हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (HPU) ने M.Ed. (मास्टर ऑफ एजुकेशन) में एडमिशन के लिए काउंसिलिंग की डेट तय कर दी है। HPU के डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के अनुसार, M.Ed. के लिए 13 नवंबर को काउंसिलिंग की जाएगी। एंट्रेंस टेस्ट पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों को सुबह 11 बजे सभी शैक्षणिक दस्तावेजों के साथ डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के समरहिल यूनिवर्सिटी के हॉल में आना होगा। बता दें कि HPU प्रशासन बीते माह ही M.Ed. में दाखिले के लिए एंट्रेंस टेस्ट ले चुका है। इसके आधार पर इच्छुक छात्र-छात्राओं को M.Ed. में दाखिला दिया जाएगा। एंट्रेंस टेस्ट में जनरल कैटेगरी के लिए 40% अंक अनिवार्य डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन डॉ. चमन लाल ने बताया कि एंट्रेंस टेस्ट में 40 प्रतिशत अंक वाले जनरल कैटेगरी के अभ्यर्थी काउंसिलिंग में भाग ले सकेंगे। इसी तरह अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति श्रेणी के 35 प्रतिशत अंक पाने वाले अभ्यर्थी इस काउंसिलिंग में बैठ पाएंगे। M.Ed. में दाखिला मेरिट के आधार पर दिया जाएगा। प्रदेश में M.Ed. की 300 सीटें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में M.Ed. की 50 सीटें है, जबकि लगभग 250 सीटें HPU से हिमाचल के कालेजों में है। कुल मिलाकर यह काउंसिलिंग लगभग 300 सीटों के लिए होगी। HPU में होने वाली काउंसिलिंग के आधार पर ही कालेजों में भी सीटें भरी जाएगी। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (HPU) ने M.Ed. (मास्टर ऑफ एजुकेशन) में एडमिशन के लिए काउंसिलिंग की डेट तय कर दी है। HPU के डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के अनुसार, M.Ed. के लिए 13 नवंबर को काउंसिलिंग की जाएगी। एंट्रेंस टेस्ट पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों को सुबह 11 बजे सभी शैक्षणिक दस्तावेजों के साथ डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के समरहिल यूनिवर्सिटी के हॉल में आना होगा। बता दें कि HPU प्रशासन बीते माह ही M.Ed. में दाखिले के लिए एंट्रेंस टेस्ट ले चुका है। इसके आधार पर इच्छुक छात्र-छात्राओं को M.Ed. में दाखिला दिया जाएगा। एंट्रेंस टेस्ट में जनरल कैटेगरी के लिए 40% अंक अनिवार्य डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन डॉ. चमन लाल ने बताया कि एंट्रेंस टेस्ट में 40 प्रतिशत अंक वाले जनरल कैटेगरी के अभ्यर्थी काउंसिलिंग में भाग ले सकेंगे। इसी तरह अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति श्रेणी के 35 प्रतिशत अंक पाने वाले अभ्यर्थी इस काउंसिलिंग में बैठ पाएंगे। M.Ed. में दाखिला मेरिट के आधार पर दिया जाएगा। प्रदेश में M.Ed. की 300 सीटें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में M.Ed. की 50 सीटें है, जबकि लगभग 250 सीटें HPU से हिमाचल के कालेजों में है। कुल मिलाकर यह काउंसिलिंग लगभग 300 सीटों के लिए होगी। HPU में होने वाली काउंसिलिंग के आधार पर ही कालेजों में भी सीटें भरी जाएगी। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट:सरकार ने अस्पतालों को जारी किए निर्देश; विदेश से आने वालों पर नजर रखने को बोला दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ने पर पूरे विश्व मे हड़कंप मचा हुआ है। हिमाचल में भी प्रदेश सरकार ने बीमारी को लेकर अलर्ट जारी कर दिया। स्वास्थ्य सचिव एम सुधा की अध्यक्षता में शुक्रवार को संपन्न बैठक में सभी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों को एहतियात बरतने को कहा गया है। विदेशों से आने वाले लोगों पर नजर बनाए रखने को कहा गया है। डॉक्टरों के अनुसार मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है। स्माल पॉक्स इसके लक्षण है। डॉक्टरों कहना है 1958 में हुए शोध में इस बीमारी को बन्दरों में पाया गया था। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ा है। बताया जाता है कि शुरू में पॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाली एक जूनोटिक बीमारी थी। लेकिन अब यह इंसान से इंसान के संपर्क से फैलने वाली सीधी बीमारी है। हालांकि ये कम गंभीर है और ऑर्थोपॉक्सवायरस संक्रमण है, जिसे 1980 में दुनिया भर में खत्म घोषित कर दिया गया था। ऐसे फैलता है मंकीपॉक्स डॉक्टरों मानते है कि मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है। जो लोगों में इससे ग्रसित मरीज के संपर्क में आने से फैलता है। परन्तु यह कई अन्य संक्रामक बीमारियों की तरह हवा में नहीं फैलती है । मंकीपॉक्स त्वचा से त्वचा का संपर्क, यौन संबंध, बिस्तर और कपड़ों को छूना, सुरक्षा मानकों का पालन न करने से फैलता है। बीमारी के ये हैं लक्षण डॉक्टरों के अनुसार मंकीपॉक्स शुरुआती लक्षणों में व्यक्ति को तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ में दर्द, बुखार इत्यादि आता है। कहा जाता है कि बुखार आने के एक सप्ताह के भीतर शरीर पर चकते (छाले) और लाल धब्बे दिखाई देने लगते हैं. बीमारी में ज्यादातर छाले चेहरे और हाथों पर पाए जाते हैं। मंकीपॉक्स से ऐसे करें बचाव जो लोग बीमार लोगों के संपर्क में आते हैं, उन्हें पॉक्स हो सकता है. यानी शरीर पर छाले आ जाते है। परन्तु इससे घबराने की जरूरत नही है मंकी फॉक्स ज्यादा गंभीर बीमारी नही है परंतु यह एक संक्रमण है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के फैलता है इसलिए इसे फैलने से रोकने के लिए सावधानी जरूरी है। हॉस्पिटल में संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाले हेल्थ वर्कर्स को खुद पर काफी ध्यान देना पड़ता है और SOP का पालन करना पड़ता है।
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