लखनऊ में 3 मंजिला बिल्डिंग के गिरने से 8 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 27 लोग घायल हैं। रविवार को सीएम योगी ने लोकबंधु अस्पताल पहुंचकर हादसे में घायल लोगों का हालचाल जाना और परिजनों से बातचीत की। घटनास्थल पर मलबे को हटाने का काम लगातार जारी है। अब तक 15 ट्रक मलबा निकाला जा चुका है। अभी भी 30 ट्रक मलबे का ढेर लगा हुआ है। मलबे में दवा और मोबिल ऑयल भी मिक्स हो गया है। ऐसे में नगर निगम सुरक्षा के लिहाज से इसको खुले में डंप नहीं करेगा। वहीं, ड्रग विभाग की टीम के समय से नहीं पहुंचने के कारण लोग सड़क से दवाइयां तक उठा ले गए। सीएम योगी बोले- तह तक तहकीकात होगी
सीएम योगी ने इस हादसे की जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम गठित की है। इसका अध्यक्ष गृह विभाग के सचिव डॉ. संजीव गुप्ता को बनाया गया है। समिति में IAS डॉ. बलकार सिंह और PWD के चीफ इंजीनियर विजय कन्नौजिया भी शामिल हैं। IAS डॉ. बलकार सिंह वर्तमान में आवास आयुक्त के पद पर तैनात हैं। 2004 बैच के IAS डॉ. बलकार सिंह के पास MD जल निगम के साथ सचिव नमामि गंगे तथा ED जल जीवन मिशन और निदेशक भूगर्भ जल विभाग का भी चार्ज था। इस पद पर 2 साल तक रहे। सीएम योगी ने टीम को जल्द से जल्द जांच पूरी कर रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने समिति के सदस्यों को प्रकरण की तह तक तहकीकात करने के निर्देश दिए हैं। दवा और आयल मिक्स, हो सकता है खतरा
यह बिल्डिंग आशियाना के रहने वाले राजेश सिंघल की है। यह उनकी बेटी कुमकुम सिंघल के नाम पर है। इस पूरी बिल्डिंग को तीन लोगों ने मिलकर किराए पर लिया था। जिसमें अलग-अलग काम के हिसाब से स्टाफ था। दवाई की कंपनी में सबसे ज्यादा स्टॉफ था। बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर मोटूल मोबिल ऑयल कंपनी का गोदाम था। दूसरे फ्लोर को दवा कंपनी, दूसरे फ्लोर को क्रॉकरी कंपनी ने किराए पर ले रखा था। बिल्डिंग ढहने के बाद गोदामों में भरा माल भी बर्बाद हो गया। डिब्बे में रखा सामान बहार आ गया। दवा और मोबिल ऑयल आपस में मिक्स हो गया। अफसरों के अनुसार अब ये मलबा आम मलबे की तरह नहीं है। इसमें कई तरह के केमिकल मिल गए हैं। यह जानवरों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसके साथ ही इन्हें किसी निर्माण कार्य में भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसको देखते हुए नगर निगम मलबे को अपने कब्जे में लेकर पहले इसमें से केमिकल को दूर करेगा। इसके बाद ही इसका इस्तेमाल होगा। सडकों पर फैली दवा, लोग झोला भरकर ले गए
बिल्डिंग गिरने पर वहां खड़ा दवा से भरा एक ट्रक भी दब गया था। उसमें रखी दवा सड़क पर फैल गई। जीसीबी की मदद से ट्रक बाहर निकाला गया तो उसमें लदी दवा बड़ी मात्रा में सड़क पर फैल गई। आसपास के लोग इसे अपने झोलों में भर ले गए। इसमें से ज्यादातर लोगों ये तक नहीं पता था जो दवा वो उठा रहे हैं, वो किस इलाज में काम आती है। समय से नहीं पहुंची ड्रग विभाग की टीम
बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर दवा गोदाम था। घटना की जानकारी होने पर रविवार को दिल्ली से दवा कंपनी के लोग भी पहुंचे। कंपनी के एक अफसर ने बताया कि घटना की जानकारी स्थानीय ड्रग विभाग को दी गई। उन्हें बताया गया कि दवा सड़कों पर फैली हुई है लेकिन फिर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। ऐसे में दिल्ली में ड्रग कंट्रोल ऑफिस में इसकी शिकायत की गई है। उसके करीब एक घंटे के बाद दोपहर करीब एक बजे टीम पहुंची, तब कई लोग दवा को उठा ले गए। ऐसे में ये दवा उनके लिए हानिकारक हो सकती है। खटिया सामग्री से निर्माण कराने के आरोप में FIR
ट्रांसपोर्ट नगर में ढहने वाली बिल्डिंग के निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल किया गया। इसलिए वह बहुत कम समय में जर्जर हो गई। कमाई के फेर में मानकों की अनदेखी की गई। ये दावे पुलिस की ओर से दर्ज कराई गई FIR में किए गए हैं। ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इंचार्ज महेश कुमार सिंह की तहरीर पर दर्ज की गई FIR के अनुसार राकेश सिंघल ने किराए पर उठाने के लिए बिल्डिंग बनवाई थी। जानबूझकर निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। पता था कि ऐसी स्थिति में कभी भी ये बिल्डिंग काल बन सकती है, फिर भी कमाई के चक्कर में उसको किराए पर दिया गया। यह भी पढ़ें लखनऊ बिल्डिंग हादसा…डिटेक्टिव डॉग से मलबे में सर्चिंग:माइक से आवाज लगाई- कोई अंदर तो नहीं; 8 मौत, 27 घायल; योगी ने जांच कमेटी बनाई लखनऊ में शनिवार शाम को हुए बिल्डिंग हादसे में 27 घंटे बाद भी रेस्क्यू चल रहा है। टीम स्निफर डॉग की मदद से मलबे में तलाश कर रही है कि कहीं कोई और तो नहीं दबा है। हालांकि, अब किसी के लापता होने की जानकारी नहीं है। न ही किसी के परिजन तलाश करते हुए ट्रांसपोर्ट नगर आए हैं। पढ़ें पूरी खबर… लखनऊ में 3 मंजिला बिल्डिंग के गिरने से 8 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 27 लोग घायल हैं। रविवार को सीएम योगी ने लोकबंधु अस्पताल पहुंचकर हादसे में घायल लोगों का हालचाल जाना और परिजनों से बातचीत की। घटनास्थल पर मलबे को हटाने का काम लगातार जारी है। अब तक 15 ट्रक मलबा निकाला जा चुका है। अभी भी 30 ट्रक मलबे का ढेर लगा हुआ है। मलबे में दवा और मोबिल ऑयल भी मिक्स हो गया है। ऐसे में नगर निगम सुरक्षा के लिहाज से इसको खुले में डंप नहीं करेगा। वहीं, ड्रग विभाग की टीम के समय से नहीं पहुंचने के कारण लोग सड़क से दवाइयां तक उठा ले गए। सीएम योगी बोले- तह तक तहकीकात होगी
सीएम योगी ने इस हादसे की जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम गठित की है। इसका अध्यक्ष गृह विभाग के सचिव डॉ. संजीव गुप्ता को बनाया गया है। समिति में IAS डॉ. बलकार सिंह और PWD के चीफ इंजीनियर विजय कन्नौजिया भी शामिल हैं। IAS डॉ. बलकार सिंह वर्तमान में आवास आयुक्त के पद पर तैनात हैं। 2004 बैच के IAS डॉ. बलकार सिंह के पास MD जल निगम के साथ सचिव नमामि गंगे तथा ED जल जीवन मिशन और निदेशक भूगर्भ जल विभाग का भी चार्ज था। इस पद पर 2 साल तक रहे। सीएम योगी ने टीम को जल्द से जल्द जांच पूरी कर रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने समिति के सदस्यों को प्रकरण की तह तक तहकीकात करने के निर्देश दिए हैं। दवा और आयल मिक्स, हो सकता है खतरा
यह बिल्डिंग आशियाना के रहने वाले राजेश सिंघल की है। यह उनकी बेटी कुमकुम सिंघल के नाम पर है। इस पूरी बिल्डिंग को तीन लोगों ने मिलकर किराए पर लिया था। जिसमें अलग-अलग काम के हिसाब से स्टाफ था। दवाई की कंपनी में सबसे ज्यादा स्टॉफ था। बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर मोटूल मोबिल ऑयल कंपनी का गोदाम था। दूसरे फ्लोर को दवा कंपनी, दूसरे फ्लोर को क्रॉकरी कंपनी ने किराए पर ले रखा था। बिल्डिंग ढहने के बाद गोदामों में भरा माल भी बर्बाद हो गया। डिब्बे में रखा सामान बहार आ गया। दवा और मोबिल ऑयल आपस में मिक्स हो गया। अफसरों के अनुसार अब ये मलबा आम मलबे की तरह नहीं है। इसमें कई तरह के केमिकल मिल गए हैं। यह जानवरों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसके साथ ही इन्हें किसी निर्माण कार्य में भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसको देखते हुए नगर निगम मलबे को अपने कब्जे में लेकर पहले इसमें से केमिकल को दूर करेगा। इसके बाद ही इसका इस्तेमाल होगा। सडकों पर फैली दवा, लोग झोला भरकर ले गए
बिल्डिंग गिरने पर वहां खड़ा दवा से भरा एक ट्रक भी दब गया था। उसमें रखी दवा सड़क पर फैल गई। जीसीबी की मदद से ट्रक बाहर निकाला गया तो उसमें लदी दवा बड़ी मात्रा में सड़क पर फैल गई। आसपास के लोग इसे अपने झोलों में भर ले गए। इसमें से ज्यादातर लोगों ये तक नहीं पता था जो दवा वो उठा रहे हैं, वो किस इलाज में काम आती है। समय से नहीं पहुंची ड्रग विभाग की टीम
बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर दवा गोदाम था। घटना की जानकारी होने पर रविवार को दिल्ली से दवा कंपनी के लोग भी पहुंचे। कंपनी के एक अफसर ने बताया कि घटना की जानकारी स्थानीय ड्रग विभाग को दी गई। उन्हें बताया गया कि दवा सड़कों पर फैली हुई है लेकिन फिर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। ऐसे में दिल्ली में ड्रग कंट्रोल ऑफिस में इसकी शिकायत की गई है। उसके करीब एक घंटे के बाद दोपहर करीब एक बजे टीम पहुंची, तब कई लोग दवा को उठा ले गए। ऐसे में ये दवा उनके लिए हानिकारक हो सकती है। खटिया सामग्री से निर्माण कराने के आरोप में FIR
ट्रांसपोर्ट नगर में ढहने वाली बिल्डिंग के निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल किया गया। इसलिए वह बहुत कम समय में जर्जर हो गई। कमाई के फेर में मानकों की अनदेखी की गई। ये दावे पुलिस की ओर से दर्ज कराई गई FIR में किए गए हैं। ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इंचार्ज महेश कुमार सिंह की तहरीर पर दर्ज की गई FIR के अनुसार राकेश सिंघल ने किराए पर उठाने के लिए बिल्डिंग बनवाई थी। जानबूझकर निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। पता था कि ऐसी स्थिति में कभी भी ये बिल्डिंग काल बन सकती है, फिर भी कमाई के चक्कर में उसको किराए पर दिया गया। यह भी पढ़ें लखनऊ बिल्डिंग हादसा…डिटेक्टिव डॉग से मलबे में सर्चिंग:माइक से आवाज लगाई- कोई अंदर तो नहीं; 8 मौत, 27 घायल; योगी ने जांच कमेटी बनाई लखनऊ में शनिवार शाम को हुए बिल्डिंग हादसे में 27 घंटे बाद भी रेस्क्यू चल रहा है। टीम स्निफर डॉग की मदद से मलबे में तलाश कर रही है कि कहीं कोई और तो नहीं दबा है। हालांकि, अब किसी के लापता होने की जानकारी नहीं है। न ही किसी के परिजन तलाश करते हुए ट्रांसपोर्ट नगर आए हैं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर