हरियाणा विधानसभा चुनाव में ड्यूटी कर रहे 18 रिटर्निंग ऑफिसर (RO) HCS ऑफिसरों को लेकर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) अलर्ट हो गया है। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) आईएएस पंकज अग्रवाल की ओर से इस मामले में सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है। सीईओ ने कहा है कि यदि ऐसा है तो ऑफिसर्स के ट्रांसफर नियम से होने चाहिए। आरओ के अयोग्य होने की वजह उनकी 5 साल से कम HCS सर्विस का होना बताया जा रहा है। इसकी शिकायत भारतीय चुनाव आयोग (ECI) तक पहुंच गई थी। इस मामले की शिकायत प्रशासनिक मामलों के जानकार एडवोकेट हेमंत कुमार ने की थी। दरअसल, 2020 के पास आउट एचसीएस को रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि हरियाणा सरकार के एक आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि एसडीएम के पद के लिए 5 वर्ष से 15 वर्ष की सर्विस होनी चाहिए, या 4 वर्ष तक की सर्विस वाले आईएएस को एसडीएम लगाया जा सकता है, यानी चुनाव ड्यूटी की जिम्मेदारी देनी चाहिए। SDO(C)- SDM ही बनते हैं आरओ आज की डेट में हरियाणा में 2020 बैच के 18 HCS अर्थात 5 वर्ष से कम सर्विस वाले अधिकारियों, जो अभी सूबे के 18 उपमंडलों में बतौर SDO(C)- SDM तैनात होने के कारण उसके अंतर्गत पड़ने वाली विधानसभा सीटों के RO की जिम्मेदारी देख रहे हैं।चुनाव आयोग के प्रवक्ता का कहना है कि हमें अभी शिकायत मिल गई थी। उसके बाद ही सरकार से इस मामले कार्रवाई को कहा गया है। ये हैं वो HCS ऑफिसर जिनकी नियुक्ति पर उठ रहे सवाल जिन HCS ऑफिसर की चुनाव ड्यूटी को लेकर सवाल उठ रहे हैं उनमें मोहित कुमार (नारनौंद), हरबीर सिंह (हिसार), ज्योति (इसराना), अमित कुमार- सेकेंड (सोनीपत), मयंक भारद्वाज (बल्लभगढ़), जय प्रकाश (रादौर), रवींद्र मलिक (बेरी) ), प्रतीक हुड्डा (टोहाना), अमित मान (बड़खल), अमित (समालखा), रमित यादव (नांगल चौधरी) अमित कुमार- तृतीय (कनीना), अजय सिंह (कैथल), राजेश कुमार सोनी (घरौंडा) ), अमन कुमार (पेहोवा), गौरव चौहान (पंचकूला), नसीब कुमार (लाडवा) और विजय कुमार यादव (कोसली) के नाम शामिल हैं। इनकी तैनाती को लेकर आयोग में शिकायत भी भेजी गई है। हिसार के नए एसडीएम भी 2020 बैच के भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के निर्देश पर हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के कार्मिक विभाग द्वारा एक आदेश हिसार के उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) अर्थात एसडीओ (सिविल) जिसे एसडीएम भी कहा जाता है के पद पर 2020 बैच के एचसीएस अधिकारी हरबीर सिंह की तैनाती की गई है, इससे पूर्व 2013 बैच के एचसीएस हिसार के SDM जगदीप ढांडा तैनात थे। पॉलिटिकल कनेक्शन होने के कारण उनका आयोग के निर्देश पर ट्रांसफर किया गया है। CS के इस ऑर्डर से फंसा पेंच प्रशासनिक मामलों के जानकार और हाईकोर्ट अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि आज से करीब 4 साल पहले अक्टूबर, 2020 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव विजय (CS) वर्धन द्वारा HCS कैडर संख्या निर्धारण आदेश, जो मोजूदा तौर पर भी लागू है। क्योंकि आज तक इस ताज़ा आदेश जारी नहीं किया गया है। आदेश के अनुसार एसडीओ (सिविल) अर्थात एसडीएम के पदों को स्पष्ट तौर पर सीनियर स्केल और सिलेक्शन ग्रेड अर्थात 5 वर्ष से 15 वर्ष तक की एचसीएस सेवा वाले अधिकारियों के लिए दर्शाया गया है। चुनाव ड्यूटी में ट्रांसफर-पोस्टिंग जरूरी हेमंत ने बताया कि कोई संदेह नहीं कि एचसीएस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करने की पावर राज्य सरकार (CM) के पास होती है। लेकिन इसमें प्रशासनिक सिद्धांतों की अनुपालना आवश्यक है, ताकि ट्रांसफर-पोस्टिंग पर किसी प्रकार का कोई सवाल खड़ा न हो। यदि एचसीएस कैडर निर्धारण आदेश में स्पष्ट तौर पर मिनिमम 5 वर्ष की एचसीएस सेवा वाले अधिकारी को ही एसडीओ (सी)/एसडीएम पद के लिए योग्य माना गया है, तो इसकी सख्त अनुपालना की जानी चाहिए। विशेष तौर पर तब विधानसभा आम चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश के उप-मंडलों में तैनात ऐसे एचसीएस अधिकारियों को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा आरओ के तौर पर पदांकित किया गया हो। इसी के दृष्टिगत भारतीय चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), हरियाणा को लिखित शिकायत भेजी गई है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में ड्यूटी कर रहे 18 रिटर्निंग ऑफिसर (RO) HCS ऑफिसरों को लेकर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) अलर्ट हो गया है। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) आईएएस पंकज अग्रवाल की ओर से इस मामले में सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है। सीईओ ने कहा है कि यदि ऐसा है तो ऑफिसर्स के ट्रांसफर नियम से होने चाहिए। आरओ के अयोग्य होने की वजह उनकी 5 साल से कम HCS सर्विस का होना बताया जा रहा है। इसकी शिकायत भारतीय चुनाव आयोग (ECI) तक पहुंच गई थी। इस मामले की शिकायत प्रशासनिक मामलों के जानकार एडवोकेट हेमंत कुमार ने की थी। दरअसल, 2020 के पास आउट एचसीएस को रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि हरियाणा सरकार के एक आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि एसडीएम के पद के लिए 5 वर्ष से 15 वर्ष की सर्विस होनी चाहिए, या 4 वर्ष तक की सर्विस वाले आईएएस को एसडीएम लगाया जा सकता है, यानी चुनाव ड्यूटी की जिम्मेदारी देनी चाहिए। SDO(C)- SDM ही बनते हैं आरओ आज की डेट में हरियाणा में 2020 बैच के 18 HCS अर्थात 5 वर्ष से कम सर्विस वाले अधिकारियों, जो अभी सूबे के 18 उपमंडलों में बतौर SDO(C)- SDM तैनात होने के कारण उसके अंतर्गत पड़ने वाली विधानसभा सीटों के RO की जिम्मेदारी देख रहे हैं।चुनाव आयोग के प्रवक्ता का कहना है कि हमें अभी शिकायत मिल गई थी। उसके बाद ही सरकार से इस मामले कार्रवाई को कहा गया है। ये हैं वो HCS ऑफिसर जिनकी नियुक्ति पर उठ रहे सवाल जिन HCS ऑफिसर की चुनाव ड्यूटी को लेकर सवाल उठ रहे हैं उनमें मोहित कुमार (नारनौंद), हरबीर सिंह (हिसार), ज्योति (इसराना), अमित कुमार- सेकेंड (सोनीपत), मयंक भारद्वाज (बल्लभगढ़), जय प्रकाश (रादौर), रवींद्र मलिक (बेरी) ), प्रतीक हुड्डा (टोहाना), अमित मान (बड़खल), अमित (समालखा), रमित यादव (नांगल चौधरी) अमित कुमार- तृतीय (कनीना), अजय सिंह (कैथल), राजेश कुमार सोनी (घरौंडा) ), अमन कुमार (पेहोवा), गौरव चौहान (पंचकूला), नसीब कुमार (लाडवा) और विजय कुमार यादव (कोसली) के नाम शामिल हैं। इनकी तैनाती को लेकर आयोग में शिकायत भी भेजी गई है। हिसार के नए एसडीएम भी 2020 बैच के भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के निर्देश पर हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के कार्मिक विभाग द्वारा एक आदेश हिसार के उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) अर्थात एसडीओ (सिविल) जिसे एसडीएम भी कहा जाता है के पद पर 2020 बैच के एचसीएस अधिकारी हरबीर सिंह की तैनाती की गई है, इससे पूर्व 2013 बैच के एचसीएस हिसार के SDM जगदीप ढांडा तैनात थे। पॉलिटिकल कनेक्शन होने के कारण उनका आयोग के निर्देश पर ट्रांसफर किया गया है। CS के इस ऑर्डर से फंसा पेंच प्रशासनिक मामलों के जानकार और हाईकोर्ट अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि आज से करीब 4 साल पहले अक्टूबर, 2020 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव विजय (CS) वर्धन द्वारा HCS कैडर संख्या निर्धारण आदेश, जो मोजूदा तौर पर भी लागू है। क्योंकि आज तक इस ताज़ा आदेश जारी नहीं किया गया है। आदेश के अनुसार एसडीओ (सिविल) अर्थात एसडीएम के पदों को स्पष्ट तौर पर सीनियर स्केल और सिलेक्शन ग्रेड अर्थात 5 वर्ष से 15 वर्ष तक की एचसीएस सेवा वाले अधिकारियों के लिए दर्शाया गया है। चुनाव ड्यूटी में ट्रांसफर-पोस्टिंग जरूरी हेमंत ने बताया कि कोई संदेह नहीं कि एचसीएस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करने की पावर राज्य सरकार (CM) के पास होती है। लेकिन इसमें प्रशासनिक सिद्धांतों की अनुपालना आवश्यक है, ताकि ट्रांसफर-पोस्टिंग पर किसी प्रकार का कोई सवाल खड़ा न हो। यदि एचसीएस कैडर निर्धारण आदेश में स्पष्ट तौर पर मिनिमम 5 वर्ष की एचसीएस सेवा वाले अधिकारी को ही एसडीओ (सी)/एसडीएम पद के लिए योग्य माना गया है, तो इसकी सख्त अनुपालना की जानी चाहिए। विशेष तौर पर तब विधानसभा आम चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश के उप-मंडलों में तैनात ऐसे एचसीएस अधिकारियों को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा आरओ के तौर पर पदांकित किया गया हो। इसी के दृष्टिगत भारतीय चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), हरियाणा को लिखित शिकायत भेजी गई है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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रोहतक सैलून हत्याकांड का आरोपी PGI में भर्ती:गार्ड तैनात, डिस्चार्ज मिलते ही होगी गिरफ्तारी; पुराने दोस्त की कर दी थी हत्या
रोहतक सैलून हत्याकांड का आरोपी PGI में भर्ती:गार्ड तैनात, डिस्चार्ज मिलते ही होगी गिरफ्तारी; पुराने दोस्त की कर दी थी हत्या रोहतक के गांव सुनारिया कलां निवासी युवक की हत्या का आरोपी फिलहाल रोहतक पीजीआई में भर्ती है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। आरोपियों के पास गार्ड तैनात कर दिए हैं। वे पीजीआई से डिस्चार्ज होने का इंतजार कर रहे हैं। डिस्चार्ज होने के बाद ही गिरफ्तारी की जाएगी। गौरतलब है कि गांव सुनारिया कलां में दो पुराने दोस्तों के बीच सैलून पर झगड़ा हो गया था और उन्होंने एक दूसरे पर कैंची से हमला कर दिया था। इस हमले में तीनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें उपचार के लिए रोहतक पीजीआई में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने गांव सुनारिया कलां निवासी 30 वर्षीय परमजीत को मृत घोषित कर दिया। गांव सुनारिया कलां निवासी सुनील (40) और अजीत (37) घायल हैं। इधर, पुलिस ने मृतक परमजीत के भाई की शिकायत पर सुनील के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया, क्योंकि सुनील के कैंची के हमले से ही परमजीत की मौत हुई थी। यह था मामला पुलिस जांच के अनुसार मृतक परमजीत शुक्रवार को अपने दोस्त अजीत के साथ कहीं बैठकर शराब पी रहा था। इस दौरान अजीत को पता चला कि परमजीत अपने घर से शराब की बोतल लेकर आया है। इस बात को लेकर वह परमजीत से झगड़ने लगा। इसके बाद परमजीत गांव में अपने दोस्त के सैलून पर चला गया। इस बात का पता चलते ही अजीत भी थोड़ी देर में सुनील के सैलून पर पहुंच गया। उसने परमजीत से झगड़ना शुरू कर दिया। अजीत का सुनील से पहले से ही झगड़ा चल रहा था। वहां पर वे आपस में झगड़ने लगे। इसके बाद अजीत ने सैलून में रखी कैंची से उस पर हमला कर दिया। दूसरे पक्ष ने भी वहां पड़े धारदार औजार उठाकर हमला कर दिया। दोनों पक्षों के बीच जमकर हाथापाई हुई। इस दौरान सैलून मालिक ने भी कैंची उठा ली। एक दूसरे पर कैंची से हमला एक दूसरे पर हमला करते समय सैलून मालिक सुनील, परमजीत और अजीत ने एक दूसरे को घायल कर दिया। इस मारपीट में तीनों बुरी तरह घायल हो गए। सुनील की कैंची लगने से परमजीत की हालत बिगड़ गई। उसे पीजीआई रोहतक में भर्ती कराया गया लेकिन वहां उसकी मौत हो गई। हत्या का आरोपी सुनील भी घायल है। पुलिस के मुताबिक इस मारपीट में मारे गए परमजीत के पिता की 5 साल पहले मौत हो चुकी है। परमजीत की 2 बहनें और एक भाई है। परमजीत खेतीबाड़ी करता था। उसकी अभी शादी नहीं हुई थी। पुलिस बोली- छुट्टी मिलने के बाद होगी गिरफ्तारी शिवाजी कॉलोनी थाना प्रभारी प्रदीप कुमार ने बताया कि आरोपी सुनील के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। आरोपी सुनील फिलहाल पीजीआई में भर्ती है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। छुट्टी मिलने के बाद आरोपी सुनील को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। फिलहाल पीजीआई में ही गार्ड तैनात कर दिया गया है।
हरियाणा में स्टोरकीपर की चाकू घोंपकर हत्या:ड्यूटी पर जाते समय घेरकर सीने पर खंजर से हमला किया, 2 बच्चों का पिता था मृतक
हरियाणा में स्टोरकीपर की चाकू घोंपकर हत्या:ड्यूटी पर जाते समय घेरकर सीने पर खंजर से हमला किया, 2 बच्चों का पिता था मृतक हरियाणा के रोहतक में स्टोरकीपर की चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई। जानकारी के अनुसार आरोपियों ने गांव में ही नहर विभाग के स्टोरकीपर का रास्ता रोक लिया। उसे घेरकर हमला कर दिया। मृतक की पहचान दिनेश (36 वर्षीय) के रूप में हुई है, जो 2 बच्चों का पिता था। चरखी दादरी जिले में नहर विभाग में उसे बेलदार से स्टोरकीपर के पद पर पदोन्नत किया गया था। मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। मृतक के भाई की शिकायत पर करीब 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। घर से अपने काम पर निकाला था
रोहतक के गांव निडाना निवासी प्रदीप ने बहु अकबरपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि वे तीन भाई-बहन हैं। उनका छोटा भाई दिनेश उम्र करीब 36 साल है, जो नहर विभाग में कार्यरत है और चरखी दादरी में तैनात है। 10 नवंबर को उसका भाई घर पर था। देर शाम उसका भाई दिनेश घर से अपने काम पर गया था। चाकू-खंजर से छाती पर हमला किया
प्रदीप ने बताया कि जब दिनेश गांव की हरिजन चौपाल से लौट रहा था, तो गांव के ही विष्णु, सज्जन, मुकेश, सोनू, सुनील, प्रदीप आदि ने उसका रास्ता रोक लिया। उन्होंने दिनेश को घेर लिया और चाकू व खंजर से छाती पर हमला कर दिया। शरीर के अन्य हिस्सों पर भी चोटें मारी। दिनेश के गंभीर रूप से घायल होने पर आरोपी हथियार लेकर मौके से फरार हो गए। रोहतक पीजीआई में तोड़ा दम
इसके बाद घायल को उपचार के लिए रोहतक पीजीआई में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रदीप ने बताया कि कुछ समय पहले आरोपियों के साथ उसका झगड़ा हुआ था। इसी झगड़े की रंजिश रखते हुए उन्होंने उसके भाई की हत्या कर दी। केस दर्ज, जांच में जुटी पुलिस
बहु अकबरपुर थाना एसएचओ प्रकाशचंद ने बताया कि दिनेश की हत्या के बाद उसके भाई प्रदीप का बयान दर्ज कर लिया गया है। जिसके आधार पर एक दर्जन लोगों के खिलाफ हत्या समेत विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है और आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक की जांच में पता चला है कि दोनों पक्षों में करीब एक साल पहले झगड़ा हुआ था और रंजिश के चलते यह हत्या हुई है। बहरहाल पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।
हरियाणा में क्यों एक्टिव हुआ हुड्डा खेमा:5 में से 4 विनिंग कैंडिडेट होने समेत 3 बड़ी वजहें; विधानसभा चुनाव टारगेट, SRK से सैलजा सक्रिय
हरियाणा में क्यों एक्टिव हुआ हुड्डा खेमा:5 में से 4 विनिंग कैंडिडेट होने समेत 3 बड़ी वजहें; विधानसभा चुनाव टारगेट, SRK से सैलजा सक्रिय हरियाणा में लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर जीत मिलने के बाद कांग्रेस का पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमा एक्टिव हो गया है। पूर्व CM हुड्डा ने 3 दिन तक रोहतक में रिव्यू मीटिंग के बाद गुट के सभी नेताओं को लेकर दिल्ली में डेरा डाल दिया है। उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान भी हैं। वह दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिलकर हरियाणा का फीडबैक दे रहे हैं। साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव की प्लानिंग भी कर रहे हैं। वहीं पार्टी के दूसरे खेमे रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी, कुमारी सैलजा (SRK) गुट में सन्नाटा पसरा हुआ है। सिरसा से कुमारी सैलजा बड़े मार्जिन से जीत कर सांसद बनी हैं, इसलिए अभी सिर्फ वह ही एक्टिव हैं। जीतने के बाद वह भी दिल्ली पहुंच गई हैं। अब पढ़िए हुड्डा कैंप के एक्टिव होने की 3 वजहें 5 में से 4 सीटों के विनिंग कैंडिडेट हुड्डा गुट के
इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में पूरी तरह से हुड्डा गुट का दबदबा रहा। जीते 5 कैंडिडेट में से 4 हुड्डा गुट के हैं। अब हुड्डा गुट पार्टी हाईकमान को ये दर्शाने में लगा हुआ है कि टिकट का बंटवारा सही हुआ है। इसी वजह से 0 से पांच पर पहुंचे। अब ये संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव में भी टिकट बंटवारे में हुड्डा गुट का पूरा दबदबा रहेगा। पार्टी के 18% बढ़े वोट शेयर को भुना रहे
हुड्डा कैंप के एक्टिव होने की दूसरी बड़ी वजह यह है कि इस चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के वोट शेयर में 18% की बढ़ोतरी हुई है। पार्टी को सूबे की 9 लोकसभा सीटों में 47.07 प्रतिशत वोट पड़े हैं, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले सिर्फ 28% वोट ही मिले थे। अब हुड्डा गुट के नेता हरियाणा में बढ़े वोट शेयर को भुनाने में लगे हैं। 5 लोकसभा की 45 विधानसभा सीटों पर नजर
तीसरी बड़ी वजह यह है कि हुड्डा गुट की हरियाणा की 5 लोकसभा की 45 विधानसभा सीटों पर नजर है। हिसार, सिरसा, रोहतक, सोनीपत और अंबाला में ज्यादातर सीटों पर वोटों में बढ़ोतरी दर्ज हुई है। कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां कांग्रेस को भाजपा से भी अच्छा वोट पड़े हैं। SRK गुट में क्यों पसरा है सन्नाटा
हुड्डा के विपरीत चलने वाला SRK गुट सन्नाटे में है। इसकी वजह यह है कि इस गुट के नेताओं को इस लोकसभा चुनाव में कुछ खास नहीं मिल पाया। किरण चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर अपनी बेटी के लिए टिकट मांग रही थी, लेकिन हाईकमान ने टिकट काटकर कांग्रेस विधायक राव दान सिंह को दे दी। इसके बाद उन पर चुनाव में दान सिंह के खिलाफ प्रचार करने के भी आरोप लगे हैं। दिल्ली में हुड्डा गुट इसको खूब भुना रहा है। हालांकि अभी इस मामले में हाईकमान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। वहीं रणदीप सुरजेवाला भी अभी शांत हैं। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन के कैंडिडेट डॉ सुशील गुप्ता को भी वह अपने गृह क्षेत्र कैथल से जीत नहीं दिला पाए। SRK गुट की सिर्फ सैलजा क्यों एक्टिव
लोकसभा चुनाव में सिरसा से बड़े मार्जिन से जीतने वाली कुमारी सैलजा ही अपने गुट में एक्टिव हैं। वह लगातार यह मैसेज दे रही हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की ये जीत विधानसभा तक जारी रहेगी। इसको लेकर उनके समर्थक लगातार पोस्टर भी जारी कर रहे हैं। वह भी लगातार इस संबंध में बयान दे रही हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि सैलजा की जीत से यह बात तो तय है कि आने वाले विधानसभा में हुड्डा गुट के लिए सैलजा राह को मुश्किल जरूर करेंगी।