हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में एनएच 5 निगुलसरी अवरुद्ध पॉइंट पर भावानगर की तरफ से एक हिस्सा सड़क पूरी तरह से धंस गया है। जिस कारण मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया। यात्रियों को अवरुद्ध मार्ग पैदल पार करना पड़ रहा है, जबकि अवरुद्ध मार्ग के दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई है। पिछले कई दिनों से बार बार बंद हो रही एनएच 5 इस बार एक भाग पूरी तरह धंस गया है। यातायात नहीं हुआ बहाल एनएच प्राधिकरण ने सड़क को समतल व लेबल बनाने के लिए मशीन लगाई गई है, लेकिन सड़क के अधिक धंसने से शुक्रवार को यातायात बहाल नही हुआ। शनिवार को भी सड़क बहाल होने में समय लग सकता है। हालांकि मशीन पहाड़ी की मिट्टी को काटने और उसे सड़क पर फिर से भरने के लिए मुस्तैदी से कार्यरत है, ताकि शीघ्र ही यातायात के लिए सड़क को बहाल किया जा सके। उधर एक रोज पूर्व इसी स्थान पर एक गाड़ी के ऊपर बोल्डर्स गिरने के बाद प्रशासन ने अवरुद्ध मार्ग को पार करने के समय सारणी में भी तब्दील किया गया है। सायं 7 बजे से आवाजाही रहेगी बंद सायं 7 बजे से सुबह 5 बजे तक आवाजाही बंद रहेगी। उधर अब लोगों में वैकल्पिक मार्ग बनाने की आवाज भी उठने लगी है, सरकार पर लोगों ने एक साल बाद भी कोई वैकल्पिक मार्ग पर कार्यवाही नहीं करने का आरोप लगाने शुरू कर दिया है। लोग अपने स्तर पर सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार को गिराने लग गए। सेब सीजन को लेकर बढ़ी चिंता-जिला के निचले क्षेत्रो में सेब सीजन शुरू होने वाली है, लेकिन सड़क की इस तरह दशा देख बागवानों की चिंता बढ़ने लगी है। टेक्सी मालिकों के कारोबार पर पड़ेगा असर पिछले वर्ष भी इसी निगुलसरी पॉइंट पर सेब बागवानों व किसानों को नगदी फसल मंडियों तक भेजने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अब वही स्थिति का पुनरावृति हो रहा है। होटल व्यवसायी व टेक्सी मालिकों के कार्य पर पड़ सकता है। संकट-निगुलसरी के बार बार अवरुद्ध होने से जिला के पर्यटन व्यवसायी से जुड़े कारोबारियों व टेक्सी मालिकों के कारोबार पर भी असर पड़ सकता है। गत वर्ष भी इन कारोबारियों पर असर पड़ा था। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में एनएच 5 निगुलसरी अवरुद्ध पॉइंट पर भावानगर की तरफ से एक हिस्सा सड़क पूरी तरह से धंस गया है। जिस कारण मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया। यात्रियों को अवरुद्ध मार्ग पैदल पार करना पड़ रहा है, जबकि अवरुद्ध मार्ग के दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई है। पिछले कई दिनों से बार बार बंद हो रही एनएच 5 इस बार एक भाग पूरी तरह धंस गया है। यातायात नहीं हुआ बहाल एनएच प्राधिकरण ने सड़क को समतल व लेबल बनाने के लिए मशीन लगाई गई है, लेकिन सड़क के अधिक धंसने से शुक्रवार को यातायात बहाल नही हुआ। शनिवार को भी सड़क बहाल होने में समय लग सकता है। हालांकि मशीन पहाड़ी की मिट्टी को काटने और उसे सड़क पर फिर से भरने के लिए मुस्तैदी से कार्यरत है, ताकि शीघ्र ही यातायात के लिए सड़क को बहाल किया जा सके। उधर एक रोज पूर्व इसी स्थान पर एक गाड़ी के ऊपर बोल्डर्स गिरने के बाद प्रशासन ने अवरुद्ध मार्ग को पार करने के समय सारणी में भी तब्दील किया गया है। सायं 7 बजे से आवाजाही रहेगी बंद सायं 7 बजे से सुबह 5 बजे तक आवाजाही बंद रहेगी। उधर अब लोगों में वैकल्पिक मार्ग बनाने की आवाज भी उठने लगी है, सरकार पर लोगों ने एक साल बाद भी कोई वैकल्पिक मार्ग पर कार्यवाही नहीं करने का आरोप लगाने शुरू कर दिया है। लोग अपने स्तर पर सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार को गिराने लग गए। सेब सीजन को लेकर बढ़ी चिंता-जिला के निचले क्षेत्रो में सेब सीजन शुरू होने वाली है, लेकिन सड़क की इस तरह दशा देख बागवानों की चिंता बढ़ने लगी है। टेक्सी मालिकों के कारोबार पर पड़ेगा असर पिछले वर्ष भी इसी निगुलसरी पॉइंट पर सेब बागवानों व किसानों को नगदी फसल मंडियों तक भेजने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अब वही स्थिति का पुनरावृति हो रहा है। होटल व्यवसायी व टेक्सी मालिकों के कार्य पर पड़ सकता है। संकट-निगुलसरी के बार बार अवरुद्ध होने से जिला के पर्यटन व्यवसायी से जुड़े कारोबारियों व टेक्सी मालिकों के कारोबार पर भी असर पड़ सकता है। गत वर्ष भी इन कारोबारियों पर असर पड़ा था। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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कुल्लू में ड्रग तस्कर गिरफ्तार:टैक्सी में सवार होकर जा रहा था चंडीगढ़, 5 किलो से ज्यादा चरस बरामद हिमाचल के कुल्लू में बीती रात एएनटीएफ की टीम ने बिलासपुर के नरली में नाकाबंदी के दौरान चंडीगढ़ से कुल्लू की ओर आ रही एक टैक्सी में सवार व्यक्ति को 5 किलो 787 ग्राम चरस सहित गिरफ्तार किया है। डीएसपी एएनटीएफ कुल्लू हेमराज वर्मा ने बताया कि बीती रात एएनटीएफ कुल्लू की टीम ने बिलासपुर जिले के नरली नामक जगह फोरलेन सड़क में नाकाबंदी के दौरान गाड़ियों की चेकिंग के दौरान पंजाब नंबर की टैक्सी को जांच के लिए रोका। टैक्सी सवार एक व्यक्ति जिसने यह टैक्सी कुल्लू से चंडीगढ़ के लिए बुक की थी। टैक्सी की तलाशी के दौरान एक ट्राली बैग बरामद हुआ, जिसमें से 5 किलो 787 ग्राम चरस बरामद की है। चरस बरामद होने पर पुलिस ने आरोपी टैक्सी सवार को गिरफ्तार कर लिया है, जिसकी पहचान जीवन सिंह निवासी भुट्टी भलयानी जनपद कुल्लू के रुप में हुई है। आरोपी के खिलाफ थाना स्वारघाट में एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। डीएसपी ने बताया कि, मामले की तफ्तीश की जा रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि आरोपी चरस कहां से लेकर आया था और कहां सप्लाई की जानी थी। आरोपी को गिरफ्तार करने वाली टीम में मुख्य आरक्षी राजेश ठाकुर, आरक्षी संदीप कुमार तथा आरक्षी अजय कुमार शामिल रहे।
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हिमाचल के वीरों ने दिखाया था ‘पहाड़’ जैसा शौर्य:कारगिल युद्ध में 52 ने दी थी शहादत; आज पूरा देश कर रहा नमन; जगह-जगह कार्यक्रम
हिमाचल के वीरों ने दिखाया था ‘पहाड़’ जैसा शौर्य:कारगिल युद्ध में 52 ने दी थी शहादत; आज पूरा देश कर रहा नमन; जगह-जगह कार्यक्रम देश के साथ हिमाचल प्रदेश में भी कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। इस लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के 527 वीर सपूतों में 52 देवभूमि हिमाचल प्रदेश के थे। इसी वजह से हिमाचल को देवभूमि के साथ साथ वीरभूमि कहा जाता है। 25 मई से 26 जुलाई 1999 के बीच पाकिस्तान के साथ चली जंग में बलिदान देने वाले इन वीरभूमि के इन सपूतों को आज प्रदेश में याद किया जा रहा है और श्रद्धांजलि दी जा रही है। कारगिल युद्ध में सेना के सर्वोच्च सम्मान 2 परमवीर चक्र समेत अनेकों चक्र हिमाचल के वीरों के कंधे पर सुसज्जित हैं। कैप्टन विक्रम बतरा को (मरणोपरांत) और राइफलमैन संजय कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस युद्ध में शहादत पाने वालों में कांगड़ा जिले के 15 जवान, मंडी के 10, हमीरपुर के 8, बिलासपुर 7, शिमला 4, ऊना, सोलन व सिरमौर के 2-2 तथा चंबा व कुल्लू जिले से 1-1 जवान शामिल थे। बतरा ने 5140 चोटी से कहा, यह दिल मांगे मोर इस युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा की गर्जन से दहशत में आ जाती थी। पहली जून 1999 को उनकी टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प व रॉकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग की सबसे महत्वपूर्ण 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने की जिम्मेदीरी कैप्टन विक्रम बतरा को सौंपी गई। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद विक्रम बतरा अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 की सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर 5140 चोटी को अपने कब्जे में ले लिया। विक्रम बतरा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय उद्घोष यह दिल मांगे मोर कहा तो सेना ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में उनका नाम छा गया। देवभूमि के इस सपूत को 15 दिन बंधी बनाकर दी अमानवीय यातनाएं कारगिल युद्ध में पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी सैनिकों ने 15 दिनों तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उन्हें कई अमानवीय यातनाएं दी गईं और वह अपनी पहली सैलरी लेने से पहले शहीद हो गए थे। शहादत के वक्त उनकी उम्र मात्र 22 साल थी। आज पूरा देश उन्हें इस शहादत के लिए याद कर रहा है। वीर सपूतों की कहानी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (युद्ध सेवा मेडल) सेवानिवृत कारगिल हीरो ने बताया कि उनके पास 18 ग्रेनेडियर की कमान थी। हमारी युद्ध यूनिट ने तोलोलिंग की पहाड़ी और करगिल की पहाड़ी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराई थी। 18 ग्रेनेडियर की इस यूनिट को 52 वीरता पुरस्कार मिले थे, जो अब तक का मिलिट्री इतिहास है। जब तोलोलिंग पर दुश्मन के साथ संघर्ष चल रहा था तो हमारे उपकमान अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल आर विश्वनाथन मेरी ही गोद में वीरगति को प्राप्त हुए। उस दृश्य को याद करता हूं तो सिहर उठता हूं। करगिल का युद्ध इतना कठिन था कि वहां छिपने के लिए खाली व सूखी पहाड़ियों के अलावा तिनका तक भी नहीं था। तोलोलिंग की लड़ाई हमने 22 दिन तक लड़ी। उसके बाद यूनिट ने द्रास सेक्टर की सबसे मुश्किल और मशहूर चोटी टाइगर हिल्स फतह की। करगिल की लड़ाई में मेरी यूनिट 18 ग्रेनेडियर को 52 वीरता पुरस्कार दिए गए। उन्होंने बताया कि आज भी उस घटनाक्रम को याद करता हूं तो रोमांच व साहस से भर जाता हूं। कारगिल युद्ध में शहादत पाने वाले 52 जवान… पहाड़ सा शौर्य, फिर भी अपनी रेजिमेंट नहीं हिमाचल का यह दुर्भाग्य है कि सेना के पहले परमवीर चक्र विजेता राज्य को आजादी के 77 साल बाद भी सेना की रेजिमेंट नहीं मिल पाई। कांगड़ा के मेजर सोमनाथ शर्मा ने पहला परमवीर चक्र मेडल हासिल कर हिमाचल के साहस की पहचान को शिखर पर पहुंचाया था। मेजर सोमनाथ के अलावा पालमपुर के कैप्टन विक्रम बतरा, धर्मशाला के लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस थापा और बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार ने परमवीर चक्र हासिल कर अदम्य साहस की परंपरा को आगे बढ़ाया। इसी तरह 1200 से ज्यादा गैलेंटरी अवार्ड और तमाम अवार्ड हिमाचल के रणबांकुरों के नाम हैं। फिर भी राज्य की अपनी रेंजिमेंट की कमी आज भी खल रही है।