उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा के लिए हिमाचल के भरमौर में भारी जन सैलाब उमड़ आया है। पिछले 24 घंटे में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु भरमौर से मणिमहेश के लिए रवाना हो गए हैं, जहां पर सुबह 3:40 बजे से शाही स्नान चल रहा है। छोटे शाही स्नान का शुभ मुहूर्त आज आधी रात 2:20 बजे तक रहेगा। माना जा रहा है तब तक एक लाख से ज्यादा शिव भक्त डल में डुबकी लगाएंगे। शाही बड़ा स्नान राधा अष्टमी के अवसर पर यानी 11 सितंबर को होगा। देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालु हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं और भरमौर से मणिमहेश तक इसकी गूंज सुनाई दे रही है। ज्यादातर श्रद्धालु पैदल चल कर मणिमहेश पहुंच रहे हैं। इसी के साथ आज से आधिकारिक तौर पर मणिमहेश यात्रा शुरू हो गई है। हेलिकॉप्टर की उड़ान में खराब मौसम बाधा उत्पन्न कर रहा हालांकि सरकार ने भरमौर से मणिमहेश के लिए हेली टैक्सी सेवा भी शुरू कर रखी है। मगर इसकी उड़ान में खराब मौसम बाधा उत्पन्न कर रहा है। कुछ श्रद्धालु घोड़े व खच्चरों पर भी इस यात्रा को पूरा कर रहे हैं। इससे पहले इतने श्रद्धालु कभी नहीं आए: SDM SDM भरमौर कुलविंदर सिंह ने बताया कि छोटा शाही स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का सही आंकड़ा कल तक पता चलेगा। मगर पिछले कल और आज सुबह 10 बजे तक एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु मणिमहेश को रवाना हो चुके है। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों बता रहे कि इससे पहले कभी भी इतनी संख्या में छोटे शाही स्नान को श्रद्धालु नहीं पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण पंजीकरण भी नहीं हो पा रहा है। 12KM लंबा ट्रैफिक जाम आलम यह है कि मणिमहेश यात्रियों के कारण पिछले कल भरमौर से पहले हाईवे पर 12 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लगा रहा। सैकड़ों श्रद्धालु आधी रात तक ट्रैफिक जाम में फंसे रहे। आज भी काफी संख्या में वाहन ट्रैफिक जाम में फंसे है। स्थानीय प्रशासन ने मणिमहेश में रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के जवानों के अलावा पर्वतारोहण संस्थान के स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है। इसी तरह 5 स्थानों पर शिविरों में मेडिकल टीम की तैनात की गई है। यहां बनाए गए कैंप प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा के लिए भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी और गौरीकुंड में 5 जगह कैंप स्थापित किए है। यहां प्रत्येक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा जाएगा, क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन कैंप में मेडिकल टीमें तैनात की गई है। घोड़े पर यात्रा को देने होंगे 4700 रुपए भरमौर के हड़सर से मणिमहेश तक घोड़ा-खच्चर से आने-जाने का किराया 4700 रुपए प्रति सवारी तय किया गया है। इसी तरह 5 कैंप के बीच का भी अलग अलग किराया निर्धारित किया गया है। तय किराया से ज्यादा दर्रें वसूलने पर कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह कुली के लिए भी किराया तय किया गया है। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पढ़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भीदेखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह अध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश यात्रा के लिए इन निर्देशों का करें पालन मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। यह यात्रा हर साल, आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया। उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा के लिए हिमाचल के भरमौर में भारी जन सैलाब उमड़ आया है। पिछले 24 घंटे में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु भरमौर से मणिमहेश के लिए रवाना हो गए हैं, जहां पर सुबह 3:40 बजे से शाही स्नान चल रहा है। छोटे शाही स्नान का शुभ मुहूर्त आज आधी रात 2:20 बजे तक रहेगा। माना जा रहा है तब तक एक लाख से ज्यादा शिव भक्त डल में डुबकी लगाएंगे। शाही बड़ा स्नान राधा अष्टमी के अवसर पर यानी 11 सितंबर को होगा। देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालु हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं और भरमौर से मणिमहेश तक इसकी गूंज सुनाई दे रही है। ज्यादातर श्रद्धालु पैदल चल कर मणिमहेश पहुंच रहे हैं। इसी के साथ आज से आधिकारिक तौर पर मणिमहेश यात्रा शुरू हो गई है। हेलिकॉप्टर की उड़ान में खराब मौसम बाधा उत्पन्न कर रहा हालांकि सरकार ने भरमौर से मणिमहेश के लिए हेली टैक्सी सेवा भी शुरू कर रखी है। मगर इसकी उड़ान में खराब मौसम बाधा उत्पन्न कर रहा है। कुछ श्रद्धालु घोड़े व खच्चरों पर भी इस यात्रा को पूरा कर रहे हैं। इससे पहले इतने श्रद्धालु कभी नहीं आए: SDM SDM भरमौर कुलविंदर सिंह ने बताया कि छोटा शाही स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का सही आंकड़ा कल तक पता चलेगा। मगर पिछले कल और आज सुबह 10 बजे तक एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु मणिमहेश को रवाना हो चुके है। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों बता रहे कि इससे पहले कभी भी इतनी संख्या में छोटे शाही स्नान को श्रद्धालु नहीं पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण पंजीकरण भी नहीं हो पा रहा है। 12KM लंबा ट्रैफिक जाम आलम यह है कि मणिमहेश यात्रियों के कारण पिछले कल भरमौर से पहले हाईवे पर 12 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लगा रहा। सैकड़ों श्रद्धालु आधी रात तक ट्रैफिक जाम में फंसे रहे। आज भी काफी संख्या में वाहन ट्रैफिक जाम में फंसे है। स्थानीय प्रशासन ने मणिमहेश में रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के जवानों के अलावा पर्वतारोहण संस्थान के स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है। इसी तरह 5 स्थानों पर शिविरों में मेडिकल टीम की तैनात की गई है। यहां बनाए गए कैंप प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा के लिए भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी और गौरीकुंड में 5 जगह कैंप स्थापित किए है। यहां प्रत्येक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा जाएगा, क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन कैंप में मेडिकल टीमें तैनात की गई है। घोड़े पर यात्रा को देने होंगे 4700 रुपए भरमौर के हड़सर से मणिमहेश तक घोड़ा-खच्चर से आने-जाने का किराया 4700 रुपए प्रति सवारी तय किया गया है। इसी तरह 5 कैंप के बीच का भी अलग अलग किराया निर्धारित किया गया है। तय किराया से ज्यादा दर्रें वसूलने पर कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह कुली के लिए भी किराया तय किया गया है। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पढ़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भीदेखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह अध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश यात्रा के लिए इन निर्देशों का करें पालन मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। यह यात्रा हर साल, आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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