IPS मो.मुश्ताक ने ट्रेन से कारतूस सप्लाई का नेक्सस तोड़ा:दुकान पर कपड़े-राशन बेचा; 600 बिछड़े बच्चों को परिवार से मिलवाया

IPS मो.मुश्ताक ने ट्रेन से कारतूस सप्लाई का नेक्सस तोड़ा:दुकान पर कपड़े-राशन बेचा; 600 बिछड़े बच्चों को परिवार से मिलवाया

‘बचपन में मेरे अंदर खाकी वर्दी का खौफ था। घर से सिर्फ डेढ़ Km दूर पुलिस थाना था। बड़ा हुआ तो भी उसके सामने से निकलने से बचता था। इसी डर को खत्म करने के लिए IPS बनने की ठान ली।’ यह कहना है IPS मोहम्मद मुश्ताक का। 2016 बैच के अफसर मोहम्मद मुश्ताक इस वक्त ललितपुर में SP हैं। मोहम्मद मुश्ताक के IPS बनने के पीछे दिलचस्प कहानी है। 4 सरकारी नौकरी छोड़ने वाले मुश्ताक गुजरात में 3 साल तक डिप्टी कमिश्नर भी रहे। गांव में पिता-भाई के साथ मिलकर कपड़ा-राशन भी बेचा। UP में 14 एनकाउंटर करने वाले मुश्ताक ने 8 साल की सर्विस में बड़े-बड़े गैंग की कमर तोड़ दी। SP जीआरपी रहते हुए ट्रेन से देशभर में कारतूस सप्लाई का बड़ा रैकेट पकड़ा। नकली करेंसी का नेटवर्क तोड़ने के लिए खुद रेकी की। 9 राज्यों के 600 बच्चों को ऑपरेशन मुस्कान के जरिए घर तक पहुंचाया। दैनिक भास्कर की खास सीरीज खाकी वर्दी में IPS मोहम्मद मुश्ताक की कहानी 6 चैप्टर में पढ़िए… बिहार के छपरा जिले में जनता बाजार गांव पड़ता है। यहां के रहने वाले मोहम्मद जहरुद्दीन की गांव में कपड़े की दुकान थी, 5 जून, 1988 को घर पर बेटे ने जन्म लिया। मां तजमुल निशां ने नाम रखा मुश्ताक। मोहम्मद मुश्ताक बताते हैं कि घर से करीब 300 मीटर दूर सरकारी स्कूल था। इसी स्कूल में वह अपने भाई और पड़ोस के बच्चों के साथ पैदल पढ़ाई करने जाते थे। स्कूल में जमीन पर बैठकर पढ़ते थे। कई बार बैठने के लिए घर से भी बोरा साथ ले जाना पड़ता। कक्षा 7 में बेंच पर बैठकर पढ़ने का मौका मिला। जनता बाजार के श्रीढोरनाथ उच्च विद्यालय लहलातपुर से 2003 में 10वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी (79.6%) में पास की। बिहार बोर्ड से हिंदी मीडियम की पढ़ाई करते हुए उन्होंने न सिर्फ स्कूल टॉप किया, बल्कि जिले के दूसरे नंबर के टॉपर बने। साल 2005 में लोक महाविद्यालय इंटर कॉलेज हाफिजपुर से प्रथम श्रेणी में 12 वीं पास की। उसके बाद 2008 में पटना विश्वविद्यालय से बीए की पढ़ाई की। मोहम्मद मुश्ताक के पिता की कपड़े की दुकान के साथ ही राशन गल्ले का भी काम था। जब भी पिता या भाई किसी काम से बाहर जाते तो वह खुद दुकान पर बैठते। दिन में कपड़ा बेचते, रात में 5-6 घंटे पढ़ाई करते। मुश्ताक बताते हैं कि करीब 30 साथी एयरफोर्स, आर्मी और पुलिस में भर्ती में चले गए। मैंने 17-18 साल की उम्र में सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू कर दी। पहले मैं एयरफोर्स में भर्ती होना चाहता था। बड़े भाई मुजीबुल रहमान एयरफोर्स में भर्ती हो चुके थे, इसलिए मैंने पिता व भाई से कहा कि मुझे अब एयरफोर्स में नहीं जाना। इसके बाद पढ़ाई करने पटना आ गया। यहां से दिल्ली में सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी 2011 में बिहार PCS में सिलेक्शन हुआ। लेकिन नौकरी ठुकरा दी। इसी साल SSB में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हुआ। यह नौकरी भी छोड़ दी। पिता और परिवार से कहते थे कि मैं IPS बनकर ही रहूंगा। इसी दौरान तीसरी नौकरी आरपीएफ में मिली। साल 2013 में UPSC क्रेक कर वह IRS अधिकारी बने। 2013 से लेकर 2016 तक वह गुजरात के राजकोट में डिप्टी कमिश्नर रहे। यहां वह दिन में ड्यूटी करते और रात में सिविल सर्विस की तैयारी करते। साल 2016 में मुश्ताक IPS बन गए। जब अपने घर बिहार पहुंचे तो ढोल-बाजे के साथ गांव में फूल-मालाएं पहनाकर स्वागत हुआ। मुश्ताक अहमद बताते हैं कि IPS की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद झांसी में ASP के तौर पर पहली पोस्टिंग मिली। यहां क्राइम की छोटी-छोटी घटनाओं पर जाना शुरू किया। साइबर क्राइम और मर्डर जैसे केस सॉल्व करने के लिए काम शुरू किया। 2019 में वाराणसी में दूसरी पोस्टिंग हुई। कैंट सर्किल में सीओ की जिम्मेदारी मिली। प्रभाकर चौधरी वाराणसी के SSP थे। उनके साथ रात में साइकिल चलाकर गलियों में भ्रमण किया जाता था। हर थाने में पुलिस की जांच गोपनीय ढंग से की गई। इसी साल वाराणसी मंडल PAC वाहनियों में जवानों की भर्ती चल रही थी। मेडिकल में अनफिट बताकर बाहर किए जाने वाले अभ्यर्थियों का री- मेडिकल होता है। पुलिस को री- मेडिकल के नाम पर अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेने की सूचना मिली मुश्ताक बताते हैं कि इस नेटवर्क को तोड़ने की जिम्मेदारी मुझे मिली। मैं नया था, तो सभी डॉक्टर और अन्य लोग जानते भी नहीं थे। पता चला कि अभ्यर्थियों को पास करने के नाम पर 7 लाख रुपए का ठेका लिया जा रहा था। एक अनफिट अभ्यर्थी की पूरी जानकारी ली, उसकी जगह मुश्ताक खुद पहुंच गए। जब डॉक्टर और दूसरे कर्मचारियों से लेनदेन की बात शुरू की तो डॉक्टर ने कहा कि हमार नंबर लीजिए, बाद में बात करिएगा। इससे यह साफ हो गया कि इस गैंग को सीनियर डॉक्टर ही ऑपरेट कर रहे हैं। जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों की भूमिका भी मिली। डॉ. शिवेश व मंडलीय अस्पताल में पर्दाफाश हुआ। इस गैंग में 9 डॉक्टर समेत 18 लोगों को जेल भेजा गया, जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे। मुश्ताक बताते हैं कि मुख्तार गैंग पर पहली बार वाराणसी से ही शिकंजा कसना शुरू हुआ। साल 2019 में मुख्तार की बेनामी संपत्ति की जांच कर सरकारी रिकॉर्ड में अटैच करना शुरू किया। मुख्तार गैंग पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की। पहली बार कुर्की कराई। जमीन और दूसरे मामलों में 20 से ज्यादा माफिया जेल भेजे गए। 100- 100 करोड़ की ठगी करने वाले सरगनाओं को जेल भेजा गया। मुश्ताक बताते हैं कि 2020 में आगरा सेक्टर में तैनाती मिली। 3 साल तक जीआरपी में एसपी रहे। यहां से ‘ऑपरेशन मुस्कान’ शुरू किया। परिवार से बिछड़े छोटे बच्चों की तलाश के लिए अभियान चलाया गया। इससे पहले एसएसपी गाजियाबाद में इसी तरह ‘ऑपरेशन स्माइल’ भी सफल रहा था। ऑपरेशन मुस्कान में 9 पुलिसकर्मियों की टीम तैयार की। जहां सभी सिविल पुलिस, रेलवे पुलिस व जीआरपी से मदद ली गई। पता लगाया गया कि गुम हुए बच्चों की कितनी रिपोर्ट दर्ज हैं। इन परिवारों से बातचीत शुरू की। हर पुलिसकर्मी को महीने में टारगेट फिक्स किया गया। एक महीने में हमने पहले 100 बच्चों को तलाश किया। पूरे अभियान में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, बिहार व वेस्ट बंगाल के 600 बच्चों को परिवार तक पहुंचाया गया। मोहम्मद मुश्ताक बताते हैं कि 2022 में एसपी जीआरपी रहते हुए नकली नोट की कालाबाजारी का इनपुट मिला। जिसके मुताबिक, मथुरा-वाराणसी में 500 और 2000 के नोट मार्केट तक पहुंचाने की बात सामने आई। इस गैंग में सबसे पहले मुकेश उर्फ रौनक नाम के युवक को अरेस्ट किया गया। जिसके पास से 21 हजार रुपए की नकली करेंसी बरामद हुई। ये सभी पांच सौ रुपए के नकली नोट छाप रहे थे। पूछताछ में वाराणसी के बड़े अड्‌डे की जानकारी मिली। इस गैंग से 1.5 लाख की नकली करेंसी बरामद की। जांच में पता चला कि नकली नोटों के लिए कागज चीन से मंगाया गया। 10 राज्यों में इसकी छपाई की पूरी तैयारी हो चुकी थी। नकली नोट बनाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली सामग्री ऑनलाइन आयात की गई थी। नोट छापने वाली मशीन, सामग्री, प्रिंटर, स्याही, पंचिंग मशीन भी बरामद किए गए। इस गैंग के 15 लोगों को जेल भेजा गया। मुखबिर से सूचना मिली की यूपी से बिहार व दूसरे राज्यों में अवैध कारतूस सप्लाई किए जा रहे हैं। यह गैंग ट्रेन के जरिए कारतूस पहुंचा रहा था। पुलिस के काफी वर्कआउट के बाद भी एक महीने तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा। पुलिस ने पता लगाया कि बिहार में किन स्टेशनों पर यूपी से सामान पहुंचाया जाता है। हमें पता चला कि जनरल व दिव्यांग डिब्बों में दिव्यांग लोग इसके लिए हायर किए गए हैं। यूपी के मेरठ स्टेशन से काम करना शुरू किया। जहां दिव्यांग लोगों को बैग व गठरी दे दी गईं, उसके बाद यात्री बनकर इनकी रेकी की। मोहम्मद मुश्ताक बताते हैं कि फिरोजाबाद में 28 KG कारतूस एक साथ बरामद किए गए। इनकी संख्या हजारों में थी। इसके बाद अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गई। यह गैंग कारतूस बिहार तक पहुंचा रहा था। फिर प्रतापगढ़ में भी जीआरपी ने भारी संख्या में अवैध कारतूस बरामद किए। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने 1 लाख रुपए के इनाम से सम्मानित किया। जीआरपी में रहते ही 1996 में हुए जीआरपी इंस्पेक्टर रामनिवास मर्डर केस में मुख्य आरोपी अनुपम दुबे को अरेस्ट कराया। कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। इस कुख्यात पर 65 मुकदमे थे, इसका दूसरा साथी एनकाउंटर में पहले मारा जा चुका था। आरोपी ने मर्डर की फाइल ही गायब करवा दी थी। मोहम्मद मुश्ताक 21 जुलाई, 2023 से ललितपुर जिले के SP हैं। अगस्त, 2023 में बार थाना क्षेत्र के गांव बम्हौरी सहना के पूर्व प्रधान शंकर राजपूत की हत्या हो गई थी। पूर्व प्रधान की पत्नी कविता गांव की मौजूदा प्रधान थीं। कविता पूरे केस में पुलिस को गुमराह करने में लगी रहीं। बताया कि गांव के कुछ लोगों ने प्रधानी की रंजिश में मेरे पति की हत्या की है। जिसके बाद पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखी, पता चला कि पूर्व प्रधान की हत्या गला दबाकर की गई। पुलिस ने घटना की CCTV देखी। पड़ताल में सामने आया कि जिस रास्ते पर हत्या की गई है, वहां पत्नी कविता व बेटे के अलावा कोई नहीं आया। पुलिस को शक हो गया कि पूर्व प्रधान की हत्या पत्नी ने ही की है।मोहम्मद मुश्ताक बताते हैं कि इस केस को लेकर वह खुद जांच पड़ताल कर रहे थे। पुलिस ने पूर्व प्रधान और उसके परिवार की CDR देखी। जांच में पता चला कि पत्नी के झांसी के युवक से अवैध संबंध हैं। पुलिस ने शंकर राजपूत की हत्या में पत्नी कविता को अरेस्ट कर लिया। कविता ने बताया कि मेरा पति बदमाश रहा है, वह मुझे तरह-तरह की यातनाएं देता था। 20 साल के बेटे को भी पीटता था। उसने कबूलनामा दिया कि पहले बोलेरो में पीटा, फिर सड़क पर गिरा दिया। जिससे सिर से खून बहने लगा। बाद में अंगोछे से गला घोंट दिया। ललितपुर में ही बसपा के जिलाध्यक्ष रहे कैलाश यादव पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई कर 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति को कुर्क किया। जो कि जिले का सबसे बड़ा माफिया रहा है। लव मैरिज के लिए 6 साल तक परिवार को मनाया
मुश्ताक बताते हैं कि दिल्ली में 2012 में कोचिंग कर रहा था, तभी हरियाणा निवासी ललिता चौधरी से दोस्ती हो गई। जिसके बाद दोनों की बातचीत आगे बढ़ी। दोनों ही शादी के लिए एक-दूसरे को पसंद करने लगे।
IRS बनने के बाद 2014 में परिवार को बताया कि मैं अपनी पसंद से शादी करना चाहता हूं। इस पर परिवार राजी नहीं हुआ। लेकिन फिर भी हमने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। वह जाट परिवार से हैं, आईपीएस बनने के बाद भी दोनों अपने-अपने परिवार को मनाने की कोशिश में लगे रहे। हमने तय कर लिया था कि बिना परिवार की मर्जी के शादी नहीं करेंगे। जिसके बाद 2019 में दोनों ने लव मैरिज कर ली। अचीवमेंट्स यह भी पढ़िए… 8 गैंगस्टर का एनकाउंटर करने वाले IPS ज्ञानंजय सिंह, एयरफोर्स की तैयारी करते-करते पुलिस अफसर बने; दोनों हाथ से गोली चलाने वाले बदमाश को ढेर किया IPS कुंवर ज्ञानंजय सिंह यूपी पुलिस फोर्स में एक बड़ा नाम है। 2000 के दशक में जब बहुत कम एनकाउंटर होते थे, तब भी अपराधी उन्हें देखकर जिला छोड़ देते थे। उनके नाम पर 20 एनकाउंटर दर्ज हैं, जिनमें 8 बदमाशों को ढेर किया है। 1994 बैच के PPS ज्ञानंजय सिंह दिसंबर, 2023 में IPS बने। इस समय वह वेस्ट यूपी के हापुड़ में एसपी हैं। वह 15 जिलों में सीओ, एडिशनल एसपी भी रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर… ‘बचपन में मेरे अंदर खाकी वर्दी का खौफ था। घर से सिर्फ डेढ़ Km दूर पुलिस थाना था। बड़ा हुआ तो भी उसके सामने से निकलने से बचता था। इसी डर को खत्म करने के लिए IPS बनने की ठान ली।’ यह कहना है IPS मोहम्मद मुश्ताक का। 2016 बैच के अफसर मोहम्मद मुश्ताक इस वक्त ललितपुर में SP हैं। मोहम्मद मुश्ताक के IPS बनने के पीछे दिलचस्प कहानी है। 4 सरकारी नौकरी छोड़ने वाले मुश्ताक गुजरात में 3 साल तक डिप्टी कमिश्नर भी रहे। गांव में पिता-भाई के साथ मिलकर कपड़ा-राशन भी बेचा। UP में 14 एनकाउंटर करने वाले मुश्ताक ने 8 साल की सर्विस में बड़े-बड़े गैंग की कमर तोड़ दी। SP जीआरपी रहते हुए ट्रेन से देशभर में कारतूस सप्लाई का बड़ा रैकेट पकड़ा। नकली करेंसी का नेटवर्क तोड़ने के लिए खुद रेकी की। 9 राज्यों के 600 बच्चों को ऑपरेशन मुस्कान के जरिए घर तक पहुंचाया। दैनिक भास्कर की खास सीरीज खाकी वर्दी में IPS मोहम्मद मुश्ताक की कहानी 6 चैप्टर में पढ़िए… बिहार के छपरा जिले में जनता बाजार गांव पड़ता है। यहां के रहने वाले मोहम्मद जहरुद्दीन की गांव में कपड़े की दुकान थी, 5 जून, 1988 को घर पर बेटे ने जन्म लिया। मां तजमुल निशां ने नाम रखा मुश्ताक। मोहम्मद मुश्ताक बताते हैं कि घर से करीब 300 मीटर दूर सरकारी स्कूल था। इसी स्कूल में वह अपने भाई और पड़ोस के बच्चों के साथ पैदल पढ़ाई करने जाते थे। स्कूल में जमीन पर बैठकर पढ़ते थे। कई बार बैठने के लिए घर से भी बोरा साथ ले जाना पड़ता। कक्षा 7 में बेंच पर बैठकर पढ़ने का मौका मिला। जनता बाजार के श्रीढोरनाथ उच्च विद्यालय लहलातपुर से 2003 में 10वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी (79.6%) में पास की। बिहार बोर्ड से हिंदी मीडियम की पढ़ाई करते हुए उन्होंने न सिर्फ स्कूल टॉप किया, बल्कि जिले के दूसरे नंबर के टॉपर बने। साल 2005 में लोक महाविद्यालय इंटर कॉलेज हाफिजपुर से प्रथम श्रेणी में 12 वीं पास की। उसके बाद 2008 में पटना विश्वविद्यालय से बीए की पढ़ाई की। मोहम्मद मुश्ताक के पिता की कपड़े की दुकान के साथ ही राशन गल्ले का भी काम था। जब भी पिता या भाई किसी काम से बाहर जाते तो वह खुद दुकान पर बैठते। दिन में कपड़ा बेचते, रात में 5-6 घंटे पढ़ाई करते। मुश्ताक बताते हैं कि करीब 30 साथी एयरफोर्स, आर्मी और पुलिस में भर्ती में चले गए। मैंने 17-18 साल की उम्र में सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू कर दी। पहले मैं एयरफोर्स में भर्ती होना चाहता था। बड़े भाई मुजीबुल रहमान एयरफोर्स में भर्ती हो चुके थे, इसलिए मैंने पिता व भाई से कहा कि मुझे अब एयरफोर्स में नहीं जाना। इसके बाद पढ़ाई करने पटना आ गया। यहां से दिल्ली में सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी 2011 में बिहार PCS में सिलेक्शन हुआ। लेकिन नौकरी ठुकरा दी। इसी साल SSB में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हुआ। यह नौकरी भी छोड़ दी। पिता और परिवार से कहते थे कि मैं IPS बनकर ही रहूंगा। इसी दौरान तीसरी नौकरी आरपीएफ में मिली। साल 2013 में UPSC क्रेक कर वह IRS अधिकारी बने। 2013 से लेकर 2016 तक वह गुजरात के राजकोट में डिप्टी कमिश्नर रहे। यहां वह दिन में ड्यूटी करते और रात में सिविल सर्विस की तैयारी करते। साल 2016 में मुश्ताक IPS बन गए। जब अपने घर बिहार पहुंचे तो ढोल-बाजे के साथ गांव में फूल-मालाएं पहनाकर स्वागत हुआ। मुश्ताक अहमद बताते हैं कि IPS की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद झांसी में ASP के तौर पर पहली पोस्टिंग मिली। यहां क्राइम की छोटी-छोटी घटनाओं पर जाना शुरू किया। साइबर क्राइम और मर्डर जैसे केस सॉल्व करने के लिए काम शुरू किया। 2019 में वाराणसी में दूसरी पोस्टिंग हुई। कैंट सर्किल में सीओ की जिम्मेदारी मिली। प्रभाकर चौधरी वाराणसी के SSP थे। उनके साथ रात में साइकिल चलाकर गलियों में भ्रमण किया जाता था। हर थाने में पुलिस की जांच गोपनीय ढंग से की गई। इसी साल वाराणसी मंडल PAC वाहनियों में जवानों की भर्ती चल रही थी। मेडिकल में अनफिट बताकर बाहर किए जाने वाले अभ्यर्थियों का री- मेडिकल होता है। पुलिस को री- मेडिकल के नाम पर अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेने की सूचना मिली मुश्ताक बताते हैं कि इस नेटवर्क को तोड़ने की जिम्मेदारी मुझे मिली। मैं नया था, तो सभी डॉक्टर और अन्य लोग जानते भी नहीं थे। पता चला कि अभ्यर्थियों को पास करने के नाम पर 7 लाख रुपए का ठेका लिया जा रहा था। एक अनफिट अभ्यर्थी की पूरी जानकारी ली, उसकी जगह मुश्ताक खुद पहुंच गए। जब डॉक्टर और दूसरे कर्मचारियों से लेनदेन की बात शुरू की तो डॉक्टर ने कहा कि हमार नंबर लीजिए, बाद में बात करिएगा। इससे यह साफ हो गया कि इस गैंग को सीनियर डॉक्टर ही ऑपरेट कर रहे हैं। जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों की भूमिका भी मिली। डॉ. शिवेश व मंडलीय अस्पताल में पर्दाफाश हुआ। इस गैंग में 9 डॉक्टर समेत 18 लोगों को जेल भेजा गया, जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे। मुश्ताक बताते हैं कि मुख्तार गैंग पर पहली बार वाराणसी से ही शिकंजा कसना शुरू हुआ। साल 2019 में मुख्तार की बेनामी संपत्ति की जांच कर सरकारी रिकॉर्ड में अटैच करना शुरू किया। मुख्तार गैंग पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की। पहली बार कुर्की कराई। जमीन और दूसरे मामलों में 20 से ज्यादा माफिया जेल भेजे गए। 100- 100 करोड़ की ठगी करने वाले सरगनाओं को जेल भेजा गया। मुश्ताक बताते हैं कि 2020 में आगरा सेक्टर में तैनाती मिली। 3 साल तक जीआरपी में एसपी रहे। यहां से ‘ऑपरेशन मुस्कान’ शुरू किया। परिवार से बिछड़े छोटे बच्चों की तलाश के लिए अभियान चलाया गया। इससे पहले एसएसपी गाजियाबाद में इसी तरह ‘ऑपरेशन स्माइल’ भी सफल रहा था। ऑपरेशन मुस्कान में 9 पुलिसकर्मियों की टीम तैयार की। जहां सभी सिविल पुलिस, रेलवे पुलिस व जीआरपी से मदद ली गई। पता लगाया गया कि गुम हुए बच्चों की कितनी रिपोर्ट दर्ज हैं। इन परिवारों से बातचीत शुरू की। हर पुलिसकर्मी को महीने में टारगेट फिक्स किया गया। एक महीने में हमने पहले 100 बच्चों को तलाश किया। पूरे अभियान में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, बिहार व वेस्ट बंगाल के 600 बच्चों को परिवार तक पहुंचाया गया। मोहम्मद मुश्ताक बताते हैं कि 2022 में एसपी जीआरपी रहते हुए नकली नोट की कालाबाजारी का इनपुट मिला। जिसके मुताबिक, मथुरा-वाराणसी में 500 और 2000 के नोट मार्केट तक पहुंचाने की बात सामने आई। इस गैंग में सबसे पहले मुकेश उर्फ रौनक नाम के युवक को अरेस्ट किया गया। जिसके पास से 21 हजार रुपए की नकली करेंसी बरामद हुई। ये सभी पांच सौ रुपए के नकली नोट छाप रहे थे। पूछताछ में वाराणसी के बड़े अड्‌डे की जानकारी मिली। इस गैंग से 1.5 लाख की नकली करेंसी बरामद की। जांच में पता चला कि नकली नोटों के लिए कागज चीन से मंगाया गया। 10 राज्यों में इसकी छपाई की पूरी तैयारी हो चुकी थी। नकली नोट बनाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली सामग्री ऑनलाइन आयात की गई थी। नोट छापने वाली मशीन, सामग्री, प्रिंटर, स्याही, पंचिंग मशीन भी बरामद किए गए। इस गैंग के 15 लोगों को जेल भेजा गया। मुखबिर से सूचना मिली की यूपी से बिहार व दूसरे राज्यों में अवैध कारतूस सप्लाई किए जा रहे हैं। यह गैंग ट्रेन के जरिए कारतूस पहुंचा रहा था। पुलिस के काफी वर्कआउट के बाद भी एक महीने तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा। पुलिस ने पता लगाया कि बिहार में किन स्टेशनों पर यूपी से सामान पहुंचाया जाता है। हमें पता चला कि जनरल व दिव्यांग डिब्बों में दिव्यांग लोग इसके लिए हायर किए गए हैं। यूपी के मेरठ स्टेशन से काम करना शुरू किया। जहां दिव्यांग लोगों को बैग व गठरी दे दी गईं, उसके बाद यात्री बनकर इनकी रेकी की। मोहम्मद मुश्ताक बताते हैं कि फिरोजाबाद में 28 KG कारतूस एक साथ बरामद किए गए। इनकी संख्या हजारों में थी। इसके बाद अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गई। यह गैंग कारतूस बिहार तक पहुंचा रहा था। फिर प्रतापगढ़ में भी जीआरपी ने भारी संख्या में अवैध कारतूस बरामद किए। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने 1 लाख रुपए के इनाम से सम्मानित किया। जीआरपी में रहते ही 1996 में हुए जीआरपी इंस्पेक्टर रामनिवास मर्डर केस में मुख्य आरोपी अनुपम दुबे को अरेस्ट कराया। कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। इस कुख्यात पर 65 मुकदमे थे, इसका दूसरा साथी एनकाउंटर में पहले मारा जा चुका था। आरोपी ने मर्डर की फाइल ही गायब करवा दी थी। मोहम्मद मुश्ताक 21 जुलाई, 2023 से ललितपुर जिले के SP हैं। अगस्त, 2023 में बार थाना क्षेत्र के गांव बम्हौरी सहना के पूर्व प्रधान शंकर राजपूत की हत्या हो गई थी। पूर्व प्रधान की पत्नी कविता गांव की मौजूदा प्रधान थीं। कविता पूरे केस में पुलिस को गुमराह करने में लगी रहीं। बताया कि गांव के कुछ लोगों ने प्रधानी की रंजिश में मेरे पति की हत्या की है। जिसके बाद पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखी, पता चला कि पूर्व प्रधान की हत्या गला दबाकर की गई। पुलिस ने घटना की CCTV देखी। पड़ताल में सामने आया कि जिस रास्ते पर हत्या की गई है, वहां पत्नी कविता व बेटे के अलावा कोई नहीं आया। पुलिस को शक हो गया कि पूर्व प्रधान की हत्या पत्नी ने ही की है।मोहम्मद मुश्ताक बताते हैं कि इस केस को लेकर वह खुद जांच पड़ताल कर रहे थे। पुलिस ने पूर्व प्रधान और उसके परिवार की CDR देखी। जांच में पता चला कि पत्नी के झांसी के युवक से अवैध संबंध हैं। पुलिस ने शंकर राजपूत की हत्या में पत्नी कविता को अरेस्ट कर लिया। कविता ने बताया कि मेरा पति बदमाश रहा है, वह मुझे तरह-तरह की यातनाएं देता था। 20 साल के बेटे को भी पीटता था। उसने कबूलनामा दिया कि पहले बोलेरो में पीटा, फिर सड़क पर गिरा दिया। जिससे सिर से खून बहने लगा। बाद में अंगोछे से गला घोंट दिया। ललितपुर में ही बसपा के जिलाध्यक्ष रहे कैलाश यादव पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई कर 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति को कुर्क किया। जो कि जिले का सबसे बड़ा माफिया रहा है। लव मैरिज के लिए 6 साल तक परिवार को मनाया
मुश्ताक बताते हैं कि दिल्ली में 2012 में कोचिंग कर रहा था, तभी हरियाणा निवासी ललिता चौधरी से दोस्ती हो गई। जिसके बाद दोनों की बातचीत आगे बढ़ी। दोनों ही शादी के लिए एक-दूसरे को पसंद करने लगे।
IRS बनने के बाद 2014 में परिवार को बताया कि मैं अपनी पसंद से शादी करना चाहता हूं। इस पर परिवार राजी नहीं हुआ। लेकिन फिर भी हमने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। वह जाट परिवार से हैं, आईपीएस बनने के बाद भी दोनों अपने-अपने परिवार को मनाने की कोशिश में लगे रहे। हमने तय कर लिया था कि बिना परिवार की मर्जी के शादी नहीं करेंगे। जिसके बाद 2019 में दोनों ने लव मैरिज कर ली। अचीवमेंट्स यह भी पढ़िए… 8 गैंगस्टर का एनकाउंटर करने वाले IPS ज्ञानंजय सिंह, एयरफोर्स की तैयारी करते-करते पुलिस अफसर बने; दोनों हाथ से गोली चलाने वाले बदमाश को ढेर किया IPS कुंवर ज्ञानंजय सिंह यूपी पुलिस फोर्स में एक बड़ा नाम है। 2000 के दशक में जब बहुत कम एनकाउंटर होते थे, तब भी अपराधी उन्हें देखकर जिला छोड़ देते थे। उनके नाम पर 20 एनकाउंटर दर्ज हैं, जिनमें 8 बदमाशों को ढेर किया है। 1994 बैच के PPS ज्ञानंजय सिंह दिसंबर, 2023 में IPS बने। इस समय वह वेस्ट यूपी के हापुड़ में एसपी हैं। वह 15 जिलों में सीओ, एडिशनल एसपी भी रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर