हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस ने जंबो गठबंधन प्लान तैयार कर लिया है। इसके लिए कांग्रेस आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन करने जा रही है। इसके अलावा कांग्रेस CPI, CPM, SP और एनसीपी को भी साथ लाने की तैयारी कर रही है। पार्टी सूत्रों की मानें तो AAP को छोड़कर इन पार्टियों को हरियाणा में कांग्रेस 1-1 सीट दे सकती है। आप सांसद राघव चड्ढा की हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया से बुधवार को सीट शेयरिंग पर मीटिंग हो चुकी है। आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के कहने पर बातचीत शुरू हुई है। बाबरिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आप को सिंगल डिजिट में सीटें दी जा सकती हैं। इस पर अभी बातचीत चल रही है। अगर समझौता हो गया तो ठीक है, अन्यथा दो दिन बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। बाबरिया ने कहा कि कांग्रेस और आप ऐसे समाधान पर बात कर रहे हैं जिससे दोनों दलों को फायदा हो। सहयोगियों के लिए कांग्रेस का ये ऑफर गठबंधन फॉर्मूले के तहत कांग्रेस AAP को 5 और सीपीआई, सीपीएम, सपा और NCP को एक-एक सीट देने को राजी है। हालांकि AAP 10 सीटों की मांग कर रही है। हालांकि यह तय है कि हरियाणा में कांग्रेस I.N.D.I.A. गठबंधन के तहत अपने सहयोगियों को साथ लेकर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले दोनों ही पार्टियां चंडीगढ़ मेयर और लोकसभा चुनाव में साथ आने का फॉर्मूले पर चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस-आप ने चंडीगढ़ में नगर निगम और लोकसभा चुनाव जीता था। रायशुमारी के लिए कमेटी बनाई कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, इसकी पहल राहुल गांधी ने की है। सोमवार शाम को हुई केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की मीटिंग में राहुल गांधी ने हरियाणा के नेताओं से इस बारे में पूछा था। पार्टी ने गठबंधन के लिए केसी वेणुगोपाल के नेतृत्व में दीपक बाबरिया, अजय माकन और भूपेंद्र हुड्डा की कमेटी बनाई है। राज्य में दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया था। राज्य की कुल 10 सीटों में से कांग्रेस ने 9 और AAP ने 1 सीट पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस 5 सीटें जीतीं, लेकिन आप कुरूक्षेत्र सीट हार गई थी। लोकसभा चुनाव वाला फॉर्मूला अपनाएगी कांग्रेस माना जा रहा है कि गठबंधन हुआ तो सीट बंटवारे को लेकर लोकसभा चुनाव वाला फॉर्मूला ही अपनाया जा सकता है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अगर गठबंधन होता है तो AAP को केवल 3-4 सीटें दे सकते हैं, मगर AAP इससे ज्यादा सीटें मांग रही है, इसलिए गठबंधन मुश्किल है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा कि गठबंधन हो सकता है। इसके लिए AAP और I.N.D.I.A. के सहयोगी बाकी दलों के साथ बातचीत चल रही है। हम हरियाणा में वोटों का ध्रुवीकरण और भाजपा को रोकना चाहते हैं। गठबंधन के पीछे 3 कारण 1. विपक्ष के वोट न बंटे। इससे पहले गुजरात में आप और कांग्रेस अलग-अलग लड़ी थीं, जहां कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ। 2. हरियाणा पंजाब से सटा हुआ है। जहां AAP की सरकार है। ऐसे में बॉर्डर सीट पर AAP के प्रभाव से कांग्रेस के वोट कट सकते हैं। उसका भी नुकसान हो सकता है। 3. राहुल गांधी विपक्षी एकता को भी जिंदा रखना चाहते हैं, वे दिखाना चाहते हैं कि विपक्ष पूरी तरह से एकजुट है। कैसे सफल रहा फॉर्मूला… पहले निगम में कांग्रेस की सपोर्ट से AAP का मेयर बना चंडीगढ़ नगर निगम के 35 वार्डों के लिए इसी साल मार्च महीने में चुनाव हुआ था। इसका चुनाव तो AAP और कांग्रेस ने अलग-अलग लड़ा। जिसमें जिसमें AAP के 13 पार्षद और कांग्रेस के 7 पार्षद जीत गए। भाजपा के 14 और एक पार्षद अकाली दल का बना। मेयर के लिए सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बनी। हालांकि I.N.D.I.A. ब्लॉक के तहत आप-कांग्रेस ने मेयर चुनाव में गठबंधन कर लिया। जिसके बाद यहां कुलदीप कुमार आम आदमी पार्टी (AAP) के मेयर चुने गए। देश भर में I.N.D.I.A. ब्लॉक के आपस में मिलकर लड़ने और भाजपा को हराने का यह पहला चुनाव था। लोकसभा चुनाव में AAP के सपोर्ट से कांग्रेस जीती चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर 2014 और 2019 में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। दोनों बार दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की हार हुई और भाजपा जीत गई। 2014 में कांग्रेस उम्मीदवार 1,21,720 यानी 26.84% वोट मिले थे। वहीं AAP की गुल पनाग को 1,08,679 यानी 23.97% वोट मिले थे। मगर, इस सीट पर 191,362 यानी 42.20% वोट पाने वाली भाजपा की किरण खेर जीती। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पवन बंसल को 1,84,218 यानी 40.35% वोट मिले। वहीं AAP उम्मीदवार हरमोहन धवन को 13,781 यानी सिर्फ 3.82% वोट मिले। कांग्रेस यह चुनाव भी हार गई। इसमें भाजपा की किरण खेर को 231,188 यानी 50.64% वोट मिले। इसके बाद 2024 में AAP ने कांग्रेस को सपोर्ट किया। जिसमें कांग्रेस के मनीष तिवारी 216,657 यानी 48.22% वोट पाकर जीत गए। उनसे हारे भाजपा उम्मीदवार संजय टंडन को 214,153 यानी 47.67% वोट मिले। इस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 2014 के मुकाबले 21.38% और 2019 के मुकाबले 7.87% बढ़ गया था। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस ने जंबो गठबंधन प्लान तैयार कर लिया है। इसके लिए कांग्रेस आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन करने जा रही है। इसके अलावा कांग्रेस CPI, CPM, SP और एनसीपी को भी साथ लाने की तैयारी कर रही है। पार्टी सूत्रों की मानें तो AAP को छोड़कर इन पार्टियों को हरियाणा में कांग्रेस 1-1 सीट दे सकती है। आप सांसद राघव चड्ढा की हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया से बुधवार को सीट शेयरिंग पर मीटिंग हो चुकी है। आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के कहने पर बातचीत शुरू हुई है। बाबरिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आप को सिंगल डिजिट में सीटें दी जा सकती हैं। इस पर अभी बातचीत चल रही है। अगर समझौता हो गया तो ठीक है, अन्यथा दो दिन बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। बाबरिया ने कहा कि कांग्रेस और आप ऐसे समाधान पर बात कर रहे हैं जिससे दोनों दलों को फायदा हो। सहयोगियों के लिए कांग्रेस का ये ऑफर गठबंधन फॉर्मूले के तहत कांग्रेस AAP को 5 और सीपीआई, सीपीएम, सपा और NCP को एक-एक सीट देने को राजी है। हालांकि AAP 10 सीटों की मांग कर रही है। हालांकि यह तय है कि हरियाणा में कांग्रेस I.N.D.I.A. गठबंधन के तहत अपने सहयोगियों को साथ लेकर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले दोनों ही पार्टियां चंडीगढ़ मेयर और लोकसभा चुनाव में साथ आने का फॉर्मूले पर चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस-आप ने चंडीगढ़ में नगर निगम और लोकसभा चुनाव जीता था। रायशुमारी के लिए कमेटी बनाई कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, इसकी पहल राहुल गांधी ने की है। सोमवार शाम को हुई केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की मीटिंग में राहुल गांधी ने हरियाणा के नेताओं से इस बारे में पूछा था। पार्टी ने गठबंधन के लिए केसी वेणुगोपाल के नेतृत्व में दीपक बाबरिया, अजय माकन और भूपेंद्र हुड्डा की कमेटी बनाई है। राज्य में दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया था। राज्य की कुल 10 सीटों में से कांग्रेस ने 9 और AAP ने 1 सीट पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस 5 सीटें जीतीं, लेकिन आप कुरूक्षेत्र सीट हार गई थी। लोकसभा चुनाव वाला फॉर्मूला अपनाएगी कांग्रेस माना जा रहा है कि गठबंधन हुआ तो सीट बंटवारे को लेकर लोकसभा चुनाव वाला फॉर्मूला ही अपनाया जा सकता है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अगर गठबंधन होता है तो AAP को केवल 3-4 सीटें दे सकते हैं, मगर AAP इससे ज्यादा सीटें मांग रही है, इसलिए गठबंधन मुश्किल है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा कि गठबंधन हो सकता है। इसके लिए AAP और I.N.D.I.A. के सहयोगी बाकी दलों के साथ बातचीत चल रही है। हम हरियाणा में वोटों का ध्रुवीकरण और भाजपा को रोकना चाहते हैं। गठबंधन के पीछे 3 कारण 1. विपक्ष के वोट न बंटे। इससे पहले गुजरात में आप और कांग्रेस अलग-अलग लड़ी थीं, जहां कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ। 2. हरियाणा पंजाब से सटा हुआ है। जहां AAP की सरकार है। ऐसे में बॉर्डर सीट पर AAP के प्रभाव से कांग्रेस के वोट कट सकते हैं। उसका भी नुकसान हो सकता है। 3. राहुल गांधी विपक्षी एकता को भी जिंदा रखना चाहते हैं, वे दिखाना चाहते हैं कि विपक्ष पूरी तरह से एकजुट है। कैसे सफल रहा फॉर्मूला… पहले निगम में कांग्रेस की सपोर्ट से AAP का मेयर बना चंडीगढ़ नगर निगम के 35 वार्डों के लिए इसी साल मार्च महीने में चुनाव हुआ था। इसका चुनाव तो AAP और कांग्रेस ने अलग-अलग लड़ा। जिसमें जिसमें AAP के 13 पार्षद और कांग्रेस के 7 पार्षद जीत गए। भाजपा के 14 और एक पार्षद अकाली दल का बना। मेयर के लिए सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बनी। हालांकि I.N.D.I.A. ब्लॉक के तहत आप-कांग्रेस ने मेयर चुनाव में गठबंधन कर लिया। जिसके बाद यहां कुलदीप कुमार आम आदमी पार्टी (AAP) के मेयर चुने गए। देश भर में I.N.D.I.A. ब्लॉक के आपस में मिलकर लड़ने और भाजपा को हराने का यह पहला चुनाव था। लोकसभा चुनाव में AAP के सपोर्ट से कांग्रेस जीती चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर 2014 और 2019 में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। दोनों बार दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की हार हुई और भाजपा जीत गई। 2014 में कांग्रेस उम्मीदवार 1,21,720 यानी 26.84% वोट मिले थे। वहीं AAP की गुल पनाग को 1,08,679 यानी 23.97% वोट मिले थे। मगर, इस सीट पर 191,362 यानी 42.20% वोट पाने वाली भाजपा की किरण खेर जीती। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पवन बंसल को 1,84,218 यानी 40.35% वोट मिले। वहीं AAP उम्मीदवार हरमोहन धवन को 13,781 यानी सिर्फ 3.82% वोट मिले। कांग्रेस यह चुनाव भी हार गई। इसमें भाजपा की किरण खेर को 231,188 यानी 50.64% वोट मिले। इसके बाद 2024 में AAP ने कांग्रेस को सपोर्ट किया। जिसमें कांग्रेस के मनीष तिवारी 216,657 यानी 48.22% वोट पाकर जीत गए। उनसे हारे भाजपा उम्मीदवार संजय टंडन को 214,153 यानी 47.67% वोट मिले। इस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 2014 के मुकाबले 21.38% और 2019 के मुकाबले 7.87% बढ़ गया था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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समय पर राशन पहुंचना चाहिए
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