पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रधान सुखबीर बादल को धार्मिक सजा सुना दी गई थी। इसे लेकर आज श्री अकाल तख्त साहिब ने दीपावली के बाद इस मामले में आगे का फैसला लेने का ऐलान किया है। बता दें कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर बादल को तनखैया करार दे दिया था। जिसके बाद से उनकी सजा पर फैसला होना था। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि इस पर फैसला दीपावली के बाद लिया जाएगा। 25 अक्टूबर यानी दो दिन बाद तक 4 विधानसभा चुनावों के नामांकन होंगे। इससे ये साफ हो गया है कि सुखबीर बादल खुद चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बेअदबी मामले में कार्रवाई न करने के लगे थे आरोप सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने था कि अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ। 2007 से 2017 वाले सिख कैबिनेट मंत्री भी अपना स्पष्टीकरण दें। अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने था कहा कि सुखबीर बादल एक साधारण सिख की तरह अकाल तख्त पर आकर अपने गुनाहों की माफी मांगें। सुखबीर बादल 15 दिन के भीतर अकाल तख्त पर अपना स्पष्टीकरण दें। जब तक वे खुद श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंच माफी नहीं मांगते, उन्हें तनखैया करार दिया जाता है। वल्टोहा पर पहले ही हो चुकी कार्रवाई शिरोमणी अकाली दल के नेता विरसा सिंह वल्टोहा को श्री अकाल तख्त साहिब पर 15 अक्टूबर को पेश हुए थी। जिन्हें शिरोमणि अकाली दल छोड़ने के आदेश दिए गए थे। जिसके बाद उन्हें अकाली दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। वल्टोहा का इस्तीफा अकाली दल द्वारा मंजूर कर दिया गया था। इसकी जानकारी शिअद के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा द्वारा दी गई थी। क्या होता है तनखैया सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब करते हैं। तनखैया घोषित होने के बाद व्यक्ति सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है। तब सिख संगत की ओर से पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाता है। तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रधान सुखबीर बादल को धार्मिक सजा सुना दी गई थी। इसे लेकर आज श्री अकाल तख्त साहिब ने दीपावली के बाद इस मामले में आगे का फैसला लेने का ऐलान किया है। बता दें कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर बादल को तनखैया करार दे दिया था। जिसके बाद से उनकी सजा पर फैसला होना था। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि इस पर फैसला दीपावली के बाद लिया जाएगा। 25 अक्टूबर यानी दो दिन बाद तक 4 विधानसभा चुनावों के नामांकन होंगे। इससे ये साफ हो गया है कि सुखबीर बादल खुद चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बेअदबी मामले में कार्रवाई न करने के लगे थे आरोप सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने था कि अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ। 2007 से 2017 वाले सिख कैबिनेट मंत्री भी अपना स्पष्टीकरण दें। अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने था कहा कि सुखबीर बादल एक साधारण सिख की तरह अकाल तख्त पर आकर अपने गुनाहों की माफी मांगें। सुखबीर बादल 15 दिन के भीतर अकाल तख्त पर अपना स्पष्टीकरण दें। जब तक वे खुद श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंच माफी नहीं मांगते, उन्हें तनखैया करार दिया जाता है। वल्टोहा पर पहले ही हो चुकी कार्रवाई शिरोमणी अकाली दल के नेता विरसा सिंह वल्टोहा को श्री अकाल तख्त साहिब पर 15 अक्टूबर को पेश हुए थी। जिन्हें शिरोमणि अकाली दल छोड़ने के आदेश दिए गए थे। जिसके बाद उन्हें अकाली दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। वल्टोहा का इस्तीफा अकाली दल द्वारा मंजूर कर दिया गया था। इसकी जानकारी शिअद के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा द्वारा दी गई थी। क्या होता है तनखैया सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब करते हैं। तनखैया घोषित होने के बाद व्यक्ति सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है। तब सिख संगत की ओर से पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाता है। तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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