हरियाणा में करनाल की इंद्री विधानसभा में बीजेपी के टिकट वितरण से नाराज चल रहे पूर्व राज्यमंत्री एवं पूर्व विधायक कर्णदेव कंबोज जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो रहे है। जिसको लेकर दिल्ली में कंबोज की पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा से मुलाकात हो चुकी है। जहां से उनको पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला है। हालांकि कंबोज को कांग्रेस से टिकट मिलेगा या नहीं, इसको लेकर न तो भूपेंद्र हुड्डा ने कुछ कहा है और न ही कर्णदेव कंबोज ने। कयास यह भी लगाए जा रहे है कि उनको टिकट इंद्री से भी मिल सकता है और रादौर से भी। अगर कांग्रेस उनको इंद्री सीट से टिकट देती है तो राकेश कंबोज के टिकट पर संकट के बादल छाना लाजमी है। मनोहर लाल चाहते है बीजेपी का सफाया इंद्री से कर्णदेव कांबोज का टिकट कटा और उन्होंने बगावत कर दी। उनको मनाने के लिए 3 दिन पहले रादौर में सीएम नायब सैनी भी पहुंचे थे। नायब सैनी से भी कंबोज नहीं माने। फिर भाजपा के विधानसभा चुनाव प्रभारी विप्लव देव ने कंबोज को दिल्ली में बुलाया और मीटिंग की, लेकिन बात नहीं बनी। कंबोज का कहना है कि मनोहर लाल हरियाणा से बीजेपी का सफाया करवाना चाहते है, हरियाणा के टिकटों में आज भी उन्हीं की चल रही है। जबकि विप्लव देव और सीएम नायब सैनी सुलझे हुए व्यक्ति है। कंबोज ने 10 को बुलाई मीटिंग हुड्डा से मुलाकात के बाद कर्णदेव कंबोज ने 10 सितंबर को अपने कार्यकर्ताओं की बैठक इंद्री में बुलाई है। जिसके बाद स्पष्ट है कि इंद्री विधानसभा में कोई बड़ा खेला होने वाला है। हालांकि कंबोज यह बात जरूर कह रहे है कि उनकी हुड्डा से टिकट को लेकर कोई बात नहीं हुई है। भाजपा को लग सकता है बड़ा झटका कांग्रेस कर्णदेव कंबोज को इंद्री विधानसभा से टिकट दे देती है तो बीजेपी को एक बहुत बड़ा झटका लग सकता है। कंबोज इंद्री की राजनीति में एक बड़ा चेहरा है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की विधानसभा में मुश्किलें बढ़ सकती है। अब देखने वाली बात है कि 10 सितंबर को होने वाली मीटिंग में क्या फैसला होता है। कंबोज के आने से कांग्रेसियों की टिकट खतरे में कर्णदेव कंबोज भाजपा से कांग्रेस में एंट्री करेंगे और क्या पता टिकट भी लेकर आ जाए, ऐसे में कांग्रेस से टिकट के दावेदारों में कहीं न कहीं दूसरे दल के प्रत्याशी को टिकट दिए जाने और उनका टिकट कटने से भी असंतोष फैल सकता है। अभी तक की स्थिति यह है कि राकेश कंबोज का यहां से टिकट लगभग फाइनल ही माना जा रहा है। वही भीमसेन मेहता, नव ज्योत कश्यप भी टिकट की लाइन में है। कर्णदेव की एंट्री से कही कांग्रेस के दावेदारों में भाजपा की तरह विरोध न हो जाए। भूपेंद्र हुड्डा बोले, हुई है मीटिंग पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि कर्णदेव कांबोज से मीटिंग हुई है। बहुत ही सकारात्मक मीटिंग रही है। मीटिंग में राजनीतिक मुद्दों पर ही चर्चा हुई है। हरियाणा में करनाल की इंद्री विधानसभा में बीजेपी के टिकट वितरण से नाराज चल रहे पूर्व राज्यमंत्री एवं पूर्व विधायक कर्णदेव कंबोज जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो रहे है। जिसको लेकर दिल्ली में कंबोज की पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा से मुलाकात हो चुकी है। जहां से उनको पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला है। हालांकि कंबोज को कांग्रेस से टिकट मिलेगा या नहीं, इसको लेकर न तो भूपेंद्र हुड्डा ने कुछ कहा है और न ही कर्णदेव कंबोज ने। कयास यह भी लगाए जा रहे है कि उनको टिकट इंद्री से भी मिल सकता है और रादौर से भी। अगर कांग्रेस उनको इंद्री सीट से टिकट देती है तो राकेश कंबोज के टिकट पर संकट के बादल छाना लाजमी है। मनोहर लाल चाहते है बीजेपी का सफाया इंद्री से कर्णदेव कांबोज का टिकट कटा और उन्होंने बगावत कर दी। उनको मनाने के लिए 3 दिन पहले रादौर में सीएम नायब सैनी भी पहुंचे थे। नायब सैनी से भी कंबोज नहीं माने। फिर भाजपा के विधानसभा चुनाव प्रभारी विप्लव देव ने कंबोज को दिल्ली में बुलाया और मीटिंग की, लेकिन बात नहीं बनी। कंबोज का कहना है कि मनोहर लाल हरियाणा से बीजेपी का सफाया करवाना चाहते है, हरियाणा के टिकटों में आज भी उन्हीं की चल रही है। जबकि विप्लव देव और सीएम नायब सैनी सुलझे हुए व्यक्ति है। कंबोज ने 10 को बुलाई मीटिंग हुड्डा से मुलाकात के बाद कर्णदेव कंबोज ने 10 सितंबर को अपने कार्यकर्ताओं की बैठक इंद्री में बुलाई है। जिसके बाद स्पष्ट है कि इंद्री विधानसभा में कोई बड़ा खेला होने वाला है। हालांकि कंबोज यह बात जरूर कह रहे है कि उनकी हुड्डा से टिकट को लेकर कोई बात नहीं हुई है। भाजपा को लग सकता है बड़ा झटका कांग्रेस कर्णदेव कंबोज को इंद्री विधानसभा से टिकट दे देती है तो बीजेपी को एक बहुत बड़ा झटका लग सकता है। कंबोज इंद्री की राजनीति में एक बड़ा चेहरा है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की विधानसभा में मुश्किलें बढ़ सकती है। अब देखने वाली बात है कि 10 सितंबर को होने वाली मीटिंग में क्या फैसला होता है। कंबोज के आने से कांग्रेसियों की टिकट खतरे में कर्णदेव कंबोज भाजपा से कांग्रेस में एंट्री करेंगे और क्या पता टिकट भी लेकर आ जाए, ऐसे में कांग्रेस से टिकट के दावेदारों में कहीं न कहीं दूसरे दल के प्रत्याशी को टिकट दिए जाने और उनका टिकट कटने से भी असंतोष फैल सकता है। अभी तक की स्थिति यह है कि राकेश कंबोज का यहां से टिकट लगभग फाइनल ही माना जा रहा है। वही भीमसेन मेहता, नव ज्योत कश्यप भी टिकट की लाइन में है। कर्णदेव की एंट्री से कही कांग्रेस के दावेदारों में भाजपा की तरह विरोध न हो जाए। भूपेंद्र हुड्डा बोले, हुई है मीटिंग पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि कर्णदेव कांबोज से मीटिंग हुई है। बहुत ही सकारात्मक मीटिंग रही है। मीटिंग में राजनीतिक मुद्दों पर ही चर्चा हुई है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पानीपत में युवक ने किया सुसाइड:6 महीने पहले हुई थी शादी; शराब पीकर लगाई फांसी, पत्नी गई थी मंदिर हरियाणा के पानीपत शहर की एक कॉलोनी में एक युवक ने संदिग्ध परिस्थितियों में घर में फंदा लगा लिया। युवक ने उस वक्त ये कदम उठाया, जब घर पर कोई नहीं था। उसकी पत्नी मंदिर गई हुई थी। जिस बहन के पास रहता था वह भी अपनी बेटी संग काम पर गई हुई थी। पत्नी जब मंदिर से वापस लौटी, तो घटना का पता लगा। उसने चीख पुकार कर स्थानीय लोगों को मौके पर इकट्ठा किया। साथ ही ननद को भी फोन कर बुलाया। सभी तुरंत घर पहुंचे। जिसके बाद उसे फंदे से नीचे उतारा। आनन-फानन में उसे तुरंत सिविल अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शव का पंचनामा भरवा कर शवगृह में रखवा दिया गया। वहीं, पुलिस को भी सूचना दे दी गई। जीजा की मौत के बाद बहन के साथ रहता था
जानकारी देते हुए प्रीति ने बताया कि मृतक साजन (29) उसका भाई था। उसकी 1 जनवरी 2024 को ज्वालापुर की रहने वाली रजनी के साथ शादी हुई थी। प्रीति ने बताया कि काफी समय पहले उसके पति की मौत हो चुकी है। जिसके बाद उसका भाई उसके साथ ही कुटानी रोड पर रहता था। वह मूल रूप से करनाल का रहने वाला था। रविवार सुबह वह अपनी बेटी के साथ काम पर चली गई थी। कुछ देर बाद रजनी भी मंदिर चली गई थी। तीन दिन से साजन लगातार शराब पी रहा था। इसी बीच उसने खुद को घर में अकेला पाकर फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। बड़े भाई ने भी किया था सुसाइड
प्रीति ने बताया कि उसके बड़े भाई राजा ने भी लॉकडाउन के दिनों में इसी तरह सुसाइड किया था। मरने से पहले उसने भी तीन दिन तक लगातार शराब पी थी। इसी बीच उसने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या की थी। अब साजन की मौत के बाद भी दोनों भाइयों के आत्महत्या के कारणों का भी राज दफन हो गया।
हरियाणा में हारे BJP लोकसभा कैंडिडेट को चांस:विधानसभा चुनाव के लिए लॉबिंग शुरू, इलेक्शन लड़ने की 3 वजहें
हरियाणा में हारे BJP लोकसभा कैंडिडेट को चांस:विधानसभा चुनाव के लिए लॉबिंग शुरू, इलेक्शन लड़ने की 3 वजहें हरियाणा में लोकसभा चुनाव में हारे भाजपा उम्मीदवारों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। वह अब सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। टिकट के लिए लॉबिंग शुरू करने के साथ उन्होंने अपनी-अपनी लोकसभा में जिताऊ सीट भी तलाशनी शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक उन्हें इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अब केंद्रीय नेतृत्व भी ऐसे चेहरों को टिकट देने का इच्छुक दिखाई दे रहा है। इस बार भाजपा को हरियाणा में लोकसभा चुनाव में 5 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 10 जीतों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा के ये कैंडिडेट हार चुके लोकसभा चुनाव
हरियाणा में भाजपा के 5 उम्मीदवार लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। इसमें से रोहतक से डॉ अरविंद शर्मा तो भाजपा के सिटिंग सांसद थे। उन्हें दीपेंद्र हुड्डा ने ढाई लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी है। इनके अलावा सोनीपत लोकसभा सीट से भाजपा ने सिटिंग सांसद रमेश चंद्र कौशिक की टिकट काटकर पार्टी के MLA मोहन लाल बड़ौली को टिकट दी थी। उन्हें कांग्रेस कैंडिडेट सतपाल ब्रह्मचारी ने हराया। वहीं हिसार से नायब सैनी के ऊर्जा और जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला को भी हार का मुंह देखना पड़ा। सिरसा से AAP छोड़कर भाजपा में शामिल हुए डॉ अशोक तंवर को भी हार का सामना करना पड़ा। अंबाला से बंतो कटारिया को मुलाना से कांग्रेस MLA वरुण चौधरी ने चुनाव हरा दिया। विधानसभा चुनाव लड़ने की ये 3 वजहें… लोकसभा चुनाव की तैयारी का मिलेगा फायदा
भाजपा कैंडिडेट के विधानसभा चुनाव लड़ने की पहली वजह लोकसभा चुनाव बताई जा रही। वह महीने के करीब ग्राउंड में ही रहे हैं, इसलिए आने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रचार के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लोगों के बीच 2 महीने रहने के बाद उन्हें किन चुनावी मुद्दों को लेकर लोगों के बीच जाना है, उन्हें बेहतर पता है। सक्रिय राजनीति में बने रहेंगे
दूसरी वजह यह है कि वह सूबे की राजनीति में सक्रिय रूप से बने रहेंगे। यदि विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सरकार बनती है तो वह लोगों के बीच एक्टिव रहकर उनके काम करा सकेंगे। जिसका फायदा उन्हें आने वाले चुनावों में भी मिलेगा। हरियाणा के वोटरों का केंद्र की तरफ झुकाव
सियासी जानकारों का कहना है कि हरियाणा में अभी तक उसी पार्टी की सरकार बनी है, जिसकी केंद्र में सरकार होती है। हरियाणा के लोग यह बेहतर जानते हैं कि केंद्र में सरकार होने पर ही प्रदेश में विकास कार्य हो सकेंगे। 2014 से लेकर अभी तक सूबे में भाजपा की ही सरकार है और केंद्र में भी बीजेपी समर्थित दलों की सरकार है। यही वजह है कि केंद्र के द्वारा पर्याप्त बजट सूबे को 10 सालों से मिलता रहा है। हर विधानसभा से 4 नामों की लिस्ट हो रही तैयार
हरियाणा में 5 सीटें हारने के बाद बीजेपी भी विधानसभा के लिए जिताऊ चेहरों की तलाश कर रही है। पार्टी के नेतृत्व की ओर से लोकसभा वाइज ऐसे चेहरों की डिटेल्ड मांगनी शुरू कर दी गई है। नाम न बताने की शर्त पर भाजपा के एक सीनियर लीडर ने बताया कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी नेतृत्व विधानसभा चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए 4 नेताओं के नाम उनकी पृष्ठभूमि के साथ देने का काम सौंपा गया है। इसी तरह के काम अन्य स्थानीय नेताओं को भी दिए गए हैं, ताकि पार्टी टिकट के लिए विचार करने के लिए आम नामों को चुना जा सके।
हिसार में किसानों ने चंडीगढ़-भिवानी रोड किया जाम:बास क्षेत्र में नहरी पानी की किल्लत पर भड़के; आधे घंटे तक फंसे रहे वाहन
हिसार में किसानों ने चंडीगढ़-भिवानी रोड किया जाम:बास क्षेत्र में नहरी पानी की किल्लत पर भड़के; आधे घंटे तक फंसे रहे वाहन हरियाणा के हिसार जिले में बास क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में लगने वाली सुंदर ब्रांच व पेटवाड डिस्ट्रीब्यूटरी नहर में पानी नही आने से परेशान किसानों ने सोमवार को भिवानी-चंडीगढ़ हाइवे जाम कर दिया। किसानों ने बास के तहसीलदार कृष्ण कुमार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपा। तहसीलदार ने किसानों के सामने ही सिंचाई विभाग के कर्मचारियों से फोन पर बात की। उन्होंने 27 जुलाई तक पानी आने की बात कही तो किसान भड़क गए। किसान अमित मोर, कुलदीप, दलजीत सिंह, श्रीभगवान, फतेह सिंह, मोनू, राजेंद्र, बलवान, राजेश, रामदिया, सूरजभान, फूल कुमार, जगबीर, भलेराम, नन्हा, नीरज व नरेंद्र इत्यादि किसानों ने बताया कि बास अकबरपुर, बास बादशाहपुर, बास खुर्द, बास आजमशाहपुर, रोशन खेड़ा, सोरखी, सीसर, खरबला, सिंघवा खास, मदनहेड़ी, मोहला व पुट्ठी सहित अन्य गांव में सुंदर ब्रांच नहर का पानी लगता है। वही आधा दर्जन गांवों में पेटवाड़ डिस्ट्रीब्यूटरी नहर का पानी लगता है। बास क्षेत्र में इस बार बारिश भी बहुत कम हुई है। क्षेत्र की हजारों एकड़ फसल नहर में पानी न होने की वजह से सूखने की कगार पर है। जिसके कारण किसानों की दशा अति दयनीय हो रही है। पिछले 10 वर्षों से किसानों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिसकी वजह से किसानों की फासले बर्बाद हो रही है। पिछले 6 महीने में हर महीने केवल तीन से चार दिन ही पानी छोड़ा जा रहा है। जिसके कारण इस क्षेत्र में हजारों एकड़ फसल सूखे की मार झेल रही है। बास क्षेत्र के लगभग 10 गांवों के किसान सूखे की मार झेल रहे हैं। जिसके चलते बास क्षेत्र के किसान ने सोमवार को बास के तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपते हुए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। करीब आधा घंटा बाद किसानों ने जाम खोल दिया। जाम के दौरान भिवानी चंडीगढ़ रोड पर दोनों तरफ वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लग गई। तहसीलदार कृष्ण कुमार ने बताया कि क्षेत्र के किसानों द्वारा नहरी पानी की समस्या को लेकर एक ज्ञापन सौंपा है। हमने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बात की है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा पीछे से पानी की कमी का कारण बताया है। 27 जुलाई तक नहरों में पानी आने की संभावना है।