मरीज लेकर आइए, जितना बिल बनेगा उसका 30% तक कर देंगे। मरीज जितना एडवांस जमा करेगा, आपका 50% कमीशन आपको तुरंत दे देंगे। जैसे 10 हजार मरीज ने जमा किए, तो 5 हजार आपको तुरंत मिल जाएंगे। ये ऑफर राजधानी लखनऊ के एक हॉस्पिटल में दिया जा रहा। यूपी के कई प्राइवेट अस्पताल मरीज लाने के लिए एंबुलेंस सेवा देने वालों से खुलेआम सौदा करते हैं। एंबुलेंस सेवा वाले प्राइवेट अस्पतालों से मरीज का सौदा करते हैं। एंबुलेंस सर्विस देने वाली संस्था से लेकर एंबुलेंस ड्राइवर तक का कमीशन सेट है। आसपास के सरकारी अस्पतालों के बाहर इनका नेटवर्क है। ये मरीजों को अच्छे इलाज का झांसा देकर लखनऊ लाते हैं। स्वास्थ्य सेवा में कमीशनबाजी का पूरा गिरोह उजागर करने के लिए दैनिक भास्कर ने स्टिंग किया। पढ़िए पूरा स्टिंग… प्राइवेट अस्पतालों और एंबुलेंस सेवा देने वालों के बीच मरीजों की सौदेबाजी का सच जानने के लिए हम पूरी तह तक जाना चाहते थे। इसलिए सबसे पहले हम केयर हॉस्पिटल पहुंचे। रिपोर्टर ने रिसेप्शन पर बैठे शख्स से खुद का परिचय एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी के मैनेजर के रूप में कराया। अस्पताल कर्मियों को यकीन दिलाने के लिए विजिटिंग कार्ड दिखाया। उन्हें यकीन दिलाया कि आसपास के जिलों से मरीज ला सकते हैं। अस्पताल के मालिक से मिलने की इच्छा जताई। स्टाफ रिपोर्टर को एक केबिन में ले गया, जहां हमारी मुलाकात अनूप शुक्ल से हुई। अनूप ही अस्पताल का ज्यादातर काम देखते हैं। अब पढ़िए केयर हॉस्पिटल के कर्मचारी से क्या बातचीत हुई? इस तरह केयर हॉस्पिटल का कर्मचारी कमीशन देने को राजी हो गया। राजधानी के और किस अस्पताल में ऐसा चल रहा है, यह जानने के लिए हम यहां से करीब 1 किलोमीटर दूर स्थित मेड स्टार मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात अस्पताल के मालिक डॉक्टर रियाज अहमद से हुई। मेड स्टार मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल के स्टिंग में भी साफ हो गया कि अस्पताल मरीज लाने के लिए किस तरह कमीशनबाजी और सेटिंग कर रहे हैं। मरीजों को फुसलाने से लेकर डराने तक का हथकंडा अपनाते हैं
अब हमने यह जानने की कोशिश की कि पूरा नेटवर्क काम कैसे करता है? मरीजों को कैसे फंसाते हैं? पता चला, एंबुलेंस के ड्राइवर प्राइवेट अस्पतालों में दलाली करते हैं। वे राजधानी के आसपास के जिलों के सरकारी अस्पताल चुनते हैं। वहां आने वाले गंभीर मरीजों के तीमारदार पर फोकस करते हैं। उसे भरोसा दिलाते हैं कि लखनऊ में अच्छा इलाज हो जाएगा। पैसे भी ज्यादा नहीं लगेंगे। अगर फिर भी तीमारदार मरीज को लखनऊ ले जाने के लिए तैयार नहीं होता तो उसे कई पुराने केस, जिनमें मरीज की मौत हो गई या इलाज में लापरवाही हुई, उसका डर दिखाते हैं। राजधानी लखनऊ में हो रही मरीजों की सौदेबाजी को लेकर हमने सीएमओ मनोज अग्रवाल से बात की। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसी गतिविधियों के खिलाफ ड्राइव चलाई जाती है। फिर कार्रवाई करेंगे। ये भी पढ़ें… कोख में बेटा या बेटी, 40 हजार में बताएंगे:यूपी के अस्पतालों में भ्रूण लिंग जांच का खेल; लखनऊ से लखीमपुर तक फैला जाल मेल-फीमेल कराएंगे आप? अच्छा, लखीमपुर जाना पड़ेगा। ऐसा है आप आ जाइए, फोन पर ये सब बातें नहीं होतीं। कड़े कानूनों के बाद भी यह बात लखनऊ में एक डॉक्टर प्रेग्नेंट महिला से कह रहा है। दरअसल, आज भी कुछ लोग बेटियों की जगह बेटा पैदा करना चाहते हैं। बेटियां उन्हें बोझ लगती हैं। इसलिए भ्रूण के लिंग की जांच कराकर यह संतुष्टि कर लेना चाहते हैं कि कोख में बेटा ही है। लोगों की इसी मानसिकता का फायदा डॉक्टर उठा रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर… मरीज लेकर आइए, जितना बिल बनेगा उसका 30% तक कर देंगे। मरीज जितना एडवांस जमा करेगा, आपका 50% कमीशन आपको तुरंत दे देंगे। जैसे 10 हजार मरीज ने जमा किए, तो 5 हजार आपको तुरंत मिल जाएंगे। ये ऑफर राजधानी लखनऊ के एक हॉस्पिटल में दिया जा रहा। यूपी के कई प्राइवेट अस्पताल मरीज लाने के लिए एंबुलेंस सेवा देने वालों से खुलेआम सौदा करते हैं। एंबुलेंस सेवा वाले प्राइवेट अस्पतालों से मरीज का सौदा करते हैं। एंबुलेंस सर्विस देने वाली संस्था से लेकर एंबुलेंस ड्राइवर तक का कमीशन सेट है। आसपास के सरकारी अस्पतालों के बाहर इनका नेटवर्क है। ये मरीजों को अच्छे इलाज का झांसा देकर लखनऊ लाते हैं। स्वास्थ्य सेवा में कमीशनबाजी का पूरा गिरोह उजागर करने के लिए दैनिक भास्कर ने स्टिंग किया। पढ़िए पूरा स्टिंग… प्राइवेट अस्पतालों और एंबुलेंस सेवा देने वालों के बीच मरीजों की सौदेबाजी का सच जानने के लिए हम पूरी तह तक जाना चाहते थे। इसलिए सबसे पहले हम केयर हॉस्पिटल पहुंचे। रिपोर्टर ने रिसेप्शन पर बैठे शख्स से खुद का परिचय एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी के मैनेजर के रूप में कराया। अस्पताल कर्मियों को यकीन दिलाने के लिए विजिटिंग कार्ड दिखाया। उन्हें यकीन दिलाया कि आसपास के जिलों से मरीज ला सकते हैं। अस्पताल के मालिक से मिलने की इच्छा जताई। स्टाफ रिपोर्टर को एक केबिन में ले गया, जहां हमारी मुलाकात अनूप शुक्ल से हुई। अनूप ही अस्पताल का ज्यादातर काम देखते हैं। अब पढ़िए केयर हॉस्पिटल के कर्मचारी से क्या बातचीत हुई? इस तरह केयर हॉस्पिटल का कर्मचारी कमीशन देने को राजी हो गया। राजधानी के और किस अस्पताल में ऐसा चल रहा है, यह जानने के लिए हम यहां से करीब 1 किलोमीटर दूर स्थित मेड स्टार मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात अस्पताल के मालिक डॉक्टर रियाज अहमद से हुई। मेड स्टार मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल के स्टिंग में भी साफ हो गया कि अस्पताल मरीज लाने के लिए किस तरह कमीशनबाजी और सेटिंग कर रहे हैं। मरीजों को फुसलाने से लेकर डराने तक का हथकंडा अपनाते हैं
अब हमने यह जानने की कोशिश की कि पूरा नेटवर्क काम कैसे करता है? मरीजों को कैसे फंसाते हैं? पता चला, एंबुलेंस के ड्राइवर प्राइवेट अस्पतालों में दलाली करते हैं। वे राजधानी के आसपास के जिलों के सरकारी अस्पताल चुनते हैं। वहां आने वाले गंभीर मरीजों के तीमारदार पर फोकस करते हैं। उसे भरोसा दिलाते हैं कि लखनऊ में अच्छा इलाज हो जाएगा। पैसे भी ज्यादा नहीं लगेंगे। अगर फिर भी तीमारदार मरीज को लखनऊ ले जाने के लिए तैयार नहीं होता तो उसे कई पुराने केस, जिनमें मरीज की मौत हो गई या इलाज में लापरवाही हुई, उसका डर दिखाते हैं। राजधानी लखनऊ में हो रही मरीजों की सौदेबाजी को लेकर हमने सीएमओ मनोज अग्रवाल से बात की। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसी गतिविधियों के खिलाफ ड्राइव चलाई जाती है। फिर कार्रवाई करेंगे। ये भी पढ़ें… कोख में बेटा या बेटी, 40 हजार में बताएंगे:यूपी के अस्पतालों में भ्रूण लिंग जांच का खेल; लखनऊ से लखीमपुर तक फैला जाल मेल-फीमेल कराएंगे आप? अच्छा, लखीमपुर जाना पड़ेगा। ऐसा है आप आ जाइए, फोन पर ये सब बातें नहीं होतीं। कड़े कानूनों के बाद भी यह बात लखनऊ में एक डॉक्टर प्रेग्नेंट महिला से कह रहा है। दरअसल, आज भी कुछ लोग बेटियों की जगह बेटा पैदा करना चाहते हैं। बेटियां उन्हें बोझ लगती हैं। इसलिए भ्रूण के लिंग की जांच कराकर यह संतुष्टि कर लेना चाहते हैं कि कोख में बेटा ही है। लोगों की इसी मानसिकता का फायदा डॉक्टर उठा रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर