हरियाणा में चौटाला परिवार चुनाव जीतने के लिए एक होता नजर आ रहा है। डबवाली से आदित्य चौटाला के भाजपा छोड़कर इनेलो में शामिल होने से दिग्विजय चौटाला को खतरा पैदा हो गया है। इसके लिए उन्होंने दादा रणजीत चौटाला से मदद मांगी है। वहीं बदले में JJP ने रानियां से कोई उम्मीदवार ना उतारने और चुनाव में निर्दलीय लड़ रहे रणजीत चौटाला की मदद का ऐलान किया है। लंबे समय के बाद चौटाला परिवार में दरारें भरती हुई नजर आ रही हैं। बता दें कि चौटाला परिवार इससे पहले लोकसभा में एक दूसरे के सामने लड़ता नजर आया था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हिसार से रणजीत चौटाला ने दुष्यंत चौटाला की मां के सामने चुनाव लड़ा था। रणजीत हालांकि चुनाव नहीं जीत पाए मगर चौटाला परिवार का आपस का दंगल सुर्खियों में रहा था। रणजीत चौटाला रानियां ही नहीं बल्कि उचाना में भी दुष्यंत चौटाला की मदद करेंगे। रानिया में दादा रणजीत और पौते अर्जुन चौटाला में है टक्कर
दरअसल, रणजीत चौटाला लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए थे और उन्होंने हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ा मगर हार गए। इस बार रानियां से भाजपा ने रणजीत चौटाला का टिकट काट दिया तो रणजीत बगावत कर निर्दलीय खड़े हो गए। वहीं इनेलो ने यहां से इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला को मैदान में उतारा है। ऐसे में रणजीत को यहां जजपा की मदद की जरूरत पड़ रही है। डबवाली में चाचा-भतीजे में मुकाबला
डबवाली विधानसभा में मुकाबला चाचा भतीजे में है। यहां भाजपा से टिकट कटने से नाराज आदित्य चौटाला इनेलो में शामिल हो गए हैं और इनेलो ने उनको डबवाली से उम्मीदवार बनाया है। आदित्य देवीलाल के बेटे जगदीश चौटाला के बेटे हैं। वहीं दिग्विजय चौटाला भी इसी सीट से ताल ठोक रहे हैं। दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे हैं। आदित्य 10 साल भाजपा सरकार के साथ थे। ऐसे में उनका डबवाली में ग्राउंड मजबूत है। ऐसे में दिग्विजय चौटाला को दादा रणजीत की मदद जरूरत पड़ गई है। चौटाला परिवार के एक होने के समीकरण बने
हरियाणा में देवीलाल परिवार फिर से एक हो सकता है। इसके संकेत भाजपा में फूट से हरियाणा की राजनीति में तेजी से बदल रहे समीकरण से मिल रहे हैं। 2019 विधानसभा चुनाव से पहले अलग हुआ चौटाला परिवार 2024 विधानसभा चुनाव से पहले एक हो सकता है। अक्टूबर 2018 में इनेलो(INLD) की गोहाना में हुई रैली थी। दादा ओमप्रकाश चौटाला और चाचा अभय चौटाला के सामने दुष्यंत चौटाला को अगला मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगे। इस पर ओमप्रकाश चौटाला ने अनुशासनहीनता के आरोप में अपने बड़े बेटे अजय चौटाला और उनके दो बेटों-दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बाहर कर दिया था। इसके बाद 2018 में INLD से अलग होकर उन्होंने जनता जननायक पार्टी बनाई और 2019 में चुनी गई सरकार के किंग मेकर बने। मात्र 31 साल की उम्र में दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम बने थे। चौटाला परिवार में फूट का कांग्रेस को फायदा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इनेलो व जजपा दोनों 2024 का चुनाव अलग-अलग लड़े तो मुकाबला भाजपा व कांग्रेस का रह जाएगा, लेकिन जजपा व इनेलो यदि राजनीतिक रूप से एकजुट हो गए तो स्वाभाविक रूप से मुकाबला तिकोना होगा और वह वोट बैंक पूरी तरह से बंट जाएगा, जिस पर इनेलो और जजपा के साथ-साथ कांग्रेस भी अपना दावा करती है। भाजपा की रणनीति भी यही कह रही है कि जजपा व इनेलो को मिलाकर उन्हें अपने साथ जोड़ा जाए, ताकि राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने की संभावनाएं बलवती की जा सकें। इसके अलावा, इनेलो व जजपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने का पूरा फायदा कांग्रेस को मिल रहा है। 2024 लोकसभा चुनाव में इनेलो और जजपा का वोट बैंक कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गया था। हरियाणा में चौटाला परिवार चुनाव जीतने के लिए एक होता नजर आ रहा है। डबवाली से आदित्य चौटाला के भाजपा छोड़कर इनेलो में शामिल होने से दिग्विजय चौटाला को खतरा पैदा हो गया है। इसके लिए उन्होंने दादा रणजीत चौटाला से मदद मांगी है। वहीं बदले में JJP ने रानियां से कोई उम्मीदवार ना उतारने और चुनाव में निर्दलीय लड़ रहे रणजीत चौटाला की मदद का ऐलान किया है। लंबे समय के बाद चौटाला परिवार में दरारें भरती हुई नजर आ रही हैं। बता दें कि चौटाला परिवार इससे पहले लोकसभा में एक दूसरे के सामने लड़ता नजर आया था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हिसार से रणजीत चौटाला ने दुष्यंत चौटाला की मां के सामने चुनाव लड़ा था। रणजीत हालांकि चुनाव नहीं जीत पाए मगर चौटाला परिवार का आपस का दंगल सुर्खियों में रहा था। रणजीत चौटाला रानियां ही नहीं बल्कि उचाना में भी दुष्यंत चौटाला की मदद करेंगे। रानिया में दादा रणजीत और पौते अर्जुन चौटाला में है टक्कर
दरअसल, रणजीत चौटाला लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए थे और उन्होंने हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ा मगर हार गए। इस बार रानियां से भाजपा ने रणजीत चौटाला का टिकट काट दिया तो रणजीत बगावत कर निर्दलीय खड़े हो गए। वहीं इनेलो ने यहां से इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला को मैदान में उतारा है। ऐसे में रणजीत को यहां जजपा की मदद की जरूरत पड़ रही है। डबवाली में चाचा-भतीजे में मुकाबला
डबवाली विधानसभा में मुकाबला चाचा भतीजे में है। यहां भाजपा से टिकट कटने से नाराज आदित्य चौटाला इनेलो में शामिल हो गए हैं और इनेलो ने उनको डबवाली से उम्मीदवार बनाया है। आदित्य देवीलाल के बेटे जगदीश चौटाला के बेटे हैं। वहीं दिग्विजय चौटाला भी इसी सीट से ताल ठोक रहे हैं। दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे हैं। आदित्य 10 साल भाजपा सरकार के साथ थे। ऐसे में उनका डबवाली में ग्राउंड मजबूत है। ऐसे में दिग्विजय चौटाला को दादा रणजीत की मदद जरूरत पड़ गई है। चौटाला परिवार के एक होने के समीकरण बने
हरियाणा में देवीलाल परिवार फिर से एक हो सकता है। इसके संकेत भाजपा में फूट से हरियाणा की राजनीति में तेजी से बदल रहे समीकरण से मिल रहे हैं। 2019 विधानसभा चुनाव से पहले अलग हुआ चौटाला परिवार 2024 विधानसभा चुनाव से पहले एक हो सकता है। अक्टूबर 2018 में इनेलो(INLD) की गोहाना में हुई रैली थी। दादा ओमप्रकाश चौटाला और चाचा अभय चौटाला के सामने दुष्यंत चौटाला को अगला मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगे। इस पर ओमप्रकाश चौटाला ने अनुशासनहीनता के आरोप में अपने बड़े बेटे अजय चौटाला और उनके दो बेटों-दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बाहर कर दिया था। इसके बाद 2018 में INLD से अलग होकर उन्होंने जनता जननायक पार्टी बनाई और 2019 में चुनी गई सरकार के किंग मेकर बने। मात्र 31 साल की उम्र में दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम बने थे। चौटाला परिवार में फूट का कांग्रेस को फायदा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इनेलो व जजपा दोनों 2024 का चुनाव अलग-अलग लड़े तो मुकाबला भाजपा व कांग्रेस का रह जाएगा, लेकिन जजपा व इनेलो यदि राजनीतिक रूप से एकजुट हो गए तो स्वाभाविक रूप से मुकाबला तिकोना होगा और वह वोट बैंक पूरी तरह से बंट जाएगा, जिस पर इनेलो और जजपा के साथ-साथ कांग्रेस भी अपना दावा करती है। भाजपा की रणनीति भी यही कह रही है कि जजपा व इनेलो को मिलाकर उन्हें अपने साथ जोड़ा जाए, ताकि राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने की संभावनाएं बलवती की जा सकें। इसके अलावा, इनेलो व जजपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने का पूरा फायदा कांग्रेस को मिल रहा है। 2024 लोकसभा चुनाव में इनेलो और जजपा का वोट बैंक कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गया था। हरियाणा | दैनिक भास्कर