पंजाब के रहने वाले पर्ल ग्रुप के मालिक व 45 हजार करोड़ घोटाले के मास्टरमाइंड निर्मल सिंह भंगू का रविवार रात दिल्ली में निधन हो गया। उसे जनवरी 2016 में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था। रविवार रात तबीयत बिगड़ने पर उसे दिल्ली के डीडीयू अस्पताल में लाया गया। शाम 7.50 बजे उसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। भंगू पर आरोप था कि उसने पोंजी स्कीम्स से करोड़ों का साम्राज्य इकट्ठा किया। भंगू ने 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को ऐसी स्कीम्स में फंसा कर हजारों करोड़ रुपए इकट्ठा किए और उसे विदेश में इन्वेस्ट कर दिया। जांच शुरू हुई तो जनवरी 2016 को CBI ने निर्मल सिंह को पकड़ लिया। इसके बाद जांच एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने भी की। पर्ल्स ग्रुप का मालिक निर्मल सिंह भंगू पंजाब के बरनाला जिले का रहने वाला था। बताया जाता है कि वह जवानी के दिनों में अपने भाई के साथ साइकिल से दूध बेचता था। इसी दौरान उसने पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन भी की। 1980 में खोली खुद की कंपनी 70 के दशक में भंगू नौकरी की तलाश में कोलकाता चला गया। जहां उसने एक फेमस इन्वेस्टमेंट कंपनी पियरलेस में कुछ साल काम किया। उसके बाद इन्वेस्टर्स से करोड़ों की ठगी करने वाली हरियाणा की कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में काम करने लगा। इस कंपनी के बंद होने के बाद वह बेरोजगार हो गया। इसी कंपनी के काम करने के आइडिया के तहत उसने 1980 में पर्ल्स गोल्डन फॉरेस्ट (पीजीएफ) नाम की कंपनी बनाई। यह कंपनी भी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की तर्ज पर लोगों से सागौन जैसे पेड़ों के प्लांटेशन पर इन्वेस्टमेंट करा कुछ वक्त बाद अच्छा मुनाफा लौटाने का वादा करती थी। 1996 तक कंपनी ने करोड़ों रुपए जुटा लिए। इनकम टैक्स और दूसरी जांच के चलते कंपनी को बंद कर दिया गया। विदेश में बनाया अपना साम्राज्य इसके बाद उसने पंजाब के बरनाला से एक नई कंपनी पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PACL) की शुरुआत की। ये एक चेन सिस्टम स्कीम्स थी। कंपनी के दिए बड़े मुनाफे के दावों और वादों के लालच में करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें पैसा लगा दिया। इसके तहत लोगों से हर महीने मामूली रकम जमा करवाई जाती थी। लोगों से जुटाई गई छोटी-छोटी रकम से उसने देश ही नहीं विदेश में पर्ल्स ग्रुप का एम्पायर खड़ा कर लिया। करोड़ों रुपए को भंगू ने अलग-अलग तरह के कई कारोबार में इन्वेस्ट किया। जब वादे के मुताबिक इन्वेस्टर्स को उनका लगाया पैसा नहीं लौटाया गया तो कंपनी के खिलाफ लोगों शिकायत दर्ज करानी शुरू कर दी। सीएम मान ने प्रॉपर्टी सीज करवानी शुरू की मई 2023 में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पर्ल ग्रुप की प्रॉपर्टी को सीज कर इन्वेस्टर्स के पैसे लौटाने का वादा किया था। जिसके बाद पंजाब सरकार ने प्रॉपर्टी को सीज करने की कानूनी प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। पंजाब के रहने वाले पर्ल ग्रुप के मालिक व 45 हजार करोड़ घोटाले के मास्टरमाइंड निर्मल सिंह भंगू का रविवार रात दिल्ली में निधन हो गया। उसे जनवरी 2016 में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था। रविवार रात तबीयत बिगड़ने पर उसे दिल्ली के डीडीयू अस्पताल में लाया गया। शाम 7.50 बजे उसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। भंगू पर आरोप था कि उसने पोंजी स्कीम्स से करोड़ों का साम्राज्य इकट्ठा किया। भंगू ने 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को ऐसी स्कीम्स में फंसा कर हजारों करोड़ रुपए इकट्ठा किए और उसे विदेश में इन्वेस्ट कर दिया। जांच शुरू हुई तो जनवरी 2016 को CBI ने निर्मल सिंह को पकड़ लिया। इसके बाद जांच एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने भी की। पर्ल्स ग्रुप का मालिक निर्मल सिंह भंगू पंजाब के बरनाला जिले का रहने वाला था। बताया जाता है कि वह जवानी के दिनों में अपने भाई के साथ साइकिल से दूध बेचता था। इसी दौरान उसने पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन भी की। 1980 में खोली खुद की कंपनी 70 के दशक में भंगू नौकरी की तलाश में कोलकाता चला गया। जहां उसने एक फेमस इन्वेस्टमेंट कंपनी पियरलेस में कुछ साल काम किया। उसके बाद इन्वेस्टर्स से करोड़ों की ठगी करने वाली हरियाणा की कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में काम करने लगा। इस कंपनी के बंद होने के बाद वह बेरोजगार हो गया। इसी कंपनी के काम करने के आइडिया के तहत उसने 1980 में पर्ल्स गोल्डन फॉरेस्ट (पीजीएफ) नाम की कंपनी बनाई। यह कंपनी भी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की तर्ज पर लोगों से सागौन जैसे पेड़ों के प्लांटेशन पर इन्वेस्टमेंट करा कुछ वक्त बाद अच्छा मुनाफा लौटाने का वादा करती थी। 