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SGPC चुनाव वोटर रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 31 जुलाई:2011 के चुनावों से आधी रह गई वोटरों की संख्या; कारण- पंथक जत्थेबंदियों से नाराजगी
SGPC चुनाव वोटर रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 31 जुलाई:2011 के चुनावों से आधी रह गई वोटरों की संख्या; कारण- पंथक जत्थेबंदियों से नाराजगी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के चुनावों के लिए पंजीकरण कराने की अंतिम तारीख 31 जुलाई निर्धारित है। इस बार पंजीकरण कराने वाले सिखों की संख्या 2011 में हुई चुनावों की तुलना में लगभग आधी रह गई है। गुरुद्वारा चुनाव आयोग द्वारा वोटर पंजीकरण की समय सीमा को तीन बार आगे बढ़ाने के बावजूद पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 50% से अधिक नहीं हो पा रही। बीती 25 जुलाई तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 27.87 लाख रही, जबकि 2011 में हुए पिछले SGPC चुनाव के दौरान लगभग 52 लाख मतदाता थे। SGPC चुनाव भारत सरकार द्वारा गठित गुरुद्वारा चुनाव आयोग की देखरेख में कराए जाते हैं। मतदाताओं के पंजीकरण की प्रक्रिया 21 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुई थी। शुरुआत में, अंतिम तिथि 15 नवंबर 2023 निर्धारित थी। पंजीकरण की प्रक्रिया में वोटरों की दिलचस्पी को ना देखते हुए इसे 29 फरवरी 2024 तक और फिर 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया। अब एक बार फिर इसी अंतिम तारीख 31 जुलाई निर्धारित की गई। सिख विशेषज्ञों का मानना है कि ढीली प्रतिक्रिया SGPC से घटता विश्वास, मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया और विदेशों में पलायन के प्रभाव के कारण है। बीते समय में हुई घटनाओं से उभरे नहीं सिख तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी केवल सिंह ने कहा कि कई अप्रिय घटनाओं के बाद सिख मामलों में विश्वास की कमी हो गई है। जिसमें डेरा सिरसा के राम रहीम को माफी देना, इसके बाद बेअदबी की घटनाएं शामिल हैं। इनमें लोगों को अभी तक न्याय नहीं मिला। जिससे सिख निराश हो रहे हैं। SGPC सदस्य किरनजोत कौर का मानना है कि SGPC के कुछ गलत कदमों और कुछ नीतियों के अलावा सरकार द्वारा तैयार की गई मतदान पंजीकरण प्रक्रिया के चलते पंजीकरण कम हुआ है। सही से जानकारी सांझा नहीं की गई SGPC सदस्य किरनजोत कौर ने बताया कि प्रशासन द्वारा आयोजित किए जा रहे शिविरों के बारे में कोई प्रचार ही नहीं हुआ। वोटरों को यह नहीं पता था कि पंजीकरण कराने के लिए कहां जाएं। यह भी स्पष्ट नहीं था कि वे किस वार्ड से संबंधित हैं। जब वे कैंप में जाएंगे तो वार्डों में गड़बड़ी के कारण उनका आवेदन खारिज कर दिया जाएगा। साथ ही, पंजीकरण प्रक्रिया समय के दौरान वोटर, चाहे वे बुजुर्ग हों या महिला, का खुद पहुंचना जरूरी था। बाद में, प्रशासन ने अपने पटवारियों और ब्लॉक-स्तरीय अधिकारियों को घर-घर जाकर मतदाताओं का पंजीकरण करने के लिए कहा। लेकिन उन पर पहले से ही काफी अधिक काम का बोझ है। दूसरी बात यह है कि पहले सिख युवाओं में उत्साह देखा गया था। अब, उनमें से बड़ी संख्या में लोग विदेश चले गए हैं। अकाली दल सबसे कम दिलचस्पी ले रहा है मौजूदा समय में सिख न तो SGPC से खुश हैं और न ही अकाली दल से। सिखों के लिए यही दो सबसे बड़ी धार्मिक संस्थाएं हैं। लेकिन अकाली दल ने राजनीतिक लाभ के लिए कुछ ऐसे कदम उठाए कि उलटा असर हुआ। 2017 के बाद लोकसभा व विधानसभा चुनावों के परिणामों में जो हालात पैदा हुए, उसके बाद अकाली दल खुद ही इसमें सबसे कम रूचि ले रहा है। जबकि पहले अकाली दल के वर्कर वोट बनाने की प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग देते थे। जानें वोट बनवाने के लिए क्या है नियम SGPC चुनावों के लिए पंजीकरण करवाने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के आवेदकों को ‘साबत सूरत’ (बिना बाल और दाढ़ी कोट) और 21 वर्ष से अधिक (21 अक्टूबर, 2023 तक) होना चाहिए। जो लोग अपने बाल काटते हैं, धूम्रपान करते हैं और तम्बाकू या शराब का सेवन करते हैं (पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लागू) या सिख पुरुष जो अपनी दाढ़ी काटते या कटवाते हैं, उन्हें चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया जाता है।
वाराणसी में असली दरोगा की नकली ‘स्पेशल क्राइम ब्रांच’:ज्वैलरी कारोबारियों को बस से उतारकर 42 लाख पार किए, दोस्तों को बताया स्पेशल कॉप
वाराणसी में असली दरोगा की नकली ‘स्पेशल क्राइम ब्रांच’:ज्वैलरी कारोबारियों को बस से उतारकर 42 लाख पार किए, दोस्तों को बताया स्पेशल कॉप वाराणसी कमिश्नरेट में वर्दी की आड़ में लूट का गिरोह चलाने वाले दरोगा का पर्दाफ़ाश हुआ है। थानों और चौकी पर तैनाती के दौरान असली दरोगा ने 4 शातिर युवकों के साथ अपनी नकली ‘स्पेशल क्राइम ब्रांच’ बनाई और हाईवे पर लूट की वारदातें शुरू कर दीं। दोस्त रेकी करते फिर वर्दी की आड़ में दरोगा खुद छापेमारी कर माल पार कर देता। दरोगा ने इस बार वाराणसी-कोलकाता हाईवे पर हवाला का रुपया बताकर ज्वेलरी कारोबारी के कर्मचारियों से 42.50 लाख की लूट की। वारदात अपने क्षेत्र से 50 km दूर चंदौली के सैय्यदराजा में की। हालांकि सर्विलांस की जांच में दरोगा फंस गया और अब 2 साथियों समेत असली वाराणसी क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ गया है। पुलिस कमिश्नर की स्पेशल टीम पिछले 40 घंटे से कड़ी पूछताछ में जुटी है और कई लूट की वारदातें खुलकर सामने आ गई हैं। वहीं दरोगा के दो अन्य साथियों की तलाश में ताबड़तोड़ दबिशें दे रही है। हालांकि पुलिस के अफसर खामोश हैं और जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई की बात कह रहे हैं। थाना रामनगर के सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल भी निकाली गई है। नंबर मिलने पर गहराया शक, जवाब नहीं दे पा रहा दरोगा
सर्राफा कारोबारी के कर्मचारियों से लूट की जांच कर रही पुलिस की सर्विलांस टीम के हाथ लोकेशन खंगालने में एक नंबर लगा। जिसे ट्रैस किया तो दरोगा का नंबर था, उसकी तैनाती कैंट की एक मशहूर चौकी पर थी। वारदात में उठते सवालों के बीच पुलिस कमिश्नर ने अपनी स्पेशल टीम लगाई तो कहानी कुछ और ही निकली। टीम ने दरोगा की कुंडली खंगाली तो सुई उस पर जाकर रुक गई। बातचीत में दरोगा ने अपने काम के लिए जाने की बात कही लेकिन सही जवाब नहीं दे पाया। उधर, 22 जून की घटना को 21 दिन बाद 13 जुलाई को दर्ज करने वाले इंस्पेक्टर रामनगर की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। पुलिस टीम से केस का बार-बार अपडेट लेने में बढ़ा शक
वारदात के बाद दरोगा बड़ी रकम और व्यापारियों का मामला होने के चलते सतर्क था। वहीं घटना के बाद रामनगर और सैय्यदराजा थाने से लगातार अपडेट भी ले रहा था। उसने रामनगर थाने में केस के विवेचक से भी बात की, हालांकि केस में कोई प्रगति नहीं होने के कारण उसे अपडेट नहीं मिल सका। मामले की जानकारी के बाद सोमवार दोपहर को सीपी की टीम ने चौकी के बाहर दरोगा को बुलाया और कार में लेकर आवास पहुंची। सीपी की निगरानी में दरोगा से पूछताछ की गई, इसके बाद जोन के एक अफसर को बुलाया गया। सीपी ने जोन के राजपत्रित अधिकारी से दरोगा और उसके दोस्तों की पूरी जानकारी जुटाने का निर्देश दिया, तब से लेकर लगभग 40 घंटे तक अनवरत पूछताछ और दरोगा के दो अन्य साथियों की तलाश जारी है। कैंट की मुख्य चौकी का बना इंचार्ज
लूट की वारदातों को अंजाम देने वाले दरोगा का नेटवर्क भी बहुत मजबूत है। उसके संपर्क केवल पुलिस महकमे में ही नहीं राजनीतिक गलियारों में भी हैं। दरोगा पहले गोमती जोन के प्रमुख थाने पर तैनात था फिर उसने अपना तबादला वरुणा जोन में करवा लिया। पिछले दिनों कैंट की एक चौकी पर सेकंड अफसर था तो सिस्टम लगाकर पिछले दिनों चौकी इंचार्ज बन गया। दरोगा ने चौकी पाते ही बड़ा हाथ मारा और पहले झटके में 42.50 लाख की लूट कर डाली और खामोशी की चादर ओढ़ ली। वर्दी की हनक में चला रहा था गिरोह
दरोगा वर्दी की आड़ में अपना एक गिरोह संचालित कर रहा था और यह लूटकांड उसकी पहली वारदात नहीं थी। उसने इससे पहले भी लूट की कई वारदातों को अंजाम दिया है। दरोगा के मोबाइल से घटना संबंधी फोटो वीडियो सहित चैटिंग भी मिले है, जो उसे जेल भेजने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं। दरोगा हमेशा बिना नंबर के वाहन का उपयोग करता था और वर्दी की हनक में वारदात को अंजाम देता था। वर्दी पहनकर लूट करने वाले दरोगा ने वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस की छवि को पलीता लगा दिया है। जनता की सुरक्षा करने और साफ छवि का दावा करने वाली पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं सच्चाई से मुंह फेरते हुए आला अधिकारी अभी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। पहले बताते हैं वो पूरा घटनाक्रम, जिससे जुड़े दरोगा के तार
26 जून की रात नीचीबाग कूड़ाखाना गली निवासी सर्राफ कारोबारी जयपाल कुमार के 2 कर्मचारी 93 लाख रुपए का पेमेंट लेकर वाराणसी से कोलकाता रवाना हुए। जयपाल ने दोनों कर्मचारी अविनाश और धनंजय को भुल्लनपुर से बस में बैठाया और खुद घर आ गए। कुछ देर बाद कर्मचारी ने फोन कर कहा कि पुलिस ने कैश पकड़ लिया है और बताया कि क्राइम ब्रांच की स्पेशल टीम 42.50 लाख रुपए लेकर गई है। हम दोनों को बस से उतार दिया है। सर्राफ ने सोना खरीद के लिए जा रही धनराशि के दस्तावेज साथ होने की बात कही,लेकिन तब तक कार सवार जा चुके थे। सूचना पाकर सर्राफ आनन फानन सैय्यदराजा पहुंचे तो पुलिस ने ऐसी किसी कार्रवाई से इनकार कर दिया। मामले में दोनों कर्मचारियों को आरोपी मानते हुए कारोबारी ने तहरीर दी, पुलिस ने पूछताछ भी की लेकिन कुछ खास पता नहीं चला। सैयदराजा क्राइम टीम बताकर लूटे 42.50 लाख
दोनों कर्मचारियों के अनुसार वाराणसी कोलकाता हाईवे पर पहुंचने पर बस में एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में और दो व्यक्ति सादे कपड़े में चढ़े। तीनों ने खुद को चंदौली जिले के सैयदराजा थाना की क्राइम टीम बताया। इसके बाद तीनों बैग के साथ कर्मचारी अविनाश और धनंजय को नीचे उतारकर बस रवाना कर दी और उन्हें बिना नंबर प्लेट की कार में बैठा लिया। अविनाश का मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया, फिर दोनों को रोककर पुलिसिया अंदाज में पूछताछ की। दोनों को डराकर उसके बैंग से 42 लाख 50 हजार रुपए ले लिए और बनारस रवाना हो गए। दरोगा ने अपने दो साथियों को बड़ागांव तक छोड़ा इसके बाद तीसरे को कैंट क्षेत्र में छोड़कर नगदी लेकर कमरे पर जाकर सो गया। रामनगर थाने में दी थी तहरीर, केस की जारी है विवेचना
अविनाश गुप्ता और धनंजय यादव ने 42 लाख 50 हजार रुपए के छीने जाने की सूचना देर रात लगभग 1.30 बजे मालिक को दी। जयपाल कुमार ने कटरिया बॉर्डर स्थित बनारस ढाबा पहुंचे। अविनाश ने जयपाल कुमार को बताया कि पुलिस वाले 50 लाख 50 हजार रुपए छोड़ दिए हैं। 42 लाख 50 हजार रुपए वह अपने साथ ले गए हैं। घटनास्थल को लेकर असमंजस में थे और 26 जून को घटना के कई दिन बाद में उन्होंने रामनगर थाने में तहरीर दी। बाद में घटनास्थल चंदौली जिले का चंदरखा निकला, जांच चंदौली पुलिस को हस्तांतरित कर दी गई। तब सर्राफ का आरोप था कि अविनाश गुप्ता और धनंजय यादव ने ही उनके 42.50 लाख रुपए गायब किए हैं।
अब पेपर लीक नहीं होगा…क्या गारंटी देगा नया कानून:जिंदगी भर जेल में रहना पड़ेगा; वह सब इंतजाम, जो नकल माफिया में डर पैदा करेगा
अब पेपर लीक नहीं होगा…क्या गारंटी देगा नया कानून:जिंदगी भर जेल में रहना पड़ेगा; वह सब इंतजाम, जो नकल माफिया में डर पैदा करेगा यूपी में एंटी पेपर लीक कानून विधानसभा और विधान परिषद से हो गया है। योगी सरकार यूपी सार्वजनिक परीक्षा कानून (अनुचित साधनों का निवारण) नाम से अध्यादेश 15 जुलाई, 2024 को लेकर आई थी। नए कानून के तहत पेपर लीक से लेकर आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर सजा होगी। सबसे कम सजा 2 साल की जेल और जुर्माना है, जबकि अधिकतम सजा आजीवन कारावास और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना है। सरकार संपत्ति कुर्क भी कर करवा सकती है। ये कानून पेपर लीक माफिया पर शिकंजा कसने में किस हद तक कामयाब होगा, क्या इससे पेपर लीक रुक जाएगा? ये जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बात की। भास्कर एक्सप्लेनर में इन 7 सवालों से जानिए सबकुछ…. सवाल-1: पहले पेपर लीक कराने या दूसरे की जगह परीक्षा देने जैसे मामलों में किन धाराओं में केस दर्ज होता था? इनमें कितनी सजा हो सकती थी? जवाब: नए कानून के पहले तक IPC की धारा 420, 468 और 120B के तहत पुलिस मामला दर्ज करती थी। 420 और 468 के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के अपराध आते हैं। 120B के तहत आपराधिक साजिश के मामले दर्ज होते हैं। इनमें 7 साल तक की अधिकतम सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ये सभी अपराध गैर जमानती हैं। सवाल -2: नए कानून से क्या फायदा होगा? जवाब : नए कानून में अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय है। संगठित अपराध का भी जिक्र है। परीक्षा करने वाली संस्था, सर्विस प्रोवाइडर और नकल माफिया, सभी के लिए अलग-अलग तरह के अपराध और दंड का प्रावधान किया गया है। पहली बार पकड़े जाने पर 14 साल तक की सजा और 25 लाख तक का जुर्माना है। दोबारा पकड़े जाने पर आजीवन कारावास और एक करोड़ तक का जुर्माना है। परीक्षा कराने वाली संस्था के चेयरपर्सन, मेंबर और स्टाफ अगर गड़बड़ी में शामिल मिलता है तो उसके खिलाफ सजा का प्रावधान है। यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम और शिक्षाविद् दिनेश शर्मा कहते हैं- कानून का बड़ा फायदा मिलेगा। सरकार ने नकल रोकने के लिए पहले से ही काफी उपाय किए हैं। सवाल-3: यूपी सार्वजनिक परीक्षा कानून 2024 के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे। इसका क्या मतलब है? जवाब: नए कानून की धारा 9 के अनुसार, इसके तहत दर्ज सभी मामले संज्ञेय, गैर जमानती और नॉन कंपाउंडेबल रहेंगे। संज्ञेय अपराध का मतलब है- ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकते हैं। संज्ञेय अपराधों में CrPC की धारा 154 के तहत मजिस्ट्रेट की अनुमति के बगैर पुलिस अधिकारी को FIR दर्ज करने और जांच शुरू करने का अधिकार है। जबकि असंज्ञेय अपराधों में अपराध की गंभीरता कम होती है, इसलिए FIR दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति और आदेश जरूरी है। सीधे FIR दर्ज नहीं होती। सवाल -4: इस कानून से पेपर लीक माफिया पर शिकंजा कस पाएगा? जवाब: इन कानूनों का मकसद परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाना है। अभी तक राज्य में जो कार्रवाई होती है, उनमें नकल और चीटिंग जैसे छोटे अपराधों पर ज्यादा जोर है, जिसकी वजह से छात्रों को ही सजा देकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। लेकिन, नए कानून का उद्देश्य नौकरियों से जुड़ी परीक्षाओं की साख को बहाल करना है। नए कानून से पेपर लीक जैसी गड़बड़ी में हर स्टेप पर काम कर रहे अपराधियों पर कार्रवाई की जा सकेगी। कानून के तहत, अगर किसी गड़बड़ी में एग्जाम सेंटर की भूमिका पाई जाती है, तो उस सेंटर को हमेशा के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। उससे परीक्षा की लागत भी वसूली जाएगी। यूपी के पूर्व डीजीपी ओमप्रकाश सिंह कहते हैं- नए कानून में सजा बेहद सख्त है। इससे नकल और पेपर लीक कराने वाले माफिया में खौफ पैदा होगा। अभी जो पेपर लीक हो रहे हैं, वो डिजिटली ज्यादा हो रहे हैं। अभी तक स्पष्ट कानून का प्रावधान नहीं होने के कारण कठोर कार्रवाई नहीं हो पाती थी, लेकिन अब कानून बन जाने से सजा दिलाने में आसानी हो जाएगी। सवाल-5: कौन-कौन सी परीक्षाएं कानून के दायरे में आएंगी? जवाब: इस कानून में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPSC), यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC), पुलिस भर्ती की परीक्षाएं शामिल होंगी। राज्य के सभी मंत्रालयों, विभागों की भर्ती परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में आएंगी। इसके अलावा यूपी बोर्ड, यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं भी शामिल हैं। यानी बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक होने पर भी इसी कानून के तहत कार्रवाई होगी। सवाल- 6: देश के दूसरे राज्यों में क्या है कानून? जवाब: देश के 6 अन्य राज्यों में अभी यूपी की तरह ही कानून है। छत्तीसगढ़ में 2008 में, झारखंड में 2001 में, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 1997 में, ओडिशा में 1998 में और महाराष्ट्र 1982 में लागू किए गए ऐसे ही पुराने नकल रोधी कानून हैं। एक साल पहले राजस्थान में सार्वजनिक परीक्षा संशोधन अधिनियम 2023 लागू किया गया था। इस नए कानून के तहत आरोपियों को उम्रकैद की सजा और 10 करोड़ रुपए जुर्माने का प्रावधान है। आरोपी की संपत्ति कुर्क करने का भी नियम बनाया गया है। पेपर लीक मामले में दोषियों को जल्दी सजा मिले, इसके लिए हर आरोपी का कोर्ट में अलग ट्रायल कराया जा रहा है। गुजरात और उत्तराखंड में भी कानून में संशोधन करके सख्त बनाया गया है। सवाल- 7: पेपर लीक रोकने के लिए केंद्र सरकार ने क्या कानून बनाया? जवाब: पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया। इसमें 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान है।