4 करोड़ की पड़ी IIT-BHU गैंगरेप के आरोपियों की जमानत:घर-प्लाट के कागज लगे, रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ा; जेल से बाहर आने में 60 दिन लगे

4 करोड़ की पड़ी IIT-BHU गैंगरेप के आरोपियों की जमानत:घर-प्लाट के कागज लगे, रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ा; जेल से बाहर आने में 60 दिन लगे

IIT-BHU गैंगरेप कांड के आरोपी कुणाल पांडे और आनंद अभिषेक चौहान जेल से बाहर आ गए। लेकिन, उनको बाहर लाने में परिवार वालों ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी। कोर्ट ने भले ही 1-1 लाख रुपए के जमानतदार मांगे। लेकिन, अभिषेक और कुणाल के मां-पिता और रिश्तेदारों ने करीब 4 करोड़ की प्रॉपर्टी के कागज जमा किए। इसको कोर्ट के सामने लाने में परिवार वालों को 60 दिन लगे। पढ़िए गैंगरेप के आरोपियों को जेल से बाहर लाने के लिए किसने क्या दांव पर लगाया… रिश्तेदारों ने पल्ला झाड़ा, दोस्त ने जमानत ली
कुणाल पांडे की जमानत के लिए मां कादंबिनी द्विवेदी ने मकान के पेपर लगाए हैं। बृज एनक्लेव का ये मकान उनके स्वर्गीय पति जितेंद्र पांडे ने खरीदा था। इसकी मार्केट वैल्यू करीब डेढ़ करोड़ रुपए है। उन्हें रिश्तेदारों का सपोर्ट नहीं मिला। कादंबिनी की सहेली रीता चौरसिया ने एक 340 वर्ग मीटर के प्लाट के पेपर कोर्ट में सब्मिट किए हैं। इस प्लाट की रजिस्ट्री में कीमत करीब 2.5 लाख रुपए दिख रही है। लेकिन, मार्केट वैल्यू करीब 50 लाख रुपए है। इसके अलावा नगर निगम का पीला कार्ड, बिजली का बिल, आधार कार्ड और शपथपत्र समेत कई दस्तावेज सब्मिट किए हैं। इन पेपर की व्यवस्था करने में वक्त लगा। इसलिए कुणाल को 4 जुलाई को जमानत मिलने के बाद रिहाई 24 अगस्त को हो सकी। कई दिन की दौड़-भाग के बाद चाचा-फूफा तैयार हुए
जीवधीपुर नगवां में रहने वाले आनंद अभिषेक चौहान ने 11 नवंबर, 2023 को जमानत याचिका दायर की थी। कई बार सुनवाई हुई, लेकिन जमानत नहीं मिली। कोर्ट में तारीखें बढ़ती रहीं। आनंद के परिवार के लोगों ने बीमारी समेत कई कारण कोर्ट के सामने गिनाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को जमानत स्वीकार कर ली, मगर कई शर्तें लगा दीं। अभिषेक के पिता मुन्ना चौहान की मार्केट वैल्यू तो पूरी थी, लेकिन कोर्ट में स्वीकार नहीं की गई। इसके बाद मुन्ना चौहान अपने रिश्तेदारों के घर चौबेपुर गए और बेटे की जमानत के लिए मदद की गुहार लगाई। कई दिनों की दौड़-भाग के बाद उनके दो रिश्तेदार जमानत के लिए तैयार हुए। चौबेपुर में रहने वाले चाचा राममूरत और फूफा सरमन चौहान ने अपनी कृषि भूमि की खतौनी कोर्ट में सब्मिट की। कोर्ट में बॉन्ड भरते समय राममूरत ने अपनी जमीन का DM सर्किल रेट 50 लाख रुपए बताया, जिसकी बाजार में कीमत एक करोड़ से ज्यादा है। वहीं सरमन ने भी 50 लाख की वैल्यू मॉरगेज कराकर एक लाख का बॉन्ड भरा। उनकी जमीन की कीमत सवा करोड़ से ज्यादा है। यही वजह है, जमानत मंजूर होने के बाद भी अभिषेक 29 अगस्त को बाहर आ सका। पिता-मां के शपथपत्र लगे, हम कुछ छिपा नहीं रहे
अभिषेक और कुणाल के माता-पिता को कोर्ट में अलग से शपथ पत्र देना पड़ा है कि वे कोर्ट से कोई जानकारी छिपा नहीं रहे हैं। लोग बताते हैं कि परिवार के नजदीकी इसलिए भी सामने नहीं आए, क्योंकि उन्हें शंका थी। वे लोग सोच रहे थे कि अभिषेक या कुणाल ने जेल से बाहर आने के बाद कोई गलत कदम उठाया, तो जमानत में लगाई गई प्रॉपर्टी जब्त हो सकती है। अभिषेक चौहान के पिता मुन्ना चौहान और कुणाल पांडे की मां ने कोर्ट में शपथपत्र दाखिल किया। उन्होंने कहा- हम पूरी तरह से इनकी जिम्मेदारी लेते हैं, ये कोई गलत काम नहीं करेंगे। कुणाल के आने की खबर नहीं, अभिषेक के आने पर हल्ला हुआ
अभिषेक चौहान के जेल से छूटने से 4 दिन पहले कुणाल घर आ गया था। लेकिन, इसकी खबर किसी को नहीं लगी। आस-पास रहने वालों को भी नहीं पता चला। आनंद अभिषेक चौहान 29 अगस्त को नगवा कॉलोनी के अपने घर पहुंचा। पड़ोसियों ने बताया, तब उसका जमकर स्वागत किया गया। दरअसल, सक्षम और अभिषेक के घर अगल-बगल हैं। अभिषेक के घर पहुंचने के बाद सभी को जमानत मिलने की खबर मिली। उसके बाद BHU कैंपस में छात्रों ने प्रोटेस्ट किया। वाराणसी पुलिस नए सिरे से केस की मजबूत पैरवी की तैयारी कर रही है, जिससे आरोपियों को दोबारा जेल भिजवाया जा सके। जमानत कैंसिल होने पर बढ़ सकती हैं पाबंदियां
अभिषेक और कुणाल अगर जमानत की शर्तें नहीं मानते हैं, तब क्या हो सकता है? सीनियर अधिवक्ता विकास सिंह बताते हैं- किसी घटना में आरोपी को जमानत मिलती है, लेकिन वह कोर्ट की शर्त का पालन नहीं करता। ऐसे में जमानत निरस्त कर दी जाती है। पाबंदियां बढ़ाई जा सकती हैं… गुजरात हाईकोर्ट के अनुसार, जमानतदारों की संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान है। इसके नियम इस तरह हैं… 1. जमानतदारों को नोटिस जारी किया जाता है और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। 2. अगर जमानतदार अपना पक्ष नहीं रखते या उनका पक्ष संतोषजनक नहीं होता, तो कोर्ट उनकी संपत्ति को जब्त करने का आदेश दे सकती है। 3. जब्त की गई संपत्ति को सरकारी खजाने में जमा किया जाता है। 4. जमानतदारों को जमानत राशि की वापसी नहीं की जाती। 5. कोर्ट में जमानतदारों को आरोपी के कामों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, इसलिए उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि जमानत प्राप्त व्यक्ति जमानत की शर्तों का पालन करता रहे। 7 सितंबर को कोर्ट में तलब, आरोपी से होगी जिरह
वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडीजे ने आरोपी कुणाल पांडेय और पीड़िता को समन जारी कर 7 सितंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए तलब किया है। कोर्ट में पीड़िता के दिए बयान पर आरोपी से जिरह होगी। अभियोजन और बचाव पक्ष के वकील वारदात को लेकर कुणाल पांडे से सवाल करेंगे। जज के सामने लंका पुलिस की ओर से साक्ष्य और केस डायरी पेश की जाएगी। पुलिस की तरफ से दाखिल आरोपपत्र पर कुणाल पांडे ने इनकार करते हुए विचार करने की मांग की है। यह भी पढ़े : IIT-BHU गैंगरेप पीड़ित से आरोपियों के वकील के सवाल:कितनी देर वारदात हुई, कितने लोगों ने पकड़ा, भागीं कैसे; छात्रा पहले सहमी, फिर जवाब दिए ‘पुलिस ने केस दर्ज किया। मेरे साथ घटनास्थल का मुआयना किया। मेरे बयान दर्ज किए। मेरे साथ जो कुछ हुआ, अंधेरे में हुआ। फिर भी 2 आरोपियों की पहचान कर ली। मगर अब तक मुझे केस का कोई अपडेट नहीं दिया गया। मुझे लगता है, पुलिस कार्रवाई ठीक से नहीं हुई।’ यह बयान IIT-BHU गैंगरेप पीड़ित ने वाराणसी कोर्ट रूम में उस समय दिया, जब आरोपियों के वकील उससे सवाल-जवाब कर रहे थे। ADGC (सरकारी वकील) मनोज गुप्ता की मौजूदगी में घटना की शुरुआत से गिरफ्तारी तक 25 से ज्यादा सवाल पीड़ित छात्रा से पूछे गए। पढ़िए पूरी खबर… IIT-BHU गैंगरेप के आरोपियों को कैसे मिली जमानत: पीड़ित लड़की को धमकाएंगे, सबूत मिटाने की कोशिश करेंगे…कोर्ट में साबित नहीं कर पाए IIT-BHU गैंगरेप के आरोपी जेल से बाहर आकर पीड़ित लड़की को धमकाएंगे या सबूत मिटाने की कोशिश करेंगे…पीड़ित पक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट में ये साबित नहीं कर पाया। कमजोर पैरवी की वजह से 2 आरोपियों को जमानत मिल गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और 4 जुलाई को कुणाल पांडेय को जमानत दी। वाराणसी जिला जेल से कुणाल की 24 और आनंद की 29 अगस्त को रिहाई हुई। जमानत की शर्तें पूरा करने में आरोपियों को करीब 2 महीने का समय लग गया। पढ़िए पूरी खबर… IIT-BHU गैंगरेप कांड के आरोपी कुणाल पांडे और आनंद अभिषेक चौहान जेल से बाहर आ गए। लेकिन, उनको बाहर लाने में परिवार वालों ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी। कोर्ट ने भले ही 1-1 लाख रुपए के जमानतदार मांगे। लेकिन, अभिषेक और कुणाल के मां-पिता और रिश्तेदारों ने करीब 4 करोड़ की प्रॉपर्टी के कागज जमा किए। इसको कोर्ट के सामने लाने में परिवार वालों को 60 दिन लगे। पढ़िए गैंगरेप के आरोपियों को जेल से बाहर लाने के लिए किसने क्या दांव पर लगाया… रिश्तेदारों ने पल्ला झाड़ा, दोस्त ने जमानत ली
कुणाल पांडे की जमानत के लिए मां कादंबिनी द्विवेदी ने मकान के पेपर लगाए हैं। बृज एनक्लेव का ये मकान उनके स्वर्गीय पति जितेंद्र पांडे ने खरीदा था। इसकी मार्केट वैल्यू करीब डेढ़ करोड़ रुपए है। उन्हें रिश्तेदारों का सपोर्ट नहीं मिला। कादंबिनी की सहेली रीता चौरसिया ने एक 340 वर्ग मीटर के प्लाट के पेपर कोर्ट में सब्मिट किए हैं। इस प्लाट की रजिस्ट्री में कीमत करीब 2.5 लाख रुपए दिख रही है। लेकिन, मार्केट वैल्यू करीब 50 लाख रुपए है। इसके अलावा नगर निगम का पीला कार्ड, बिजली का बिल, आधार कार्ड और शपथपत्र समेत कई दस्तावेज सब्मिट किए हैं। इन पेपर की व्यवस्था करने में वक्त लगा। इसलिए कुणाल को 4 जुलाई को जमानत मिलने के बाद रिहाई 24 अगस्त को हो सकी। कई दिन की दौड़-भाग के बाद चाचा-फूफा तैयार हुए
