवाजा खोला। पूछने पर अपना नाम कृष्ण शर्मा बताया। वह हमें अंदर ले गया। बातचीत के दौरान बताया कि मेरा जन्म हिंदू परिवार में जरूर हुआ है, लेकिन अब मैं ईसाई धर्म प्रचारक (पास्चर) हूं। सिर्फ प्रभु यीशु की आराधना करता हूं। उसने बताया कि वह मूल रूप से बढ़ई जाति का है। जो हिंदू धर्म को मानने वाली होती है। हमने कृष्ण शर्मा से जब ये पूछा कि किन लोगों को फायदा हुआ है? उसने फोन कर बाजार में ही साइबर कैफे चलाने वाले सुनील कुमार को बुलाया। सुनील ने बताया कि परिवार पर तमाम संकट थे। भाई की तबीयत खराब रहती थी, घर में हमेशा लड़ाई-झगड़े होते थे। आर्थिक तंगी और कर्ज से पूरा परिवार परेशान था। हम डॉक्टर और तांत्रिकों के पास जाकर थक गए थे, कोई फायदा नहीं हुआ। जब हमें प्रभु यीशु की प्रार्थना सभा के बारे में पता चला तो हम वहां गए। उसी दिन से हमारे सारे संकट दूर हो गए। हमारे लिए अब प्रभु यीशु ही सब कुछ हैं। हमने सुनील की बात की पड़ताल करने के लिए आसपास के कुछ और लोगों से बात की। सुनील की दुकान के पड़ोस ही रहने वाले नरसिंह पांडेय से मिले। नरसिंह पांडेय पूर्व जिला पंचायत सदस्य और हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुनील के बड़े भाई अजय ने ही परिवार में प्रार्थना सभा और चंगाई सभा में जाने की शुरुआत की थी। पूरा परिवार हिंदू पूजा पद्धति छोड़कर क्रिश्चियन धर्म के अनुसार प्रार्थना करने लगा। इसी बीच अजय की तबीयत खराब हुई तो इलाज के बजाय परिवार झाड़-फूंक और चंगाई सभा, प्रार्थना सभा के चक्कर में पड़ गया। ज्यादा तबीयत खराब हुई तो उसे लखनऊ ले जाया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई। किसी ने आंखों की रोशनी वापस आने तो किसी ने कैंसर ठीक होने का किया दावा
कृष्ण शर्मा से ही बातचीत के दौरान हमें सीमावर्ती गांव बरवां खुर्द के दशरथ गुप्ता के बारे में जानकारी मिली। हम दशरथ गुप्ता से मिलने नौतनवां से 20 किमी दूर बरवां खुर्द गए। गांव की संकरी गलियों से होते हुए हम दशरथ गुप्ता के घर पहुंचे। दशरथ पहले कच्चे घर में रहते थे। अब पक्का मकान बन गया है। हमें दशरथ और उसकी पत्नी मंजू मिली। हमने उनसे प्रार्थना सभा में जाने और हिंदू धर्म के अनुसार पूजा-पाठ न करने का कारण पूछा। दशरथ ने साफ तौर पर कहा- पुलिस हमें प्रार्थना सभा करने से रोकती है, गांव के लोग भी मेरा विरोध करते हैं। गांव के लोगों की झूठी शिकायत पर मेरे खिलाफ FIR दर्ज की गई। मुझे जेल भेजा गया। प्रभु यीशु का जन्मदिन मनाने के समय गांव के लोगों ने मेरे घर में तोड़फोड़ भी की। दशरथ से हमने उसकी उन समस्याओं के बारे में पूछा। उसका बयान चौंकाने वाला था। उसने बताया कि उसे दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता था। बेटे को कैंसर हो गया था, बेटी और पत्नी को भी गंभीर बीमारी थी। हमने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई दवा, झाड़-फूंक और धार्मिक स्थलों पर जाने में खर्च कर दी। कोई फायदा नहीं हुआ। तब मुझे प्रार्थना सभा के बारे में जानकारी मिली। मैं भी हर जगह से निराश होकर वहां गया। पहली ही बार जाने से मेरी आंखों की रोशनी वापस आ गई। दशरथ की पत्नी मंजू गुप्ता ने बताया कि बेटे को कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टर बोल चुके थे कि इसे कैंसर है, ठीक होना नामुमकिन है। लेकिन प्रार्थना सभा में जाने से उसे चंगाई मिली। अब वह बिल्कुल ठीक हो गया है। मुझे और मेरी बेटी को भी वहां जाने के बाद से कोई बीमारी नहीं है। छोटा भाई बोला मैं कट्टर हिंदू, किसी यीशु मसीह को नहीं मानता
दशरथ के घर के पड़ोस ही उसकी मां उगरमती और छोटा भाई नित्यानंद रहते हैं। हम उनसे भी मिले। यीशु मसीह का नाम सुनते ही दशरथ का छोटा भाई नित्यानंद भड़क गया। उसने कहा- मेरी पत्नी और मेरे बीच लंबे समय से अनबन है। मैं इसे लेकर परेशान था। कई साल पहले बड़े भाई और भाभी के कहने पर मैं भी प्रार्थना सभा में जाने लगा। वहां जाने से मुझे कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद मेरा मन हट गया। मैं खुद को कट्टर हिंदू मानता हूं। हमने दशरथ की मां उगरमति से भी बात की। 80 साल की उगरमति ने साफ तौर पर कहा ‘मैं तो भगवान में आस्था रखती हूं। मैं हिंदू पद्धति से ही पूजा पाठ करती हूं। अब हमारी तलाश उस शख्स को लेकर थी जिसने इन सबको प्रेरित किया। हमने बातों-बातों में दशरथ से पूछा कि तुम्हारा गुरु कौन है? दशरथ ने हमें ईसाई धर्म के बड़े प्रचारक राम चंद्र विश्वकर्मा के बारे में बताया। दशरथ से ही हमने रामचंद्र विश्वकर्मा का पता लिया और हम उनसे मिलने निकल पड़े। करीब 60 किमी की दूरी तय करके हम फरेंदा तहसील के आनंद नगर मोहल्ले के वार्ड नं – 6 गांधीनगर पहुंचे। घर में ही चर्च, चाचा-भतीजे कर रहे ईसाई धर्म का प्रचार
घर के बाहर एक बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था, ‘असेम्बली ऑफ बिलीवर्स चर्च इन इंडिया’। आराधना का समय रविवार 11.30 बजे। हमें पता चला कि इसके हेड अगास्टास एंटनी हैं। हमने गेट पर आवाज लगाई तो एक शख्स बाहर आया और खुद को राम चंद्र विश्वकर्मा बताया। वह हमें अंदर ले गया। अंदर जाते ही हम चौंक गए। अंदर कृष्ण शर्मा बैठा था, जिससे हम पड़ताल के लिए कुछ ही घंटे पहले मिले थे। हमने पूछ तो जानकारी हुई कि वह राम चंद्र का भतीजा है। दोनों चाचा -भतीजे मिलकर ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। घर के अंदर ही एक बड़े से हॉल को प्रार्थना सभा बनाया गया है, इसे ही चर्च कहा जा रहा था। वहां पूरे हाल में कालीन बिछी थी, डाइस पर बाइबिल रखी थी। शराब की लत छूटने, गंभीर बीमारी ठीक होने का दावा
राम चंद्र के घर में हमें त्रिलोकी नाथ मिले। त्रिलोकी नाथ की प्रभु यीशु में बड़ी आस्था है। वह पास्चर राम चंद्र विश्वकर्मा को ही अपना गुरु मानते हैं। त्रिलोकी ने बताया कि उन्हें शराब की लत थी। शराब के चक्कर में काफी नुकसान हुआ। कई बीमारियां भी हो गईं। नशे में परिवार से मारपीट और गालियां देना आम बात थी। इसी बीच वह पास्चर राम चंद्र विश्वकर्मा के संपर्क में आए। एक दिन प्रार्थना सभा में गए और मेरी जिंदगी बदल गई।शराब की लत छूट गई। कई बीमारियां भी ठीक हो गईं। उनका दावा है कि अब वह परिवार के साथ बेहद खुश हैं। राम चंद्र के घर में ही हमें शीला मिलीं। शीला ने बताया कि प्रभु यीशु के अलावा उनकी आस्था कहीं नहीं है। वह अपने कुछ रिश्तेदारों को भी प्रभु यीशु की प्रार्थना सभा में ले आईं, उनकी भी समस्याएं दूर हुईं। अब वह भी यीशु को ही अपना आराध्य मानने लगे हैं। शीला के मुताबिक उन्हें गंभीर बीमारी थी। अपने हाथ से पानी भी नहीं पी पाती थीं। वह प्रार्थना सभा में गईं और वहां का पानी पिया जिससे सभी बीमारियां दूर हो गईं। अब उन्हें यीशु के अलावा कुछ भी नहीं दिखता है। उन्होंने बताया कि वह यीशु को कभी नहीं छोड़ सकती हैं। हिंदू संगठन से जुड़े नेता बोले- ये गंभीर साजिश
इन सब मामलों में और अधिक जानकारी के लिए हमने महराजगंज के हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व अध्यक्ष नरसिंह पांडेय से मुलाकात की। नरसिंह पांडेय ने बताया कि सीमा पर नेपाल में तेजी से क्रिश्चियन धर्म के लोगों की संख्या बढ़ी है। चर्च भी बने हैं। वह सीमावर्ती इलाके के गांवों में रहने वाले बीमार, गरीब लाचार लोगों को टारगेट करते हैं। प्रलोभन देकर अपने साथ मिलाते हैं और उनसे यीशु मसीह की पूजा करने को कहते हैं। ये काफी संगीन मामले हैं। हिंदू युवा वाहिनी और दूसरे हिंदू संगठन लगातार इस पर नजर रखते हैं। कई जगह कार्रवाई भी हुई है। योगी जी के सीएम बनने के बाद ऐसे मामलों पर लगाम लगी है। योजनाओं का लाभ लेने के लिए नाम नहीं बदलते
हिंदू युवा वाहिनी के नेता नरसिंह पांडेय बताते हैं कि ईसाई मिशनरियों से जुड़े लोग अपना धर्म बदल लेते हैं, लेकिन नाम नहीं बदलते हैं। इसके पीछे दो कारण हैं, नाम बदलने से उनकी लोगों में पैठ खत्म हो जाएगी, जिससे ये और लोगों को टारगेट नहीं कर पाएंगे। दूसरा, सरकारी सुविधाओं का जो लाभ इन्हें मिल रहा है, वो बंद हो जाएगा। ये सभी गरीब तबके के ही लोग होते हैं, इसलिए इन्हें सरकारी सेवाओं का लाभ लेने की भी जरूरत होती है। नेपाल में भी तेजी से हो रहा चर्च का निर्माण
नेपाल में ईसाई धर्म मानने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। बॉर्डर से सटे नेपाल के भी 100 से अधिक गांवों में चर्च बने हैं। कई जगह बड़े चर्च का निर्माण चल रहा है। इनके पास्चर आसानी से बॉर्डर पार करते हैं, और भारत के बॉर्डर से सटे गांवों में अपने धर्म का प्रचार करते हैं। यही कारण है कि बॉर्डर पर भारत की तरफ भी ऐसे मामले तेजी से बढ़े हैं। नेशनल क्रिश्चियन कम्युनिटी सर्वे के मुताबिक नेपाल में 7 हजार 7 सौ 58 चर्च हैं। पिछले दो दशक में काठमांडू के करीब बड़ी संख्या में चर्च बने हैं। इसमें दक्षिण कोरिया के मिशनरियों का भी हाथ है। वहां से दुनियाभर में मिशनरी ईसाई धर्म का प्रचार करने जाते हैं। नेपाल के पिछले जनगणना आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब साढे़ पांच लाख ईसाई हैं। नेपाल की प्रतिनिधि सभा में सदस्य भीम रावल ने सार्वजनिक रूप से एक प्रीस्कूल पाठ्यपुस्तक की आलोचना की थी। उन्होंने किताब का जिक्र किया जिसमें ईश्वर के प्रतीक के रूप में यीशु का चित्रण था। रावल ने कहा कि पश्चिमी समुदाय देश में ईसाई धर्म का प्रसार कर रहा है। बहराइच में सामने आए थे मामले
जून 2023 में भारत-नेपाल सीमा से जुड़े बहराइच जिले के ताजपुर टेडिया गांव में धर्म परिवर्तन के कई मामले सामने आए थे। धर्म परिवर्तन कराने वाले छह लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी। बाद में बजरंग दल ने नानपारा के काली मंदिर में उनका शुद्धिकरण कर हिंदू धर्म में वापसी कराई थी अब पढ़िए मानव तस्करी और चरस तस्करी से जुड़ी इंवेस्टिगेशन पार्ट-1 : लड़की के जैसे नैन-नक्श, वैसी कीमत; इंच-टेप के नाप से तस्कर तय करते हैं दाम लंबाई- 5 फीट 5 इंच। उम्र- 23 साल। वजन- 55 किलो। नीचे जो तस्वीर दिख रही है, उसमें एक तस्कर इंच-टेप से नेपाली लड़की का नाप ले रहा है। वह चेक करता है, लड़की के शरीर पर कोई दाग तो नहीं। नाप-जोख का वीडियो बनाता है। फिर भारत में बैठे दलाल को भेजकर रेट तय करता है। रेट 2 से लेकर 25 लाख रुपए तक होता है। लड़की को विश्वास दिलाया जाता है कि नौकरी के लिए यह सब जरूरी होता है। पूरी खबर पढ़ें… पार्ट-2 : नेपाली लड़कियां कपड़े में चरस छिपाकर तस्करी कर रहीं; 5 हजार में 5 करोड़ की चरस बॉर्डर पार करा रहीं यूपी के सिद्धार्थनगर जिले का भारत-नेपाल का बढ़नी बॉर्डर। दोपहर के वक्त सुरक्षाकर्मी एक 35 साल की युवती को रोकते हैं। तलाशी ली जाती है, तो युवती कपड़ों के अंदर अपने पैर से बंधे एक के बाद एक 10 पैकेट निकालकर टेबल पर रख देती है। हर पैकेट का वजन 1 किलो होता है। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर