हिमाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का आयोजन 13 से 19 अक्टूबर तक किया जा रहा है, जिसकी आज शुरुआत होगी। भगवान रघुनाथ जी की शोभा यात्रा आज 4 बजे के बाद तब तक नहीं होगी जब तक सामने की पहाड़ी पर स्थापित भुवनेश्वरी माता भेखली ध्वजा लहराकर अपनी हाजिरी नहीं भरती। इससे पहले आज दशहरा में शामिल होने वाले देवी-देवता रघुनाथ मंदिर में परोल धूपेंगे। रामशिला हनुमान मंदिर पहुंची माता
यह क्रम पिछले दिन से शुरू हो गया है। दूर के सैकड़ों देवी देवता कल ही पहुँच चुके हैं, जबकि नजदीक के देवी देवता यात्रा से पूर्व पहुँच जाएंगे। राज परिवार की दादी कहलाने वाली प्रमुख हडिम्बा बीते कल ही रामशिला हनुमान मंदिर पहुंची हैं। आज सुबह माता का शृंगार होने तक राजपरिवार की ओर से छड़ी लेकर दशहरे में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया। फिलहाल माता का रथ सुल्तानपुर के लिए रवाना हो गया। बिजली महादेव पिछली रात को रघुनाथ मंदिर पहुँच गए है। इस बार भी 332 देवी देवताओं को निमंत्रण दिया गया है। राज्यपाल करेंगे कुल्लू दशहरा का शुभारंभ
आज राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल कुल्लू दशहरा का शुभारंभ करेंगे। शोभा यात्रा के दौरान देवसदन के प्रांगण में बने मंच पर शिरकत करेंगे। शाम को 7 बजे प्रदर्शनी और 8 बजे सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ करेंगे। प्रशासन ने किए पुख्ता इंतजाम
प्रशासन ने कुल्लू दशहरा की तैयारियों को लेकर पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं। डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश का कहना है कि इंतजाम पूरे कर दिये गए हैं। कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस की भी पूरी तैयारी में है और 1300 जवान तैनात किए गए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर होगा खेल उत्सव
इस बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल उत्सव का आयोजन होगा। जिसमें महिला और पुरूष की वॉलीबॉल प्रतियोगिता होगी। खेल प्रतियोगिता 15 से 18 तक होगी इसी दिन लालड़ी भी होगी। राजा जगत सिंह के समय 1651 मे हुआ दशहरा मनाना शुरू
राजा जगत सिंह ने 1637 से 1662 तक शासन किया इसी राजा के समय दामोदर दास ने अयोध्या से रघुनाथ जी की मूर्ति कुल्लू लाई थी। राजा ने 1651 में पहला दशहरा गड़सा घाटी के मकराहड़ में मूर्ति के स्वागत में मनाया था। 1660 में सुल्तानपुर को राजधानी बनाया। हिमाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का आयोजन 13 से 19 अक्टूबर तक किया जा रहा है, जिसकी आज शुरुआत होगी। भगवान रघुनाथ जी की शोभा यात्रा आज 4 बजे के बाद तब तक नहीं होगी जब तक सामने की पहाड़ी पर स्थापित भुवनेश्वरी माता भेखली ध्वजा लहराकर अपनी हाजिरी नहीं भरती। इससे पहले आज दशहरा में शामिल होने वाले देवी-देवता रघुनाथ मंदिर में परोल धूपेंगे। रामशिला हनुमान मंदिर पहुंची माता
यह क्रम पिछले दिन से शुरू हो गया है। दूर के सैकड़ों देवी देवता कल ही पहुँच चुके हैं, जबकि नजदीक के देवी देवता यात्रा से पूर्व पहुँच जाएंगे। राज परिवार की दादी कहलाने वाली प्रमुख हडिम्बा बीते कल ही रामशिला हनुमान मंदिर पहुंची हैं। आज सुबह माता का शृंगार होने तक राजपरिवार की ओर से छड़ी लेकर दशहरे में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया। फिलहाल माता का रथ सुल्तानपुर के लिए रवाना हो गया। बिजली महादेव पिछली रात को रघुनाथ मंदिर पहुँच गए है। इस बार भी 332 देवी देवताओं को निमंत्रण दिया गया है। राज्यपाल करेंगे कुल्लू दशहरा का शुभारंभ
आज राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल कुल्लू दशहरा का शुभारंभ करेंगे। शोभा यात्रा के दौरान देवसदन के प्रांगण में बने मंच पर शिरकत करेंगे। शाम को 7 बजे प्रदर्शनी और 8 बजे सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ करेंगे। प्रशासन ने किए पुख्ता इंतजाम
प्रशासन ने कुल्लू दशहरा की तैयारियों को लेकर पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं। डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश का कहना है कि इंतजाम पूरे कर दिये गए हैं। कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस की भी पूरी तैयारी में है और 1300 जवान तैनात किए गए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर होगा खेल उत्सव
इस बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल उत्सव का आयोजन होगा। जिसमें महिला और पुरूष की वॉलीबॉल प्रतियोगिता होगी। खेल प्रतियोगिता 15 से 18 तक होगी इसी दिन लालड़ी भी होगी। राजा जगत सिंह के समय 1651 मे हुआ दशहरा मनाना शुरू
राजा जगत सिंह ने 1637 से 1662 तक शासन किया इसी राजा के समय दामोदर दास ने अयोध्या से रघुनाथ जी की मूर्ति कुल्लू लाई थी। राजा ने 1651 में पहला दशहरा गड़सा घाटी के मकराहड़ में मूर्ति के स्वागत में मनाया था। 1660 में सुल्तानपुर को राजधानी बनाया। हिमाचल | दैनिक भास्कर