जीवधीपुर नगवां में रहने वाले आनंद अभिषेक चौहान ने 11 नवंबर, 2023 को जमानत याचिका दायर की थी। कई बार सुनवाई हुई, लेकिन जमानत नहीं मिली। कोर्ट में तारीखें बढ़ती रहीं। आनंद के परिवार के लोगों ने बीमारी समेत कई कारण कोर्ट के सामने गिनाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को जमानत स्वीकार कर ली, मगर कई शर्तें लगा दीं। अभिषेक के पिता मुन्ना चौहान की मार्केट वैल्यू तो पूरी थी, लेकिन कोर्ट में स्वीकार नहीं की गई। इसके बाद मुन्ना चौहान अपने रिश्तेदारों के घर चौबेपुर गए और बेटे की जमानत के लिए मदद की गुहार लगाई। कई दिनों की दौड़-भाग के बाद उनके दो रिश्तेदार जमानत के लिए तैयार हुए। चौबेपुर में रहने वाले चाचा राममूरत और फूफा सरमन चौहान ने अपनी कृषि भूमि की खतौनी कोर्ट में सब्मिट की। कोर्ट में बॉन्ड भरते समय राममूरत ने अपनी जमीन का DM सर्किल रेट 50 लाख रुपए बताया, जिसकी बाजार में कीमत एक करोड़ से ज्यादा है। वहीं सरमन ने भी 50 लाख की वैल्यू मॉरगेज कराकर एक लाख का बॉन्ड भरा। उनकी जमीन की कीमत सवा करोड़ से ज्यादा है। यही वजह है, जमानत मंजूर होने के बाद भी अभिषेक 29 अगस्त को बाहर आ सका। पिता-मां के शपथपत्र लगे, हम कुछ छिपा नहीं रहे
अभिषेक और कुणाल के माता-पिता को कोर्ट में अलग से शपथ पत्र देना पड़ा है कि वे कोर्ट से कोई जानकारी छिपा नहीं रहे हैं। लोग बताते हैं कि परिवार के नजदीकी इसलिए भी सामने नहीं आए, क्योंकि उन्हें शंका थी। वे लोग सोच रहे थे कि अभिषेक या कुणाल ने जेल से बाहर आने के बाद कोई गलत कदम उठाया, तो जमानत में लगाई गई प्रॉपर्टी जब्त हो सकती है। अभिषेक चौहान के पिता मुन्ना चौहान और कुणाल पांडे की मां ने कोर्ट में शपथपत्र दाखिल किया। उन्होंने कहा- हम पूरी तरह से इनकी जिम्मेदारी लेते हैं, ये कोई गलत काम नहीं करेंगे। कुणाल के आने की खबर नहीं, अभिषेक के आने पर हल्ला हुआ
अभिषेक चौहान के जेल से छूटने से 4 दिन पहले कुणाल घर आ गया था। लेकिन, इसकी खबर किसी को नहीं लगी। आस-पास रहने वालों को भी नहीं पता चला। आनंद अभिषेक चौहान 29 अगस्त को नगवा कॉलोनी के अपने घर पहुंचा। पड़ोसियों ने बताया, तब उसका जमकर स्वागत किया गया। दरअसल, सक्षम और अभिषेक के घर अगल-बगल हैं। अभिषेक के घर पहुंचने के बाद सभी को जमानत मिलने की खबर मिली। उसके बाद BHU कैंपस में छात्रों ने प्रोटेस्ट किया। वाराणसी पुलिस नए सिरे से केस की मजबूत पैरवी की तैयारी कर रही है, जिससे आरोपियों को दोबारा जेल भिजवाया जा सके। जमानत कैंसिल होने पर बढ़ सकती हैं पाबंदियां