1996 तक कंपनी ने करोड़ों रुपए जुटा लिए। इनकम टैक्स और दूसरी जांच के चलते कंपनी को बंद कर दिया गया। विदेश में बनाया अपना साम्राज्य इसके बाद उसने पंजाब के बरनाला से एक नई कंपनी पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PACL) की शुरुआत की। ये एक चेन सिस्टम स्कीम्स थी। कंपनी के दिए बड़े मुनाफे के दावों और वादों के लालच में करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें पैसा लगा दिया। इसके तहत लोगों से हर महीने मामूली रकम जमा करवाई जाती थी। लोगों से जुटाई गई छोटी-छोटी रकम से उसने देश ही नहीं विदेश में पर्ल्स ग्रुप का एम्पायर खड़ा कर लिया। करोड़ों रुपए को भंगू ने अलग-अलग तरह के कई कारोबार में इन्वेस्ट किया। जब वादे के मुताबिक इन्वेस्टर्स को उनका लगाया पैसा नहीं लौटाया गया तो कंपनी के खिलाफ लोगों शिकायत दर्ज करानी शुरू कर दी। सीएम मान ने प्रॉपर्टी सीज करवानी शुरू की मई 2023 में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पर्ल ग्रुप की प्रॉपर्टी को सीज कर इन्वेस्टर्स के पैसे लौटाने का वादा किया था। जिसके बाद पंजाब सरकार ने प्रॉपर्टी को सीज करने की कानूनी प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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सुप्रीम कोर्ट में आज पराली मामले पर सुनवाई:पंजाब-हरियाणा सरकार अपने प्रयासों की जानकारी देगी, अफसरों की निष्क्रियता पर हो सकती कार्रवाई आज यानी सोमवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पराली जलाने के मामले की सुनवाई करने जा रहा है। पिछले महीने हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से तीन सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रूपरेखा समेत बेहतर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इसके अलावा कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को इसरो से प्राप्त कथित गलत आंकड़ों के संबंध में उचित प्राधिकारी के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का निर्देश दिया था। पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के संबंध में कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार द्वारा प्रस्तुत हलफनामों की जांच की थी। जिसमें खेतों में आग लगाने की अधिक घटनाओं का संकेत दिया गया था। कोर्ट ने दोनों राज्यों द्वारा वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) अधिनियम की धारा 14 के तहत दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में अनिच्छा पर असंतोष दोहराया था। राज्यों को अपनी निष्क्रियता स्पष्टीकरण देना चाहिए कोर्ट ने कहा था- आज भी हम सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत कार्रवाई करने में दोनों सरकारों की ओर से अनिच्छा देख रहे हैं। आयोग की ओर से पेश हुए विद्वान एएसजी ने कहा कि राज्यों में जिला मजिस्ट्रेटों को धारा 14 की उपधारा (2) के तहत मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया है। हालांकि, पिछले आदेशों में हमने देखा है कि मुकदमा चलाने के बजाय, राज्य अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने में व्यस्त हैं। हम 3 साल पहले पारित आयोग के आदेश के खुलेआम उल्लंघन की बात कर रहे हैं। राज्यों को अपनी निष्क्रियता के लिए अदालत को स्पष्टीकरण देना चाहिए। हाईकोर्ट ने सुनवाई से किया था इनकार 11 दिसंबर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पराली जलाने से संबंधित एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने यह तर्क दिया कि इसी मुद्दे पर एक मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है। हाईकोर्ट ने दो अदालतों के बीच परस्पर विरोधाभासी विचारों से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा, “दो अदालतों के बीच मतभेद हो सकते हैं, जिसे टाला जाना चाहिए।” इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अभी विचार चल रहा है। पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना किया गया सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। पर्यावरण मंत्रालय ने गुरुवार को अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी। अब 2 एकड़ से कम जमीन पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। दो से पांच एकड़ जमीन वालों से 10,000 रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा जमीन वालों से 30,000 रुपये का जुर्माना वसूला जा रहा है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की सरकारें इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगी। 70 फीसदी कम पराली जलाई गई पंजाब सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप इस साल पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई। 2023 में 36,551 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2024 तक घटकर केवल 10,479 रह गईं, जो पिछले साल की तुलना में 70 फीसदी कम है।
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