BJP से नाराजगी के बीच गांव-गांव पहुंचेगा संघ:भागवत बोले- दो साल में कोई गांव ऐसा न बचे जहां संघ न हो, चुनाव के बाद CM योगी से पहली मुलाकात लोकसभा चुनाव में BJP से नाराजगी के बीच RSS चीफ मोहन भागवत ने संघ के स्वयंसेवकों को अगले दो साल में गांव-गांव तक पहुंचने के निर्देश दिए हैं। मोहन भागवत ने कहा है कि 2025 तक ऐसा कोई गांव न बचे जहां संघ न हो। यानी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भागवत संघ को और मजबूत करने का रास्ता दिखा रहे हैं। भागवत 5 दिवसीय दौरे पर गोरखपुर आए हैं, प्रवास के तीसरे दिन शुक्रवार को यहां सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में आयोजित स्वयं सेवकों के बौद्धिक संबोधन में उन्होंने ये बातें कहीं। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आज शाम को गोरखपुर पहुंच रहे हैं। लोकसभा चुनाव में UP के परिणाम आने के बाद योगी से यह पहली मुलाकात है। इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सबसे पहले जानिए गोरखपुर से संघ प्रमुख ने क्या संदेश दिए 1- राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत करें, भेदभाव दूर करें
गोरखपुर प्रवास पर पहुंचे RSS चीफ मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों से शताब्दी वर्ष में संघ को गांवों तक पहुंचाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक की स्थापना भारतीय संस्कृति और नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखने के आदर्शो को बढ़ावा देने के लिए है। हमें राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत करने के उद्देश्य से ही कार्य कराना है। 2025 में संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश करेगा। ऐसे में भारतीय संस्कृति और उसके सभ्यतागत मूल्यों को बनाए रखने के लिए हर गांव तक संघ को पहुंचाना होगा। हमें भेदभाव दूर करना होगा, अगले साल तक ऐसा कोई गांव नहीं बचना चाहिए जहां संघ न हो। हमें अपनी भाषा और व्यवहार में संयम रखते हुए सभी तक पहुंचना है। 2- हम शताब्दी वर्ष में पहुंच रहे हैं, हमें कुछ बड़ा करना होगा
RSS चीफ ने लगभग डेढ़ घंटे के बौद्धिक संबोधन में संघ के विस्तार पर खासा जोर दिया। उन्होंने कहा कि 1925 में विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी। स्थापना से लेकर आज तक संघ ने तमाम उतार-चढ़ावों का अनुभव किया। संघ ने समाज और राष्ट्र की मजबूती को लेकर अनवरत कार्य किया है। अगले साल संघ की स्थापना के 100 साल पूरे होंगे। शताब्दी वर्ष संघ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण वर्ष है। शताब्दी वर्ष में हम सभी स्वयंसेवकों का दायित्व संघ के व्यापक विकास का होना चाहिए। आप सभी प्रशिक्षण के पश्चात प्रशिक्षित स्वयंसेवक हो जाएंगे। इन नाते शताब्दी वर्ष में संघ के विस्तार में आपकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होनी चाहिए। इस शताब्दी वर्ष में हमें कुछ बड़ा करना है और हर गांव में शाखा लगानी है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि इस स्वर्णिम अवसर पर देश के हर गांव तक संघ की पहुंच सुनिश्चित हो सके। गांवों में शाखा लगे। गांवों में स्वयंसेवकों का बड़ा समूह तैयार किया जाए। हर वर्ग, हर समाज और हर धर्म के लोग शाख से जोड़े जाएं। 3- संघ की नकारात्मक छवि बनाने वालों से सावधान रहें
RSS चीफ ने संघ के सामाजिक सरोकारों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि संघ अपने विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से सामाजिक सेवा करता है। कोरोना में संघ के स्वयंसेवकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना पीड़ितों और उनके परिजनों की मदद की। राष्ट्र के समक्ष जब कोई कोई संकट आया, उसका स्वयंसेवकों ने डटकर मुकाबला किया। उन्होंने कहा कि संघ जहां एक तरफ अपने सामाजिक सरोकारों को पूरी तन्मयता से करने में जुटा रहता है तो उधर कुछ लोग समाज में संघ की नकरात्मक छवि बनाने का प्रयास भी करते हैं। उन्होंने स्वयंसेवकों से इस तरह की चुनौती के प्रति सावधान रहने को कहा। उन्होंने कहा ऐसे लोगों से बचिए जो आपकी सेवा की भावना को खराब करते हैं, उनसे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। अब सबसे पहले जानिए संघ की BJP से नाराजगी क्या है? 1. यूपी में टिकट बंटवारे पर आरएसएस सहमत नहीं
चुनाव में यूपी ने भाजपा को बड़ा झटका दिया। इसको आरएसएस ने टिकट बंटवारे के वक्त ही भांप लिया था। आरएसएस ने 10 से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट पर असहमति जताई थी। इनमें प्रतापगढ़, श्रावस्ती, कौशांबी, रायबरेली और कानपुर जैसी सीटें शामिल थीं। कानपुर के अलावा सभी सीटों पर भाजपा कैंडिडेट की हार हुई। 2. आरएसएस के चुनावी मुद्दों को इग्नोर किया
आरएसएस ने भाजपा को मुद्दों की एक लिस्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि विपक्ष पर ED-CBI की कार्रवाई करने के बजाए, अपने अचीवमेंट्स गिनाना चाहिए। नेशनल और इंटरनल सिक्योरिटी के मुद्दे पर सरकार के पास कई उपलब्धियां हैं। आरएसएस की सलाह थी कि ग्राउंड में जनता इन मुद्दों को सुनना भी चाहती है। हम इस पर रिपोर्ट कार्ड भी दे सकते थे। आरएसएस का कहना था कि मुफ्त के खेल में विपक्ष हमसे बहुत आगे है। इसलिए हमें मुफ्त में राशन देना बंद करना चाहिए। 3-जिलाध्यक्षों की नियुक्ति से संघ को नहीं मिला महत्व
लोकसभा चुनाव से पहले BJP ने संगठन में कई बदलाव किए थे। कई जिलों के जिलाध्यक्ष और क्षेत्रीय अध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें संघ परिवार के फीडबैक की अनदेखी की गई। खासतौर से काशी के क्षेत्रीय अध्यक्ष और कुछ पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर संघ ने नाराजगी भी व्यक्त की थी। वाराणसी समेत कई लोकसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत में भारी कमी आने के पीछे पदाधिकारियों की मनमानी नियुक्ति को भी एक बड़ा कारण माना गया। योगी से चुनाव परिणाम और आगे की रणनीति पर होगी बात
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज वाराणसी का दौरा कंपलीट करने के बाद शाम को गोरखपुर पहुंच रहे हैं। वह यहां दो दिवसयी दौरे पर हैं। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद मोहन भागवत से योगी की ये पहली मुलाकात है। इसी वजह से इस मुलाकात को खास माना जा रहा है। दोनों इस दौरान लोकसभा चुनाव और भारत में संघ के विस्तार से लेकर पर बात कर सकते हैं। योगी और मोहन भागवत की मुलाकात के मायने 1- योगी को मजबूत करने का संदेश दे सकते हैं भागवत
लोकसभा चुनाव के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बड़ा बयान दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि चुनाव खत्म होते ही योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा। ये बयान पूरे चुनाव में चर्चा का विषय बना रहा। मोहन भागवत से मुलाकात के बाद योगी को संघ का मोरल सपोर्ट मिलेगा। मोहन भागवत योगी को मजबूत करने का मैसेज भी दे सकते हैं। हालांकि इस दौरान चुनावी समीक्षा पर भी बातचीत होगी। 2- भविष्य की राजनीति की तैयारी
लोकसभा चुनाव में UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को नेशनल फेस बनाया गया। वह कई राज्यों में चुनाव प्रचार करने पहुंचे और वहां BJP का प्रदर्शन भी अच्छा रहा। ऐसे में राजनीतिक जानकार मानते हैं कि संघ भी भविष्य की राजनीति के नए चेहरे के रूप में योगी को आगे कर सकता है। पूर्वांचल की हारी हुई 17 सीटों का फीडबैक लिया
RSS चीफ ने दो दिन में यहां 280 स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ काशी, अवध और गोरक्षा प्रांत के संघ पदाधिकारियों से मुलाकात भी की है। बताया जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने पूर्वांचल में चुनाव परिणाम का अनौपचारिक फीडबैक भी लिया है। दरअसल, पूर्वांचल की 29 सीटों में से BJP 17 सीटें हार गई है। भागवत ने यहां जिला प्रचाकरों-प्रांत प्रचारकों विस्तृत बातचीत की है। भागवत के इस बयान से नाराजगी आई थी सामने
मोहन भागवत सोमवार 10 जून को नागपुर में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन में शामिल हुए थे। यहां भागवत ने चुनाव, राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की। भागवत ने कहा- जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है। मोहन भागवत के इस बयान के बाद से ही बीजेपी से नाराजगी खुलकर सामने आई थी।