हरियाणा में अहीरवाल बेल्ट की राजधानी कहे जाने वाले रेवाड़ी जिले में भारतीय जनता पार्टी ने तीनों सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस तीनों ही सीटों पर बुरी तरह हार गई। भाजपा की जीत का अहम कारण संगठन के अलावा RSS का ग्राउंड पर वर्क रहा। जबकि कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण ओवर कॉन्फिडेंस और भीतरघात रहा। भीतरघात करने की कोशिशें तो भाजपा के भी कुछ नेताओं ने की लेकिन रिजल्ट देखकर साफ है कि उनकी तमाम कोशिशें नाकाम ही रही। कांग्रेस ने रेवाड़ी जैसी सीट को गवां दिया। इस सीट पर शुरू से ही जीत को लेकर पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव और उनके बेटे चिरंजीव राव आश्वास्त नजर आ रहे थे। पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस का तीनों ही सीटों पर मत प्रतिशत जरूर बढ़ा लेकिन ये जीत में तब्दील नहीं हो पाया। दरअसल, कांग्रेस ने रेवाड़ी सीट से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के दामाद चिरंजीव राव को उतारा। उनके सामने बीजेपी ने अपने पुराने संगठन के नेता और कोसली से विधायक रहे लक्ष्मण यादव को टिकट दिया। इसी तरह बावल में कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारी लाल की टिकट काटकर बीजेपी ने हेल्थ डिपार्टमेंट में डायरेक्टर पद से नौकरी छोड़ राजनीति में उतरे डॉ. कृष्ण लाल को कांग्रेस के पूर्व मंत्री डॉ. एमएल रंगा के सामने उतारा। वहीं कोसली विधानसभा सीट पर कांग्रेस के हेवीवेट प्रत्याशी पूर्व मंत्री जगदीश यादव के सामने बीजेपी ने एक सामान्य कार्यकर्ता अनिल डहीना को टिकट दिया। चुनाव से पहले तीनों की सीटों पर एंटी इनकंबेंसी दिख रही थी। लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने टिकट काटी उससे माहौल पूरी तरह बदल गया। हालांकि ये इलाका पिछले 2 चुनाव में भी बीजेपी के पक्ष में ही रहा है। लेकिन इस बार जमीनी हालात को भांपते हुए भाजपा ने चुनाव के वक्त बूथ लेवल पर साइलेंट तरीके से काम करते हुए तीनों ही सीटें जीत ली। सीधे मुकाबले में कांग्रेस पर बीजेपी भारी 2019 के चुनाव की बात करें तो रेवाड़ी सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बना। यहां बीजेपी से बागी होकर रणधीर कापड़ीवास ने चुनाव लड़ते हुए 35 हजार से ज्यादा वोट लिए। जिसका फायदा कांग्रेस को मिला और चिरंजीव राव जीत गए। जबकि बावल और कोसली में सीधा मुकाबला होने के कारण भाजपा को जीत मिली थी। इस बार रेवाड़ी और कोसली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद की जा रही थी। रेवाड़ी में सतीश यादव आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। पहले दो चुनाव लड़ चुके सतीश दोनों बार 35 हजार से ज्यादा वोट ले चुके थे। लेकिन इस बार 20 हजार वोट भी उन्हें नहीं मिले। चुनाव के अंतिम वक्त में मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच हो गया। आमने-सामने की टक्कर में बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ी। यही हाल कोसली विधानसभा सीट पर हुआ। यहां निर्दलीय प्रत्याशी मनोज कोसलिया के चुनाव में आने से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार दिख रहे थे। लेकिन रिजल्ट पर नजर डाले तो फाइट कांग्रेस के जगदीश यादव और बीजेपी के अनिल डहीना के बीच हुई, जिसका फायदा बीजेपी को मिला और अनिल डहीना जीत गए। चिरंजीव एक बार आगे निकले, रंगा 4 और जगदीश ने 3 बार मंगलवार को हुई मतणना के शुरूआती दौर में ही भाजपा के तीनों प्रत्याशियों ने कांग्रेस पर बढ़त बनानी शुरू कर दी थी। पोस्टल बेलेट खुलने के बाद रूझान में आगे दिखने वाले कांग्रेस प्रत्याशी ईवीएम खुलने के बाद लगातार पिछड़ते चले गए। रेवाड़ी सीट पर 19 राउंड की काउंटिंग में चिरंजीव राव ने पांचवें राउंड में एक बार बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव से ज्यादा वोट लिए। जबकि बावल सीट पर डा. एमएल रंगा ने 14, 17, 18 और 19 राउंड में डॉ. कृष्ण कुमार से ज्यादा वोट लिए। वहीं 20 राउंड की काउंटिंग में कोसली विधानसभा सीट पर जगदीश यादव ने 3, 13 और 16 राउंड में बीजेपी के अनिल डहीना से ज्यादा वोट लिए। हालांकि इन सभी राउंड में बीजेपी के तीनों प्रत्याशी पहले ही बढ़त बना चुके थे। ऐसे में उनके ज्यादा वोट लेने के बाद भी उन्हें कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। सीट वाइज मत प्रतिशत बढ़ा पर जीत नहीं मिली रेवाड़ी सीट: रेवाड़ी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर 2019 में चिरंजीव राव ने जीत दर्ज की थी। चिरंजीव को 43 हजार 870 वोट मिले। यह कुल वोटों का 27.82% था। भाजपा प्रत्याशी सुनील मुसेपुर ने 42 हजार 553 यानी 26.99% वोट लिए। जिसकी वजह से 1317 वोट से हार गए। इस बार भाजपा के लक्ष्मण सिंह यादव ने 83 हजार 747 यानी 49.95% वोट लिए। जबकि कांग्रेस के चिरंजीव राव को 54 हजार 978 यानी 32.79% मत मिले और वह 28769 वोटों से हार गए। चिरंजीव की हार का सबसे बड़ा कारण ओवर कॉन्फिडेंस रहा। इसके अलावा ग्रामीण इलाके ही नहीं, बल्कि शहर में भी उनके खिलाफ साइलेंट तरीके से विरोध बना रहा, लेकिन वह इसे भांप नहीं पाए। जिसकी वजह से उन्हें किसी भी इलाके में बढ़ नहीं मिल पाई। कोसली विधानसभा सीट: कोसली विधानसभा सीट पर 2019 के चुनाव में कांग्रेस को यादवेंद्र सिंह 40 हजार 189 यानी 26.73% वोट मिले। जबकि लक्ष्मण सिंह यादव 78 हजार 813 यानी 52% वोट मिले थे। लक्ष्मण सिंह यादव ने उस समय 38 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। इस बार कांग्रेस के जगदीश यादव ने 74 हजार 976 यानी 42.1% वोट लिए। जबकि भाजपा के अनिल डहीना ने 92 हजार 185 यानी 51.76% वोट लिए। इस तरह अनिल डहीना 17209 वोटों से जीत गए। अनिल की जीत का सबसे बड़ा कारण कोसली सीट रामपुरा हाउस की पैतृक सीट होना रहा। अनिल को टिकट भी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर ही मिली थी। इसलिए इस सीट पर राव इंद्रजीत सिंह ने खूब प्रचार किया। साथ ही लक्ष्मण सिंह यादव के रेवाड़ी शिफ्ट होने से एंटी इनकंबेंसी का खतरा भी कम हो गया। ये दोनों ही फैक्टर बीजेपी के काम आए। वहीं कांग्रेस के जगदीश यादव की हार के पीछे भीतरघात और ओवर कॉन्फिडेंस रहा। यहां टिकट कटने से नाराज यादवेंद्र सिंह पहले ही बगावत के संदेश दे चुके थे। बावल सीट: बावल विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने डॉ. एमएल रंगा को लगातार दूसरे चुनाव में टिकट दी। रंगा इस सीट पर वर्ष 2000 में विधायक रह चुके हैं। 2019 के चुनाव में डॉ. एमएल रंगा को 36 हजार 804 यानी 25.58% वोट मिले। भाजपा के डॉ. बनवारी लाल ने 69 हजार 49 वोट यानी 47.99% मत हासिल करते हुए रंगा को 32 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। इस बार भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण कुमार को 86 हजार 858 यानी 55.28% वोट मिले। जबकि कांग्रेस के डॉ. एमएल रंगा को 66 हजार 228 यानी 42.54% वोट मिले और उन्हें डॉ. कृष्ण कुमार ने 20011 वोट से हरा दिया। इस सीट पर कांग्रेस की हार के पीछे का कारण यहां से एक-दो नहीं, बल्कि 50 से ज्यादा दावेदार होना रहा। कुछ चेहरे टिकट कटने के बाद डॉ. रंगा के साथ चुनाव प्रचार में जरूर दिखाई दिए लेकिन जमीनी स्तर पर वर्क की बजाए कार्यक्रम की स्टेज तक सीमित रहे। यहां भी कांग्रेसियों में जीत का ओवर कॉन्फिडेंस बना हुआ था और अंतिम समय में उन्हें ले डूबा। जबकि भाजपा की जीत का सबसे अहम कारण यहां से डॉ. बनवारी लाल की टिकट काट एंटी इनकंबेंसी को खत्म किया गया। इतना ही नहीं डॉ. कृष्ण कुमार अधिकारी के रूप में जिले में काफी लंबे समय तक काम कर चुके थे। ऐसे में उनकी साफ छवि ने भी इलाके में उनकी पकड़ बनाई। जीत का तीसरा अहम कारण केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह द्वारा लगातार प्रचार करना भी रहा। क्योंकि बावल सीट पर भी रामपुरा हाउस का दबदबा हमेशा रहा है। हरियाणा में अहीरवाल बेल्ट की राजधानी कहे जाने वाले रेवाड़ी जिले में भारतीय जनता पार्टी ने तीनों सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस तीनों ही सीटों पर बुरी तरह हार गई। भाजपा की जीत का अहम कारण संगठन के अलावा RSS का ग्राउंड पर वर्क रहा। जबकि कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण ओवर कॉन्फिडेंस और भीतरघात रहा। भीतरघात करने की कोशिशें तो भाजपा के भी कुछ नेताओं ने की लेकिन रिजल्ट देखकर साफ है कि उनकी तमाम कोशिशें नाकाम ही रही। कांग्रेस ने रेवाड़ी जैसी सीट को गवां दिया। इस सीट पर शुरू से ही जीत को लेकर पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव और उनके बेटे चिरंजीव राव आश्वास्त नजर आ रहे थे। पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस का तीनों ही सीटों पर मत प्रतिशत जरूर बढ़ा लेकिन ये जीत में तब्दील नहीं हो पाया। दरअसल, कांग्रेस ने रेवाड़ी सीट से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के दामाद चिरंजीव राव को उतारा। उनके सामने बीजेपी ने अपने पुराने संगठन के नेता और कोसली से विधायक रहे लक्ष्मण यादव को टिकट दिया। इसी तरह बावल में कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारी लाल की टिकट काटकर बीजेपी ने हेल्थ डिपार्टमेंट में डायरेक्टर पद से नौकरी छोड़ राजनीति में उतरे डॉ. कृष्ण लाल को कांग्रेस के पूर्व मंत्री डॉ. एमएल रंगा के सामने उतारा। वहीं कोसली विधानसभा सीट पर कांग्रेस के हेवीवेट प्रत्याशी पूर्व मंत्री जगदीश यादव के सामने बीजेपी ने एक सामान्य कार्यकर्ता अनिल डहीना को टिकट दिया। चुनाव से पहले तीनों की सीटों पर एंटी इनकंबेंसी दिख रही थी। लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने टिकट काटी उससे माहौल पूरी तरह बदल गया। हालांकि ये इलाका पिछले 2 चुनाव में भी बीजेपी के पक्ष में ही रहा है। लेकिन इस बार जमीनी हालात को भांपते हुए भाजपा ने चुनाव के वक्त बूथ लेवल पर साइलेंट तरीके से काम करते हुए तीनों ही सीटें जीत ली। सीधे मुकाबले में कांग्रेस पर बीजेपी भारी 2019 के चुनाव की बात करें तो रेवाड़ी सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बना। यहां बीजेपी से बागी होकर रणधीर कापड़ीवास ने चुनाव लड़ते हुए 35 हजार से ज्यादा वोट लिए। जिसका फायदा कांग्रेस को मिला और चिरंजीव राव जीत गए। जबकि बावल और कोसली में सीधा मुकाबला होने के कारण भाजपा को जीत मिली थी। इस बार रेवाड़ी और कोसली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद की जा रही थी। रेवाड़ी में सतीश यादव आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। पहले दो चुनाव लड़ चुके सतीश दोनों बार 35 हजार से ज्यादा वोट ले चुके थे। लेकिन इस बार 20 हजार वोट भी उन्हें नहीं मिले। चुनाव के अंतिम वक्त में मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच हो गया। आमने-सामने की टक्कर में बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ी। यही हाल कोसली विधानसभा सीट पर हुआ। यहां निर्दलीय प्रत्याशी मनोज कोसलिया के चुनाव में आने से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार दिख रहे थे। लेकिन रिजल्ट पर नजर डाले तो फाइट कांग्रेस के जगदीश यादव और बीजेपी के अनिल डहीना के बीच हुई, जिसका फायदा बीजेपी को मिला और अनिल डहीना जीत गए। चिरंजीव एक बार आगे निकले, रंगा 4 और जगदीश ने 3 बार मंगलवार को हुई मतणना के शुरूआती दौर में ही भाजपा के तीनों प्रत्याशियों ने कांग्रेस पर बढ़त बनानी शुरू कर दी थी। पोस्टल बेलेट खुलने के बाद रूझान में आगे दिखने वाले कांग्रेस प्रत्याशी ईवीएम खुलने के बाद लगातार पिछड़ते चले गए। रेवाड़ी सीट पर 19 राउंड की काउंटिंग में चिरंजीव राव ने पांचवें राउंड में एक बार बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव से ज्यादा वोट लिए। जबकि बावल सीट पर डा. एमएल रंगा ने 14, 17, 18 और 19 राउंड में डॉ. कृष्ण कुमार से ज्यादा वोट लिए। वहीं 20 राउंड की काउंटिंग में कोसली विधानसभा सीट पर जगदीश यादव ने 3, 13 और 16 राउंड में बीजेपी के अनिल डहीना से ज्यादा वोट लिए। हालांकि इन सभी राउंड में बीजेपी के तीनों प्रत्याशी पहले ही बढ़त बना चुके थे। ऐसे में उनके ज्यादा वोट लेने के बाद भी उन्हें कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। सीट वाइज मत प्रतिशत बढ़ा पर जीत नहीं मिली रेवाड़ी सीट: रेवाड़ी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर 2019 में चिरंजीव राव ने जीत दर्ज की थी। चिरंजीव को 43 हजार 870 वोट मिले। यह कुल वोटों का 27.82% था। भाजपा प्रत्याशी सुनील मुसेपुर ने 42 हजार 553 यानी 26.99% वोट लिए। जिसकी वजह से 1317 वोट से हार गए। इस बार भाजपा के लक्ष्मण सिंह यादव ने 83 हजार 747 यानी 49.95% वोट लिए। जबकि कांग्रेस के चिरंजीव राव को 54 हजार 978 यानी 32.79% मत मिले और वह 28769 वोटों से हार गए। चिरंजीव की हार का सबसे बड़ा कारण ओवर कॉन्फिडेंस रहा। इसके अलावा ग्रामीण इलाके ही नहीं, बल्कि शहर में भी उनके खिलाफ साइलेंट तरीके से विरोध बना रहा, लेकिन वह इसे भांप नहीं पाए। जिसकी वजह से उन्हें किसी भी इलाके में बढ़ नहीं मिल पाई। कोसली विधानसभा सीट: कोसली विधानसभा सीट पर 2019 के चुनाव में कांग्रेस को यादवेंद्र सिंह 40 हजार 189 यानी 26.73% वोट मिले। जबकि लक्ष्मण सिंह यादव 78 हजार 813 यानी 52% वोट मिले थे। लक्ष्मण सिंह यादव ने उस समय 38 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। इस बार कांग्रेस के जगदीश यादव ने 74 हजार 976 यानी 42.1% वोट लिए। जबकि भाजपा के अनिल डहीना ने 92 हजार 185 यानी 51.76% वोट लिए। इस तरह अनिल डहीना 17209 वोटों से जीत गए। अनिल की जीत का सबसे बड़ा कारण कोसली सीट रामपुरा हाउस की पैतृक सीट होना रहा। अनिल को टिकट भी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर ही मिली थी। इसलिए इस सीट पर राव इंद्रजीत सिंह ने खूब प्रचार किया। साथ ही लक्ष्मण सिंह यादव के रेवाड़ी शिफ्ट होने से एंटी इनकंबेंसी का खतरा भी कम हो गया। ये दोनों ही फैक्टर बीजेपी के काम आए। वहीं कांग्रेस के जगदीश यादव की हार के पीछे भीतरघात और ओवर कॉन्फिडेंस रहा। यहां टिकट कटने से नाराज यादवेंद्र सिंह पहले ही बगावत के संदेश दे चुके थे। बावल सीट: बावल विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने डॉ. एमएल रंगा को लगातार दूसरे चुनाव में टिकट दी। रंगा इस सीट पर वर्ष 2000 में विधायक रह चुके हैं। 2019 के चुनाव में डॉ. एमएल रंगा को 36 हजार 804 यानी 25.58% वोट मिले। भाजपा के डॉ. बनवारी लाल ने 69 हजार 49 वोट यानी 47.99% मत हासिल करते हुए रंगा को 32 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। इस बार भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण कुमार को 86 हजार 858 यानी 55.28% वोट मिले। जबकि कांग्रेस के डॉ. एमएल रंगा को 66 हजार 228 यानी 42.54% वोट मिले और उन्हें डॉ. कृष्ण कुमार ने 20011 वोट से हरा दिया। इस सीट पर कांग्रेस की हार के पीछे का कारण यहां से एक-दो नहीं, बल्कि 50 से ज्यादा दावेदार होना रहा। कुछ चेहरे टिकट कटने के बाद डॉ. रंगा के साथ चुनाव प्रचार में जरूर दिखाई दिए लेकिन जमीनी स्तर पर वर्क की बजाए कार्यक्रम की स्टेज तक सीमित रहे। यहां भी कांग्रेसियों में जीत का ओवर कॉन्फिडेंस बना हुआ था और अंतिम समय में उन्हें ले डूबा। जबकि भाजपा की जीत का सबसे अहम कारण यहां से डॉ. बनवारी लाल की टिकट काट एंटी इनकंबेंसी को खत्म किया गया। इतना ही नहीं डॉ. कृष्ण कुमार अधिकारी के रूप में जिले में काफी लंबे समय तक काम कर चुके थे। ऐसे में उनकी साफ छवि ने भी इलाके में उनकी पकड़ बनाई। जीत का तीसरा अहम कारण केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह द्वारा लगातार प्रचार करना भी रहा। क्योंकि बावल सीट पर भी रामपुरा हाउस का दबदबा हमेशा रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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फरीदाबाद में रेप-मर्डर केस में फांसी की सजा:दिव्यांग महिला के गुप्तांग में डाला रॉड; गला घोंटा, खंडहर में मिला शव
फरीदाबाद में रेप-मर्डर केस में फांसी की सजा:दिव्यांग महिला के गुप्तांग में डाला रॉड; गला घोंटा, खंडहर में मिला शव हरियाणा के फरीदाबाद जिला में एक दिव्यांग महिला की दुष्कर्म के बाद नृशंस तरीके से उसकी हत्या कर देने के मामले में कोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है। उसने न सिर्फ महिला का रेप किया, बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट में राड डाल दी। इसके बाद गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी थी। इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। फोरेंसिक रिपोर्ट व अन्य साक्ष्य के आधार पर उस पर दोष साबित हुआ है। फरीदाबाद के अतिरिक्त सेशन जज पुरुषोत्तम कुमार की कोर्ट ने मनोज नेपाली को धारा 302 और 376 आईपीसी में दोषी पाए जाने पर फांसी की सजा सुनाई है। उस पर 1 लाख 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अर्धनग्न अवस्था में मिला था महिला का शव घटना पिछले साल 2022 के नवंबर महीने में सेक्टर-7 थाने की है। जब एक महिला का शव सेक्टर सात के खंडहर के पास पार्क में मिला था। उस समय महिला अर्धनग्न अवस्था में थी, जिसके गले चुन्नी कसी हुई थी। महिला के शव के पास एक वाइपर भी पड़ा था। पुलिस ने महिला के शव और आसपास से सबूत को जुटाकर इस घटना को अंजाम देने वाले आरोपी की तलाश में जुट गई थी। उसी समय थाना सेक्टर 8 के SHO रहे दलबीर ने 376, 302 के तहत अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू की थी। CCTV के आधार पर आरोपी की हुई पहचान काफी तलाश के बाद सीसीटीवी के आधार पर आरोपी मनोज नेपाली महिला के साथ जाता हुआ गुरुद्वारे के सामने से देखा गया था। जहां पर उसने अपना माथा भी टेका था, सीसीटीवी के आधार पर इसके आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। फोरेंसिक जांच में पाया गया कि आरोपी मनोज नेपाली का सीमन महिला के कपड़ों पर मिला था, जिसका डीएनए मैच हो गया। इसके आधार पर आरोपी को सजा सुनाई गई है। न्यू टाउन रेलवे स्टेशन पर महिला से मिला था आरोपी महिला दिव्यांग थी, जो अपने पति को बिना बताए घर से निकल गई थी और न्यू टाउन रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई थी जहां पर मनोज नेपाली से महिला का संपर्क हुआ मनोज नेपाली छीना झपटी और शराब पीने का आदि था मनोज नेपाली महिला को दुष्कर्म करने की नीयत से सेक्टर 7 इलाके में एक खंडहर जैसे पार्क में लेकर पहुंचा जहां पर न केवल उसके साथ उसने दुष्कर्म किया बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड डाल दी और चुन्नी से गला घोंट दिया। नहीं था कोई भी चश्मदीद गवाह इस मामले में बड़ी बात यह थी कि इस घटना का कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं था। मामला कोर्ट में चला और मामले में 12 तारीख पड़ी। इस मामले में 22 लोगों की गवाहियां हुई। बुधवार को सेशन जज उत्तम कुमार ने यह टिप्पणी देते हुए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई कि मानसिक दिव्यांग महिला के साथ किए गए दुष्कर्म और हत्या के जघन्य अपराध में आरोपी को माफ नहीं किया जा सकता।
हरियाणा के 8 जिलों में बारिश का अलर्ट:24 घंटे में 3 शहरों में ज्यादा बरसा; सीजन में अब तक 390 MM बरसात
हरियाणा के 8 जिलों में बारिश का अलर्ट:24 घंटे में 3 शहरों में ज्यादा बरसा; सीजन में अब तक 390 MM बरसात हरियाणा में 8 जिलों के लिए मौसम विभाग ने खराब मौसम का अलर्ट जारी किया है। इनमें यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और नूंह शामिल हैं। मौसम विभाग का मानना है कि यहां हल्की से मध्यम बारिश आ सकती है। बादल छाए रहने से दिन के तापमान में हल्की गिरावट देखने को मिल सकती है। पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश कुरुक्षेत्र में दर्ज की गई, यहां 15.0 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई। अब तक प्रदेश के 6 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। 17-18 सितंबर को भी प्रदेश में मौसम खराब रह सकता है। 18 सितंबर को महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह और पलवल में हैवी रेन का अलर्ट जारी किया गया है। मानसून सीजन में अब तक 390.4 MM बारिश प्रदेशभर में मानसून की सक्रियता के चलते पिछले 24 घंटे में 15.9 मिलीमीटर बारिश हुई है। मानसून सीजन में अब तक 390.4 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है, जो सामान्य 401.1 मिलीमीटर से महज 3 फीसदी ही कम है। जुलाई में इस बार 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। 2018 में 549 मिमी बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में 472, 2023 में 390 और 2024 में सिर्फ 97.9 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है। 19 सितंबर तक परिवर्तनशील रहेगा मौसम हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (HAU) के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन लाल खीचड़ ने बताया कि हरियाणा में 19 सितंबर तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील रहने की संभावना है। इस दौरान मानसूनी हवाओं की सक्रियता बढ़ने की संभावना है, जिसके चलते प्रदेश के अधिकांश जिलों में रुक-रुक कर तेज हवाएं चलने तथा गरज के साथ छींटे पड़ने के साथ कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। इससे दिन के तापमान में हल्की गिरावट तथा वातावरण में नमी की मात्रा में वृद्धि होने की भी संभावना है। 4 दिन में 5 की हो चुकी मौत हरियाणा में करनाल के नीलोखेड़ी में 13 सितंबर को पॉलिटेक्निक के नजदीक बारिश के कारण एक पेड़ कार पर गिर गया। हादसे में कार में बैठी देवरानी-जेठानी की मौत हो गई। वहीं फरीदाबाद के ओल्ड फरीदाबाद रेलवे अंडर ब्रिज के नीचे भरे बरसाती पानी में 14 सितंबर को महिंद्रा XUV700 गाड़ी डूब गई। उसमें बैठे एचडीएफसी के बैंक मैनेजर और कैशियर की दर्दनाक मौत हो गई। फरीदाबाद की संजय कॉलोनी में एक महिला की 14 सितंबर को करंट लगने से मौके पर ही मौत हो गई। सुमित्रा (58) संजय कॉलोनी में रहती थी। सुमित्रा के पति नरेश ने एटीएम संचालक कंपनी पर केस दर्ज कराया है।