‘घर के इस कमरे में बेटी सबसे ज्यादा वक्त बिताती थी। स्कूल से आने के बाद यहीं खेलती। वो देख रहे हैं न…, उसका बैग टंगा है खूंटी पर। बेटी के मरने के बाद इसे छूने की हिम्मत कोई जुटा नहीं पाया। मैं सोचकर कांप जाती हूं। कैसी दरिंदगी कर डाली…। चेहरा ऐसा कुचला कि आखिरी बार अपनी बेटी को देख तक नहीं पाई।’ ये कहते हुए मां रोने लगती हैं…। कुछ देर के लिए कमरे में सन्नाटा रहा। हमने पूछा- बेटी महज 10 साल की थी। रेप हुआ। हत्या कर दी गई। अब आप किस तरह लड़ाई लड़ेंगे? मां कहती हैं- कानून पर भरोसा है, हत्यारों को खोजकर पुलिस एनकाउंटर करेगी। इतना कहने के बाद फिर एक दीवार की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, वो उसकी स्कूल ड्रेस हैं। उसके पापा बीमार रहते हैं, उनकी तकलीफ देखकर कहती थी कि डॉक्टर बनेगी। हम लोग उसकी मासूम बातों पर हंस देते थे। नहीं पता था कि बेटी हमें छोड़ जाएगी। जिस तरह से मेरी बच्ची को मारा गया है, उसी तरह उन दरिंदों को भी मारा जाना चाहिए। खबर में आगे बढ़ने से पहले 3 अक्टूबर को क्या हुआ, ये पढ़िए…
प्रयागराज में 3 अक्टूबर को 10 साल की बच्ची की हत्या कर दी गई। 16 घंटे से वह लापता थी। अगले दिन शुक्रवार यानी 4 अक्टूबर की सुबह 10 बजे घर से 200 मीटर दूर धान के खेत में शव मिला। शरीर पर कपड़े नहीं थे। गांव वालों ने रेप के बाद हत्या की आशंका जताई, जिसकी पुष्टि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी हुई। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए हैं। पुलिस ने CCTV देखे, मगर कोई संदिग्ध व्यक्ति नहीं दिखा। घटना के बाद दैनिक भास्कर टीम बच्ची के घर पहुंची। घर के पास आते ही हमें एहसास हो गया कि परिवार आर्थिक रूप से बहुत कमजोर है। प्रधानमंत्री आवास योजना से बने कमरे में उनकी दुनिया बसी हुई थी। आते वक्त रास्ते में इस घर से करीब 500 मीटर दूर हमें एक स्कूल दिखा था। बताया गया कि इसी में बच्ची पढ़ती थी। मां की जुबानी घटनाक्रम समझिए… पापा का इंजेक्शन फ्रिज में रखवाने गई थी, फिर नहीं लौटी
मां ने कहा- मेरे पति की कूल्हे की हड्डी टूटी हुई है, डेढ़ साल पहले हादसा हो गया था। 2 बार ऑपरेशन हो चुका है। मगर, अभी तक बिस्तर से उठ नहीं पाते हैं। हर दिन इंजेक्शन लगते हैं। उस दिन भी मैं अपनी बेटी को लेकर बाजार गई थी। इंजेक्शन जरूरी था, इसलिए बेटी के हाथ भिजवा दिया। मैंने बेटी से कहा था कि तुम इंजेक्शन लेकर पापा के पास चलो, मैं सब्जी लेकर आती हूं। वह खेत के रास्ते सीधे घर पहुंची। पापा को इंजेक्शन लगवाने के बाद बचे हुई सिरिंज लेकर वह फिर बाजार की तरफ लौट पड़ी। क्योंकि हमारे घर में फ्रिज नहीं है। बचे हुए इंजेक्शन को फ्रिज में ही रखना था। रास्ते में स्कूल के पास बेटी हमसे मिली, तब हमने कहा- इंजेक्शन रखकर जल्दी घर आ जाओ। यह कहकर मैं घर लौट आई, मगर वह उस रात घर नहीं आई। हम घबराए हुए रात में वहां पहुंचे, जहां इंजेक्शन रखवाने वो गई थी। हमें बताया गया कि वह तो तुरंत ही लौट गई। हम समझ गए कि कुछ तो अनहोनी हुई है। सुबह खेत में मिली, उसे देखकर दिल दहल गया
इसके बाद हम लोग खेतों में बेटी को खोजते रहे। सुबह घर से कुछ ही दूर पर धान के खेत में कुछ लोग खड़े दिखे। हम वहां पहुंचे। दिल दहल गया। मेरी बच्ची के चेहरे को ईंट से इतना कुचला गया था कि उसका चेहरा देखने लायक नहीं बचा था। दांत तक तोड़ दिए गए थे, सिर में बहुत चोटें थीं। वो मंजर मेरी आंखों के सामने से हटता नहीं। लोग बोले – बच्चे डरे हुए हैं, गांव में अजीब सा सन्नाटा रहता है
अब हमने गांव के लोगों की तरफ रुख किया। गांव में रहने वाले एक शख्स हमें घर से बाजार की तरफ जाने वाले रास्ते पर मिले। हमने पूछा – उस दिन क्या हुआ था? उन्होंने कहा – मीडिया से हैं। हमने हां में जवाब दिया। वह बोले- बहुत गलत हुआ। गांव के बच्चों में इतनी दहशत है कि कोई घर से बाहर नहीं आता है। गांव में अजीब सा सन्नाटा पसरा रहता है। सच पूछिए, बच्ची के कातिल पकड़े जाएं, ये पूरा गांव चाहता है। यह सब समझते हुए हम आगे बढ़े। एक और व्यक्ति खेत पर काम करते हुए दिखे। उन्होंने कहा- मैं बच्ची की लाश मिलने के बाद वहां गया था। खेत पर जो कुछ देखा, उसके बाद रात में नींद नहीं आई। मेरा पूरा परिवार घबराया हुआ था। ये किसी सामान्य आदमी का काम नहीं हो सकता। विरोध करने पर बच्ची के हाथ तक तोड़ डाले
मासूम बच्ची की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दरिंदगी सामने आई। पूरे शरीर में 7 गंभीर चोट मिलीं। उसके दोनों हाथ तोड़ दिए गए थे। उससे पता चलता है कि उसने हत्यारों का विरोध किया था। मगर, हत्यारों ने उसके हाथ ही तोड़ दए। उसे जमीन पर पटका भी गया। उसके कान के नीचे चोटें मिलीं। मामी बोलीं- मेरे पास ही रहती थी
बच्ची 5 भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर थी। वह अपने मां-बाप, भाई-बहनों के साथ ननिहाल में रहती थी। गांव के लोगों को मामा-नाना कहकर बुलाती थी। मामी ने बताया- वह अपनी मां से ज्यादा मेरे पास रहती थी। चंचल स्वभाव की थी। सबसे घुल-मिल जाती थी। दरअसल, उस बेटी के पिता सिल-बट्टे का काम करते थे, लेकिन अब वह एक्सीडेंट के बाद से बिस्तर पर ही पड़े हैं। DCP बोले- 100 मोबाइल नंबर सर्विलांस पर, 7 हिरासत में
DCP गंगानगर कुलदीप गुड़ावत ने कहा- केस में 100 से ज्यादा लोगों के नंबर सर्विलांस पर रखे गए हैं। 7 संदिग्ध हमारी हिरासत में हैं। पूछताछ जारी है। चप्पल वाला क्लू भी अहम है। मगर, जो लोग पकड़े गए हैं, उनके बयानों में थोड़ा विरोधाभास सामने आया है। जल्दी ही हम कातिल तक पहुंच जाएंगे। यह भी पढ़िए… ‘सुंदर लड़कियां यहां रहें, बाकी BA-BSc कर लें’:मेरठ में छात्राओं से बोले पॉलिटेक्निक कॉलेज के HOD; अखिलेश बोले- युवा कहे, नहीं चाहिए भाजपा ‘मैं बिहार से यहां इंजीनियर बनने आई थी। मेरे पिताजी बचपन में गुजर गए, घर पर दो छोटे भाई और मां हैं। थोड़ी-सी खेती है, उससे हमारा गुजारा चलता है। इंजीनियर बनने के लिए मैंने दिन-रात मेहनत की। पॉलिटेक्निक एग्जाम पास कर इस सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया। पढ़िए पूरी खबर… ‘घर के इस कमरे में बेटी सबसे ज्यादा वक्त बिताती थी। स्कूल से आने के बाद यहीं खेलती। वो देख रहे हैं न…, उसका बैग टंगा है खूंटी पर। बेटी के मरने के बाद इसे छूने की हिम्मत कोई जुटा नहीं पाया। मैं सोचकर कांप जाती हूं। कैसी दरिंदगी कर डाली…। चेहरा ऐसा कुचला कि आखिरी बार अपनी बेटी को देख तक नहीं पाई।’ ये कहते हुए मां रोने लगती हैं…। कुछ देर के लिए कमरे में सन्नाटा रहा। हमने पूछा- बेटी महज 10 साल की थी। रेप हुआ। हत्या कर दी गई। अब आप किस तरह लड़ाई लड़ेंगे? मां कहती हैं- कानून पर भरोसा है, हत्यारों को खोजकर पुलिस एनकाउंटर करेगी। इतना कहने के बाद फिर एक दीवार की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, वो उसकी स्कूल ड्रेस हैं। उसके पापा बीमार रहते हैं, उनकी तकलीफ देखकर कहती थी कि डॉक्टर बनेगी। हम लोग उसकी मासूम बातों पर हंस देते थे। नहीं पता था कि बेटी हमें छोड़ जाएगी। जिस तरह से मेरी बच्ची को मारा गया है, उसी तरह उन दरिंदों को भी मारा जाना चाहिए। खबर में आगे बढ़ने से पहले 3 अक्टूबर को क्या हुआ, ये पढ़िए…
प्रयागराज में 3 अक्टूबर को 10 साल की बच्ची की हत्या कर दी गई। 16 घंटे से वह लापता थी। अगले दिन शुक्रवार यानी 4 अक्टूबर की सुबह 10 बजे घर से 200 मीटर दूर धान के खेत में शव मिला। शरीर पर कपड़े नहीं थे। गांव वालों ने रेप के बाद हत्या की आशंका जताई, जिसकी पुष्टि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी हुई। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए हैं। पुलिस ने CCTV देखे, मगर कोई संदिग्ध व्यक्ति नहीं दिखा। घटना के बाद दैनिक भास्कर टीम बच्ची के घर पहुंची। घर के पास आते ही हमें एहसास हो गया कि परिवार आर्थिक रूप से बहुत कमजोर है। प्रधानमंत्री आवास योजना से बने कमरे में उनकी दुनिया बसी हुई थी। आते वक्त रास्ते में इस घर से करीब 500 मीटर दूर हमें एक स्कूल दिखा था। बताया गया कि इसी में बच्ची पढ़ती थी। मां की जुबानी घटनाक्रम समझिए… पापा का इंजेक्शन फ्रिज में रखवाने गई थी, फिर नहीं लौटी
मां ने कहा- मेरे पति की कूल्हे की हड्डी टूटी हुई है, डेढ़ साल पहले हादसा हो गया था। 2 बार ऑपरेशन हो चुका है। मगर, अभी तक बिस्तर से उठ नहीं पाते हैं। हर दिन इंजेक्शन लगते हैं। उस दिन भी मैं अपनी बेटी को लेकर बाजार गई थी। इंजेक्शन जरूरी था, इसलिए बेटी के हाथ भिजवा दिया। मैंने बेटी से कहा था कि तुम इंजेक्शन लेकर पापा के पास चलो, मैं सब्जी लेकर आती हूं। वह खेत के रास्ते सीधे घर पहुंची। पापा को इंजेक्शन लगवाने के बाद बचे हुई सिरिंज लेकर वह फिर बाजार की तरफ लौट पड़ी। क्योंकि हमारे घर में फ्रिज नहीं है। बचे हुए इंजेक्शन को फ्रिज में ही रखना था। रास्ते में स्कूल के पास बेटी हमसे मिली, तब हमने कहा- इंजेक्शन रखकर जल्दी घर आ जाओ। यह कहकर मैं घर लौट आई, मगर वह उस रात घर नहीं आई। हम घबराए हुए रात में वहां पहुंचे, जहां इंजेक्शन रखवाने वो गई थी। हमें बताया गया कि वह तो तुरंत ही लौट गई। हम समझ गए कि कुछ तो अनहोनी हुई है। सुबह खेत में मिली, उसे देखकर दिल दहल गया
इसके बाद हम लोग खेतों में बेटी को खोजते रहे। सुबह घर से कुछ ही दूर पर धान के खेत में कुछ लोग खड़े दिखे। हम वहां पहुंचे। दिल दहल गया। मेरी बच्ची के चेहरे को ईंट से इतना कुचला गया था कि उसका चेहरा देखने लायक नहीं बचा था। दांत तक तोड़ दिए गए थे, सिर में बहुत चोटें थीं। वो मंजर मेरी आंखों के सामने से हटता नहीं। लोग बोले – बच्चे डरे हुए हैं, गांव में अजीब सा सन्नाटा रहता है
अब हमने गांव के लोगों की तरफ रुख किया। गांव में रहने वाले एक शख्स हमें घर से बाजार की तरफ जाने वाले रास्ते पर मिले। हमने पूछा – उस दिन क्या हुआ था? उन्होंने कहा – मीडिया से हैं। हमने हां में जवाब दिया। वह बोले- बहुत गलत हुआ। गांव के बच्चों में इतनी दहशत है कि कोई घर से बाहर नहीं आता है। गांव में अजीब सा सन्नाटा पसरा रहता है। सच पूछिए, बच्ची के कातिल पकड़े जाएं, ये पूरा गांव चाहता है। यह सब समझते हुए हम आगे बढ़े। एक और व्यक्ति खेत पर काम करते हुए दिखे। उन्होंने कहा- मैं बच्ची की लाश मिलने के बाद वहां गया था। खेत पर जो कुछ देखा, उसके बाद रात में नींद नहीं आई। मेरा पूरा परिवार घबराया हुआ था। ये किसी सामान्य आदमी का काम नहीं हो सकता। विरोध करने पर बच्ची के हाथ तक तोड़ डाले
मासूम बच्ची की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दरिंदगी सामने आई। पूरे शरीर में 7 गंभीर चोट मिलीं। उसके दोनों हाथ तोड़ दिए गए थे। उससे पता चलता है कि उसने हत्यारों का विरोध किया था। मगर, हत्यारों ने उसके हाथ ही तोड़ दए। उसे जमीन पर पटका भी गया। उसके कान के नीचे चोटें मिलीं। मामी बोलीं- मेरे पास ही रहती थी
बच्ची 5 भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर थी। वह अपने मां-बाप, भाई-बहनों के साथ ननिहाल में रहती थी। गांव के लोगों को मामा-नाना कहकर बुलाती थी। मामी ने बताया- वह अपनी मां से ज्यादा मेरे पास रहती थी। चंचल स्वभाव की थी। सबसे घुल-मिल जाती थी। दरअसल, उस बेटी के पिता सिल-बट्टे का काम करते थे, लेकिन अब वह एक्सीडेंट के बाद से बिस्तर पर ही पड़े हैं। DCP बोले- 100 मोबाइल नंबर सर्विलांस पर, 7 हिरासत में
DCP गंगानगर कुलदीप गुड़ावत ने कहा- केस में 100 से ज्यादा लोगों के नंबर सर्विलांस पर रखे गए हैं। 7 संदिग्ध हमारी हिरासत में हैं। पूछताछ जारी है। चप्पल वाला क्लू भी अहम है। मगर, जो लोग पकड़े गए हैं, उनके बयानों में थोड़ा विरोधाभास सामने आया है। जल्दी ही हम कातिल तक पहुंच जाएंगे। यह भी पढ़िए… ‘सुंदर लड़कियां यहां रहें, बाकी BA-BSc कर लें’:मेरठ में छात्राओं से बोले पॉलिटेक्निक कॉलेज के HOD; अखिलेश बोले- युवा कहे, नहीं चाहिए भाजपा ‘मैं बिहार से यहां इंजीनियर बनने आई थी। मेरे पिताजी बचपन में गुजर गए, घर पर दो छोटे भाई और मां हैं। थोड़ी-सी खेती है, उससे हमारा गुजारा चलता है। इंजीनियर बनने के लिए मैंने दिन-रात मेहनत की। पॉलिटेक्निक एग्जाम पास कर इस सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर