यूपी के माननीय की इस समय हालत बहुत खराब है। वे बेचैन आत्मा की तरह तड़प रहे हैं। साइकिल से उतरकर कमल पकड़ने की चाहत थी, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। खूब जोर लगा रहे हैं कि साइकिल पर फिर से सवार हो जाएं, लेकिन चलाने वाला मौका ही नहीं दे रहा है। सुनने में आ रहा है कि राजधानी की नगर मुखिया के बेटे ने 1 लाख की नौकरी छोड़ दी है। वे मां का हाथ बंटा रहे हैं। पिछली बार भी ऐसी ही परपंरा थी, जो अब वो भी निभाने आ गए। इस बार सुनी–सुनाई में ब्यूरोक्रेसी और राजनीति के गलियों में चल रही ऐसी चर्चाओं को जानिए… सूबे की नहीं, केंद्र की चिंता बीते दिनों खाकी वर्दी वाले महकमे में मुखिया की तैनाती को लेकर नए नियम बनाए गए। चर्चा यह है कि इस नियम को बनवाने में खाकी वर्दी के सिपहसालार रहे एक पूर्व अधिकारी की भूमिका अहम रही। पूरे का पूरा मसौदा उन्हीं साहब ने तैयार किया। कहा तो यह भी जा रहा है कि मसौदा तैयार होने के बाद साहब तारीख से पहले ही देश की सबसे बड़ी अदालत पहुंच गए और मुखिया की तैनाती को लेकर नया डायरेक्शन जारी करने की मांग कर डाली। हालांकि अदालत ने इस पर अभी गौर नहीं किया है और न ही उनकी अर्जी पर अभी कोई तारीख नहीं दी गई है। देखना दिलचस्प होगा कि अदालत का रुख इस पर क्या रहता है और सूबे की सरकार ने जो नए नियम बनाए हैं, उन्हें अदालत किस तरह लेती है। सत्ता पक्ष के एक नेता का कहना है कि सरकार के नए नियम से सूबे को उसके मुताबिक पुलिस का मुखिया मिल जाएगा, लेकिन दूसरे राज्यों ने भी अगर इस फार्मूले पर अमल शुरू कर दिया तो फिर केंद्र की कौन सुनेगा? नेता जी की बेचैनी कुछ दिनों पहले अपनी पार्टी से बागी हुए एक नेता जी अब रिश्ते सुधारने के लिए बेचैन हैं। लेकिन, पुराने आका हैं कि पिघलने का नाम नहीं ले रहे। पिछले दिनों में यह नेता जी आका से खराब हुए रिश्तों में मध्यस्थता की दुहाई लेकर सूबे में कभी वजीर रहे एक राजा के दरबार में पहुंचे। राजा ने लाल टोपी वाली पार्टी के मुखिया से बात करने का भरोसा दिलाया। मगर, बात नहीं बनी। नेता जी ने साफ कह दिया कि मुझे दगाबाजी करने वालों की जरूरत नहीं है। ऐसे लोगों का कोई भरोसा नहीं, वह कभी भी पलट सकते हैं। अब जिस पार्टी में वह गए हैं, वहां उनकी दाल नहीं गल रही है और जहां से आए थे, वहां अब उन्हें एंट्री नहीं मिल रही है। हाल यह है कि जिस क्षेत्र से वह चुनकर आते हैं, उस क्षेत्र की जनता भी नेता जी के कारनामों से नाराज बताई जा रही है। सियासी गलियारों में चर्चा यही है कि नेता जी न तो घर के हुए, न घाट के। पुरानी पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है और नई पार्टी ने जिस लिए उन्हें लिया था, वो काम वह करा नहीं पाए। ऐसे में इनके लिए वहां टिकट की विंडो खुलेगी भी या नहीं, कहना मुश्किल है। धूल खा रही है सदस्यता की डायरियां भगवा टोली में सदस्यता अभियान इन दिनों अंतिम चरण में है। सदस्यता ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन भी होनी थी। ऑफलाइन सदस्य बनाने के लिए एक-एक व्यक्ति के पास जाकर उन्हें आग्रह करना पड़ता। इसलिए सदस्य बनाने के लिए अधिकांश नेताओं ने ऑनलाइन मोड को ही चुना। हजारों सदस्य बनाकर वाहवाही लूट रहे नेताओं ने एजेंसी के जरिए सदस्य बनाए हैं, यह अब सार्वजनिक हो गया है। नेताओं ने ऑनलाइन मोड को चुना तो ऑफलाइन के लिए छपवाई गईं हजारों रसीद और डायरी दफ्तर के सभागार में धूल खा रही हैं। भाई साहब का मोबाइल प्रेम भगवा टोली के एक भाई साहब का मोबाइल प्रेम इन दिनों काफी चर्चा में है। भाई साहब के कंधों पर यूं तो अवध और पूर्वांचल में गांव-गांव तक ध्वज प्रणाम शुरू कराने की जिम्मेदारी है, लेकिन भाई साहब के दोनों हाथ और कंधे तो मोबाइल में व्यस्त हैं। पार्टी में भाई साहब से नाराजगी है कि वह मोबाइल में इतने व्यस्त रहते है कि किसी के अभिवादन का भी जवाब नहीं देते। बीते दिनों चर्चा चल रही थी कि यूं ही मोबाइल में व्यस्त रहे तो शताब्दी वर्ष तो क्या? अगले कई साल तक लक्ष्य पूरा नहीं होगा। मैडम के बेटे हाथ बंटाने आए राजधानी की नगर मुखिया के साथ अब उनके बेटे भी मैदान में आ गए है। सुना है कि करीब एक लाख रुपए महीने की नौकरी छोड़कर आए हैं। वह मां के काम में हाथ बंटाने आए हैं। वैसे भी यहां की बैठकों में महिला माननीयों के पति और उनके परिवार के पुरुष सदस्य ही शामिल होते हैं। इसलिए मुखिया के बेटे के हस्तक्षेप से ज्यादा दिक्कत तो उन्हें है ही नहीं। लेकिन, माननीय के सख्ती और व्यवहार से वे भी खासे खफा हैं। नगर सरकार और भाजपा में चर्चा है कि पहले वाली नगर मुखिया के बेटे पूरा काम और हिसाब संभालते थे, इसलिए अब वाली मैडम ने भी वही तरीका अपनाया है। यह भी पढ़ें:- कमाई यूपी की, नेता-अफसरों का निवेश देवभूमि में:लखनऊ से दिल्ली गए थे दिल लगाने, बात बिगड़ी; बड़े-छोटे साहब की शिकायत पहुंची यूपी के माननीय की इस समय हालत बहुत खराब है। वे बेचैन आत्मा की तरह तड़प रहे हैं। साइकिल से उतरकर कमल पकड़ने की चाहत थी, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। खूब जोर लगा रहे हैं कि साइकिल पर फिर से सवार हो जाएं, लेकिन चलाने वाला मौका ही नहीं दे रहा है। सुनने में आ रहा है कि राजधानी की नगर मुखिया के बेटे ने 1 लाख की नौकरी छोड़ दी है। वे मां का हाथ बंटा रहे हैं। पिछली बार भी ऐसी ही परपंरा थी, जो अब वो भी निभाने आ गए। इस बार सुनी–सुनाई में ब्यूरोक्रेसी और राजनीति के गलियों में चल रही ऐसी चर्चाओं को जानिए… सूबे की नहीं, केंद्र की चिंता बीते दिनों खाकी वर्दी वाले महकमे में मुखिया की तैनाती को लेकर नए नियम बनाए गए। चर्चा यह है कि इस नियम को बनवाने में खाकी वर्दी के सिपहसालार रहे एक पूर्व अधिकारी की भूमिका अहम रही। पूरे का पूरा मसौदा उन्हीं साहब ने तैयार किया। कहा तो यह भी जा रहा है कि मसौदा तैयार होने के बाद साहब तारीख से पहले ही देश की सबसे बड़ी अदालत पहुंच गए और मुखिया की तैनाती को लेकर नया डायरेक्शन जारी करने की मांग कर डाली। हालांकि अदालत ने इस पर अभी गौर नहीं किया है और न ही उनकी अर्जी पर अभी कोई तारीख नहीं दी गई है। देखना दिलचस्प होगा कि अदालत का रुख इस पर क्या रहता है और सूबे की सरकार ने जो नए नियम बनाए हैं, उन्हें अदालत किस तरह लेती है। सत्ता पक्ष के एक नेता का कहना है कि सरकार के नए नियम से सूबे को उसके मुताबिक पुलिस का मुखिया मिल जाएगा, लेकिन दूसरे राज्यों ने भी अगर इस फार्मूले पर अमल शुरू कर दिया तो फिर केंद्र की कौन सुनेगा? नेता जी की बेचैनी कुछ दिनों पहले अपनी पार्टी से बागी हुए एक नेता जी अब रिश्ते सुधारने के लिए बेचैन हैं। लेकिन, पुराने आका हैं कि पिघलने का नाम नहीं ले रहे। पिछले दिनों में यह नेता जी आका से खराब हुए रिश्तों में मध्यस्थता की दुहाई लेकर सूबे में कभी वजीर रहे एक राजा के दरबार में पहुंचे। राजा ने लाल टोपी वाली पार्टी के मुखिया से बात करने का भरोसा दिलाया। मगर, बात नहीं बनी। नेता जी ने साफ कह दिया कि मुझे दगाबाजी करने वालों की जरूरत नहीं है। ऐसे लोगों का कोई भरोसा नहीं, वह कभी भी पलट सकते हैं। अब जिस पार्टी में वह गए हैं, वहां उनकी दाल नहीं गल रही है और जहां से आए थे, वहां अब उन्हें एंट्री नहीं मिल रही है। हाल यह है कि जिस क्षेत्र से वह चुनकर आते हैं, उस क्षेत्र की जनता भी नेता जी के कारनामों से नाराज बताई जा रही है। सियासी गलियारों में चर्चा यही है कि नेता जी न तो घर के हुए, न घाट के। पुरानी पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है और नई पार्टी ने जिस लिए उन्हें लिया था, वो काम वह करा नहीं पाए। ऐसे में इनके लिए वहां टिकट की विंडो खुलेगी भी या नहीं, कहना मुश्किल है। धूल खा रही है सदस्यता की डायरियां भगवा टोली में सदस्यता अभियान इन दिनों अंतिम चरण में है। सदस्यता ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन भी होनी थी। ऑफलाइन सदस्य बनाने के लिए एक-एक व्यक्ति के पास जाकर उन्हें आग्रह करना पड़ता। इसलिए सदस्य बनाने के लिए अधिकांश नेताओं ने ऑनलाइन मोड को ही चुना। हजारों सदस्य बनाकर वाहवाही लूट रहे नेताओं ने एजेंसी के जरिए सदस्य बनाए हैं, यह अब सार्वजनिक हो गया है। नेताओं ने ऑनलाइन मोड को चुना तो ऑफलाइन के लिए छपवाई गईं हजारों रसीद और डायरी दफ्तर के सभागार में धूल खा रही हैं। भाई साहब का मोबाइल प्रेम भगवा टोली के एक भाई साहब का मोबाइल प्रेम इन दिनों काफी चर्चा में है। भाई साहब के कंधों पर यूं तो अवध और पूर्वांचल में गांव-गांव तक ध्वज प्रणाम शुरू कराने की जिम्मेदारी है, लेकिन भाई साहब के दोनों हाथ और कंधे तो मोबाइल में व्यस्त हैं। पार्टी में भाई साहब से नाराजगी है कि वह मोबाइल में इतने व्यस्त रहते है कि किसी के अभिवादन का भी जवाब नहीं देते। बीते दिनों चर्चा चल रही थी कि यूं ही मोबाइल में व्यस्त रहे तो शताब्दी वर्ष तो क्या? अगले कई साल तक लक्ष्य पूरा नहीं होगा। मैडम के बेटे हाथ बंटाने आए राजधानी की नगर मुखिया के साथ अब उनके बेटे भी मैदान में आ गए है। सुना है कि करीब एक लाख रुपए महीने की नौकरी छोड़कर आए हैं। वह मां के काम में हाथ बंटाने आए हैं। वैसे भी यहां की बैठकों में महिला माननीयों के पति और उनके परिवार के पुरुष सदस्य ही शामिल होते हैं। इसलिए मुखिया के बेटे के हस्तक्षेप से ज्यादा दिक्कत तो उन्हें है ही नहीं। लेकिन, माननीय के सख्ती और व्यवहार से वे भी खासे खफा हैं। नगर सरकार और भाजपा में चर्चा है कि पहले वाली नगर मुखिया के बेटे पूरा काम और हिसाब संभालते थे, इसलिए अब वाली मैडम ने भी वही तरीका अपनाया है। यह भी पढ़ें:- कमाई यूपी की, नेता-अफसरों का निवेश देवभूमि में:लखनऊ से दिल्ली गए थे दिल लगाने, बात बिगड़ी; बड़े-छोटे साहब की शिकायत पहुंची उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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उदय सामंत ने शिवसेना नेता रामदास कदम और बीजेपी के रविंद्र चव्हाण के बीच विवाद पर दी प्रतिक्रिया, बोले- ‘महायुति के लिए…’
उदय सामंत ने शिवसेना नेता रामदास कदम और बीजेपी के रविंद्र चव्हाण के बीच विवाद पर दी प्रतिक्रिया, बोले- ‘महायुति के लिए…’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Politics:</strong> महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच महायुति के भीतर विवाद गहराता जा रहा है. उद्योग मंत्री उदय सामंत ने शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम और बीजेपी के मंत्री रविंद्र चव्हाण के बीच चल रहे विवाद पर प्रतिक्रिया दी है. सामंत ने इस विवाद को महायुति के लिए नुकसानदायक बताते हुए दोनों नेताओं से समझदारी दिखाने की अपील की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिवसेना नेता सामंत ने मंगलवार को यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “रामदास कदम और रविंद्र चव्हाण के बीच का विवाद महायुति के लिए नुकसानदायक है. यह जरूरी है कि दोनों नेता अपनी गलतफहमियों को सुलझाएं और ऐसा कोई कदम न उठाएं जिससे महाविकास आघाड़ी को फायदा हो. मैं देवेंद्र फडणवीस से उम्मीद करता हूं कि वे रामदास कदम की गलतफहमी को दूर करेंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही, सामंत ने बदलापुर प्रकरण में सख्त कार्रवाई की बात की. उन्होंने कहा, “बदलापुर मामले में दोषी को कभी माफ नहीं किया जाएगा. हम सख्त कार्रवाई करेंगे और किसी को भी संरक्षण नहीं दिया जाएगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उल्लेखनीय है कि महायुति के दोनों दलों के बीच विवाद की शुरुआत तब हुई जब रामदास कदम ने मुंबई-गोवा हाईवे के निर्माण में देरी को लेकर बीजेपी के मंत्री रविंद्र चव्हाण की आलोचना की और उनका इस्तीफा मांगा. कदम ने चव्हाण को काम में असफल बताते हुए कहा, “कितने साल से मुंबई-गोवा हाईवे का काम नहीं हो रहा है. राज्य के लोगों को तकलीफ हो रही है और मंत्री रविंद्र चव्हाण निश्चिंत हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>चव्हाण ने जवाब देते हुए कहा, “रामदास कदम एक वरिष्ठ नेता हैं और उनकी भाषा उचित नहीं है. महायुति का धर्म निभाने का ठेका सिर्फ हमने नहीं लिया है. मुख्यमंत्री <a title=”एकनाथ शिंदे” href=”https://www.abplive.com/topic/eknath-shinde” data-type=”interlinkingkeywords”>एकनाथ शिंदे</a> से मेरी विनती है कि वे रामदास कदम जैसे लोगों को काबू में रखें.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>रविंद्र चव्हाण, जो बीजेपी के कई महत्वपूर्ण मिशनों का हिस्सा हैं, अक्सर पर्दे के पीछे रहकर पार्टी की रणनीतियों को आकार देते हैं. चुनाव की रणनीति और महत्वपूर्ण पदों पर उनकी भूमिका को देखते हुए, यह विवाद महायुति के समन्वय और रणनीति पर असर डाल सकता है. महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, इस विवाद का समाधान महायुति के एकता और प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”कांग्रेस के मंच पर ED-CBI का जिक्र कर उद्धव ठाकरे बोले- ‘बाला साहेब ने राजीव गांधी की खूब आलोचना की, लेकिन…'” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/uddhav-thackeray-targets-bjp-on-ed-cbi-raids-claims-rajiv-gandhi-never-ordered-raids-on-balasaheb-thackeray-2765408″ target=”_blank” rel=”noopener”>कांग्रेस के मंच पर ED-CBI का जिक्र कर उद्धव ठाकरे बोले- ‘बाला साहेब ने राजीव गांधी की खूब आलोचना की, लेकिन…'</a></strong></p>
Watch: बहराइच की सड़कों पर STF चीफ अमिताभ यश ने संभाला मोर्चा, पिस्टल लेकर दौड़ाया
Watch: बहराइच की सड़कों पर STF चीफ अमिताभ यश ने संभाला मोर्चा, पिस्टल लेकर दौड़ाया <p style=”text-align: justify;”><strong>Bahraich Violence:</strong> उत्तर प्रदेश के बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए बवाल के बाद सोमवार को एक बार फिर से आगजनी और तोड़फोड़ की गई. कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की गई. बाइक के शोरूम और एक अस्पताल में आग लगा दी गई है. मामला ऐसा बढ़ा की लखनऊ से बड़े अधिकारियों को तुरंत बहराइच भेजना पड़ा है. इस दौरान यूपी एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश का एक वीडियो वायरल हो रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस वीडियो में अमिताभ यश खुद सड़क पर उतर कर मोर्चा संभाले हुए नजर आ रहे हैं. वह उपद्रवियों को देखते हैं तो उन्हें दौड़ा लेते हैं. इस दौरान उनके हाथ में पिस्टल है. जैसे ही वह उपद्रव करने वालों को देखते हैं खुद दौड़ने लगते हैं और उनके पकड़ने के लिए कहते हैं. इतना देखते ही सामने से आ रहे उपद्रवी भागने लगते हैं. अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि बहराइच में दूसरे भी दिन भी हिंसा हो रही है. वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया है. दवाइयों को जला दिया गया है. मामले को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस ने मार्च किया. अगल-बगल इलाके की पुलिस को भी बुला लिया गया है. इस मामले में मौके पर गृह सचिव संजीव गुप्ता और एडीजी (कानून-व्यवस्था) और एसटीएफ चीफ अमिताभ यश को भेजा गया है.</p>
<blockquote class=”twitter-tweet” data-media-max-width=”560″>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>WATCH | बहराइच की सड़कों पर STF चीफ अमिताभ यश ने संभाला मोर्चा<a href=”https://twitter.com/romanaisarkhan?ref_src=twsrc%5Etfw”>@romanaisarkhan</a> | <a href=”https://t.co/smwhXURgtc”>https://t.co/smwhXURgtc</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/Bahraich?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#Bahraich</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/BaharaichViolence?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#BaharaichViolence</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/STF?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#STF</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/UPPolice?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#UPPolice</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/AmitabhYash?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#AmitabhYash</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/Riot?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#Riot</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/ABPNews?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#ABPNews</a> <a href=”https://t.co/7QDKNq7stI”>pic.twitter.com/7QDKNq7stI</a></p>
— ABP News (@ABPNews) <a href=”https://twitter.com/ABPNews/status/1845744500049678662?ref_src=twsrc%5Etfw”>October 14, 2024</a></blockquote>
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</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/bahraich-news-people-carrying-sticks-and-iron-rods-came-out-on-the-streets-shops-and-vehicles-were-set-on-fire-2803440″>Bahraich News: लाठियां, लोहे की छड़ें लिए लोग सड़कों पर, दुकानों और वाहनों में लगाई गई आग</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ताजा हालत पर मांगी रिपोर्ट</strong><br />फिलहाल 30 लोगों को हिरासत में लिया गया है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने दंगाइयों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं. साथ ही ताजा हालात पर रिपोर्ट मांगी है. अफवाह फैलाने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. सीएम योगी ने हत्या के आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के लिए कहा है. डीएम मोनिका रानी ने कहा कि हम स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सोमवार को हिंसा में मारे गए युवक के शव को लेकर भीड़ निकली तो पुलिस ने रास्ते में रोका. ग्रामीण लाठी-डंडों के साथ सड़कों पर उतर आए. विरोध प्रदर्शन हिंसक होने पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. इस दौरान भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह भी साथ थे. पुलिस ने समझाया तो परिवार शव लेकर घर चला गया. लेकिन भीड़ आक्रोशित हो गई. उन्होंने महसी तहसील की मेन मार्केट में आगजनी की.</p>
अखिलेश यादव के सांसद आरके चौधरी के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला
अखिलेश यादव के सांसद आरके चौधरी के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> लखनऊ पुलिस ने मोहनलालगंज सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की है. सपा सांसद के खिलाफ वजीरगंज थाने के दरोगा विनोद कुमार सिंह ने FIR दर्ज कराई है. भारत बंदी के दिन जुलूस निकालने पर सपा सांसद आरके चौधरी समेत तरुण रावत और अन्य पर FIR दर्ज हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने बिना परमिशन के गांधी भवन से परिवर्तन चौक तक जुलूस निकाला था, जिस पर पुलिस ने FIR दर्ज की है. सपा सांसद के खिलाफ BNS 189(1)(e), 223 और पुलिस अधिनियम 30 के तहत वजीरगंज थाने में FIR दर्ज की गई है.</p>