बमबारी से पहले सायरन…डेढ़ मिनट मिलते हैं बचने के लिए:इजराइल से लौटे BHU के स्टूडेंट बोले- वहां लोग जॉब पर जाते हैं, युद्ध जैसे जिंदगी का हिस्सा

बमबारी से पहले सायरन…डेढ़ मिनट मिलते हैं बचने के लिए:इजराइल से लौटे BHU के स्टूडेंट बोले- वहां लोग जॉब पर जाते हैं, युद्ध जैसे जिंदगी का हिस्सा

‘इजराइल में रहने वाले लोगों के लिए युद्ध एक दिनचर्या जैसी बन गया है। वहां लोग जॉब पर जाते हैं। मॉल भी खुले हुए हैं। लेकिन सायरन बजने के बाद उन्हें डेढ़ मिनट का वक्त मिलता है, खुद को बचाने का। वहां की सरकार ने मोबाइल में एक ऐप डाउनलोड कराया है।’ इजराइल में चल रहे युद्ध के बीच जिंदगी लोग कैसे जी रहे हैं। वहां से लौटकर आए BHU के शोध छात्र प्रज्जवल प्रताप सिंह ने इस बारे में बताया। कहा- जो लोग भारत से इजराइल गए हैं, वह यह सब देखकर डरते हैं। उनके परिवार, जो भारत में हैं, उनको चिंता होती है। मगर सच पूछिए, वहां यह सब जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। पढ़िए रिपोर्ट… BHU के शोध छात्र प्रज्ज्वल प्रताप सिंह 22 जुलाई, 2024 को इजराइल में तेल अवीव यूनिवर्सिटी पोस्ट फेलोशिप के लिए गए थे। उन्होंने बताया- वहां जिंदगी युद्ध के बीच सामान्य चल रही है। लोग अपने दिन के काम-काज वैसे ही निपटाते दिखते हैं, जैसे सामान्य दिन में करते थे।
इतना जरूर है कि बम गिरने से पहले 1 किमी दायरे में रेड अलर्ट आने लगता था, जोर-जोर से सायरन बजता था। इसलिए हमने अपने यूनिवर्सिटी में वर्क फार्म होम के लिए अप्लाई किया। वहां के प्रोफेसर ने अप्रूव कर दिया और मैं भारत चला आया। यूनिवर्सिटी में दी जा रही सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग
उन्होंने बताया – इजराइल में पढ़ने वाले अन्य देशों के छात्रों को किस तरह से बचाव करना है, इसके बारे में भी बताया जाता है। जिससे सायरन सुनते ही अपने आप को बचा सके। अगर आप कहीं इमारत के पास हो तो सेफ रूम की तरफ भागे या फिर अपने सिर को पकड़ के वहीं बैठ जाएं। ऐप से मिल जाती है अटैक की जानकारी
प्रज्ज्वल प्रताप सिंह ने हमें एप दिखाया। उन्होंने बताया- ऐप में जो लोकेशन डाली जाती है, अगर उसके 1 किलोमीटर के दायरे में कहीं भी बम गिरने वाला होता है, तो उसमें एक सायरन की आवाज आती है। यह आवाज बम गिरने के डेढ़ मिनट पहले आती है। इस को सुनने के बाद लोग अपने आस-पास बने सेफ हाउस की तरफ दौड़ के पहुंच जाते हैं। सामान्य चल रहा है इजराइल का मार्केट
प्रज्जवल ने बताया – इजराइल में सब कुछ सामान्य चल रहा है। वहां के जो नागरिक हैं, उन्हें इसकी आदत सी हो गई है। इजराइल में सभी को ट्रेनिंग लेना जरूरी है। इसलिए वह लोग वेल ट्रेंड आर्मी होते हैं। वहां के लोग दिमाग से काफी संतुलित रहते हैं, पैनिक नहीं होते हैं। उन्होंने कहा – सायरन के 10 मिनट तक हमें सेफ हाउस में रुकना होता था उसके बाद वहां का दिनचर्या सामान्य हो जाता था। इजराइल में कभी कर्फ्यू जैसा माहौल नहीं दिखाई दिया। हम भारतीयों को वहां के स्थिति से डर लगता था
प्रज्जवल ने बताया – हम लोग भारत से गए थे। हमने कभी ऐसी सिचुएशन नहीं देखी थी, इसलिए अंदर से थोड़ा डर लगता था। वहां पर भारत के काफी ज्यादा लोग काम करते हैं, हमने कभी ज्यादा बात नहीं की, लेकिन कुछ लोगों से हमारी मुलाकात हुई ज्यादातर तो हमारे यूनिवर्सिटी में ही लोग भारत से पहुंचे हुए थे। उन्होंने कहा कि वहां जो मेट्रो लाइन बन रही है, उसमें भारत के मजदूर भी काम करते हैं। यह भी पढ़िए… ‘सुंदर लड़कियां यहां रहें, बाकी BA-BSc कर लें’:मेरठ में छात्राओं से बोले पॉलिटेक्निक कॉलेज के HOD; अखिलेश बोले- युवा कहे, नहीं चाहिए भाजपा ‘मैं बिहार से यहां इंजीनियर बनने आई थी। मेरे पिताजी बचपन में गुजर गए, घर पर दो छोटे भाई और मां हैं। थोड़ी-सी खेती है, उससे हमारा गुजारा चलता है। इंजीनियर बनने के लिए मैंने दिन-रात मेहनत की। पॉलिटेक्निक एग्जाम पास कर इस सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया। पढ़िए पूरी खबर… ‘इजराइल में रहने वाले लोगों के लिए युद्ध एक दिनचर्या जैसी बन गया है। वहां लोग जॉब पर जाते हैं। मॉल भी खुले हुए हैं। लेकिन सायरन बजने के बाद उन्हें डेढ़ मिनट का वक्त मिलता है, खुद को बचाने का। वहां की सरकार ने मोबाइल में एक ऐप डाउनलोड कराया है।’ इजराइल में चल रहे युद्ध के बीच जिंदगी लोग कैसे जी रहे हैं। वहां से लौटकर आए BHU के शोध छात्र प्रज्जवल प्रताप सिंह ने इस बारे में बताया। कहा- जो लोग भारत से इजराइल गए हैं, वह यह सब देखकर डरते हैं। उनके परिवार, जो भारत में हैं, उनको चिंता होती है। मगर सच पूछिए, वहां यह सब जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। पढ़िए रिपोर्ट… BHU के शोध छात्र प्रज्ज्वल प्रताप सिंह 22 जुलाई, 2024 को इजराइल में तेल अवीव यूनिवर्सिटी पोस्ट फेलोशिप के लिए गए थे। उन्होंने बताया- वहां जिंदगी युद्ध के बीच सामान्य चल रही है। लोग अपने दिन के काम-काज वैसे ही निपटाते दिखते हैं, जैसे सामान्य दिन में करते थे।
इतना जरूर है कि बम गिरने से पहले 1 किमी दायरे में रेड अलर्ट आने लगता था, जोर-जोर से सायरन बजता था। इसलिए हमने अपने यूनिवर्सिटी में वर्क फार्म होम के लिए अप्लाई किया। वहां के प्रोफेसर ने अप्रूव कर दिया और मैं भारत चला आया। यूनिवर्सिटी में दी जा रही सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग
उन्होंने बताया – इजराइल में पढ़ने वाले अन्य देशों के छात्रों को किस तरह से बचाव करना है, इसके बारे में भी बताया जाता है। जिससे सायरन सुनते ही अपने आप को बचा सके। अगर आप कहीं इमारत के पास हो तो सेफ रूम की तरफ भागे या फिर अपने सिर को पकड़ के वहीं बैठ जाएं। ऐप से मिल जाती है अटैक की जानकारी
प्रज्ज्वल प्रताप सिंह ने हमें एप दिखाया। उन्होंने बताया- ऐप में जो लोकेशन डाली जाती है, अगर उसके 1 किलोमीटर के दायरे में कहीं भी बम गिरने वाला होता है, तो उसमें एक सायरन की आवाज आती है। यह आवाज बम गिरने के डेढ़ मिनट पहले आती है। इस को सुनने के बाद लोग अपने आस-पास बने सेफ हाउस की तरफ दौड़ के पहुंच जाते हैं। सामान्य चल रहा है इजराइल का मार्केट
प्रज्जवल ने बताया – इजराइल में सब कुछ सामान्य चल रहा है। वहां के जो नागरिक हैं, उन्हें इसकी आदत सी हो गई है। इजराइल में सभी को ट्रेनिंग लेना जरूरी है। इसलिए वह लोग वेल ट्रेंड आर्मी होते हैं। वहां के लोग दिमाग से काफी संतुलित रहते हैं, पैनिक नहीं होते हैं। उन्होंने कहा – सायरन के 10 मिनट तक हमें सेफ हाउस में रुकना होता था उसके बाद वहां का दिनचर्या सामान्य हो जाता था। इजराइल में कभी कर्फ्यू जैसा माहौल नहीं दिखाई दिया। हम भारतीयों को वहां के स्थिति से डर लगता था
प्रज्जवल ने बताया – हम लोग भारत से गए थे। हमने कभी ऐसी सिचुएशन नहीं देखी थी, इसलिए अंदर से थोड़ा डर लगता था। वहां पर भारत के काफी ज्यादा लोग काम करते हैं, हमने कभी ज्यादा बात नहीं की, लेकिन कुछ लोगों से हमारी मुलाकात हुई ज्यादातर तो हमारे यूनिवर्सिटी में ही लोग भारत से पहुंचे हुए थे। उन्होंने कहा कि वहां जो मेट्रो लाइन बन रही है, उसमें भारत के मजदूर भी काम करते हैं। यह भी पढ़िए… ‘सुंदर लड़कियां यहां रहें, बाकी BA-BSc कर लें’:मेरठ में छात्राओं से बोले पॉलिटेक्निक कॉलेज के HOD; अखिलेश बोले- युवा कहे, नहीं चाहिए भाजपा ‘मैं बिहार से यहां इंजीनियर बनने आई थी। मेरे पिताजी बचपन में गुजर गए, घर पर दो छोटे भाई और मां हैं। थोड़ी-सी खेती है, उससे हमारा गुजारा चलता है। इंजीनियर बनने के लिए मैंने दिन-रात मेहनत की। पॉलिटेक्निक एग्जाम पास कर इस सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर