हेलो! मैं जिला SP… आपका केस अमुक थाने में रजिस्टर्ड है। इसकी फाइल मेरे पास है। जिसकी मुकदमा संख्या ये XYZ है। मामले में आरोपी की गिरफ्तारी कर उसे कम से कम 6 महीने के लिए जेल भेजा जाएगा। अगर तुरंत तीन हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर दें तो पुलिस की गाड़ी आरोपी को दबोचने अभी निकल पड़ेगी। ऑनलाइन भुगतान करने से इनकार किया तो SP बना ये ठग गाली गलौज करने लगा और केस में कोई कार्रवाई न होने की धमकी देने लगा। ये ठगी यूपी पुलिस के ऐप UPCOP से FIR निकालकर की जा रही है। इसी मामले में पुलिस पड़ताल करते करते मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर ओरक्षा जा पहुंची। वहां उसने ठग को गिरफ्तार किया। ठग 10वीं फेल है, लेकिन उसे धाराओं और सजा का पूरा ज्ञान है। इसकी पहचान धीरेंद्र के रूप में हुई। धीरेंद्र UPCOP से उन केस की FIR निकालता था, जिसमें सात साल से कम सजा का प्रावधान होता है। इसमें पीड़ित को केस साल्व होने की जल्दी होती है। जिसमें मारपीट, अपहरण या बहला-फुसला कर ले जाने के मामले होते हैं। आरोपी रोजाना करीब 50 फोन करता था। इन दो केस को आधार बनाकर किया इन्वेस्टिगेशन केस-1 डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया- सेक्टर-63 थाना क्षेत्र निवासी प्रदीप कुमार अपनी पत्नी के साथ सब्जी खरीदकर कमरे पर जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में चेत राम वाली गली में पानी के प्लांट के पास बाले यादव ने प्रदीप और उसकी पत्नी से गाली गलौज करनी शुरू कर दी। विरोध करने पर बाले यादव ने प्रदीप के साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। इसकी शिकायत प्रदीप ने सेक्टर-63 थाने की पुलिस से की। पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। इसी बीच प्रदीप के पास अनजान नंबर से एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को जिला कलेक्टर बताते हुए प्रदीप को एफआईआर संबंधी जानकारी दी। कॉल करने वाले ठग ने कहा कि मामले में आरोपी की गिरफ्तारी कर उसे कम से कम छह महीने के लिए जेल भेजा जाएगा। अगर प्रदीप तुरंत तीन हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर दें तो पुलिस की गाड़ी आरोपी को दबोचने अभी निकल पड़ेगी। जब प्रदीप ने ऑनलाइन भुगतान करने से इनकार किया तो जिला कलेक्टर बने ठग ने गाली गलौज की। प्रदीप ने पूरी बातचीत को रिकॉर्ड किया और इसे पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने आरोपी को दबोचने के लिए एक विशेष टीम बनाई। केस-2 जांच शुरू की तो पता चला कि नोएडा के थाना फेज-1 में भी एक ऐसा ही कॉल आया था। इसमें अपहरण के मुकदमे में बरामदगी के बाद केस समाप्त करने के लिए 1000 रुपए की डिमांड की गई थी। फोन नंबर को ट्रैक पर लगाया
इस मामले में पुलिस ने इलेक्ट्रिक सर्विलांस की मदद ली। नंबर को ट्रैस किया गया। मोबाइल धारक की पहचान धीरेंद्र यादव पुत्र पहलवान यादव निवासी ग्राम बारी थाना लिधौरा, जनपद टीकमगढ़ मध्यप्रदेश के रूप में हुई। पुलिस की स्पेशल टीम ने आरोपी को उसके गांव से गिरफ्तार किया। आरोपी हमेशा से इस काम के लिए की पैड फोन और फर्जी सिम का यूज करता था। ताकि पकड़ा न जाए। धीरेंद्र को सक्रिय सिम उपलब्ध कराने वाले पुष्पेंद्र यादव को भी पुलिस ने वांछित बनाया है और उसकी गिरफ्तारी के लिए टीमें दबिश दे रही हैं। 200 से अधिक पीड़ितों को बनाया निशाना
एडिशनल DCP हृदेश कठेरिया ने बताया- धीरेंद्र यूपी कॉप ऐप का गलत प्रयोग कर रहा था। वह उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में मारपीट ,अपहरण, गुमशुदगी और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मामलों की एफआईआर निकालता था। एफआईआर पढ़ने के बाद वादी को फोन करता था। उनको केस में बारे में बताता था। आरोपी की गिरफ्तारी और अपहरण हुए व्यक्ति की बरामदगी के नाम पर पैसे की मांग करता था। इसके लिए पीड़ित के फोन पर एक क्यूआर कोड भेजता था और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कराता था। ऐसे 200 लोगों को शिकार बनाया। इसमें नोएडा, अलीगढ़, सहारनपुर, बरेली में भी लोगों के साथ ठगी की। तीन से पांच हजार रुपए कराते थे ट्रांसफर
आरोपी ने बताया कि उसके गांव के करीब आठ लड़के यही काम करते है। ये सभी सुबह के समय जंगल में चले जाते हैं। यूपी कॉप ऐप से एफआईआर निकालते हैं। ऐप में टाइटल को देखकर यह जानकारी करते है कि किस प्रकार का मुकदमा किन धाराओं में कहां पर लिखा गया है। ऐप के माध्यम से जांच अधिकारी का भी नाम पता कर लेते हैं। उसके बाद अपना लक्ष्य निर्धारित करते हैं। ठगी करने वाले ठग कानून में आईपीसी/बीएनएस की धाराओं की अच्छी जानकारी रखते हैं। 20 प्रतिशत कमीशन लेता है पुष्पेंद्र
जिस सिम से कॉल की जाती है, उस सिम के धारक का नाम पता फर्जी रहता है। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि ये सिम गांव के ही पुष्पेंद्र यादव से लिया जाता था। हर ट्रांजेक्शन में पुष्पेंद्र यादव के ही बैंक खाते और क्यूआर कोड का प्रयोग किया जाता था। इसके लिए उसको हर ट्रांजेक्शन पर 20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। जिस सिम का प्रयोग नोएडा में पीड़ित के साथ ठगी में किया गया वो आरोपी के गांव से 40 किलोमीटर दूर दूसरे गांव के अशोक कुमार के नाम पर था। हेलो! मैं जिला SP… आपका केस अमुक थाने में रजिस्टर्ड है। इसकी फाइल मेरे पास है। जिसकी मुकदमा संख्या ये XYZ है। मामले में आरोपी की गिरफ्तारी कर उसे कम से कम 6 महीने के लिए जेल भेजा जाएगा। अगर तुरंत तीन हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर दें तो पुलिस की गाड़ी आरोपी को दबोचने अभी निकल पड़ेगी। ऑनलाइन भुगतान करने से इनकार किया तो SP बना ये ठग गाली गलौज करने लगा और केस में कोई कार्रवाई न होने की धमकी देने लगा। ये ठगी यूपी पुलिस के ऐप UPCOP से FIR निकालकर की जा रही है। इसी मामले में पुलिस पड़ताल करते करते मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर ओरक्षा जा पहुंची। वहां उसने ठग को गिरफ्तार किया। ठग 10वीं फेल है, लेकिन उसे धाराओं और सजा का पूरा ज्ञान है। इसकी पहचान धीरेंद्र के रूप में हुई। धीरेंद्र UPCOP से उन केस की FIR निकालता था, जिसमें सात साल से कम सजा का प्रावधान होता है। इसमें पीड़ित को केस साल्व होने की जल्दी होती है। जिसमें मारपीट, अपहरण या बहला-फुसला कर ले जाने के मामले होते हैं। आरोपी रोजाना करीब 50 फोन करता था। इन दो केस को आधार बनाकर किया इन्वेस्टिगेशन केस-1 डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया- सेक्टर-63 थाना क्षेत्र निवासी प्रदीप कुमार अपनी पत्नी के साथ सब्जी खरीदकर कमरे पर जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में चेत राम वाली गली में पानी के प्लांट के पास बाले यादव ने प्रदीप और उसकी पत्नी से गाली गलौज करनी शुरू कर दी। विरोध करने पर बाले यादव ने प्रदीप के साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। इसकी शिकायत प्रदीप ने सेक्टर-63 थाने की पुलिस से की। पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। इसी बीच प्रदीप के पास अनजान नंबर से एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को जिला कलेक्टर बताते हुए प्रदीप को एफआईआर संबंधी जानकारी दी। कॉल करने वाले ठग ने कहा कि मामले में आरोपी की गिरफ्तारी कर उसे कम से कम छह महीने के लिए जेल भेजा जाएगा। अगर प्रदीप तुरंत तीन हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर दें तो पुलिस की गाड़ी आरोपी को दबोचने अभी निकल पड़ेगी। जब प्रदीप ने ऑनलाइन भुगतान करने से इनकार किया तो जिला कलेक्टर बने ठग ने गाली गलौज की। प्रदीप ने पूरी बातचीत को रिकॉर्ड किया और इसे पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने आरोपी को दबोचने के लिए एक विशेष टीम बनाई। केस-2 जांच शुरू की तो पता चला कि नोएडा के थाना फेज-1 में भी एक ऐसा ही कॉल आया था। इसमें अपहरण के मुकदमे में बरामदगी के बाद केस समाप्त करने के लिए 1000 रुपए की डिमांड की गई थी। फोन नंबर को ट्रैक पर लगाया
इस मामले में पुलिस ने इलेक्ट्रिक सर्विलांस की मदद ली। नंबर को ट्रैस किया गया। मोबाइल धारक की पहचान धीरेंद्र यादव पुत्र पहलवान यादव निवासी ग्राम बारी थाना लिधौरा, जनपद टीकमगढ़ मध्यप्रदेश के रूप में हुई। पुलिस की स्पेशल टीम ने आरोपी को उसके गांव से गिरफ्तार किया। आरोपी हमेशा से इस काम के लिए की पैड फोन और फर्जी सिम का यूज करता था। ताकि पकड़ा न जाए। धीरेंद्र को सक्रिय सिम उपलब्ध कराने वाले पुष्पेंद्र यादव को भी पुलिस ने वांछित बनाया है और उसकी गिरफ्तारी के लिए टीमें दबिश दे रही हैं। 200 से अधिक पीड़ितों को बनाया निशाना
एडिशनल DCP हृदेश कठेरिया ने बताया- धीरेंद्र यूपी कॉप ऐप का गलत प्रयोग कर रहा था। वह उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में मारपीट ,अपहरण, गुमशुदगी और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मामलों की एफआईआर निकालता था। एफआईआर पढ़ने के बाद वादी को फोन करता था। उनको केस में बारे में बताता था। आरोपी की गिरफ्तारी और अपहरण हुए व्यक्ति की बरामदगी के नाम पर पैसे की मांग करता था। इसके लिए पीड़ित के फोन पर एक क्यूआर कोड भेजता था और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कराता था। ऐसे 200 लोगों को शिकार बनाया। इसमें नोएडा, अलीगढ़, सहारनपुर, बरेली में भी लोगों के साथ ठगी की। तीन से पांच हजार रुपए कराते थे ट्रांसफर
आरोपी ने बताया कि उसके गांव के करीब आठ लड़के यही काम करते है। ये सभी सुबह के समय जंगल में चले जाते हैं। यूपी कॉप ऐप से एफआईआर निकालते हैं। ऐप में टाइटल को देखकर यह जानकारी करते है कि किस प्रकार का मुकदमा किन धाराओं में कहां पर लिखा गया है। ऐप के माध्यम से जांच अधिकारी का भी नाम पता कर लेते हैं। उसके बाद अपना लक्ष्य निर्धारित करते हैं। ठगी करने वाले ठग कानून में आईपीसी/बीएनएस की धाराओं की अच्छी जानकारी रखते हैं। 20 प्रतिशत कमीशन लेता है पुष्पेंद्र
जिस सिम से कॉल की जाती है, उस सिम के धारक का नाम पता फर्जी रहता है। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि ये सिम गांव के ही पुष्पेंद्र यादव से लिया जाता था। हर ट्रांजेक्शन में पुष्पेंद्र यादव के ही बैंक खाते और क्यूआर कोड का प्रयोग किया जाता था। इसके लिए उसको हर ट्रांजेक्शन पर 20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। जिस सिम का प्रयोग नोएडा में पीड़ित के साथ ठगी में किया गया वो आरोपी के गांव से 40 किलोमीटर दूर दूसरे गांव के अशोक कुमार के नाम पर था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर