हरियाणा में पराली अवशेष जलाने के मामले में जहां कैथल जिला प्रदेश में नंबर एक पर है, तो वहीं यहां की हवा भी देश में सबसे खराब बताई जा रही है। मिली जानकारी अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वयं संज्ञान लेते हुए कैथल डीसी को नोटिस जारी कर आगमी 23 अक्टूबर को जबाव देने को कहा है। जिले में अब तक पराली जलाने के 117 मामले सामने आ चुके हैं। सांस लेने में दिक्कत व आंखों में जलन जिसकी वजह से शहर की हवा भी बेहत खराब हो चुकी है। एयर क्वालिटी इंडेक्स भी 370 तक पहुंच गया है। जिस कारण लोगों को सांस लेने के साथ में भी आंखों में जलन हो रही है। बता दें कि जिले में पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रहे हैं, अब तक 117 मामले सामने आने के बाद भी विभाग द्वारा एक भी किसान के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई है। जुर्माना लगाने तक सीमित रहे अधिकारी अधिकारी सिर्फ जुर्माना लगाने तक ही सीमित है, लोग प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस के डर से दिन की बजाए रात को आग लगा रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने आदेशों में खान की आखिर कैथल और कुरूक्षेत्र जिले में पराली जलाने की घटनाओं को क्यों नहीं रोका जा रहा। डीसी कोर्ट में जवाब करेंगे पेश इस संदर्भ में अब दोनों डीसी 23 अक्टूबर को कोर्ट में अपना जवाब पेश करेंगे। हालांकि इस संदर्भ में अभी जिला प्रशासन के पास आदेश नहीं पहुंचे हैं, जबकि हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी ने 2 दिन पहले भी लगातार बढ़कर आग लगाने के मामलों को लेकर डीसी से रिपोर्ट मांगी थी। हरियाणा में पराली अवशेष जलाने के मामले में जहां कैथल जिला प्रदेश में नंबर एक पर है, तो वहीं यहां की हवा भी देश में सबसे खराब बताई जा रही है। मिली जानकारी अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वयं संज्ञान लेते हुए कैथल डीसी को नोटिस जारी कर आगमी 23 अक्टूबर को जबाव देने को कहा है। जिले में अब तक पराली जलाने के 117 मामले सामने आ चुके हैं। सांस लेने में दिक्कत व आंखों में जलन जिसकी वजह से शहर की हवा भी बेहत खराब हो चुकी है। एयर क्वालिटी इंडेक्स भी 370 तक पहुंच गया है। जिस कारण लोगों को सांस लेने के साथ में भी आंखों में जलन हो रही है। बता दें कि जिले में पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रहे हैं, अब तक 117 मामले सामने आने के बाद भी विभाग द्वारा एक भी किसान के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई है। जुर्माना लगाने तक सीमित रहे अधिकारी अधिकारी सिर्फ जुर्माना लगाने तक ही सीमित है, लोग प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस के डर से दिन की बजाए रात को आग लगा रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने आदेशों में खान की आखिर कैथल और कुरूक्षेत्र जिले में पराली जलाने की घटनाओं को क्यों नहीं रोका जा रहा। डीसी कोर्ट में जवाब करेंगे पेश इस संदर्भ में अब दोनों डीसी 23 अक्टूबर को कोर्ट में अपना जवाब पेश करेंगे। हालांकि इस संदर्भ में अभी जिला प्रशासन के पास आदेश नहीं पहुंचे हैं, जबकि हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी ने 2 दिन पहले भी लगातार बढ़कर आग लगाने के मामलों को लेकर डीसी से रिपोर्ट मांगी थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
पलवल में टिकट से पहले करण दलाल का नामांकन:खुद को कांग्रेस प्रत्याशी बताया; पार्टी लिस्टों में अभी नहीं आया नाम
पलवल में टिकट से पहले करण दलाल का नामांकन:खुद को कांग्रेस प्रत्याशी बताया; पार्टी लिस्टों में अभी नहीं आया नाम हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया जारी है। पलवल में सोमवार को पलवल विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल ने नामांकन किया। उनको कांग्रेस का संभावित प्रत्याशी माना जा रहा है, हालांकि अभी तक कांग्रेस की ओर से पलवल की सीट को होल्ड रखा गया है। करण दलाल भारी भीड़ के साथ नामांकन पत्र भरने पहुंचे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया है। उनको 12 सितंबर तक कांग्रेस सिंबल जमा करना होगा। करण सिंह दलाल ने बताया कि उन्होंने बतौर कांग्रेस प्रत्याशी नामांकन किया है। रिटर्निंग अधिकारी ने उनसे कहा कि 12 सितंबर तक अपना सिंबल जमा करा देना, नहीं तो आपका फॉर्म रद्द कर दिया जाएगा। दलाल ने कहा कि वे लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं और कांग्रेस पार्टी से विधायक भी रह चुके हैं। पलवल विधानसभा सीट से उनके अलावा दो नाम है, जो अभी क्षेत्र के लिए नए हैं। इसलिए उन्हें पूरी उम्मीद है कि कांग्रेस की टिकट उन्हें ही मिलेगी। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पार्टी के बड़े नेताओं से इशारा जरूर मिला था, लेकिन अभी टिकट की घोषणा नहीं हुई है। इसी को लेकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। करण सिंह दलाल सोमवार को सुबह साढ़े दस बजे अपने काफिले के साथ हुड्डा सेक्टर-2 चौक से जिला सचिवालय के लिए रवाना हुए। उनके साथ भीड़ इतनी थी कि उन्हें अपने सजाए हुए रथ पर चढ़ने का मौका भी नहीं दिया, बल्कि पांच किलोमीटर तक पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल पैदल ही लोगों के साथ चलते रहे। उनका जुलूस पुराने जीटी रोड से गुजरा तो घंटों तक शहर जाम के झाम में फंसा रहा। पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल जब पांच किलोमीटर आगे हाई डाउट पर पहुंचे तो काफिला मीनारगेट पर था। कई किलोमीटर लंबे काफिले को निकलने में काफी समय लगा। इतनी देर तक शहर में यातायात पूरी तरह रुका रहा।
हरियाणा में नए मंत्रिमंडल के लिए 15 MLA शॉर्टलिस्ट:केंद्रीय नेतृत्व ने प्रोफाइल मंगाई; इनमें 7 मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर रह चुके
हरियाणा में नए मंत्रिमंडल के लिए 15 MLA शॉर्टलिस्ट:केंद्रीय नेतृत्व ने प्रोफाइल मंगाई; इनमें 7 मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर रह चुके हरियाणा में नई सरकार के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने कवायद शुरू कर दी है। मंत्रिमंडल के लिए 15 विधायकों के नाम शॉर्ट लिस्ट किए गए हैं। इनमें 7 मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने नाम फाइनल करने से पहले विधायकों की प्रोफाइल मंगाई है। जो चेहरे शॉर्ट लिस्ट किए गए हैं, उनमें नायब सैनी, अनिल विज, राव नरबीर सिंह, विपुल गोयल, मूलचंद शर्मा, कृष्णा गहलावत, कृष्णलाल पंवार, हरविंदर कल्याण, रणबीर गंगवा, महिपाल ढांडा, बिमला चौधरी, लक्ष्मण यादव, घनश्याम सर्राफ, आरती राव और श्रुति चौधरी शामिल हैं। 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। भाजपा ने 48, कांग्रेस ने 37, इनेलो ने 2 और 3 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की। तीनों निर्दलीय विधायक भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। जिसके बाद भाजपा के पास विधायकों की संख्या 51 हो गई है। कल पंचकूला में विधायक दल की मीटिंग होगी। मीटिंग में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ऑब्जर्वर के तौर पर मौजूद रहेंगे। सिलसिलेवार ढंग से जानिए, किसकी दावेदारी क्यों मजबूत…. 1. राव नरबीर सिंह : बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते राव नरबीर सिंह अहीरवाल बेल्ट के बड़े नेता कहे जाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी रहे हैं। पूरे इलाके में राव नरबीर ही इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर न केवल हाईकमान से सीधे टिकट हासिल की, बल्कि इस इलाके में सबसे बड़ी जीत भी दर्ज की है। नरबीर सिंह 2014 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में पावरफुल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके सीधे हाईकमान से अच्छे संबंध है। उनकी कैबिनेट मंत्री के पद पर दावेदारी काफी मजबूत है। इसकी दूसरी वजह उनका राव इंद्रजीत सिंह का विरोधी होना भी है। 10 विधायकों में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी में इकलौते राव नरबीर ही है। भाजपा नरबीर को मंत्री बनाकर इलाके में राव इंद्रजीत सिंह के बराबर नेता खड़ा कर सकती है। 2. बिमला चौधरी : बिमला चौधरी ने पटौदी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। वह 2014 में भी इसी सीट से विधायक बनी थीं। 2019 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। वह राव इंद्रजीत सिंह की करीबी हैं। बिमला चौधरी की दावेदारी इसलिए भी मजबूत है, क्योंकि वह जातीय संतुलन के हिसाब से राव इंद्रजीत सिंह के कोटे में वह फिट बैठती हैं। इसके अलावा उन्हें विधायक रहते हुए प्रशासनिक अनुभव भी है। 3. लक्ष्मण यादव : वह रेवाड़ी सीट से चुनाव जीते है। वह 2019 में कोसली से विधायक चुने गए थे। राव इंद्रजीत सिंह और संगठन दोनों की पसंद की वजह से उन्हें टिकट मिला। अहीरवाल इलाके में यादवों की वोट एक तरह से एक तरफा भाजपा के पक्ष में पड़ा। 2019 में भले ही रेवाड़ी सीट पर भाजपा जीत दर्ज नहीं कर पाई, लेकिन 2014 में यहां पहली बार कमल खिला था।अहीरवाल बेल्ट की राजधानी कहे जाने वाले रेवाड़ी को पिछले 10 सालों में मंत्रीपद नहीं मिल पाया। ऐसे में लक्ष्मण सिंह यादव के नाम पर राव इंद्रजीत सिंह भी सहमति जता सकते हैं। 4. आरती राव : राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने अटेली से चुनाव जीता है। पिछले 3 चुनाव में अटेली में भाजपा उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इलाके में खुद के प्रभाव के चलते ही राव इंद्रजीत सिंह ने बेटी को टिकट दिलाया। ऐसे में आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराकर राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले को मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। 5. विपुल गोयल : यह वैश्य समुदाय से आते हैं। 2014 में चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हालांकि फरीदाबाद सांसद कृष्ण पाल गुर्जर के मतभेदों के कारण टिकट काट दिया गया था। इस बार सीधी हाईकमान में पकड़ होने के कारण इनको टिकट मिला, इसके साथ ही नए मंत्रिमंडल में इसी कारण से कैबिनेट मंत्री के रूप में मजबूत दावेदार बने हुए हैं। 6 मूलचंद शर्मा: भाजपा में ब्राह्मणों के सबसे बड़े चेहरे के रूप में पंडित रामबिलास शर्मा का नाम आता था, लेकिन 2019 में उनके चुनाव हारने के बाद उनके ही रिश्तेदार बल्लभगढ़ से विधायक मूलचंद शर्मा को मनोहर लाल के दूसरे टर्म में परिवहन मंत्री बनाया गया। मूलचंद शर्मा लगातार तीसरी बार इस सीट से विधायक चुने गए हैं। 5 साल मंत्री रहने के दौरान उनकी परफॉर्मेंस ठीक रही, जिसकी वजह से वह इस बार भी कैबिनेट मंत्री पद के दावेदार हैं। उनकी दावेदारी की दूसरी बड़ी वजह इस बार के चुनाव में ब्राह्मण वोटर्स का एकतरफा झुकाव भाजपा की तरफ रहना भी है। 7. महिपाल ढांडा: पानीपत ग्रामीण से विधायक बने हैं। पार्टी का बड़ा जाट चेहरा बनकर उभरे हैं। नायब सैनी के सीएम बनाए जाने के बाद ढांडा को राज्यमंत्री बनाया गया था। अपने छोटे से कार्यकाल में काफी एक्टिव दिखाई दिए थे। जिसके बाद भाजपा ने इन्हें तीसरी बार फिर टिकट दिया। ढांडा की सबसे बड़ी बात यह भी है कि उनके ऊपर अभी तक कोई भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं। 8. कृष्णा गहलावत: राई विधानसभा सीट पर कृष्णा गहलावत ने जीत दर्ज की है। ये सीट पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ मानी जाती है। जाट समुदाय से आने वाली कृष्णा गहलावत 1996 में बंसीलाल सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। भाजपा सोनीपत, रोहतक और झज्जर की जाट बेल्ट में अपना आधार बढ़ाने के लिए उन्हें कैबिनेट में जगह दे सकती है। 9. श्रुति चौधरी: तोशाम विधानसभा सीट पर भाजपा से श्रुति चौधरी ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर उनका मुकाबला अपने चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी से था। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रही श्रुति चौधरी को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिला था। इसके बाद वे अपनी मां किरण चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल हो गईं। तोशाम पर बंसीलाल परिवार का खासा प्रभाव रहा है। इससे पहले किरण चौधरी इस सीट से लगातार जीत हासिल करती रही हैं। उन्हें अब राज्यसभा भेज दिया गया है। ऐसे में श्रुति चौधरी कैबिनेट में मंत्रीपद के मजबूत दावेदारी मानी जा रही है। 10. हरविंदर कल्याण: ये रोड़ समाज से आते हैं। प्रदेश की घरौंडा सीट से इन्होंने जीत दर्ज की है। 2019 में भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। मनोहर लाल खट्टर के बाद नायब सैनी के कार्यकाल में भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो पाए थे, इस बार इस समाज को बीजेपी नई सरकार में प्रतिनिधित्व देना चाहती है, इसलिए दावेदारी मजबूत है। ये पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाते हैं। 11. कृष्ण लाल पंवार: बतौर राज्यसभा सांसद रहते हुए इसराना से विधानसभा चुनाव लड़ा। अब तक 6 बार के विधायक रह चुके हैं। सीनियोरिटी के हिसाब से बीजेपी में दूसरे नंबर पर आते हैं। इनसे पहले अनिल विज सात बार के विधायक बन चुके हैं। दलित समाज से आते हैं। इस चुनाव में दलितों के समर्थन मिलने के बाद बीजेपी में पंवार की मजबूत दावेदारी है। इसके साथ ही पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के भी काफी करीबी हैं। 12. रणबीर गंगवा: संसदीय मामलों के अच्छे जानकार हैं। मनोहर लाल खट्टर और नायब सैनी की सरकार में डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। गंगवा इस बार बरवाला सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचेंगे। इस नई सरकार में उन्हें स्पीकर या डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी दी जा सकती है। 13. घनश्याम सर्राफ: भिवानी से लगातार चार बार विधायक हैं। 2014 में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में राज्य मंत्री रह चुके हैं। वैश्य समाज से आते हैं। बीजेपी ने इस चुनाव में 36 बिरादरी को साथ लेकर चलने का वादा किया है, ऐसे में उनके अनुभव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व उन्हें राज्य मंत्री पद की जिम्मेदारी दे सकता है। 14. अनिल विज: हरियाणा में इस बार विधानसभा में सबसे सीनियर अनिल विज होंगे। इसकी वजह यह है कि यह ऐसे पहले विधायक बने हैं, जिन्होंने सात बार लगातार विधानसभा चुनाव जीता है। मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में सेकेंड पोजीशन पर रहे। हालांकि नायब सैनी के कार्यकाल में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन इस बार वह फिर से कैबिनेट में अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। पार्टी यदि डिप्टी सीएम फॉर्मूला लाती है तो विज को डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है। अनिल विज पंजाबी समुदाय से आते हैं।
हरियाणा चुनाव को लेकर पुलिस का हाई अलर्ट:सभी पुलिसकर्मियों की छुटि्टयां तत्काल प्रभाव से रद्द, सिर्फ इमरजेंसी में मिलेगी
हरियाणा चुनाव को लेकर पुलिस का हाई अलर्ट:सभी पुलिसकर्मियों की छुटि्टयां तत्काल प्रभाव से रद्द, सिर्फ इमरजेंसी में मिलेगी हरियाणा विधानसभा चुनाव के चलते पुलिस कर्मचारियों की छुटि्टयां रद्द कर दी गई हैं। लॉ एंड ऑर्डर के आईजीपी ने इसको लेकर आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश में सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों को इस आदेश को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) से हरियाणा की ओर से 225 कंपनियों की मांग की गई थी। जिसमें से 70 कंपनियां 25 अगस्त, 2024 तक राज्य में पहुंच चुकी थी। शुरू में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 15 कंपनियां, सीमा सुरक्षा बल की 10, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की 15, भारत तिब्बत सीमा पुलिस की 10, सशस्त्र सीमा बल की 10 तथा रेलवे सुरक्षा बल की 10 कंपनियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा हरियाणा में भेजा गया है। छुटि्टयां रद्द करने को लेकर जारी आदेश… हम इस खबर को अपडेट कर रहे हैं…