कौन थे प्रोफेसर जीएन साईबाबा जो एक दशक से ज्यादा समय तक इस वजह से रहे सुर्खियों में?

कौन थे प्रोफेसर जीएन साईबाबा जो एक दशक से ज्यादा समय तक इस वजह से रहे सुर्खियों में?

<p style=”text-align: justify;”><strong>GN Saibaba Passed Away:</strong> माओवादियों से कथित लिंक के एक मामले में महज सात महीने पहले अदालत से बरी हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ( गोकरकोंडा नागा साईबाबा ) का बीती रात नौ बजे निधन हो गया. 54 वर्षीय साईबाबा पित्ताशय के संक्रमण से पीड़ित थे. दो सप्ताह पहले उनका ऑपरेशन हुआ था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऑपरेशन के बाद से वह स्वास्थ्य संबंधी जटिल समस्याओं से जूझ रहे थे. पिछले 20 दिनों से वह हैदराबाद के निजाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एनआईएमएस) में भर्ती थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>&nbsp;10 साल तक जेल में क्यों रहे?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, तथाकथित नक्सलियों से लिंक रखने के शक में 2014 में महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया था. पुलिस ने मार्च 2017 में कथित माओवादी संबंधों और राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाली गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र की गढ़चिरौली कोर्ट ने इस मामले में मार्च 2017 में साईबाबा को दोषी ठहराया था. सत्र न्यायालय ने साईबाबा सहित महेश तिर्की, पांडु नरोटे, हेम मिश्रा, प्रशांत राही और विजय तिर्की सहित पांच अन्य को दोषी करार दिया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने सेशन कोर्ट के फैसले को मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में चुनौती दी थी. नागपुर पीठ ने माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में वर्षों तक ट्रायल चलने के बाद साईबाबा एवं पांच अन्य को मुंबई पुलिस के आरोपों से बरी कर दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुंबई पुलिस व अन्य जांच एजेंसियां इस मामले में वर्षों तक चले कानूनी जंग के दौरान जीएन साईबाबा के खिलाफ मामला साबित करने में विफल रही. उसके बाद अदालत ने न केवल उनकी आजीवन कारावास की सजा रद्द कर दी बल्कि जमानत पर रिहा भी कर दिया.&nbsp;<br />&nbsp;<br />हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत आरोप लगाने के लिए प्राप्त की गई मंजूरी को गलत करार दिया. अदालत से माओवादियों से संबंध रखने के मामले में बरी होने के बाद साईबाबा व्हीलचेयर पर बैठकर 10 साल बाद नागपुर केंद्रीय कारागार से बाहर आए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साईबाबा ने भी पुलिस पर लगाए थे गंभीर आरोप&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>साईबाबा ने अगस्त 2024 में आरोप लगाया था कि उनके शरीर के बाएं हिस्से के लकवाग्रस्त हो जाने के बावजूद प्राधिकारी नौ महीने तक जेल अधिकारी और वहां पुलिस अफसर अस्पताल नहीं ले गए. उन्हें नागपुर केंद्रीय कारागार में केवल दर्द निवारक दवाएं दी गईं, जहां वह 2014 में इस मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से बंद थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अंग्रेजी के पूर्व प्रोफेसर ने दावा किया था कि उनकी आवाज दबाने के लिए उनका अपहरण किया गया और फिर महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया.<br />गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र पुलिस के वरिष्ठ जांच अधिकारी मेरे साथ घर गए और परिवार के लोगों को धमकाया. महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें व्हीलचेयर से घसीटा और इसके परिणामस्वरूप उनके हाथ में गंभीर चोट लग गई, जिससे उनके तंत्रिका तंत्र पर भी असर पड़ा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आंध्र प्रदेश के मूल निवासी साईबाबा ने आरोप लगाया था कि जांच अफसरों ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने बात करना बंद नहीं किया तो उन्हें किसी झूठे मामले में गिरफ्तार कर लिया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कौन थे जी एन साईबाबा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जीएन साईबाबा साल 2003 से दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे. उन्हें तथा​कथित माओवादियों से लिंक की वजह से महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद 2014 में उन्हें कॉलेज से निलंबित कर दिया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”दिल्ली में नहीं थम रहा मुख्यमंत्री बंगले का विवाद, LG ने बयान जारी कर क्या कहा?” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-cm-atishi-bungalow-controversy-lg-vinai-kumar-saxena-on-aap-ann-2802432″ target=”_blank” rel=”noopener”>दिल्ली में नहीं थम रहा मुख्यमंत्री बंगले का विवाद, LG ने बयान जारी कर क्या कहा?</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>GN Saibaba Passed Away:</strong> माओवादियों से कथित लिंक के एक मामले में महज सात महीने पहले अदालत से बरी हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ( गोकरकोंडा नागा साईबाबा ) का बीती रात नौ बजे निधन हो गया. 54 वर्षीय साईबाबा पित्ताशय के संक्रमण से पीड़ित थे. दो सप्ताह पहले उनका ऑपरेशन हुआ था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऑपरेशन के बाद से वह स्वास्थ्य संबंधी जटिल समस्याओं से जूझ रहे थे. पिछले 20 दिनों से वह हैदराबाद के निजाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एनआईएमएस) में भर्ती थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>&nbsp;10 साल तक जेल में क्यों रहे?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, तथाकथित नक्सलियों से लिंक रखने के शक में 2014 में महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया था. पुलिस ने मार्च 2017 में कथित माओवादी संबंधों और राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाली गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र की गढ़चिरौली कोर्ट ने इस मामले में मार्च 2017 में साईबाबा को दोषी ठहराया था. सत्र न्यायालय ने साईबाबा सहित महेश तिर्की, पांडु नरोटे, हेम मिश्रा, प्रशांत राही और विजय तिर्की सहित पांच अन्य को दोषी करार दिया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने सेशन कोर्ट के फैसले को मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में चुनौती दी थी. नागपुर पीठ ने माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में वर्षों तक ट्रायल चलने के बाद साईबाबा एवं पांच अन्य को मुंबई पुलिस के आरोपों से बरी कर दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुंबई पुलिस व अन्य जांच एजेंसियां इस मामले में वर्षों तक चले कानूनी जंग के दौरान जीएन साईबाबा के खिलाफ मामला साबित करने में विफल रही. उसके बाद अदालत ने न केवल उनकी आजीवन कारावास की सजा रद्द कर दी बल्कि जमानत पर रिहा भी कर दिया.&nbsp;<br />&nbsp;<br />हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत आरोप लगाने के लिए प्राप्त की गई मंजूरी को गलत करार दिया. अदालत से माओवादियों से संबंध रखने के मामले में बरी होने के बाद साईबाबा व्हीलचेयर पर बैठकर 10 साल बाद नागपुर केंद्रीय कारागार से बाहर आए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साईबाबा ने भी पुलिस पर लगाए थे गंभीर आरोप&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>साईबाबा ने अगस्त 2024 में आरोप लगाया था कि उनके शरीर के बाएं हिस्से के लकवाग्रस्त हो जाने के बावजूद प्राधिकारी नौ महीने तक जेल अधिकारी और वहां पुलिस अफसर अस्पताल नहीं ले गए. उन्हें नागपुर केंद्रीय कारागार में केवल दर्द निवारक दवाएं दी गईं, जहां वह 2014 में इस मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से बंद थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अंग्रेजी के पूर्व प्रोफेसर ने दावा किया था कि उनकी आवाज दबाने के लिए उनका अपहरण किया गया और फिर महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया.<br />गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र पुलिस के वरिष्ठ जांच अधिकारी मेरे साथ घर गए और परिवार के लोगों को धमकाया. महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें व्हीलचेयर से घसीटा और इसके परिणामस्वरूप उनके हाथ में गंभीर चोट लग गई, जिससे उनके तंत्रिका तंत्र पर भी असर पड़ा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आंध्र प्रदेश के मूल निवासी साईबाबा ने आरोप लगाया था कि जांच अफसरों ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने बात करना बंद नहीं किया तो उन्हें किसी झूठे मामले में गिरफ्तार कर लिया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कौन थे जी एन साईबाबा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जीएन साईबाबा साल 2003 से दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे. उन्हें तथा​कथित माओवादियों से लिंक की वजह से महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद 2014 में उन्हें कॉलेज से निलंबित कर दिया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”दिल्ली में नहीं थम रहा मुख्यमंत्री बंगले का विवाद, LG ने बयान जारी कर क्या कहा?” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-cm-atishi-bungalow-controversy-lg-vinai-kumar-saxena-on-aap-ann-2802432″ target=”_blank” rel=”noopener”>दिल्ली में नहीं थम रहा मुख्यमंत्री बंगले का विवाद, LG ने बयान जारी कर क्या कहा?</a></strong></p>  दिल्ली NCR कूरियर से डिलीवर हुई पिस्तौल, एडवांस में पेमेंट, बाबा सिद्दीकी की हत्या के लिए बनाया गया था ‘मास्टर प्लान’