अभिषेक और कुणाल अगर जमानत की शर्तें नहीं मानते हैं, तब क्या हो सकता है? सीनियर अधिवक्ता विकास सिंह बताते हैं- किसी घटना में आरोपी को जमानत मिलती है, लेकिन वह कोर्ट की शर्त का पालन नहीं करता। ऐसे में जमानत निरस्त कर दी जाती है। पाबंदियां बढ़ाई जा सकती हैं… गुजरात हाईकोर्ट के अनुसार, जमानतदारों की संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान है। इसके नियम इस तरह हैं… 1. जमानतदारों को नोटिस जारी किया जाता है और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। 2. अगर जमानतदार अपना पक्ष नहीं रखते या उनका पक्ष संतोषजनक नहीं होता, तो कोर्ट उनकी संपत्ति को जब्त करने का आदेश दे सकती है। 3. जब्त की गई संपत्ति को सरकारी खजाने में जमा किया जाता है। 4. जमानतदारों को जमानत राशि की वापसी नहीं की जाती। 5. कोर्ट में जमानतदारों को आरोपी के कामों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, इसलिए उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि जमानत प्राप्त व्यक्ति जमानत की शर्तों का पालन करता रहे। 7 सितंबर को कोर्ट में तलब, आरोपी से होगी जिरह
वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडीजे ने आरोपी कुणाल पांडेय और पीड़िता को समन जारी कर 7 सितंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए तलब किया है। कोर्ट में पीड़िता के दिए बयान पर आरोपी से जिरह होगी। अभियोजन और बचाव पक्ष के वकील वारदात को लेकर कुणाल पांडे से सवाल करेंगे। जज के सामने लंका पुलिस की ओर से साक्ष्य और केस डायरी पेश की जाएगी। पुलिस की तरफ से दाखिल आरोपपत्र पर कुणाल पांडे ने इनकार करते हुए विचार करने की मांग की है। यह भी पढ़े : IIT-BHU गैंगरेप पीड़ित से आरोपियों के वकील के सवाल:कितनी देर वारदात हुई, कितने लोगों ने पकड़ा, भागीं कैसे; छात्रा पहले सहमी, फिर जवाब दिए ‘पुलिस ने केस दर्ज किया। मेरे साथ घटनास्थल का मुआयना किया। मेरे बयान दर्ज किए। मेरे साथ जो कुछ हुआ, अंधेरे में हुआ। फिर भी 2 आरोपियों की पहचान कर ली। मगर अब तक मुझे केस का कोई अपडेट नहीं दिया गया। मुझे लगता है, पुलिस कार्रवाई ठीक से नहीं हुई।’ यह बयान IIT-BHU गैंगरेप पीड़ित ने वाराणसी कोर्ट रूम में उस समय दिया, जब आरोपियों के वकील उससे सवाल-जवाब कर रहे थे। ADGC (सरकारी वकील) मनोज गुप्ता की मौजूदगी में घटना की शुरुआत से गिरफ्तारी तक 25 से ज्यादा सवाल पीड़ित छात्रा से पूछे गए। पढ़िए पूरी खबर… IIT-BHU गैंगरेप के आरोपियों को कैसे मिली जमानत: पीड़ित लड़की को धमकाएंगे, सबूत मिटाने की कोशिश करेंगे…कोर्ट में साबित नहीं कर पाए IIT-BHU गैंगरेप के आरोपी जेल से बाहर आकर पीड़ित लड़की को धमकाएंगे या सबूत मिटाने की कोशिश करेंगे…पीड़ित पक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट में ये साबित नहीं कर पाया। कमजोर पैरवी की वजह से 2 आरोपियों को जमानत मिल गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और 4 जुलाई को कुणाल पांडेय को जमानत दी। वाराणसी जिला जेल से कुणाल की 24 और आनंद की 29 अगस्त को रिहाई हुई। जमानत की शर्तें पूरा करने में आरोपियों को करीब 2 महीने का समय लग गया। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर