कानपुर दंगा…32 हिंदुओं को जेल भेजना बना बड़ा मुद्दा:सरकार वापस लेगी मुकदमे; पीड़ित बोले-पुलिस ने फर्जी FIR लिखी, जिंदगी बर्बाद कर दिया

कानपुर दंगा…32 हिंदुओं को जेल भेजना बना बड़ा मुद्दा:सरकार वापस लेगी मुकदमे; पीड़ित बोले-पुलिस ने फर्जी FIR लिखी, जिंदगी बर्बाद कर दिया

कानपुर में सीसामऊ विधानसभा सीट पर उप-चुनाव होना है। तारीखों का ऐलान जल्द चुनाव आयोग कर सकता है। इससे पहले भाजपा ने एक ऐसा मुद्दा उठा दिया, जो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। अक्टूबर-2015 में मुहर्रम जुलूस के समय सीसामऊ में दंगा हुआ। पुलिस ने 32 हिंदुओं को आरोपी बनाकर जेल भेजा था। अब भाजपा ने उप-चुनाव से ठीक पहले सभी मुकदमे खत्म कराने की कोशिश शुरू कर दी है। मंत्री सुरेश खन्ना ने इसका ऐलान भी कर दिया है। मुकदमा खत्म किए जाने की पहल के बाद दैनिक भास्कर ने पीड़ितों से बात की। लोगों ने बताया- मौके पर भी नहीं था। मालूम भी नहीं था कि इस तरह का झगड़ा हुआ था। तत्कालीन सपा विधायक इरफान सोलंकी के कहने पर पुलिस ने झूठे मुकदमे में फंसाकर बर्बाद कर दिया। पीड़ितों ने 9 साल की पीड़ा बताई। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… मुस्लिम अधिकारी बोले- यहां से चले जाओ, हम लोग बहुत हैं
मुख्य आरोपी रविंद्र कुमार संतु ने बताया- हम लोग हर साल दर्शनपुरवा में माता का जागरण कराते थे। उसी में हम लोग भंडारा कराते थे। दर्शनपुरवा में ही एक मुस्लिम परिवार था। उनके कहने पर हम लोग मुहर्रम जुलूस में चाय बंटवा देते। हम लोगों ने उनकी बात मानकर भंडारा कराने के बाद चाय का वितरण किया। तभी जुलूस में शामिल कुछ लड़कों ने मां दुर्गा के पोस्टर को फाड़ दिया। इस पर बवाल शुरू हो गया। बवाल बढ़ा तो वहां तैनात एक मुस्लिम पुलिस अधिकारी आए और धमकाते हुए कहा- हम लोगों की तादाद बहुत है और यहां से चले जाइए। पुलिस ने कुछ लोगों के बहकावे में हम 4 भाई सुरेंद्र कल्लू (अब मृतक), राजेश कुमार, मनीष और संतु को मुकदमे में फंसा दिया। पुलिस ने इरफान सोलंकी के दबाव में हम 32 लोगों को गिरफ्तार किया था। कानपुर जेल में करीब 20 दिन रहे। मां बोलीं- पुलिस ने हमको बर्बाद कर दिया
संतु की मां भानुमती ने कहा- जिस दिन दंगा हुआ, उस दिन हमारा एक्सीडेंट हुआ था। हमारे चारों लड़कों को पुलिस ने बंद कर दिया था। हमने बहुत परेशानी उठाई। फजलगंज पुलिस ने हमको बर्बाद कर दिया। दिनभर भूखे-प्यासे रहते थे। इस मुकदमे में पूरा जीवन चला गया। मां ने कहा- संतु की शादी करनी थी तो थाने वालों ने 20 हजार रुपए मांगे। बहुत मिन्नत की तो 13 हजार रुपए में पुलिस वाले माने। हाईकोर्ट से जमानत कराई तो मुखबिर लग गए। फिर किदवई नगर पुलिस वाले उठा ले गए। पीड़ित बोले- हर तारीख पर दम घुटता था
जेल भेजे गए अभिषेक मिश्रा ने बताया- समाजवादी सरकार में हिंदुओं को टारगेट किया गया। आज मैं झूठा मुकदमा झेल रहा हूं। जबकि मैं मौके पर भी नहीं था। मालूम भी नहीं था कि इस तरह का झगड़ा हुआ था। मुकदमेबाजी होने से जीवन में 10 साल पीछे चले गए। कुछ लोग मामले को खत्म करना चाहते थे, लेकिन विरोधी पार्टी के कुछ लोग मामले को बढ़ाने में जुटे थे। अभिषेक कहते हैं- प्राइवेट नौकरी करता था, मुकदमा होने के बाद 6 महीने फरारी काटी। आए दिन पुलिस परेशान करती थी। घर पर कुर्की का वारंट लग गया था। परेशानी इतनी झेली कि कर्जा लेकर मुकदमा लड़ा। पत्नी के गहने गिरवी रखकर जमानत कराई। हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ली। हर महीने की तारीख फांसी के फंदे की तरह थी। दम घुटता था। रात में सब ठीक हो गया था, सुबह दंगा भड़क गया
आरोपी बनाए गए राजीव सागर कहते हैं कि जिस रात मुहर्रम जुलूस निकलना था, उसी रास्ते पर जागरण का कार्यक्रम था। उसका बैनर लगाया गया था। रात में ही मुस्लिम युवकों ने बैनर फाड़ दिया। रात में सब कुछ ठीक हो गया था। लेकिन, सुबह उपद्रवियों की वजह से फिर से बवाल भड़क गया और दंगे का रूप ले लिया। मैंने करीब 10 दिन जेल काटी। अब बात साल-2015 में हुए पूरे मामले की… 50 उपद्रवियों पर केस हुआ था
दर्शनपुरवा में 9 साल पहले मोहर्रम का जुलूस निकलने के दौरान हुए बवाल से संबंधित मुकदमे को शासन ने वापस लेने का फैसला किया है। इस संबंध में विशेष सचिव ने डीएम को पत्र भेजकर मुकदमा वापसी से संबंधित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। 50 उपद्रवियों पर केस हुआ था। बैनर फाड़ने पर शुरू हुआ था बवाल
23 अक्टूबर, 2015 को दर्शनपुरवा के पास भंडारे का बैनर फाड़ने पर बवाल शुरू हुआ था। अगले दिन ताजिया का जुलूस निकलना था। इसके चलते देर रात पुलिस ने फजलगंज थाने में दो समुदायों के संभ्रात व्यक्तियों को बुलाकर समझौता करा दिया था। विवादित स्थान से जुलूस न निकालने की बात तय हो गई थी। अगले दिन कुछ उपद्रवियों ने माहौल बिगाड़ा
अगले दिन कुछ उपद्रवियों ने समझौते के खिलाफ मोहल्लों के लोगों को भड़काया। एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाते हुए उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई। पुलिस ने समझाकर लोगों को शांत कराने की कोशिश की तो उपद्रवियों ने पथराव शुरू कर दिया था। दुकानें बंद हो गईं, मची थी भगदड़
बवाल से भगदड़ मच गई थी। दुकानें बंद हो गई थीं। कुछ पुलिसकर्मियों के हेलमेट और बॉडी प्रोटेक्टर भी टूट गए थे। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ा था। दर्शनपुरवा चौकी इंचार्ज बृजेश शुक्ला ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। ——————————————– ये खबर भी पढ़िए… कानपुर में मंत्री सुरेश खन्ना का 32 पीड़ित परिवारों ने किया स्वागत दर्शनपुरवा में 2015 में लगाए गए फर्जी मुकदमे की वापसी के सरकार के निर्णय से उत्साहित पीड़ितों ने 10 अक्टूबर को वित्त और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना से मुलाकात की। गुमटी में एक कार्यक्रम में उनका स्वागत किया। पीड़ितों ने कहा- आज का दिन हमारे लिए दिवाली की तरह है। सुरेश खन्ना ने कहा- समाजवादियों के अत्याचार से लोगों को न्याय मिला है। सरकार ने जांच में पाया कि आप सब युवा साथियों पर फर्जी तरीके से मुकदमे दर्ज किए गए थे, इसलिए मुकदमे वापसी कि संस्तुति की गई। पढ़ें पूरी खबर… कानपुर में सीसामऊ विधानसभा सीट पर उप-चुनाव होना है। तारीखों का ऐलान जल्द चुनाव आयोग कर सकता है। इससे पहले भाजपा ने एक ऐसा मुद्दा उठा दिया, जो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। अक्टूबर-2015 में मुहर्रम जुलूस के समय सीसामऊ में दंगा हुआ। पुलिस ने 32 हिंदुओं को आरोपी बनाकर जेल भेजा था। अब भाजपा ने उप-चुनाव से ठीक पहले सभी मुकदमे खत्म कराने की कोशिश शुरू कर दी है। मंत्री सुरेश खन्ना ने इसका ऐलान भी कर दिया है। मुकदमा खत्म किए जाने की पहल के बाद दैनिक भास्कर ने पीड़ितों से बात की। लोगों ने बताया- मौके पर भी नहीं था। मालूम भी नहीं था कि इस तरह का झगड़ा हुआ था। तत्कालीन सपा विधायक इरफान सोलंकी के कहने पर पुलिस ने झूठे मुकदमे में फंसाकर बर्बाद कर दिया। पीड़ितों ने 9 साल की पीड़ा बताई। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… मुस्लिम अधिकारी बोले- यहां से चले जाओ, हम लोग बहुत हैं
मुख्य आरोपी रविंद्र कुमार संतु ने बताया- हम लोग हर साल दर्शनपुरवा में माता का जागरण कराते थे। उसी में हम लोग भंडारा कराते थे। दर्शनपुरवा में ही एक मुस्लिम परिवार था। उनके कहने पर हम लोग मुहर्रम जुलूस में चाय बंटवा देते। हम लोगों ने उनकी बात मानकर भंडारा कराने के बाद चाय का वितरण किया। तभी जुलूस में शामिल कुछ लड़कों ने मां दुर्गा के पोस्टर को फाड़ दिया। इस पर बवाल शुरू हो गया। बवाल बढ़ा तो वहां तैनात एक मुस्लिम पुलिस अधिकारी आए और धमकाते हुए कहा- हम लोगों की तादाद बहुत है और यहां से चले जाइए। पुलिस ने कुछ लोगों के बहकावे में हम 4 भाई सुरेंद्र कल्लू (अब मृतक), राजेश कुमार, मनीष और संतु को मुकदमे में फंसा दिया। पुलिस ने इरफान सोलंकी के दबाव में हम 32 लोगों को गिरफ्तार किया था। कानपुर जेल में करीब 20 दिन रहे। मां बोलीं- पुलिस ने हमको बर्बाद कर दिया
संतु की मां भानुमती ने कहा- जिस दिन दंगा हुआ, उस दिन हमारा एक्सीडेंट हुआ था। हमारे चारों लड़कों को पुलिस ने बंद कर दिया था। हमने बहुत परेशानी उठाई। फजलगंज पुलिस ने हमको बर्बाद कर दिया। दिनभर भूखे-प्यासे रहते थे। इस मुकदमे में पूरा जीवन चला गया। मां ने कहा- संतु की शादी करनी थी तो थाने वालों ने 20 हजार रुपए मांगे। बहुत मिन्नत की तो 13 हजार रुपए में पुलिस वाले माने। हाईकोर्ट से जमानत कराई तो मुखबिर लग गए। फिर किदवई नगर पुलिस वाले उठा ले गए। पीड़ित बोले- हर तारीख पर दम घुटता था
जेल भेजे गए अभिषेक मिश्रा ने बताया- समाजवादी सरकार में हिंदुओं को टारगेट किया गया। आज मैं झूठा मुकदमा झेल रहा हूं। जबकि मैं मौके पर भी नहीं था। मालूम भी नहीं था कि इस तरह का झगड़ा हुआ था। मुकदमेबाजी होने से जीवन में 10 साल पीछे चले गए। कुछ लोग मामले को खत्म करना चाहते थे, लेकिन विरोधी पार्टी के कुछ लोग मामले को बढ़ाने में जुटे थे। अभिषेक कहते हैं- प्राइवेट नौकरी करता था, मुकदमा होने के बाद 6 महीने फरारी काटी। आए दिन पुलिस परेशान करती थी। घर पर कुर्की का वारंट लग गया था। परेशानी इतनी झेली कि कर्जा लेकर मुकदमा लड़ा। पत्नी के गहने गिरवी रखकर जमानत कराई। हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ली। हर महीने की तारीख फांसी के फंदे की तरह थी। दम घुटता था। रात में सब ठीक हो गया था, सुबह दंगा भड़क गया
आरोपी बनाए गए राजीव सागर कहते हैं कि जिस रात मुहर्रम जुलूस निकलना था, उसी रास्ते पर जागरण का कार्यक्रम था। उसका बैनर लगाया गया था। रात में ही मुस्लिम युवकों ने बैनर फाड़ दिया। रात में सब कुछ ठीक हो गया था। लेकिन, सुबह उपद्रवियों की वजह से फिर से बवाल भड़क गया और दंगे का रूप ले लिया। मैंने करीब 10 दिन जेल काटी। अब बात साल-2015 में हुए पूरे मामले की… 50 उपद्रवियों पर केस हुआ था
दर्शनपुरवा में 9 साल पहले मोहर्रम का जुलूस निकलने के दौरान हुए बवाल से संबंधित मुकदमे को शासन ने वापस लेने का फैसला किया है। इस संबंध में विशेष सचिव ने डीएम को पत्र भेजकर मुकदमा वापसी से संबंधित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। 50 उपद्रवियों पर केस हुआ था। बैनर फाड़ने पर शुरू हुआ था बवाल
23 अक्टूबर, 2015 को दर्शनपुरवा के पास भंडारे का बैनर फाड़ने पर बवाल शुरू हुआ था। अगले दिन ताजिया का जुलूस निकलना था। इसके चलते देर रात पुलिस ने फजलगंज थाने में दो समुदायों के संभ्रात व्यक्तियों को बुलाकर समझौता करा दिया था। विवादित स्थान से जुलूस न निकालने की बात तय हो गई थी। अगले दिन कुछ उपद्रवियों ने माहौल बिगाड़ा
अगले दिन कुछ उपद्रवियों ने समझौते के खिलाफ मोहल्लों के लोगों को भड़काया। एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाते हुए उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई। पुलिस ने समझाकर लोगों को शांत कराने की कोशिश की तो उपद्रवियों ने पथराव शुरू कर दिया था। दुकानें बंद हो गईं, मची थी भगदड़
बवाल से भगदड़ मच गई थी। दुकानें बंद हो गई थीं। कुछ पुलिसकर्मियों के हेलमेट और बॉडी प्रोटेक्टर भी टूट गए थे। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ा था। दर्शनपुरवा चौकी इंचार्ज बृजेश शुक्ला ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। ——————————————– ये खबर भी पढ़िए… कानपुर में मंत्री सुरेश खन्ना का 32 पीड़ित परिवारों ने किया स्वागत दर्शनपुरवा में 2015 में लगाए गए फर्जी मुकदमे की वापसी के सरकार के निर्णय से उत्साहित पीड़ितों ने 10 अक्टूबर को वित्त और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना से मुलाकात की। गुमटी में एक कार्यक्रम में उनका स्वागत किया। पीड़ितों ने कहा- आज का दिन हमारे लिए दिवाली की तरह है। सुरेश खन्ना ने कहा- समाजवादियों के अत्याचार से लोगों को न्याय मिला है। सरकार ने जांच में पाया कि आप सब युवा साथियों पर फर्जी तरीके से मुकदमे दर्ज किए गए थे, इसलिए मुकदमे वापसी कि संस्तुति की गई। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर